Monday, May 14, 2012

मीठे मुगालते...

एक समय था जब मुगालते पालने में मज़ा आता था,
और उनके टूटने पर दुःख होता था !
आज भी मुगालते पालने में मज़ा आता है,
बस फर्क इतना ही है की उनके टूटने पर
दुःख नहीं होता , बस यही लगता है कि इसकी
'एक्सपायरी डेट' आ गयी !
फोकस नए पर शिफ्ट हो जाता है....

Zeal

9 comments:

Anonymous said...

pr ye hota kya hai

दिवस said...

तो आप मुगालते पालती ही क्यों हैं? आपमें दम है, साहस है, नेकी है और सबको आप पर विश्वास भी है। आप को टूटना नहीं है। टूटने का कारण भी नहीं छोड़ना है। आप अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहें, हम सब आपके साथ हैं।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वैसे भी हम हिन्दुस्तानी मुगालते पालने में दक्ष है :)

प्रतुल वशिष्ठ said...

कई बार अस्पष्ट लेखन के भी अपने-अपने हिसाब के अर्थ लगा लिये जाते हैं.

यह अभिव्यक्ति की चौथी शब्दशक्ति का नमूना है 'तात्पर्य शब्दशक्ति.

Bikram said...

what is mugaalte .. I did not understand that

Bikram's

Aruna Kapoor said...

सही कहा आपने झील!..मुगालतें चीज ही ऐसी है!..कम शब्दों में आपने बहुत कुछ कह डाला!

...पता नहीं क्यों..लिखने का अब मन नहीं है,इसलिए दूरी बनाए हुए हूँ!...टिप्पणी के माध्यम से जरुर जुडी रहूंगी!...बहुत अच्छा लगा कि मुझे कोई याद कर रहा है!

ANULATA RAJ NAIR said...

हम्मम्मम......
दिलो-दिमाग से कड़क हो गए हैं अब हम.........

रचना said...

well said

Vaanbhatt said...

दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूंढे...मुगालते पालना इसी लिए ज़रूरी है...एक टूट भी जाए...तो और मुगालते बाकि हैं मेरे दोस्त...