सदियों से हमारी तारणहार रही गंगा को बचाने के लिए अनेक साधू-संत अपनी जान की परवाह किये बिना आमरण अनशन पर बैठ रहे हैं। लेकिन उनकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं है। राजनेताओं के कान पर जूँ नहीं रेंगती और मीडिया वालों को कुछ दिखाई नहीं देता तो बेचारे दिखाएं क्या। उन्हें तो बस "खान" दिखते हैं। सारे चैनल इन खानों को कवरेज देते हैं। नशा करके स्टेडियम में बवाल करने वाले गुंडों को प्राथमिकता दी जाती है चैनलों पर।
धिक्कार है ! धिकार है !
पहले अनशन पर बैठे स्वामी निगमानंद की मृत्यु हो गयी , फिर अरुण दास जी शहीद हो गए, बहन राजबाला ने अनशन पर बैठकर देश की खातिर जान गँवा दी। लेकिन स्वार्थ से भरे सत्ता-लोलुप राजनेताओं की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। मीडिया ने भी इन शहादतों को कोई अहमियत नहीं दी।
अब स्वामी ज्ञानदेव सानंद जी गंगा बचाने के लिए 'आमरण अनशन' पर बैठे हैं। निरंतर गिरते स्वाथ्य के कारण अस्पताल में भर्ती हो गए हैं। सरकार ने क्रूरता और नीचता की सारी हदें पार कर ली हैं। वे अब इनके भी मरने का इंतज़ार कर रही हैं।
हमारे देश में साधू संतों का जितना अपमान होता है, उतना कहीं नहीं होता।
गंदे नालों और बांधों से बचाओ इस पवित्र नदी गंगा को। बचाओं देश के संतों को। बचाओं अपनी संस्कृति को।
कहीं देर न हो जाए...
जय भारत।
जय गंगे।
हर-हर गंगे।
Zeal
20 comments:
Ganga ko bachana bahut zaruri hai.
आपने सही कहा,..बचाने में कहीं देर न हो जाय,.....
आपने बहुत ही सही बात कही . मैं इसके समर्थन में हु. सादर आभार
सही कहा हमारे देश में साधू संत भी हमारी संस्कृति का हिस्सा है इनका अपमान नही होना चाहिए.... नदी नाले और बांध हमारी धरोहर है इन्हे बचाना हमारा कर्तव्य है....
ganga bachao desh bachao
अब गंगा
मॉं कहाँ है
ये तो बस एक नदी भर है अब
किसे फ़ुर्सत है इस बात से आगे कि
सरकार के रात्रिभोज में
कौन कौन नहीं आने की अफ़वाह उड़ा रहा है
सिस्टम जूतों का है आदि
गुहार की क़ीमत अब कुछ भी नहीं
गंगा मेँ भारतीय संस्कृति के प्राण बसते हैँ । इसे बचाना ही होगा । धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत की हिन्दू संस्कृति के प्रतीकों को मिटाने का क्रम जारी है । हमारे देश को एक मजबूत राष्ट्रवादी नेतृत्व की बहूत आवश्यकता है ।
सच में कूट-कूटकर स्वार्थ भर चुका है... हमारे भीतर.
सोचता हूँ... इसके लिये किया क्या जा सकता है?
बहुत सोचा .... ज्ञानान्द जी के अनशन में समर्थन देने को क्यों न हम भी सांकेतिक एक दिवसीय उपवास करें!
वैचारिक समर्थन तो दिया ही जा सकता है.... लेकिन चिंता की बात तो फिर भी जस-की-तस बनी रहेगी..
माँ गंगा के लिये साधु चिंतित है... लेकिन नेता के शक्ल वाले डाकुओं के माथे पर शिकन तक नहीं....
अब कैसे समझाया जाये कि 'माँ को शुद्ध व पवित्र बनाने की हठ करने वाले भक्त को' .. कैसे बताया जाये कि ये मृत्यु का सौदा है...
जीते-जी माँ' के भजन गाये, आराधना की और अंत में मृत्यु का वरण कर स्वयं को होम कर देना भक्ति की पराकाष्ठा है.
भाव-विह्वल कर देते हैं ये दृश्य और सूचनायें... जब तक अनजान हैं... मज़े में हैं.. लेकिन शर्मसार कर देते हैं माँ गंगा के पुजारी...
अब दर्पण देखते हुए लज्जा ही आयेगी.... ब्लोगर-सम्मान पाने की एक तरफ होड़ मची हुई है... दूसरी तरफ जान-गँवाने की हठ तनी हुई है.
सच ही कहा है आपने 'मनुष्य स्वार्थ की हदें पार कर गया है.'
गंगा को बचाने केलिए प्रयत्न बहुत धीमी गति से चल रहे है आपने बिलकुल सही कहा है कहीं देर न हो जाए |
आशा
Ganga is the lifeline of Indian peninsula . Are the Indians unaware about lifeline ? revealing our unhealthiness......
Desh ka durbhagy hai ... Sanskriti ki raksha ke liye itne logon ka balidaan Bhi Kaam nahi AA paaya ... Kroor sarkar nahi jaag rahi ...
Excellent and timely post! Hope your voice is heard before it is too late...
देश की इस धरोहर को हम सब को मिलकर बचाना होगा ... अब यह काम नेताओं के बस का नहीं रहा .....
आपने सही कहा कही गंगा को बचने में देरी ना हो जाये ...
सार्थक लेख के लिए बधाई
बहुत सही कहा है आपने ... सार्थक प्रस्तुति।
pani ka koi bhi source kyu na ho use bachana jaruri hai......
सरकार तो स्वामी ज्ञानदेव को भी स्वामी निगमानंद की तरह सलटाने के चक्कर में है। इसलिए अब ऐसा लगता है कि दो-चार वाला रास्ता व्यर्थ जा रहा है। भूखें मर जाओ किन्तु कांग्रेसियों के कानों पर जूँ नहीं रेंगने वाली।
गंगा का सर्वनाश तो उस समय शुरू हो गया था जब उस पर तिहरी बाँध बनाया गया। गंगा को लुप्त होने में इस बाँध की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके विरोध में हज़ारों देशभक्तों ने पुलिस की लाठियों को झेला है। राजिव भाई के नेतृत्व में चले इस आन्दोलन में खुद राजिव भाई पुलिस की लाठियों का शिकार हुए व गंभीर रूप से घायल भी हुए थे। किन्तु क्या फर्क पडा इन भूखे कांग्रेसियों को?
पवित्र गंगा को एक गन्दा नाला बना कर डाल दिया।
स्वामी ज्ञानदेव की उक्त तस्वीर को देखकर आँखों में आंसू आते हैं। नमन है स्वामी ज्ञानदेव को। साथ ही नमन है आपको जो आपने इस मुद्दे को जोर देकर ऊपर उठाया व देश की जनता को जागरूक किया।
When someone writes an paragraph he/she maintains the idea of a user in his/her mind that how a
user can know it. Therefore that's why this paragraph is amazing.
Thanks!
Feel free to surf to my website: DonnPGibbson
Everyone loves what you guys are usually up too.
Such clever work and exposure! Keep up the great works
guys I've incorporated you guys to my personal blogroll.
My webpage :: BuenaYDickenson
Its like you read my mind! You appear to know so much
about this, like you wrote the book in it or something.
I think that you could do with a few pics to drive the message home a little bit, but other than that,
this is excellent blog. A fantastic read. I will certainly be back.
Also visit my page LoydVDoring
We're a group of volunteers and opening a brand new scheme in our community.
Your web site provided us with valuable info to work on. You
have performed a formidable activity and our whole community will probably be thankful to you.
Also visit my web-site; DouglassRGearan
Post a Comment