पेट्रोल में लगी आग ने उपभोक्ताओं की नीदें उड़ा दी हैं। एक और जहाँ आम आदमी इस उछाल से परेशान हुआ है , वहीँ कार कंपनियों से सर पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। डीज़ल कारें पहले ही डिमांड में थीं , अब उनकी डिमांड चौगुनी हो गयी है। पेट्रोल कारों के दाम काफी गिर गए हैं। उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए कार कंपनियों पेट्रोल कारों के दाम २५ हज़ार से लेकर ५० हज़ार तक कम कर दिए हैं। इसके विपरीत डीज़ल कारों की वेटिंग लिस्ट और भी लम्बी हो गयी है और दाम आसमान छू रहे हैं।
रूपए के अवमूल्यन से विदेशों से आने वाले पार्ट्स भी मंहगे हो गए हैं , लेकिन कंपनी मालिक अपना दुखड़ा नहीं कह सकते किसी से । अन्यथा उपभोक्ता और दूर भाग जाएगा।
रुपये का इस तरह तेज़ी से गिरना और पेट्रोल के धधकने से आग लगी है देश में लेकिन हमारा नीरो ( डॉ मन मोहन सिंह) बांसुरी बजा रहे हैं चैन से।
और प्रणब दा ? ....वो तो भावी राष्ट्रपति होने जा रहे हैं। फिर आग लगे बस्ती में, मस्तराम मस्ती में...इन्हें क्या ?
Zeal
15 comments:
इस महंगाई के मार को कम करने की विधियाँ तो बहुत हैं
पर विधियों का क्रियान्वयन तो दूर उन विधियों को लाया ही नहीं जाता
हमारा पैसा ले जा कर भरा जा रहा है विदेशी बैंकों में
उसमे भी कटौती की चिल्लर छोड़ गद्दियाँ निकल ली गई
प्रणव दा कहते हैं हम उन चोरों की लिस्ट जनता को नहीं बताएँगे
नीरो कहता है इन्तेजार करो हम फिर से वापस आएंगे
सोनिया को फिर से लूटने का मौका दिलाएंगे
पहले तो लूट कर गए मुग़ल और अंगरेज
अब बारी इटली के औरत की जो बन बैठी सबकी माई है
आपने सही कहा,,,,,
आग लगे बस्ती में, मस्तराम मस्ती में..
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
देश ऐसे ही चल रहा है और ऐसे ही चलेगा दिव्या जी ....हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं......
और यहाँ आम आदमी को बांसुरी फूंकने के लिए सांस भी नहीं बची......
सार्थक लेख.
Apne apne sheesh mahal se janta ka dard Kahan nazar aata hai ... Aur is sarkar ko to khas kar ...
टीम अन्ना ने कल भ्रष्टाचार पर जो श्वेत पत्र जारी किया है उसमें पहली बार प्रणव पर भ्रष्टाचार के आरोप खुल कर लगाए गए हैं. अब प्रणव को राष्ट्रपति बनने से दूर ही रहना चाहिए.
पैट्रोल के दाम सीधे आठ रुपये इसीलिए बढाए थे ताकि बाद में हो हल्ला होने पर 2 रुपये कम कर देंगे। जनता को कह भी सकेंगे कि पिछले तीन साल में 16 बार दाम बढाए तो 12 बार घटाए भी तो हैं। अब जोड़ने-घटाने का गणित कुछ ऐसा है कि 2009 में UPA 2 आने पर पैट्रोल का भाव करीब 42 रुपये प्रति लीटर था जो केवल तीन साल में लगभग दोगुना होकर 80 रुपये के पास पहुँच गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पैट्रोल का भाव प्रति बैरल गिरा है। 105 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 96 डॉलर पर आ जाना तो शुभ संकेत था किन्तु अर्थशास्त्री(?) मनमोहन का कहना है कि पैट्रोल का भाव भले ही गिरा हो किन्तु डॉलर का भाव तो बढ़ा है न। ऐसे में डॉलर के भाव मिलने वाला पैट्रोल भी तो महंगा हुआ न।
अब कोई पूछे इस अर्थशास्त्री से कि डॉलर का भाव करीब एक रुपये बढ़ा है और पैट्रोल का भाव 9 डॉलर गिरा है। लगा लो अपना गणित। अभी भी फायदे में थे। देश की जनता को क्या फुद्दू समझ रखा है इन अर्थशास्त्रियों(?) ने?
तेल कम्पनियों के निजी हित के लिए काम करने वाली इस सरकार ने तेल के दाम पेट्रोलियम सरकार के नियंत्रण से हटाकर कम्पनियों के नियन्त्रण में डाल दिए। अब भाव कितने भी चढ़ें, पेट्रोलियम तो बिकेगा ही। मौके का फायदा कम्पनियों ने खूब उठाया।
सरकार गरीबों के लिए नहीं बल्कि मुट्ठी भर अमीरों (वो भी विदेशी) के लिए काम करती है। पूर्व आयकर आयुक्त विश्वबंधु गुप्ता ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा भी था कि पेट्रोलियम विभाग में ऊंचे ओहदे पर बैठने का सबसे बड़ा क्राइटेरिया यही है कि वह आदमी अम्बानी खानदान का कुत्ता होना चाहिए।
Sach! Pata nahee bhavishy me kaise guzara honewala hai!
पेट्रोल की कीमत बढ़ाकर उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है और राजाओं और मंत्रियों की जेबें भरी जा रही हैं।
आम आदमी की आज सरकार को कहाँ चिंता है...वह तो चुनाव के समय ही याद आता है...बहुत सटीक प्रस्तुति..
क्या बात है!!
आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 28-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-893 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
जिन्हें फर्क नहीं पड़ता उन्हें तो बंसी बजाना ही है
.......नीरो के फेफड़ों में इतना दम है कि वह बांसुरी बजा सके ? वह तो हमें लग रहा है कि..... !! .....बांसुरी तो कोई और ही बजा रहा है दिव्या जी ।......
यह रोम नहीं हम जल रहे है और इस के लिए हम खुद जिम्मेवार है.जिन लोगो ने देश को लूट के देश का पैसे बाहर banko मे रखे है उन्हे हम वोट क्यों देते है? इसके बाद यह रोना की सरकार बुरी है यह तो वही बात हो गयी की हम पहले नमाज़ पर ले फिर अज्जान दे.अब तो देश की जनता पर मुझे कोई तरस नहीं आता क्युकी जानवरों पे ही राज किया जाता है इसलिए कांग्रेस को वोट दो मरे रहो और बर्बाद रहो.जय हो कांग्रेस की सरकार
अपना मनमोहना तो कबसे बंसरी बजाय है -विषकन्या का काज देख ,मनमोहन का राज देख ,देख तेल की धार देख ,....मांग और आपूर्ति समझाती अच्छी प्रासंगिक पोस्ट .अब तो ज़माई राजा दहेज़ में हाथ आई कार सूद समेत ससुरजी को ही लौटाने का मन बनाए हैं .इब्तदा -ए -इश्क है रोता है क्या ,आगे आगे देखिये होता है क्या .रुपया डॉलर के आगे ख़ाक होगा ....
और यहाँ भी दखल देंवें -
ram ram bhai
सोमवार, 28 मई 2012
क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का नतीजा है ये ब्रेन फोगीनेस
http://veerubhai1947.blogspot.in/
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