हमारे देश में विक्षिप्त मानसिकता वाले भांडों की कमी नहीं है। राजदीप जैसे ज़मीर का सौदा कर चुके आतंकवादियों का बयान देखिये- " पहले एक हज़ार हिन्दुओं का क़त्ल करो, फिर newz दिखाउंगा अपने चैनल पर"।
अगर अपने वतन से थोडा भी प्यार करते हैं तो पढ़िए ब्लॉगर विष्णुगुप्त द्वारा लिखे इस महत्वपूर्ण आलेख को।
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राष्ट्र-चिंतन विष्णुगुप्त की कलम से आईबीएन सेवन के चीफ राजदीप सरदेसाई की असम दंगे पर एक खतरनाक,वीभत्स, रक्तरंजित और पत्रकारिता मूल्यों को शर्मशार करने वाली टिप्पणी से आप अवगत नहीं होना चाहेंगे? राजदीप सरदेसाई ने असम में मुस्लिम दंगाइयों द्वारा हिन्दुओं की हत्या पर खुशी व्यक्त करते हुए सोसल साइट ‘टिवट्र‘ पर टिवट किया कि जब तक असम दंगे में एक हजार हिन्दू नहीं मारे जायेंगे तब तक राष्ट्रीय चैनलों पर असम दंगे की खबर नहीं दिखायी जानी चाहिए,और हम अपने चैनल आईबीएन सेवन पर असम दंगे की खबर किसी भी परिस्थिति में नहीं देखायेंगे? अपनी इस टिप्पणी पर बाद में राजदीप सरदेसाई ने माफी मांगी पर उनकी असली मानसिकता और देश के बहुसंख्यक संवर्ग के प्रति उनकी घृणा प्रदर्शित करता है। क्या किसी पत्रकार को इस तरह की टिप्पणी करने या फिर मानसिकता रखने का कानूनी अधिकार है? क्या इस करतूत को दंगादइयों को उकसाने का दोषी नहीं माना जाना चाहिए। कानून तो यही कहता है कि ऐसी टिप्पणी करने वाले और मानसिकता रखने वाले को दंडित किया जाना चाहिए ताकि देश और समाज कानून के शासन से संचालित और नियंत्रित हो सके। पर सवाल यह उठता है कि राजदीप सरदेसाई को दंडित करेगा कौन? हिन्दुओं की हत्या करने के लिए मुस्लिम दंगाइयों को उकसाने वाली टिप्पणी पर राजदीप सरदेसाई से सवाल पूछेगा तो कौन? सत्ता, पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिक तक हिन्दुओ के प्रसंग पर उदासीनता की स्थिति में होती है। ऐसा इसलिए होता कि सत्ता, पुलिस, प्रशासन, न्यायपालिका को मालूम है कि हिन्दु अपनी अस्मिता व अपने संकट को लेकर एकजुट होंगे नहीं और न ही हिंसा का मार्ग अपनायेंगे और मतदान के समय जाति और क्षेत्र के आधार पर मुस्लिम परस्त राजनीतिक पार्टियो के साथ खड़े होने की मानसिकता कभी छोंडेगे नहीं? फिर संज्ञान लेने की जरूरत ही क्या? इसीलिए राजदीप सरदेसाई की टिप्पणी पर न तो सरकार कोई कदम उठायी और न ही गुजरात दंगा पर गलत-सही सभी तथ्यो पर लेने वाली न्यायपालिका ने स्वतह संज्ञान लिया। हिन्दू संवर्ग की ओर से गंभीर प्रतिक्रिया का न होना भी अपेक्षित ही है। ऐसी स्थिति में हिन्दू अस्मिता भविष्य में भी अपमानित होती रहेगी और हिन्दुओं को तथाकथित अल्पसंख्यक मुस्लिम जेहादियों का शिकार होना पडेगा। यहां विचारणीय विषय यह है कि क्या असम दंगा के लिए बोड़ो आदिवासी जिम्मेदार है? बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुस्लिम जेहाद के प्रति राष्टीय मीडिया क्यो और किस स्वार्थ के लिए उदासीनता पसारती है? अगर यह टिप्पणी मुस्लिम आबादी के खिलाफ होती तब होता क्या? अगर एक हजार हिन्दुओं की हत्या करने के लिए मुस्लिम दंगाइयों को उकसाने वाली टिप्पणी की जगह राजदीप सरदेसाई ने एक हजार मुस्लिम आबादी की हत्या करने वाली टिप्पणी की होती तब होता क्या? फिर देश ही नहीं बल्कि मुस्लिम देशों सहित पूरी दुनिया में तहलका मच जाता। पाकिस्तान, ईरान, सउदी अरब,मलेशिया, तुर्की और लेबनान जैसे मुस्लिम देश भारत को धमकियां देना शुरू कर देते। भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं है की खतरनाक कूटनीति शुरू हो जाती। अलकायदा जैसे सैकड़ो मुस्लिम आतंकवादी संगठन का भारत के खिलाफ जेहाद शुरू कर देते। अमेरिका-यूरोप के मानवाधिकार संगठन भारत में मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर आग उगलना शुरू कर देते। यह तो रही मुस्लिम और अमेरिका-यूरोप की ओर से उठ सकने वाली प्रतिक्रिया। देश के अंदर मुस्लिम आबादी धरने-प्रदर्शन की बाढ़ ला देती। मुस्लिम नेता और संगठन सड़कों पर उतर जाते। तथाकथित बुद्धिजीवी बर्ग आसमान सर पर उठा लेते और सरकार से टिप्पणीकर्ता व्यक्ति को जेल में डालने की न केवल मांग करते बल्कि सरकार की आलोचना से भी पीछे नहीं हटते। क्या इतनी आलोचना और धमकियो को भारत सरकार झेल पाती ? उत्तर कदापि नहीं। मुस्लिम आबादी को संतुष्ट करने के लिए टिप्पणीकर्ता को आतंकवादी धाराओ के अंदर जेल में ठुस दिया जाता। ऐसी स्थिति में राजदीप सरदेसाई के चैनल पर भी ताला लग गया होता? शेयरधारक और राजदीप सरदेसाई के विदेशी गाॅडफादर चैनल से अपनी हिस्सेदारी वापस लेने के लिए तैयार होता। राजदीप सरदेसाई जेल की काल कोठरी में कैद हो जाते। गोधरा भूल जाते क्यों हैं? गुजरात दंगे को लेकर राजदीप सरदेसाई सहित राष्टीय मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी संवर्ग हिन्दुओं को आतंकवादी साबित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी है। गुजरात दंगो की मनगढंत व तथ्यारोपित प्रसारण व लेखन हुआ है। माना कि गुजरात दंगा जैसी प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए। लेकिन जब गुजरात दंगे की बात होती है और राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार गुजरात दंगे की बात करते हैं तब गोधरा नरसंहार को क्यों भूला दिया जाता है। निहत्थे कारसेवकों की हत्या क्यों नहीं इन पत्रकारों को दिखता है। गुजरात दंगों की एक बहुत बड़ी सच्चाई यह है कि जिस तरह से राष्टीय मीडिया ने गोधरा कांड के बाद हिन्दुओं को ही आतंकवादी और जेहादी बताने की पूरी कोशिश की थी। कारसेवकों को नरसंहार करने वाले मुस्लिम जेहादियों की पड़ताल करने की जरूरत महसूस नहीं की गयी कि इनके प्ररेणास्रोत मजहबी संगठन कौन-कौन है? गोधरा कांड की साजिश के पीछे की सच्चाई क्या थी। अगर राष्टीय मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी जमात ने संयम बरतते और हिन्दुओं को आक्रोशित नहीं करते तब गुजरात में मुस्लिम आबादी के खिलाफ उतनी बड़ी प्रतिक्रिया होती नहीं। मुस्लिम आबादी के प्रति गुस्सा जगाने का गुनहगार राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार और उनके चैनल हैं। असम दंगा बंग्लादेशी मुसलमानों की है करतूत................. खासकर बोड़ो आदिवासियों की अस्मिता और उनके जीने के संसाधनों पर मजहबी जेहाद चिंताजनक है। असम दंगा के लिए आॅल बोड़ो मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन को दोषी माना गया है। बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के उप प्रमुख खम्मा गियारी ने साफतौर पर कहा है कि असम के बोडोलैंड में जारी हिंसा के लिए आॅल बोड़ो मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन की मजहबी मानसिकता जिम्मेदार है और आॅल बोड़ो मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन की मजहबी मानसिकता के पोषक तत्व विदेशी शक्तियां हैं। असम के लोग यह जानते हैं कि आॅल बोड़ो मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन की गतिविधियां क्या हैं और इनका असली मकसद क्या हैं? बांग्लादेशी घुसपैठियों का यह संगठन है। बांग्लादेश से घुसपैठ कर आयी आबादी ने अपनी राजनीतिक सुरक्षा और शक्ति के सवर्द्धन के लिए मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन सहित कई राजनीतिक व मजहबी शाखांएं गठित की है। मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन का काम शिक्षा का प्रचार-प्रसार या शिक्षा से जुड़ी हुई समस्याएं उठाने की नहीं रही है। उनका असली मकसद मजहबी मानसिकता का पोषण और प्रचार-प्रसार रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश से आने वाली मुस्लिम आबादी को बोड़ोलैंड सहित अन्य क्षेत्रों में बसाना और उन्हे सुरक्षा कवच उपलब्ध कराना है। बोड़ोलैंड क्षेत्र की मूल आबादी के खिलाफ लव जेहाद जैसी मानसिकता भी एक उल्लेखनीय प्रसंग है। जिसके कारण बोड़ोलैंड की मूल आबादी और मुस्लिम संवर्ग के बीच तलवार खिंची हुई है। बांग्लादेश से आने वाली आबादी के कारण बोड़ोलैंड की आबादी अनुपात तो प्रभावित हुआ है और सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि बोड़ोलैंड का परमपारिक रीति-रिवाज और अन्य संस्कृतियां खतरे खड़ी हैं। असम दंगा मुस्लिम आबादी की करतूत नहीं होती तब ?............ असम दंगे में मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन और बांग्लादेशी घुसपैठिये आबादी की भूमिका स्थापित होने और हताहतों में बोड़ोलैंड की मूल आबादी की संख्या अधिक होने के कारण ही राष्टीय मीडिया ने उदासीनता पसारी और इतनी बड़ी आग पर चुप्पी साधने जैसी प्रक्रिया अपनायी। अगर मुस्लिम स्टूडेंट यूनियन और बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी की दंगाई भूमिका नहीं होती तो राजदीप सरदेसाई सहित राष्टीय मीडिया चिख-चिख कर पूरे देश की जनता को बताता कि देखो असम मे मुस्लिम आबादी के खिलाफ हिन्दुओ ने कत्लेआम किया है, हिन्दू आतंकवादी है और हिन्दुओं से देश की शांति को खतरा है? मीडिया चैनलों पर अरूधंति राय,तिस्ता शीतलवाड,हर्ष मंदर, जावेद आनंद और दिलीप पडगावरकर जैसे पत्रकार व एक्टिविश बैठकर और प्रिंट मीडिया में काॅलम लिख कर हिन्दुओं को आतंकवादी और दंगाई ठहराने की कोई कसर नहीं छोड़ते। पर असम दंगे पर अरूंधति राय, तिस्ता शीतलवाड, जावेद आनंद, दिलीप पंडगावरकर जैसे लोग आज चुप्पी साधे क्यों बैठे हैं? राष्टीय मीडिया और तथाकथित बुद्धीजीवी सिर्फ असम के दंगे पर ही अपनी मुस्लिम परस्ती नहीं दिखायी है। कश्मीर में मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों की हत्या और उन्हें अपनी मातृभूमि से बेदखल करने की राजनीतिक कार्रवाई पर राष्टीय मीडिया और तथाकथित बुद्धीजीवी क्या कभी गंभीर हुए हैं। राष्टीय मीडिया और तथाकथित बुद्धीजीवी संवर्ग कश्मीर की आतंकवादियों की हिंसक राजनीति को आजादी की लड़ाई करार देते हैं। कुछ ही दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले कोसी कलां क्षेत्र में मुस्लिम आबादी ने हिन्दुओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा फैलायी थी। कोसी कलां क्षेत्र में हिन्दुओं पर हुए अत्याचार की घटना उत्तर प्रदेश विधान सभा में उठी पर राष्टीय मीडिया ने मुस्लिम आबादी द्वारा हिन्दुओं के घरों और दुकानों को जलाने जैसी हिंसक घटना को साफतौर पर ब्लैक आउट कर दिया था। अभी हाल ही में बरैली में कवारियों के साथ मुस्लिम आबादी ने बदसूलकी की और दंगा फैलायी गयी। कई दिनों तक बरैली में कर्फयू लगा रहा। पर राष्टीय मीडिया बरैली में कर्फयू और कवारियों के साथ हुई बदसूलकी को ब्लैक आउट कर दिया। जनसंख्यिाकी असंतुलन पर मीडिया का संज्ञान क्यों नहीं................. राष्टीय मीडिया और सरकार असम की खतरनाक होती जनसांख्यिकी समस्या को नजरअंदाज करती आयी है। जबकि जरूरत जनसाख्यिकी संतुलन पर गंभीरता से विचार कर घुसपैठ की समस्या पर रोक लगाने की थी। असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आबादी का अनुपात तेजी अनियंत्रित हो रहा है। असम के कई जिले बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी की बहुलता के चपेट में आ गये हैं। बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी ने अपनी राजनीतिक स्थिति भी मजबूत कर ली है। कभी बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी के खिलाफ असम में छात्रो का एक बड़ा विख्यात अभियान और आंदोलन चला था। छात्रों के इसी अभियान की गोद से असम गण परिषद और प्रफुल मंहत जैसे राजनीतिक ताकत का जन्म हुआ था। द ुर्भाग्य से असम गण परिषद खुद हासिये पर खड़ा है और बांग्लादेशी मुस्लिम आबादी की घुसपैठ का सवाल भी अब बेअर्थ होता चला जा रहा है। कांग्रेस वोट और सत्ता के लिए बांग्लादेशी घुसपैठियो का संरक्षण देती है। असम में कांग्रेसी सरकार के सह और संरक्षण के कारण ही मुस्लिम आबादी की दंगायी और मजहबी मानसिकता का विस्तार हो रहा है। असम की कांग्रेसी सरकार की बोड़ोलैंड में हुए दंगों पर कड़ाई नहीं दिखाने के प्रति कारण भी यही है। राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार मुस्लिम परस्त क्यो होते हैं.............. राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार मुस्लिम परस्त क्यों होते हैं? राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार हिन्दू अस्मिता को अपमानित करने के लिए क्यों उतारू होते हैं? मुस्लिम आतंकवादियों और कश्मीर के राष्टद्रोहियो के चरण वंदना क्यों करते हैं राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार? इसके पीछे करेंसी का खेल है। पैसे के लिए व विदेशी दौरे हासिल करने के लिए देश के पत्रकार और बुद्धिजीवी हिन्दुत्व के खिलाफ खेल-खेलते हैं और देश की अस्मिता को अपमानित करने जैसी राजनीतिक-कूटनीतिक प्रक्रिया अपनाते हैं। फई प्रसंग आपको याद नहीं है तो मैं याद करा देता हूं। फई आईएसआई का एजेंट है। फई के इसारे पर भारतीय पत्रकार और बुद्धिजीवी लट्टू की तरह नाचते थे। फई पर अमेरिका में आईएसआई एजेंट होने के आरोप में मुकदमा चल रहा है। फई के पैसे पर बडे-बडे पत्रकार राज करते थे और फई द्वारा भारत विरोधी सेमिनारों के आयोजन मे अमेरिका जाकर ऐस-मौज करते थे। फई के पैसे और फई के प्रायोजित अमेरिकी दौरे पर जाने वाले पत्रकारों में कुलदीप नैयर जैसे पत्रकार भी रहे हैं। राष्टीय मीडिया के बड़े स्तंभों में कहीं आईएसआई या फिर मुस्लिम जेहादियों का पैसा तो नहीं लगा है? ईरान-सउदी अरब सहित यूरोप के मुस्लिम संगठनों से भारत को इस्लामिक देश में तब्दील करने के लिए अथाह धन आ रहा है। अथाह धन मुस्लिम आबादी के पक्ष में खड़ा होने के लिए मीडिया पर खर्च नहीं हो रहा होगा? मीडिया को अपने वीभत्स, रक्तरंजित स्वार्थों के लिए हथकंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अलकायदा जैसे संगठनों ने सबसे पहले मीडिया को ही अपना चमचा बनाया था। कश्मीर में आतंकवादियों की जमात ‘हुर्रियत ‘ की सबसे बड़ी ताकत देश का राष्टीय मीडिया ही है। यह एक सच्चाई है। हुर्रियत को आईएसआई और विदेशों से आतंकवादी और भारत विरोधी अभियान चलाने के लिए धन मिलता है। हुर्रियत के नेता अपने मजहबी स्वार्थो की पूर्ति के लिए राष्टीय मीडिया को करेंसी की ताकत लट्टू की तरह नचाते हैं। स्वयं भू निगरानी संगठन मौन क्यों हैं? .................. राजदीप सरदेसाई ने एक हजार हिन्दुओं की कत्ल करने के लिए जो टिप्पणी की थी वह क्या पत्रकारिता मूल्यो के अनुरूप थी? पत्रकाकारिता सिद्धंातों की कसौटी पर लोकतांत्रिक माना जाने वाली थी? राजदीप सरदेसाई की टिप्पणी सीधे तौर पर पत्रकारिता के मूल्य व सरोकारों को शर्मशार करने वाली घटना थी। देश के अंदर में कुकुरमुत्ते की तरह पत्रकारों के संगठन है। कई ऐसे संगठन हैं जो पत्रकारों और पूरे मीडिया पर निगरानी करने का दावा करते हैं? इलेक्टाॅनिक्स मीडिया का स्वयं भू एक निगरानी संगठन है। इलेक्टाॅनिक्स मीडिया के स्वयं भू निगरानी संगठन में बड़े-बड़े पत्रकार और सभी चैनलों के प्रमुख सदस्य हैं। यह निगरानी संगठन इलेक्टाॅनिक्स मीडिया को लोकतांत्रिक बनाने और तथ्यहीन कवरेज पर नोटिस लेता है। राजदीप सरदेसाई की टिप्पणी पूरी पत्रकारिता जगत को शर्मशार करने वाली है। पत्रकारिता की विश्वसनीयता भी तार-तार हुई। फिर भी इलेक्टाॅनिक्स मीडिया का स्वयं भू निगरानी संगठन चुप क्यों है। यही निगरानी संगठन इलेक्टाॅनिक्स मीडिया पर नजर रखने के लिए सरकारी नियामक का विरोधी रहा है। राजदीप प्रकरण के बाद इलेक्टाॅनिक्स मीडिया पर नजर रखने और इलेक्टाॅनिक्स मीडिया का गैर लोकतांत्रिक चरित्र पर राक लगाने के लिए सरकारी नियामक का होना क्यो जरूरी नहीं है? प्रेस परिषद अध्यक्ष न्यायमूर्ति काटजू के इलेक्टानिक्स मीडिया पर सरकारी नियामक बनाने के विचार को मूल रूप देने की प्रक्रिया चलनी ही चाहिए। अति का परिणाम भी देख लीजिये.................. अति बहुत ही खतरनाक प्रक्रिया है? अति का परिणाम कभी भी सुखद निकलता नहीं? हिन्दुओं की अस्मिता से खेलने की जो अति पत्रकारिता चल रही है, राजनीतिक खेल जारी है, उसके परिणाम गंभीर होंगे। अगर मुस्लिम आबादी की तरह हिन्दू आबादी भी अपनी परमपरागत उदारता को छोड़कर मुस्लिम विरोध की प्रकाष्ठा पर उतर आयेगी तब स्थितियां कितनी खतरनाक होगी, कितनी जानलेवा होगी? इसकी कल्पना शायद राजदीप सरदेसाई जैसे बिके हुए पत्रकार नहीं कर सकते हैं। गुजरात दंगा अतिवाद के खिलाफ उपजा हुआ हिन्दू आबादी का आक्रोश था। गुजरात की तरह ही हिन्दू आबादी देश के अन्य भागो में भी एकजुट होकर मुस्लिम आबादी के खिलाफ वैमनस्य और तकरार का रास्ता चुन लिया तो फिर मुस्लिम आबादी के सामने कैसी भयानक स्थिति उत्पन्न होगी? इसकी कल्पना होनी चाहिए। क्या राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार गुजरात दंगा हिन्दुओ के आक्रोश को रोक सके थे। सही तो यह है कि राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार जेहादी मानसिकता का पोषण कर मुस्लिम आबादी को संकट में ही डाल रहे हैं। मुस्लिम आबादी की दंगाई मानसिकता का प्रबंधन होना भी क्यों जरूरी नहीं है? निष्कर्ष ............... सही अर्थो ंमें दंगाई मानसिकता और चरमपंथ की व्याख्या होनी चाहिए। एकांकी व्याख्या या फिर एकांकी दृष्टिकोण रखने से दंगायी मानसिकता व चरम पंथ को विस्तार ही मिलेगा। मुस्लिम आबादी की दंगायी मानसिकता और उनका चरमपंथ भी कम खतरनाक नहीं है। इस सच्चाई से राष्टीय मीडिया को मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। असम ही नहीं पूरा पूवोत्तर क्षेत्र आज विदेशी ताकतों और मजहबी शक्तियों की चपेट में है। राष्टीय मीडिया ने असम दंगे पर प्रारंभिक चुप्पी साधकर अपने कर्तव्य से न्याय नहीं किया है। क्या राष्टीय मीडिया चरमपंथ और दंगाई मानसिकता का सही अर्थों में विश्लेषण करने के लिए तैयार होगा? क्या राष्टीय मीडिया राजदीप सरदेसाई जैसी मानसिकता से मुक्त होने के लिए तैयार है। फिलहाल असम में दंगायी आग को बुझाने और दंगाइयो को गुजरात दंगे की तरह ही कानून व सवंधिान का पाठ पढ़ाने की जरूरत है। राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकारों को भी लोकतांत्रिक बनाने के लिए सरकारी नियामकों का सौंटा चलना चाहिए। |
41 comments:
बहुत ही सही और सटीक आलेख..आभार..
मेरे विचार से हमले आदिवासियों पर हुए हैं जिन पर कोई भी हमला करके उनकी ज़मीनों पर काबिज़ हो सकता है. जब उनकी ज़मीने छीन ली जाती हैं तब सरकार हरकत में आती है. यह भी तथ्य है कि छीनी गई इनकी ज़मीने और घर फिर कभी इन्हें वापिस नहीं मिलते.
हमारे देश के लोगों की मानसिकता इन पत्रकारों जैसी ही हो गई है. हम खुद आजादी की साँस नहीं लेना चाहते बस इन पत्रकारों की तरह ही झूट को सच मान कर उसी में जिंदगी को चला रहे हैं. हम ये जानते हैं की ये सब जो हो रहा है वो गलत ही नहीं एक सामाजिक अपराध भी है लेकिन फिर भी इसी जीवन शैली (पश्च्यात शैली) को ही हम अपना आदर्श मान बैठे है. और क्या कहूँ, क्यूंकि सिर्फ मेरे कहने से ही काम नहीं चलेगा हमे अपने आपको सुधारने की जरुरत है, इन पाखंडियों को अपने देश से मार भागने की जरुरत है. और इसके लिए हमे एकजुट हो के इन भ्रस्ताचारियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने की जरुरत है. जय भारत.
divya jee..bahut hee bistrit jaankari mili..aapke prayas janchetna ko jagriti karne kee disha me meel ka patthar sabit honge..mujhe poora bishwas hai..aapke hind prem ko naman aaur sadar badhayee ke sath
hinduo ko is granit kaam ke virudh ekjut hona padega .rajdeep khan ke bare me kya kaha sakte he ye to apni maa ka sooksandesh bhi paisa leke hi dikhayeghe.
Jis Bhand ne hinduon ka Katal karne k liye kaha hai us nazayaz aulad ko meri taraf se sandesh hai ki Agar apni ma ka dhoodh piya hai to Ek Bhi hindu ka hath laga k dikha de... Jis Gandi Jagah se nikla hai Whi Ulta Ghusa dunga.....
बहुत ही सही और सटीक आलेख..आभार..
Thanks for comment
हमें राजदीप सरदेसाई जैसे दुष्ट और मानवता के दुश्मन को जवाब उनकी चैनल का टी.आर .पी .गिरा कर दे देना चाहिए ,क्या आप तैयार हैं ?
हमें राजदीप सरदेसाई जैसे दुष्ट और मानवता के दुश्मन को जवाब उनकी चैनल का टी.आर .पी .गिरा कर दे देना चाहिए ,क्या आप तैयार हैं ?
हकीकत बयां करती रिपोर्ट। निस्संदेह राजदीप सरदेसाई को सजा मिलनी चाहिए। किन्तु इस "चाहिए" से क्या हो जाएगा ? जब तक सत्ता शीर्ष पर बदलाव नहीं आता तब तक कल्पना भी नहीं की जा सकती।...
very true
Ye Indian seculars hain.
you are right .. miss... maheshwari..
you are right mrs. maheshwari..
itne per bhi agar Hinduo ka khoon nhi kholta hai to lanat hai Hum Hinduo per.......
itne per bhi agar Hinduo ka khoon nhi kholta hai to lanat hai Hum Hinduo per.......
ये भारत पर हिन्दुओ पर मुसलमानों और sekulrishto दोनों का हमला है.
hindu yadi nahi jaga to asam ki tarah mara jayega
जागो हिन्दु आज शत्रु ने फिर ललकारा है ,
संकट मेँ है पड़ा हुआ फिर देश हमारा है ।
आसाम. वोटो की भूख ने हिन्दुओ को बहुसंख्यक नहीं रहने दिया. कदम कदम पर तोड़ा मनोबल. आज ! घुस्पितियो की गुलामी के लिए मजबूर कर डाला. मनमोहन सिंग आसाम हे ही राज्य सभा में हे. प्रधान मंत्री के नाते ना सही सांसद के नाते ही बँगला देशी घुस्पितियो से भारतीयों की सुरक्षा कर लेते. आसाम सुलग रहा हे . प्रधान मंत्री भारतीय नेताओं की बजाए विदेशी चाटुकारों से बात करते. देते ३०० करोड़ का पैकेज. हर म्र्तक परिवार को ०२ लाख की राहत. क्या गजब. भर दिए घाव. लगा दिया मलहम. वाह रे कायर प्रधान मंत्री . होना ये चाहिए था. देते हुकुम. किसी भी कीमत पर घुस्पितियो, घुस्पितियो को करो सीमा पार. गर्व से छाती छोड़ी हो जाती. मगर प्रधान मंत्री ने नाक उतार दी.
very nice post bilkul sehi aalekh hai kya humhindu log hingerey ho gaye hai hum kya ker saktey hai main kuch kerna chata hua des key liye
pta nahi ham hinduo ko kya ho gya hai apne bachcho ko kya sikha rahe hai ..........bas yahi ki jao or engeneer doctor , architect , pilot bankar budhdhijivi ban jao jab dharm ki bat aye to badi baten krna jaise mr digvijay isngh , lalu prasd, r.v. pasvan , mayabati karte hai................hindu to atnkvadi hote hai musman achche or nek hote hai inse sarif to koi nahi hai isliye sare hindu inke charno me jhuk jayo jisase hame vote mile...............or dekho ham bhi kitne bebkuf hai unki baton me ake apna nash karwa lete hai..............
बहुत सही कहा आपने। ऐसे क्षुद्र मानसिकतावाले मीडिया संचालकों के खिलाफ वैसी ही कार्रवाई होनी चाहिए, जैसी जघन्य अपराध अपराध करनेवाले अपराधियों के साथ की जाती है।
etna kuchh hone ke baad bhi hindu so raha hai.
jago hinduo jago
i m very schoked, knowing that reporter like rajdeep sardesai delivered this type of statment..inhe pata nahi hai ye jis thali me kha rahe hain usi me chhed kar rahe hain..is tarah to ye log apne niji swarth k liye desh ko ek bar phir gulam bana denge.....
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बहुत ही सही और सटीक आलेख..
घृणास्पद बयान ।
बिकने वाले ऐसे पत्रकार को भारत में रहने का हक नहीं।
ab des ko krantikati or kranti ki jarurat he vo kranti jo 1857 me hui thi vo kranti jo france me hui thi .
uto varna ma ko markar hamesha ke liye gulam bna diya jayega.
यह सारा असंतुलन सिर्फ एक शब्द की गलत व्याख्या को लेकर हुआ है इस एक शब्द ने भारत का बड़ा अहित किया है .इस एक शब्द का अर्थ लगाया गया है हिंदुत्व विरोध और पाकिस्तान विचारधारा के लोगों का पल्लवन और यह शब्द है -सेकुलर कथित सेकुलर .जबकि इसका साफ़ साफ़ अर्थ है राज्य की धार्मिक मामलों और धार्मिक मजहबी वर्गों से पूर्ण अलहदगी .चर्च को ,चर्च के दखल से राज्य को मुक्त रखना .
A perfact blend of facts and feelings.
How long Hindus will remain aloof?
Mere hisab se ye COngress sarkar aur IBN7 dono ka bahiskar karo... bodos ko madad karo,... aage aao.. charo sarhade jalrahi hai.... kab tak yun chup betho ge???
सबसे पहले तो राजदीप सरदेसाई पर देशद्रोह का मुकदमा चलना ही चाहिए था| लेखक का कहना सही है कि यदि ऐसी प्रतिक्रिया मुल्लों के बारे में दी जाती तो विदेशों में भी हाहाकार मच जाता| क्योंकि हिन्दू सोया हुआ है इसलिए कोई भी इसकी बैंड बजा लेता है ये पलटकर जवाब नहीं देता| एक बार दिया था गुजरात में| गुजरात दंगे कोई आतंकी घटना नहीं वर्ण गोधरा काण्ड पर क्रिया पर प्रतिक्रिया थी| किन्तु उसके लिए उसे आतताई घोषित कर दिया गया| भगवा आतंक जैसा नया शब्द गढ़ दिया गया|
पर यह भी चलेगा| यदि राष्ट्रभक्ति आतंक है तो हमे आतंकी होना स्वीकार है|
इस लेख को यहाँ शेयर करने के लिए आप का अत्यधिक धन्यवाद व लेखक को साधुवाद|
This is the true and real fact.
Bhadua sala
Is desh mein bahut buddhjeevi varg hai jo shuruat se hi in cheejon per dhyan nahin diya,kabhi movies kabhi kapdon per kabhi vigyapano ke sath hindu smratiyon aur hindu bhavanao ki thes pehnate rahe aur kayi baar to ise jayaj theraya gaya,swayam hinduon ne hi pachatya sankriti ko apnaya kyunki is desh ka system pachim ki tarah banaya gaya.logon mein movies ko jyada prathmikta di gayi aur mukya cheejon se ye samaj vimukh ho gaya ,khair hinduon mein aap mein hi foot ho gayi Paisaon aur abhimaan ko lekar jab sharab shabab aur kabab ka swaroop badh kar aata hai to manushya ke jeevan ke maayne badal jaate hain yahi kiya is desh ke system ne poori tarah se hindu mansikta ko badal kar rakh diya tha bole to jadon ko ukhad diya.aur ab yahi desh ka system aur savidhan poornataya Hindu virodhi ho gaya hai jinmen Hindu jadwadi ek taraf aur pachimi buddhjeevi,secularism ke ghatak shikar wo hinduon jo sab kuch bech dena chahte hain kyunki aaj ka system aisa ho gaya hai,Hinduon ki moolbhoot jaroorat hai ki vo ektrit ho jaaye aur in sabhi ka pratikar karen vote ke dwara aur chot ke dwara.
hum hindu logo ki sabse badi pareshani yahi hai ki hamare andar ekta nahi hai...hum khud ko hi jati aur dharm me ek dusre ko nicha dikhane me lage rahte hai aur iska fayda hamesha dusre log uthate hai...
bat hindu ya muslimo ki nahi hai..bat hai sahi aur galat ki..ek dharm ko nishana bana kar hum dusre dharm ko mauka nahi de sakte uncha uthne ka...
hum hinduo ko ye samjhna hoga ki koi hamari taraf agar tedi nazar se dekhega to hum unhe chhorenge nahi...hum hindu hamesha dusro ki seva ko apna dharm samjhate hai..aage badh kar hum dusro ki madad karte hai...jise duniya me koi panah nahi deta unhe hum samhalte hai, har bhatke huye ko rasta dikhate hai..aur dusre hamare isi bat ko hamari kamjori samjhate hai..
samay aa gaya hai ab ki hum apni takat unhe dikha de...aur in sabme sabse jyada aag lagane ka kam aaj k time me media aur neta log kar rahe hai..hame sabko sabak sikhana hoga...
He bharat k veer aur sachche deshpremiyo...aap kisi bhi jati se ho , kisi bhi dharm se ho...sampurn bharat ki rakhsha k liye sab sath aakar in logo ko aisi sabak sikha denge ki koi agle hazaro salo me bhi hamare upar nazar tedi na kar sake...
banao ek aisa desh, jaha sirf pyar aur bhaichara ho...aur sabse pahle aise netao ko goli mar deni chahiye jo jati aur dharm k name par desh aur samaj ko batne me lage hai...
apne des me hindu mansikta napusak ho gayi he ham log bate karte he bas aor kutch nahi aab samay bato aor bahas ka nahi he hindu hathiyar lo aor jo kafir gunegar he unko saja do fir vo hindu ho ya fir muslman tab jake kutch hoga aor kutch na kar sako to kabar me jake aaram karo
Mere pass to shabd hee nahee hain... upar se neeche tak saaree loktantra sirf muslim santushtikaran ke liye laga hain......... main us anjam yaa pristhithi ki kalpana karake hee seehar jata hun jab muslim abaadee kee tarah hindu bhie akroshit ho jayega..... phir desh ke saamane kya circumtances honge..... ye hamare rajneta soch bhie nahi sakate hain....
Mere pass to shabd hee nahee hain... upar se neeche tak saaree loktantra sirf muslim santushtikaran ke liye laga hain......... main us anjam yaa pristhithi ki kalpana karake hee seehar jata hun jab muslim abaadee kee tarah hindu bhie akroshit ho jayega..... phir desh ke saamane kya circumtances honge..... ye hamare rajneta soch bhie nahi sakate hain....
Mere pass to shabd hee nahee hain... upar se neeche tak saaree loktantra sirf muslim santushtikaran ke liye laga hain......... main us anjam yaa pristhithi ki kalpana karake hee seehar jata hun jab muslim abaadee kee tarah hindu bhie akroshit ho jayega..... phir desh ke saamane kya circumtances honge..... ye hamare rajneta soch bhie nahi sakate hain....
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