यह पोस्ट चंद महिलाओं को समर्पित है। कृपया तीन-चौथाई महिला-जगत आग-बबूला न होवें मुझ पर। लेकिन ये भी एक यथार्थ है की धन-संपन्न महिलाएं , घर में हर प्रकार के ऐशो आराम होने तथा काम-काज न होने की स्थिति में, अपने ही घर में बेरोजगार हो जाती हैं। हर काम नौकर कर रहा है तो वे बेचारी करें भी तो क्या करें। फिर घेर लेती है उनको बोरियत। अब बोरियत नामक मर्ज को भगाने के लिए सबसे , सरल और टिकाऊ रास्ता है किटी पार्टियाँ करके , परपंच में लिप्त रहकर खुद को व्यस्त रखना।
हे भारत की नारियों ! नाक ना कटाओ स्त्री जाती की । इस तरह के शौक पाल कर खुद को कलंकित न करो। कुछ ढंग का काम करो। जिससे तुम्हारा नाम हो। माता-पिता के साथ , पति बेचारा भी तुम पर कसम खाने के लिए गर्व कर सके।
ये तो सारा दिन न्यूज़ देखते रहते हैं, मैं बोर हो जाती हूँ....आदि आदि न कहो, अपितु अपने-अपने पतियों के साथ बैठकर न्यूज़ देखो, टॉक-शोज़ देखो। हर विषय पर अपडेटेड रहो। कब तक खुद को श्रृंगार की मोहताज बनाकर पति से झूठी प्रशंसा पाने की ललक मन में पाले रहोगी।
समानता का अधिकार चाहती हो तो , पुरुषों के समकक्ष आओ । अखबार पढो, पीरियोडिकल्स पढो, विज्ञान में रूचि बढाओ, देश-विदेश से सरोकार रखो। श्रृंगार और रूप-सज्जा से बाहर निकलो। चिंतन और मनन करो। विद्वता को ही खुद की पहचान बनाओ।
यदि हो सके , तो किटी-पार्टी जैसे अति- घटिया शौक मत पालो। न जाने क्यूँ, स्त्रियों का ये शौक मुझे समस्त स्त्री जाती पर कलंक लगता है।
Zeal
18 comments:
किटी वाली नारियों से करबद्ध क्षमा-याचना...
दिव्या जी सही विचार हैं आपके...
समस्या किटी पार्टी में नहीं है बल्कि उस गुलाम सोच में है जिसमें नारी किटी पार्टी को लक्ष्य और उपलब्धि दोनों मान लेती है.
जिनके पास समय और सामर्थ्य है वे समाज सेवा के कार्य कर सकती हैं -मलिन बस्तियों में जाकर साक्षर बनाना ,स्वास्थ्य-स्वच्छता आदि के विषय में बताना,बाहर कूड़ा आदि फेंकने,सार्जनिक स्थलों पर गंदगी फैलाने से विरत करना ,और नहीं तो अस्पतालों आदि में सप्ताह में कम से कम एक बार ,जा कर ज़रूरतमंदों की सहायता करना ,बहुत से काम कर ,अपने मन को तोष दे सकती हैं.इससे उन्हें आंतरिक आनन्द मिलेगा .
पता नहीं क्यूँ मुझे भी आज तक नहीं भायी किटी पार्टियां....जबकि बहुत फ्रेंडली हूँ...
क्या पता ज्वाइन करती तो भा जाती :-)
बिल्कुल सही कहा है आपने....समस्या ये है कि सीरियल के लिए टाइम सब निकाल लेती हैं पर समाचार से दूर होती जा रही हैं....देश से दूर हो रही हैं....
आपका हर लेख श्रेष्ठ होता है। साधुवाद!
अजी क्या बात करती हो डॉक्टर साहब .पति को उसकी उपलब्धियों को ओढना आसान काम है .और हाँ प्रति -रक्षा सेवाओं में तो पत्नियां ज्यादा ही नकचढ़ी होतीं हैं (शब्द प्रयोग के लिए अग्रिम क्षमा )अपना रेंक एक बढ़ा लेटिन हैं .पति यदि कमांडर है नेवी में तो ये केप्टन हो जातीं हैं .
किटी पार्टी का स्वाद आप क्या जाने .खेला है कभी पपलू ?आता है कुछ बनाना आपको .
नारियो का स्थान भारत नमे सर्व श्रेष्ट रहा है आपने जिस वातावरण की बात की है वह बहुत उपयुक्त है बहुत अच्छा लगा अच्छे बिचार.
बेहतरीन लिखा है ...
दिव्या जी , आप अपना काम अपने दिल से बखूबी कर रही हैं .....बाकि सब की सोच,विचार अपने-अपने !
शुभकामनाएँ!
दिव्या जी आपसे सहमत हूँ !किटी पार्टी में ऐसा नहीं है की कुछ अच्छी बाते की जाएँ घर ,मोहल्ला ,शहर ,देश ,विदेश किसी के बारे में भी बात की जाए पर नहीं वहां तो ताश और जुआ खेला जाता है ! सब पैसे का खेल है !
...सही कहा आपने दिव्याजी! किट्टी पार्टियां तो समय और धन का दुरुपयोग ही है!
हमारे मौहल्ले मेंभी ये बीमारी चल रही है ..पर मुझे बिल्कुल पसंद नहीं .. मैं आप की बात से सहमत हूँ.....सार्थक लेख
आजकल टाइम पास करने के लिए ऐसी महिलाओं को एक और औजार मिल गया है "फेसबुक पर चैटिंग" !!
अक्सर फेसबुक पर ऑनलाइन होते ही ऐसी टाइम पास करने वाली महिलाओं से पाला पड़ जाता है और उन्हें आखिर चैट में इस्तेमाल की जाने वाली उनकी भाषा के लिए झिड़कना पड़ता है|
oooops :) hear hear.. but why the sorry .. you wrote the truth ..
Bikram's
@Zeal आपको उनसे क्षमा नहीं चाहिए, बुरा माने तो माने.
मैं आप की बात से सहमत हूँ.....सार्थक लेख
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