Sunday, December 30, 2012

यह सरकार अब किसी भरोसे या स्पष्टीकरण का अधिकार नहीं रखती

जन आक्रोश से बचने के लिये ब्रिटिश सरकार ने भगत सिहँ, सुखदेव और राजगुरु की लाशों को गुप्त तरीके से आधी रात में ही जला दिया था। वह इम्पीरियलिज्म जिस की आज तक निन्दा होती है।

हमारी लोक ताँन्त्रिक परन्तु बेशर्म सरकार ने आज ब्रिटिश सरकार की भी हदें पार कर डाली हैं।

सरकार ने गैंग रेप पीडिता का दाह संस्कार प्रधान मन्त्री मनमोहन सिहँ और काँग्रेस अध्यक्ष सोनियां गाँधी की उपस्थिति में कर जनता के जागने से पहले ही सबूतों को मिटा डाला है।

भारत में ऐसा ना कभी हुआ था और शायद ना कभी होगा। अभी और भी गैंग रेप से पाडित इस देश में हैं। दो दिन पहले ऐक पीडिता ने आत्म हत्या भी कर ली थी। क्या सोनियां और प्रधान मन्त्री मनमोहन सिहँ उस लडकी के दाह संस्कार में शामिल हुये थे और आगे सभी दाह संस्कारों में उपस्थित रहा करें गे?

लोक ताँत्रिक व्यवस्थाओं में पारदर्शिक्ता लाने के बजाये सरकार ऐसा क्यों कर रही है? सोनियां की बीमारी छुपाई जाती है, उस की बीमारी पर विदेशी इलाज के खर्चे छुपाये जाते हैं, कालाधन वालों के नाम छुपाये जाते हैं। अब तो लगने लगा है कि अगर चीन या पाकिस्तान हमारे देश के किसी भाग पर अतिक्रमण कर ले गा तो सोनियां मनमोहन सिहँ उसे भी छुपा लें गे। क्या सरकार की नजर में भारतवासी विशवास के लायक नहीं रहै जो उन से सभी कुछ छुपाया जा रहा है? क्या यह देश सोनियां मनमौहन सिहँ की प्राईवेट प्रापर्टी बन चुका है?

यह सरकार अब किसी भरोसे या स्पष्टीकरण का अधिकार नहीं रखती। युवाओं का देश के प्रति अब यही कर्तव्य है कि इस सरकार को सत्ता से ही बे दखल करे और सोनियां मनमोहन सिहँ से देश वासियों के घोर अपमान का जबाब मांगे।

By Chand K Sharma

14 comments:

ZEAL said...

आनन्-फानन में सरकार ने पीडिता को एक्सपोर्ट और इम्पोर्ट करके चिता भी जलवा दी ! क्या इससे इनके गुनाह कम हो गए ? या छुप गए ? इतनी त्वरित कार्यवाई ? वो भी गूंगो बहरों द्वारा ? माजरा क्या है ?

Aditi Poonam said...

दुखद ,निराशा जनक --निशब्द

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बेटी दामिनी की श्रद्धांजलि


हम तुम्हें मरने न देगें
जब तलक जिंदा कलम है

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बेटी दामिनी की श्रद्धांजलि


हम तुम्हें मरने न देगें
जब तलक जिंदा कलम है

Unknown said...

lagta hai apko javab mil hi jayega .aise puchha hai .

A.G.Krishnan said...

HA HA HA ..... I AM HAPPY THAT THIS GOVERNMENT IS SO SCARED THAT IT DECIDED TO CREMATE THE POOR GIRL AT EARLY HOURS OF 30/12/12 ???

SHAME ON THEM.....NO GIRLS ARE SAFE HERE.

WE WILL HAVE RAKHI,NAVRATRI AND OTHER FESTIVALS NEXT YEAR WHEN WE WILL WORSHIP NARI SHAKTI ...... BLOODY HYPOCRITES ..... I AM ASHAMED TO CALL MYSELF AN INDIAN.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (31-112-2012) के चर्चा मंच-1110 (साल की अन्तिम चर्चा) पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Sunil Kumar said...

dil men dar tha

रचना दीक्षित said...

शर्म शर्म इस सरकार और इस सरकार के तमाम नुमाइंदों के लिये.

Unknown said...

Beti Damini, tu mar nahi sakti tumhari sanse ham sabhi ke sanso me anant kal tk sancharit hoti rahengi,

दिवस said...

सच में, और न केवल जवाब मांगे बल्कि उनसे इस सब का बदला भी ले। इन मासूम जिंदगियों की भरपाई तो नहीं हो सकती किन्तु इनका प्रतिशोध जरुरी है। केवल सत्ता से बेदखल कर देना तो बहुत सस्ता दंड है। आज सत्ता में रहकर पुलिस से पिय्वाते हैं, कल सत्ता से बाहर रहकर भाड़े के गुंडों से पिटवाएँगे। सोनिया, मनमोहन का अपराध जघन्यतम से भी जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। इसका बदला चाहिए। ताकि आगे से किसी भी सरकार द्वारा कोई भी उठाया गया कदम बहुत सोच-समझ कर उठाया गया कदम हो। इस धरा को अपनी दासी समझने की प्रवृत्ति का विनाश हो। एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाए कि सदियों तक कोई भी सरकार इस देश की जनता से डरे।
चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य का न्याय इस देश में लागू हो।

r.arora said...

besharm sarkar ke besharm karname

r.arora said...

besharm sarkar ke besharm karname

प्रतिभा सक्सेना said...

काश,उसकी मृत देह के रहते अपराधी दंडित हो जाते!