Monday, December 10, 2012

नाम की महिमा

जब भी कोई बड़ा काम कीजिये , 'स्तरीय' कीजिये ! श्रीमान रघु जी की तरह 'ROADIES' (सड़कछाप) बनने और युवाओं को गाली गलौच सिखाने का कोई औचित्य नहीं है! आमिर खान की 'THREE IDIOTS' जैसी फिल्मों में सस्ता मनोरंजन तो है लेकिन वो युवाओं को दिग्भ्रमित भी करता है ! शिक्षकों का कैसे मखौल उडाना है , यह ऐसी फिल्मों से भली-भाँती सीखा जा सकता है! व्यक्ति को अपने हर शब्द के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए ! हमारे द्वारा आज की तारीख में लिखा हर शब्द कल का इतिहास होगा ! अतः हर शब्द गरिमामयी हो , अर्थपूर्ण हो और प्रेरणादायी हो, चाहे वो किसी संस्था का नाम हो अथवा आपके ब्लौग का नाम , अथवा आपकी संतानों का नाम !--नाम की महिमा बहुत है ! --जय हिन्द! वन्दे मातरम् !

Zeal

13 comments:

Prabodh Kumar Govil said...

kharee baat.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सही कहा आपने ! अब ऐसे नाम भी क्या रखने कि रखने को तो मोहन रख दिया और उससे पहले मजबूरन मैंन(Man) लगाना पड़े ताकि कोई कुछ और न समझ ले :)

ANULATA RAJ NAIR said...

सच कहा दिव्या.....
मुँह से निकला हर शब्द अपनी कीमत माँगता है..कभी न कभी......

सस्नेह
अनु

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (11-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

पूरण खण्डेलवाल said...

बिलकुल सही कहा है आपने !!!!

Akash Mishra said...

कमान से छूटा तीर और जुबान से छूटा बोल कभी वापस नहीं जाते |
सही कहा आपने |

सादर

Unknown said...

ek talkh sacchayee,bilkul sach

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

divya ji aapne three idiotes ke bare me jo kahaa me bhi vahi sochti hun

surenderpal vaidya said...

बिल्कुल ठीक कहा ।

Yashwant R. B. Mathur said...


कल 14/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर (कुलदीप सिंह ठाकुर की प्रस्तुति में ) लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

Rohitas Ghorela said...

हम जो आज लिख रहे है वोही तो कल का इतिहास होगा तो फिर हमें सभ्य इतिहास देने की फ़िराक में ही रहना चाहिए .. बहुत ठीक कहा आपने।

 बेतुकी खुशियाँ

Yashwant R. B. Mathur said...


दिनांक 20/01/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

हाउसवाइफ किसे कहते हैं ?........हलचल का रविवारीय विशेषांक....रचनाकार....रेवा टिबरेवाल जी

मेरा मन पंछी सा said...

एकदम सही बात।।।
:-)