सरकारी महकमे में एक चपरासी था।
अचानक पत्नी के देहांत हो जाने से सब अस्त-व्यस्त हो गया। छोटे-छोटे तीन
बच्चों को कौन संभालता। बच्चों की मौसी ने माँ की तरह तीनों बच्चों को
पाला और उन्हें लायक बनाया। मौसी और उस व्यक्ति के बीच कोई प्रेम-सम्बन्ध
नहीं था ! मौसी का भी कोई नहीं था ! रोजी रोटी का भी कोई सहारा नहीं था !
उस
व्यक्ति ने अपने रिटायरमेंट के बाद उससे विधिवत , कानूनी विवाह कर लिया
और कहा की उसकी मृत्यु के बाद उसकी पेंशन उसकी नयी पत्नी को मिले! एक वर्ष
बाद उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी ! वो पेंशन आज भी उस स्त्री (मौसी) को
मिल रही है और उसी से उसका गुजारा चल रहा है!
वो व्यक्ति कभी भी उससे मिलने नहीं गया ताकि कोई भी अनायास उस स्त्री पर ऊँगली ना उठा सके, लेकिन उसके एहसानों का बदला चुका गया !
धन्य हैं ऐसे लोग
Zeal
15 comments:
प्रेराष्पद प्रेरक प्रसंग ऐसी ही घटनाये हमें प्रेरित करती है
समाज में अच्छे और बुरे सभी लोग हैं ,प्रेरक आलेख !!
मानती हूँ.मैने भी ऐसे व्यक्ति देखे हैं ,उनकी विवशता को अनुभव किया है.पर लोग दूसरों की अच्छाई पर विश्वास मुश्किल से करते हैं,बुराइयों पर आसानी से.
-
शुभकामनायें |
सुन्दर प्रस्तुति ||
वाकई ! बढ़िया प्रस्तुति ! मकर संक्राति की मंगलमय कामनाये !
JIWAN MILNA BHAGY KI BAAT HAI..
MARNA SAMAY KI BAAT HAI...
MAGAR MARNE KE BAAD BHI LOGON KE DILON ME JIWIT RAHNA .....YE TO DR.SAHIBA "KARM" KI BAAT HAI...
US CHPRASI KO HAM SABHI USKE KAAM KE LIYE HAMESHA YAAD RAKHENGE..BESHAK.
ऐसे व्यक्ति वाकई हजारों में एक होते है...जो ईमानदारी पूर्वक जीवन गुजारतें है और उनकी मदद करने वालों की भी अपनी तरफ से जो सके वह सहायता करतें है!...बहुत प्रेरक सत्यकथा!
सही मे धन्य हैं ऐसे लोग …………चाहे कम ही सही मगर हैं आज भी ऐसे लोग
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
सच में प्रेरक..
प्रेरक!
बहुत बढ़िया!
सचमुच ही प्रेरक प्रसंग है.पर हित सरिस धरम नहीं दूजा.........
बहुत सुन्दर आलेख ! बेहतरीन प्रस्तुति !
सच में धन्य है। एहसानों का बदला, प्यार से चूका गया।
Post a Comment