लगता है देश एक बार फिर से किसी भयानक हादसे से गुजरने वाला है। देश के
हुकमरान एक बार फिर किसी को पनपने की वो हर परिस्थिति मुहैया करवा रहे
हैं, जो आज से कुछ साल पहले कुछ समुदाय नेताओं की दी गई एवं अंत तो पूरा
विश्व जानता है। मगर अफसोस यह गलती एक ही परिवार बार बार कर रहा है।
कथित तौर पर लिट्टे को
जन्म देना वाला। पंजाब में सिखों के अलग राज की मांग करने वाले संत। सभी
को उभरने के लिए गांधी परिवार ने अपना पूरा सहयोग दिया। मगर जब इन्होंने
गांधी परिवार से आगे जाकर अपनी खुद की पैठ बनानी शुरू की तो गांधी परिवार
को बुरा लगा। अफसोस इसमें नुकसान आम आदमी को भुगताना पड़ा। अब एक बार फिर
गांधी परिवार अपनी पुरानी भूल को दोहराने जा रहा है, लेकिन इत्तेहादुल
मुसलमीन के विधायक अकबरउद्दीन ओवैसी के रूप में।
अकबरउद्दीन ओवैसी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने नई दिल्ली के पार्लियामेन्ट स्ट्रीट के डीसीपी को एक पत्र लिख कर शिकायत की है कि ओवैसी ने 24 दिसम्बर 2012 को आंध्र प्रदेश के निर्मल शहर में बेहद भड़काऊ भाषण दिया गया था। पूरा भाषण बेहद आपत्तिजनक है, हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काऊ और हमारी सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है। यह हमारे संवैधानिक मूल्यों, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर एक तगड़ा हमला है। ऐसे अप्रिय भाषण समाज को विभाजित करते हैं, शांति भंग करते हैं और सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं।
यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं, जब ओवैसी को लेकर किसी ने एतराज जताया हो। ओवैसी के खिलाफ समय समय पर काफी गम्भीर आरोप लगे हैं, लेकिन सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी की छत्रछाया में चल रही सरकार इस बाबत को गम्भीरता से लेने को तैयार नहीं।
गुजरात के सूरत से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र लोकतेज की वेबसाइट के सौजन्य से निम्न प्रकाशित लेख, जो कांग्रेस के छुपे हुए चेहरे को जग जाहिर करता है ।
क्या भारत सही मायने में धर्मनिरपेक्ष है? क्या भारत संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को मानता है? क्या भारत मे हिंदू और मुस्लिम लोगों और उनके नेताओं के बीच भेद-भाव नही किया जाता? यदि हाँ, तो फिर राहुल गाँधी का सबसे करीबी दोस्त और यूपीए का सांसद असदुद्दीन ओबैसी भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हमास और हिजबुल्लाह के खूंखार कमांडरों के साथ बार बार मिलने लेबनान के बेरुत और दहिल्या शहर मे क्यों जाता है?
इजरायल के चेतावनी की अनदेखी
सूत्रों से ज्ञात हुआ की इजराइली खुफिया एजेन्सी मोसाद ने भारत सरकार को कई बार पत्र लिखकर कहा है कि आपका सांसद जो आपकी यूपीए सरकार को समर्थन दे रहा है वो इजरायल में आतंकवाद पैâला रहा है और साथ ही भारत के गरीब मुस्लिम युवकों का ब्रेनवाश करके उन्हें हमास और हिजबुल्लाह के लिए भर्ती करता है, लेकिन चूँकि भारत की यूपीए सरकार को सिर्पâ हिंदू ही आतंकवादी नजर आते है इसलिए भारत सरकार ओबैसी को खुलेआम छुट दे दिया है। ज्ञात रहे कि हिजबुल्लाह आज विश्व का सबसे बड़ा आत्मघाती दस्ते वाला आतंकवादी संगठन है जो छोटे-छोटे बच्चों को अपने आत्मघाती दस्ते मे भर्ती करता है।
मुस्लिमों ने वैसे धर्म निरपेक्ष देशों को मुस्लिम राष्ट्र बनाया
पूर्व में लेबनान पहले धर्मनिरपेक्ष देश था और वहाँ ४ हिंदू और १० यहूदी भी रहते थे। लेबनान जहां पहले ८० ईसाई तथा अन्य धर्म और २० मुस्लिम रहते थे और लेबनान विश्व का बहुत तेजी से तरक्की करता हुआ मुल्क था, इसकी राजधानी बेरुत को विश्व का गोल्ड केपिटल कहा जाता था क्योकि बेरुत विश्व की सबसे बड़ी सोने की मण्डी थी। इतना ही नहीं खूबसूरत लेबनान में कई हॉलीवुड और बॉलीवुड के फिल्मों की शूटिंग होती थी।
लेकिन लेबनान की तरक्की और खुशहाली पर लेबनान के मुस्लिम नेताओं ने ग्रहण लगा दिया, मस्जिदों में और अपने सम्मेलनों के मुसलमानों को खूब बच्चे पैदा करके लेबनान पर कब्जा करने की बाते करते थे। फिर धीरे-धीरे लेबनान का जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया और फिर लेबनान २५ सालों से गृहयुद्ध की चपेट मे आ गया। आज लेबनान के दो हिस्से है उत्तरी लेबनान जिसमें ईसाई और अन्य धर्मों के लोग रहते है और दक्षिण लेबनान जहां मुस्लिम रहते है उसी तरह राजधानी बेरुत का भी दो अघोषित हिस्सा है जहां एक तरह ईसाई और दूसरी तरफ मुस्लिम रहते हैं।
अकबरउद्दीन ओवैसी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने नई दिल्ली के पार्लियामेन्ट स्ट्रीट के डीसीपी को एक पत्र लिख कर शिकायत की है कि ओवैसी ने 24 दिसम्बर 2012 को आंध्र प्रदेश के निर्मल शहर में बेहद भड़काऊ भाषण दिया गया था। पूरा भाषण बेहद आपत्तिजनक है, हिंदू धर्म के खिलाफ भड़काऊ और हमारी सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है। यह हमारे संवैधानिक मूल्यों, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर एक तगड़ा हमला है। ऐसे अप्रिय भाषण समाज को विभाजित करते हैं, शांति भंग करते हैं और सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं।
यह ऐसा कोई पहला मामला नहीं, जब ओवैसी को लेकर किसी ने एतराज जताया हो। ओवैसी के खिलाफ समय समय पर काफी गम्भीर आरोप लगे हैं, लेकिन सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी की छत्रछाया में चल रही सरकार इस बाबत को गम्भीरता से लेने को तैयार नहीं।
गुजरात के सूरत से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र लोकतेज की वेबसाइट के सौजन्य से निम्न प्रकाशित लेख, जो कांग्रेस के छुपे हुए चेहरे को जग जाहिर करता है ।
क्या भारत सही मायने में धर्मनिरपेक्ष है? क्या भारत संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को मानता है? क्या भारत मे हिंदू और मुस्लिम लोगों और उनके नेताओं के बीच भेद-भाव नही किया जाता? यदि हाँ, तो फिर राहुल गाँधी का सबसे करीबी दोस्त और यूपीए का सांसद असदुद्दीन ओबैसी भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हमास और हिजबुल्लाह के खूंखार कमांडरों के साथ बार बार मिलने लेबनान के बेरुत और दहिल्या शहर मे क्यों जाता है?
इजरायल के चेतावनी की अनदेखी
सूत्रों से ज्ञात हुआ की इजराइली खुफिया एजेन्सी मोसाद ने भारत सरकार को कई बार पत्र लिखकर कहा है कि आपका सांसद जो आपकी यूपीए सरकार को समर्थन दे रहा है वो इजरायल में आतंकवाद पैâला रहा है और साथ ही भारत के गरीब मुस्लिम युवकों का ब्रेनवाश करके उन्हें हमास और हिजबुल्लाह के लिए भर्ती करता है, लेकिन चूँकि भारत की यूपीए सरकार को सिर्पâ हिंदू ही आतंकवादी नजर आते है इसलिए भारत सरकार ओबैसी को खुलेआम छुट दे दिया है। ज्ञात रहे कि हिजबुल्लाह आज विश्व का सबसे बड़ा आत्मघाती दस्ते वाला आतंकवादी संगठन है जो छोटे-छोटे बच्चों को अपने आत्मघाती दस्ते मे भर्ती करता है।
मुस्लिमों ने वैसे धर्म निरपेक्ष देशों को मुस्लिम राष्ट्र बनाया
पूर्व में लेबनान पहले धर्मनिरपेक्ष देश था और वहाँ ४ हिंदू और १० यहूदी भी रहते थे। लेबनान जहां पहले ८० ईसाई तथा अन्य धर्म और २० मुस्लिम रहते थे और लेबनान विश्व का बहुत तेजी से तरक्की करता हुआ मुल्क था, इसकी राजधानी बेरुत को विश्व का गोल्ड केपिटल कहा जाता था क्योकि बेरुत विश्व की सबसे बड़ी सोने की मण्डी थी। इतना ही नहीं खूबसूरत लेबनान में कई हॉलीवुड और बॉलीवुड के फिल्मों की शूटिंग होती थी।
लेकिन लेबनान की तरक्की और खुशहाली पर लेबनान के मुस्लिम नेताओं ने ग्रहण लगा दिया, मस्जिदों में और अपने सम्मेलनों के मुसलमानों को खूब बच्चे पैदा करके लेबनान पर कब्जा करने की बाते करते थे। फिर धीरे-धीरे लेबनान का जनसंख्या का संतुलन बिगड़ गया और फिर लेबनान २५ सालों से गृहयुद्ध की चपेट मे आ गया। आज लेबनान के दो हिस्से है उत्तरी लेबनान जिसमें ईसाई और अन्य धर्मों के लोग रहते है और दक्षिण लेबनान जहां मुस्लिम रहते है उसी तरह राजधानी बेरुत का भी दो अघोषित हिस्सा है जहां एक तरह ईसाई और दूसरी तरफ मुस्लिम रहते हैं।
सांसदों को विदेश यात्रा से पूर्व अनुमति का नियम
जब भी कोई सांसद विदेश यात्रा करता है तो उसे लोकसभा सचिव को लिखित सूचना देकर अनुमति लेनी पड़ती है भले ही वो उसकी निजी यात्रा ही क्यों न हो। एक आरटीआई के जबाब मे मीरा कुमार ने पहले बताया कि उनके पास ऐसी कोई फाइल नही आई जिसमे ओबैसी ने लेबनान और सीरिया के यात्रा की अनुमति मांगी हो। इसका मतलब यही है कि ओवैसी ने बिना अनुमति के विदेश यात्रा की। सवाल ये उठता है कि आखिर इतना घोर साम्प्रदायिकता पैâलाने वाला ओबैसी को यूपीए साम्प्रदायिक क्यों नही मानती है ?
ओबैसी के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट में गांधी परिवार की भूमिका
सबसे बड़ा चौकने वाला खुलासा ये है कि ओबैसी को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट राहुल गाँधी की सिफारिश पर मिला था जबकि खुद आन्ध्रप्रदेश की कांग्रेस सरकार की ही खघ्ुफिया पुलिस ने ओबैसी को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट न देने की रिपोर्ट भेजी थी लेकिन जब राहुल गाँधी ने इस मामले मे हस्तक्षेप किया जब जाकर विदेश मंत्रालय ने ओबैसी को बिना किसी योग्यता-अर्हता के डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जारी कर दिया।
ध्यान रहे कि साधारण पासपोर्ट का कलर नीला होता है जबकि डिप्लोमेटिक पासपोर्ट का कलर मैरून होता है। और तो और डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वाले व्यक्ति की किसी भी हवाई अड्डे पर तलाशी नही होती और इन्हें वीजा आन अराइवल की भी सुविधा होती है और ये पासपोर्ट केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केबिनेट स्तर के मंत्री और राज्यों में मुख्यमन्त्रियों और राजदूत तथा दूतावास में सचिव स्तर के अधिकारियों को ही जारी हो सकता है ।
बांग्लादेशी मुसलमानों का पुर्नवास क्यों
अभी कुछ दिन पहले संसद में आसाम पर चर्चा के दौरान ओबैसी ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की उपस्थिति मे कहा कि यदि भारत सरकार आसाम मे मुसलमानों का चाहे वो प्रवासी क्यों न हो ठीक ढंग से पुनर्वास नही करती और उन्हें उचित मुवावजा नही देती तो फिर भारत का मुसलमान इस देश की ईंट से ईंट बजा देंगे लेकिन किसी भी सांसद ने ओबैसी के इस बयान की निंदा नही की। इससे बड़ा राष्ट्र का अपमान और क्या हो सकता है की पक्ष व विपक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर चुप रहे और तो और मीडिया ने भी इसको ब्रेकिंग न्यूज नही बताया सिर्पâ टाइम्स नाउ ने ही इस खबर पर चर्चा की।
यूपीए की नजर में हिन्दू
यूपीए की नजर में सिर्फ भारत के हिंदू ही साम्प्रदायिक है। अगर कोई भारत मे हिंदू हित की बात करेगा तो वो घोर साम्प्रदायिक और राजनितिक रूप से अछूत बन जायेगा। पूरी मीडिया और कई राजनितिक दल सहित कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अपनी दूकान चलाने वाली छोटी पार्टियां सब उसको साम्प्रदायिक घोषित कर देंगे। लेकिन यदि कोई सिर्फ मुस्लिम हित की ही बात करेगा तो वो धर्मनिरपेक्ष माना जायेगा।
ओवैसी की नजर में मुस्लिम ही नागरिक
ओवैसी ने आज तक संसद में सिर्पâ मुस्लिम हित और मुस्लिमों के बारे मे ही मुद्दे उठाये हैं और वे सिर्पâ मुस्लिम लोगों की ही मदद करते है यहाँ तक कि आसाम में भी उन्होंने जब राहत शिविर लगाया तो उसके उपर लिख दिया ‘‘ओनली फॉर मुस्लिम’’।
इन्होंने सानिया मिर्जा को कई बार सम्मानित किया लेकिन जब एक पत्रकार ने इनसे पूछा कि आप सानिया नेहवाल को कब सम्मानित करेंगे तो ये महाशय माइक फेंक दिये।
आईबी ने दंगों के लिये ओबैसी बंधुओं को जिम्मेदार माना
आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार की ही आईबी हैदराबाद में भड़के कई दंगों के लिए ओबैसी बंधुओ को जिम्मेदार बताती है यहाँ तक की केन्द्र की खुफिया एजेंसियों ने भी कई बार गृहमंत्रालय को ओबैसी के संदिग्ध गतिबिधियों के बारे मे चेतावनी दी है। लेकिन सब बेकार।
By Kulwant Happy
21 comments:
हिन्दू चेतने वाला नहीं.
Hum kav nai sudharne wale,in dogle Gandhi ko h vote jaega..by d way ab youth jag raha hai, buddhe seculars ka jamana ja raha hai..gandhiwadi buddho ne desh ko barbad kar diya hai.In Gandhiwadi pillo ne Gandhi ka talwa bht chata hai ab Bhagat Singh ka Jamana aa gaya hai.
Hum kav nai sudharne wale,in dogle Gandhi ko h vote jaega..by d way ab youth jag raha hai, buddhe seculars ka jamana ja raha hai..gandhiwadi buddho ne desh ko barbad kar diya hai.In Gandhiwadi pillo ne Gandhi ka talwa bht chata hai ab Bhagat Singh ka Jamana aa gaya hai.
ओ वेशी मत बकबका, सह ले सह अस्तित्व ।
जीवन की कर बात रे, क्यूँकर घेरे मृत्यु ।
क्यूँकर घेरे मृत्यु , बात कर सौ करोड़ की ।
लानत सौ सौ बार, बंद कर बन्दर घुड़की ।
कन्वर्टेड इंसान, पूर्वज तेरे देशी ।
कर डी एन ए मैच, बकबका मत ओ वेशी ।।
किससे कह रही हैं दिव्या जी?यहाँ की सोच है -
'कोउ नृप होय हमें का हानी'
पानी सिर से ऊपर पहुँच गया तब होश में आये तो क्या फ़ायदा !
सब वक्त का तकाजा है,
अंधेर है सारी नगरी में,
अन्धो में काना राजा है।
ओवैशी जैसे लोगों पर धर्म निरपेक्ष लोगों की चुप्पी षड़यंत्रकारी है !
इन देश द्रोहीयों की फ्रंटलाईन सरविस तो मनमोहन सिहँ खुद कर रहा है। काँग्रेस देश को टुकडे टुकडे करने की दिशा में बहुत तेजी से काम कर रही है। चुपके चुपके देश का प्रशासन मुस्लमालों को और धरती पाकिस्तान को सौंपी जा रही है। राष्ट्रवादियो जागो।
Virendra Kumar Sharma4 January 2013 04:09
प्रासंगिक कटाक्ष बे -हूदा चुतियापे के प्रस्तावों पर .
ReplyDelete
Virendra Kumar Sharma4 January 2013 04:11
ये मंद बुद्धि बालक शिकारी कुत्तों की तरह जहां से भी वोट की खुशबू आती है वहीँ पहुँच जाता है .
अंधेर नगरी चौपट राजा....
लगता है देश एक बार फिर से किसी भयानक हादसे से गुजरने वाला है। देश के हुकमरान एक बार फिर किसी को पनपने की वो हर परिस्थिति मुहैया करवा रहे हैं, जो आज से कुछ साल पहले कुछ समुदाय नेताओं की दी गई एवं अंत तो पूरा विश्व जानता है। मगर अफसोस यह गलती एक ही परिवार बार बार कर रहा है। *कथित तौर पर* लिट्टे को जन्म देना वाला। पंजाब में सिखों के अलग राज की मांग करने वाले संत। सभी को उभरने के लिए गांधी परिवार ने अपना पूरा सहयोग दिया। मगर जब इन्होंने गांधी परिवार से आगे जाकर अपनी खुद की पैठ बनानी शुरू की तो गांधी परिवार को बुरा लगा। अफसोस इसमें नुकसान आम आदमी को भुगताना पड़ा। अब एक बार फिर गां... अधिक »
ये शहजादा असल मुद्दों से भागा रहता है हिम्मत नहीं हुई इस नेहरुवीयन चूहे की युवजनों के बीच इंडिया गेट आने की ये ओवैशि की तरह ही विषैला है .सेकुलर है साला .
लगता है देश एक बार फिर से किसी भयानक हादसे से गुजरने वाला है। देश के हुकमरान एक बार फिर किसी को पनपने की वो हर परिस्थिति मुहैया करवा रहे हैं, जो आज से कुछ साल पहले कुछ समुदाय नेताओं की दी गई एवं अंत तो पूरा विश्व जानता है। मगर अफसोस यह गलती एक ही परिवार बार बार कर रहा है। *कथित तौर पर* लिट्टे को जन्म देना वाला। पंजाब में सिखों के अलग राज की मांग करने वाले संत। सभी को उभरने के लिए गांधी परिवार ने अपना पूरा सहयोग दिया। मगर जब इन्होंने गांधी परिवार से आगे जाकर अपनी खुद की पैठ बनानी शुरू की तो गांधी परिवार को बुरा लगा। अफसोस इसमें नुकसान आम आदमी को भुगताना पड़ा। अब एक बार फिर गां... अधिक »
ये शहजादा असल मुद्दों से भागा रहता है हिम्मत नहीं हुई इस नेहरुवीयन चूहे की युवजनों के बीच इंडिया गेट आने की ये ओवैशि की तरह ही विषैला है .सेकुलर है साला .
BADA BEDARD AB JAMANA HO GAYA HAI,KAHO KUCH BHI NAHI TO BHI ELZAM LAGAYA JA RAHA HAI,VERY CRITICAL CREATION (NEW POST--CHEHRA AUR KHICHADI)
ओवेसी के इस पूरे प्रकरण में एक बात और सामने आती है। एक अदना सा, टुच्चा सा मुल्ला भी कैसे इतना ऊपर पहुँच जाता है कि गांधियों का सहयोग उसे सबसे पहले और सबसे अधिक मिलता है?
इसी लेख को सिलसिलेवार पढ़ा जाए तो यह बात सामने आ ही जाती है कि समस्या की जड़ कहाँ तक जा रही है?
सबसे पहले अब चूंकि इजरायल ने ओवेसी के सम्बन्ध में पूर्व चेतावनी दे दी थी, वो भी भारत के पक्ष में। अत: ऐसे में इजरायल के दंश से पीड़ित कथित विकसित एवं धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र अब अपनी भूमिका निभाने से भला कहाँ चूकने वाले हैं? स्मरण रहे कि इजरायल का शत्रु भारत का शत्रु और भारत का शत्रु इजरायल का शत्रु है। परन्तु चूंकि इजरायल एक ऐसा देश है जहां देश हित के समक्ष और कोई समझौता स्वीकार नहीं, अत: उसे एक बागी के रूप में घोषित कर रखा है। वहीँ भारत की पुलपुली सरकारों ने भारत को कभी आत्मसम्मान के साथ उभरने ही नहीं दिया गया, अत: षड्यंत्रकारी ताकतें यहाँ सफल हैं।
इन षड्यंत्रकारी ताकतों में मुस्लिम देश के साथ-साथ वह देश भी शामिल है जहां ओवेसी भाग कर चला गे है और वह देश में शामिल है जो संयुक्त राष्ट्र संघ का हैड ऑफिस अपने देश में खोलकर बैठा सारी दुनिया को अपना गुलाम समझ रहा है। वरना ओवेसी जैसे गली के कुत्ते की क्या औकात की वह भारत की इन नामचीन हस्तियों का इतना करीबी हो जाए?
लेबनान भले ही आज इसाई देश से बदल कर एक मुल्ला मुल्क बदल चूका है किन्तु इसका अर्थ यह कतई नहीं कि इसाई मुल्लों से डर गए। अपितु शत्रु की खंडता का लाभ उठाना इन ईसाईयों को सबसे पहले आता है। ओवेसी जैसे कुत्तों के सहारे वह भारत जैसे विशाल व शक्तिशाली देश के विरुद्ध डिप्लोमेसी के साथ-साथ कॉन्सपिरेसी रच रहा है। वरना पूरी दुनिया के लिए आतंक का पर्याय बन चुकी मुल्ला ज़मात व इससे जुड़े विशेष आतंकी मुल्कों पर अमरीकी नजर क्यों नहीं पड़ती? दिखावे के लिए वह केवल ईरान और ईराख को हडकाता रहता है। ईसे छवि भी बनती है, तेल में भी मिलता है, हथियार भी बिकते हैं और अपनी पुरानी दुश्मनी निभाने का मौका भी मिलता है।
भारत में ओवेसी जैसे सूअरों की सक्रियता व गांधियों से उसके सम्बन्ध साफ़-साफ़ यह बताते हैं कि इनके द्वारा अमरीकी व बर्तानवी ताकतें भारत में शान्ति का माहौल पनपने नहीं देना चाहतीं। गांधियों को तो उसने भारत में अपने एजेंट के रूप में स्थापित कर रखा है और औवेसियों को पूरा मौका दे रहा है अपने षड्यंत्र रचने का।
वर्ण सोचने वाली बात है कि डिप्लोमेसी वीजा वाली बात क्या अमरीका से छुपी रह सकती है भला?
अत: इस पूरी दुनिया में केवल सनातन ही एक ऐसी परम्परा है जो विश्व कल्याण पर विचार करती है। जब तक यह पूरा विश्व भगवा के नीचे नहीं आता, इस दुनिया में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती।
आपके संवैधानिक जानकारी का मैं कायल हूँ
सच तो यही है...जाने कब सूरत बदलेगी !
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