Tuesday, March 26, 2013

होली रंग बिरंगी

भारतवर्ष में होली का त्यौहार फाल्गुन मॉस की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और उसके एक दिन पूर्व होलिका दहन होता है। होलिकोत्सव को वैदिक काल में 'नव सस्येष्टि यज्ञ' कहा जता है। उस समय खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में दान करके प्रसाद लिया जाता था। अन्न को होला कहते हैं  अतः इस पर्व को होलिकोत्सव कहा गया। यह पर्व सामाजिक समानता और सौजन्यता की प्रेरणा देता है।

इस पर्व पर सभी लोग इतने रंगों में रंगे होते हैं की व्यक्ति विशेष की पहचान समाप्त हो जाती है और इस प्रकार जातिगत भेदभाव को मिटाकर , सामाजिक समानता का सन्देश देता है।

पतझड़ के कारण आस पास वृक्षों के नीचे सूखे पत्तों का ढेर जमा हो जाता है अतः होलिका दहन द्वारा सामूहिक साफ सफाई की प्रक्रिया भी पूरी होती है।

 हिरनाकश्यप बनाम प्रहलाद की आस्था में होलिकादहन नास्तिकता पर आस्तिकता की विजय का भी द्योत्तक है.

चूँकि इस पर्व के समय तक नया अन्न घरों में आने लगता है, अतः नए अन्न, गेहू वा चने की बालियों को लोग होलिका दहन की अग्नि में भूनते हैं और प्रसाद लेते हैं।

Wednesday, March 20, 2013

शालू और टिंकू..


विश्व गोरैय्या दिवस है आज --

विलुप्त होती पक्षियों की प्रजाति को बचाईये! गर्मी के मौसम के आगमन पर अपनी छतों और बागीचे में पक्षियों के लिया दाना और पानी रखिये!

बचपन में हमारे पुराने घर में , छतों के नीचे लकड़ी की बल्लियाँ लगी रहती थीं। उन्हीं बल्लियों में गौरैय्या का एक जोड़ा रहता था ! माँ ने उनका नाम शालू और टिंकू रखा हुआ था ! हम भाई बहन शालू-टिंकू के साथ ही पले बढे।

आज सबसे दुखद ये है की गौरैय्या अब विलुप्त होती जा रही है!




Sunday, March 17, 2013

कमीने क़ानून बनाने वाले--

प्राईमरी हेल्थ सेंटर (PHC), शाहजहांपुर में दो साल की बच्ची , जिसने ठीक से चलना और बोलना भी नहीं सीखा था , के साथ वार्ड बॉय ने दो बार बलात्कार किया ! बच्ची को बिस्किट, टॉफी देने का कहकर फुसलाया और अस्पताल के सूने कमरे में दुष्कर्म किया। बच्ची की चीखें सुनकर लोगों ने उसे बचाया। खून से लतपथ बच्ची को उज्जैन अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालात अत्यंत नाज़ुक है।

जिस समय बच्ची का बलात्कार हो रहा था , उस समय माँ ने PHC में एक बच्चे को जन्म दिया। जब उसे इस दुष्कर्म की सूचना दी गयी तो वह सदमे से बेहोश हो गयी।

अब बेचारे वार्ड बॉय का तो कोई दोष है नहीं , 16 साल का तो हो ही गया होगा। दोष तो उस बच्ची का है जिसने स्वेच्छा से बलात्कार नहीं करवाया !

हवस के भूखे कानूनविदों से मेरी अपील है की 16 की जगह दो साल से ही बलात्कार को लीगल कर दिया जाए ताकि वो 'सेक्स' कहलाये और सुनने में मनोरंजक लगे और यदि संभव हो तो कन्या भ्रूण ह्त्या को भी लीगल किया जाए ताकि " न रहेगा बांस, ना बजेगी बांसुरी "

फिर इस पृथ्वी पर सिर्फ पुरुष बचेंगे और पुरुषों का ही बलात्कार करेंगे ! सृष्टि ही समाप्त हो जाएगी। बसंत फिर कभी नहीं आएगा।

Zeal

Thursday, March 14, 2013

अनर्थ

केंद्र सरकार ये क्या अनर्थ कर रही है ?

16 साल के बच्चों के आपसी सहमती से यौन संबंधों को वैध करने जा रही है। क्या सरकार इसके दूरगामी दुष्परिणामों को सोच/देख पा रही है?
 


कांग्रेस का नैतिक पतन हो चुका है, अब वो देश और युवा पीढी का पतन चाहती है। यौन सम्बन्ध केवल पति-पत्नी के मध्य होते हैं , शेष तो सब अनैतिक ही है , उम्र चाहे जो हो। फिर इसे लीगल क्या करना।

उम्र घटानी थी बलात्कारियों की ताकि उन्हें सज़ा मिल सके लेकिन इन्होने तो उल्टा बलात्कार करने की ही उम्र घटा दी ताकि बलात्कारियों को सुविधा हो सके। सरकार वेश्यावृत्ति को बढ़ावा दे रही है।

Zeal

Monday, March 11, 2013

कांग्रेस का दोहरा चरित्र देखिये --

हमारे देश के दो वीर सैनिको के सर धोखे से काट लिए गए उनमें से एक की विधवा ने कई दिनों तक भूख हड़ताल की पर राहुल गाँधी न तो उससे मिलने गया और ना ही कभी उनकी और उनके परिवार की खबर ली पर वोट बैंक का काम देखो एक DSP जो बलात्कारियो को शय देते हुए मारा गया उसकी पत्नी 'परवीन' की खोज खबर लेने पहुच गया और इसको सेकुलरिज्म कहा जाता है . 

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए नीचे दिया गया लिंक देखिये--

http://www.ndtv.com/article/india/rahul-gandhi-meets-widow-of-murdered-up-police-officer-zia-ul-haq-340323



कुम्भ मे रेल स्टेशन पर कई हिन्दू मारे गए , राहुल गाँधी नहीं आये

हैदराबाद बम ब्लास्ट मे कई हिन्दू मारे गए , राहुल गाँधी नहीं आये

सेना के जवान हेमराज जिसका सर पाकिस्तानी सेना ने काट दिया , राहुल गाँधी नहीं आये
हेमराज की विधवा अपने पति के सर वापस लाने की गुहार करती रही लेकिन केंद्र का कोई मंत्री उसकी गुहार सुनने नही गया

लेकिन एक मुसलमान ऑफिसर जिया उल हक की मौत पर राहुल गाँधी उस परिवार से मिलने चले गए ?

पुरे दो घंटे उसके घर रहे और फिर कब्रिस्तान में जाकर उसकी कब्र पर फतिहा भी पढ़े ..
क्यों की कांग्रेस , समाजवादी पार्टी के लिए जिया उल हक एक सरकारी अफसर की मौत के रूप मे नहीं देख रही है बल्कि एक मुसलमान की मौत के रूप मे देख रही है..


Courtesy Facebook

Saturday, March 9, 2013

महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि उस पावन पर्व का नाम है जब भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती से पाणिग्रहण संस्कार करा था ! हिंदू मान्यता बताती है कि त्रिमूर्ति में ब्रह्मा श्रृष्टि की रचना करते हैं, विष्णु उसका पालन, तथा शिव उसका संघार ! मानव स्वभाव कि चर्चा न करते हूए यह बताना ही पर्याप्त होगा कि भगवान शिव के विवाह को श्रृष्टि की प्रगति और विकास के लीये लाभकारी मानते हूए श्रधालु बड़ी धूमधाम, और जोश से इस पर्व को मनाते हैं !
यदि आप आकड़ो पर जाते हैं तो आप पायेंगे की भारत में सबसे ज्यादा मंदिर शिव के हैं, फिर विष्णु तथा उनके अवतार जैसे राम और कृष्ण के, और संभवत: ब्रह्मा का एक सिद्ध और मान्यता प्राप्त मंदिर है, जो कि पुष्कर में है ! मनुष्य पूजा डर से या कुछ लाभ के लीये या फिर वोह श्रृष्टि रचेता को आदर और प्यार देने हेतु करता है , इसपर निर्णय पाठक ही करें !
इस पर्व का महत्त्व इसलिए भी है कि इसमें पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना गया है ! अविवाहित कन्या मंगलमय विवाह के लीये, विवाहित दंपत्ति संगतता समस्याओं के समाधान के लीये, तथा अन्य ईश्वर की अनुकंपा के लीये पूजा करते हैं !
अब मुख्य विषय पर आते हैं ; शिवरात्रि, या महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है, अर्थात क्या खगोलिक बिंदु हैं इस पर्व कि तिथि सुनिश्चित करने के लीये !
चुकि ८०% जनसंख्या भारत कि हिंदू है, तथा हिंदू पर्याप्त धन धार्मिक कार्यों में व्यय करते हैं, खेद, परन्तु सत्य, हिंदू को यह भी नहीं बताया जाता कि कौन सा पर्व किस तिथि पर क्यूँ मनाया जा रहा है, और उस पर्व को मानने के खगोलिक बिंदु क्या हैं और क्यूँ हैं ?
सबसे पहले महाशिवरात्रि तथा शिवरात्रि के अंतर को समझते हैं ! शिवरात्रि सिर्फ पूजा हेतु हर कृष्ण पक्ष त्रियोदशी को मनाई जाती है, इस बात को निश्चित करके कि अगले दिन सूर्य उदय पश्चात चतुर्दशी होनी चाहिए, या फिर शिवरात्रि के तीसरे दिन अमावश्य होनी चाहिए !
महाशिवरात्रि इसी तिथि में फागुन मास में मनाई जाती है ! फागुन वर्ष का अंतिम मास है, तथा नव वर्ष मंगलमय हो इसकी कामना वर्ष के अंतिम मास में ही होती है, इसलिए महाशिवरात्रि का एक तो यह महत्त्व है !
कृष्ण पक्ष कि त्रियोदशी को सूर्य कुम्भ राशि में होता है तथा चंद्र मकर राशि में ! समझने कि बात यह है कि सूर्य शिव को दर्शाता है तथा चंद्र, माता पार्वती को ! कुम्भ सूर्य कि राशि सिंह से सबसे दूर है, और यहाँ पर सूर्य भौतिकवादी नहीं होता ! धन, भौतिक सुख के लीये लाभकारी नहीं है ! कुम्भ राशि को दर्शाती है, एक मट्टी का पानी रखने का बर्तन, जो कि खाली है ! तुरंत जो पहली बात मन में आती है, कि यह अत्यंत दरिद्रता का प्रतीक है ! लेकिन कुम्भ शनि कि मूल त्रिकोण राशि है इसलिए हर गृह यहाँ फल जब देता है जब कर्म करते समय, व्यक्ति अपने को कर्मफल से विमुख कर ले ! शिव को वैरागी कहा जाता है जो कि अपने पास कुछ नहीं रखते, सब दे देते हैं, उनके खुद के पास रहने के लीये खुद की कुटिया भी नहीं है !
चंद्र कि स्वंम कि राशि है कर्क ! चंद्र भौतिक सुख का प्रतीक है और कर्क राशि में जो भी गृह होता है वोह भौतिक सुख देने कि चेष्टा करता है ! कर्क से सबसे दूर है शनि ही कि मकर राशि, जिसमें मंगल उच्च का होता है ! और मकर भौतिक सुख त्यागने के बाद ही फल देता है ! अत्यंत धनवान राजधराने कि राजकुमारी सब सुख त्याग कर शिव को वरने के लीये कठोर तप करती हैं, अच्छी तरह से यह जानते हूए कि शिव वैरागी हैं ! मकर पार्वती कि प्रकृति को दर्शाता है !
यह समझने के बाद कि किस तरह से कुम्भ और मकर शिव और पार्वती को दर्शाते हैं, अब हम और खगोलिक बिंदुओं पर बात करते हैं ! शिव को सदैव मूर्ती में दर्शाते समय उनके सर के ऊपर कृष्ण पक्ष के चौदवी के चाँद का दिखने वाला अंश होता है, जो कि समाधि में भी शिव की संसार के प्रति चेतना को दर्शाता है ! हिंदू मान्यता के अनुसार चन्द्र चेतना का प्रतीक है, तथा अमावश्य और शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि में, चुकि चंद्र भौतिक रूप से दिखाई नहीं देता इसलिए कोइ भी शुभ कार्य आरम्भ नहीं करा जाता !
ध्यान रहे पिछले महाकल्प में जब सती ने दक्ष के यज्ञ में प्राण त्याग दिए थे तो शिव पूर्ण समाधि में चले गये थे, संसार से श्रृष्टि समाप्त हो गई थी, जो कि इस महाकल्प में माता पार्वती से विवाह के पश्यात ही संभव हो पाई ! अब इस महत्वपूर्ण खगोलिक बिंदु को हम महाशिवरात्रि के पर्व में कैसे दर्शाते हैं यह जान लें ! 
अमावश्य से पूर्व चौदश कि सुबह का चंद्र का लघु अंश अंतिम चन्द्रमा होता है ! उसके पश्च्यात चंद्र अगले दो दिन नहीं दीखता है, और फिर उसका लघु अंश शुक्ल पक्ष कि दोयज़ की शाम को कुछ समय के लीये दीखता है, जिसको देख कर मुस्लिम समुदाय का नया मास प्रारम्भ होता है ! अर्थात शिवरात्रि के अगले दिन सुबह का चंद्रमा अंतिम चंद्रमा होता है ! इसीलिये श्रधालु शिवरात्री की पूजा पूरी रात करके, अगले दिन सुबह सूर्य उदय पश्यात सूर्य के ऊपर चंद्र का लघु अंश देख कर ही पूजा समाप्त करते हैं !
चुकी अनेक बार महाशिवरात्रि से अगले दिन का चन्द्रमा, बादल या अन्य कारण से दिखाई नहीं देता है, इसलिए, मुस्लिम समुदाए ने नया चाँद, अथार्थ दोयज़ का चाँद देख कर मास, तथा सारे शुभ कार्य करने शुरू करे; क्यूँकी किसी कारणवश दूज का चाँद नहीं दिखा तो तीज का तो दिख जाएगा, जबकी महाशिवरात्रि का चाँद अगले दिन सुबह नहीं दिखा, तो अगले एक माह बाद ही प्रयास करा जा सकता है|
भगवान शिव, जो कि वैरागी हैं और योगी भी है, का विवाह एक अत्यंत सुंदर, सुशील राजकुमारी के साथ तब संभव हो पाया जब माता पार्वती सब भौतिक सुख त्याग कर शिव को पाने कि प्रबल इच्छा व्यक्त कर के, तप कर के, शिव को विवाह के लीये प्रेरित कर पाई !
विवाह उपरान्त शिव जो की पहले पूर्णत: विमुख थे अब श्रृष्टि की प्रगति में भी रुचिकर हैं , और येही एक आशा है श्रृष्टि की प्रगति के लीये !


By Kulbhushan Singhal

Wednesday, March 6, 2013

महिला दिवस या मज़ाक ?

आठ मार्च (महिला दिवस) पर दिल्ली दुष्कर्म पीडिता को "इंटरनेश्नल वुमन ऑफ करेज अवार्ड" दिया जाएगा। लेकिन अफ़सोस की बलात्कारियों को फांसी देकर पीडिता को न्याय नहीं दिया जाएगा।  कष्ट और अपमान से लुटी पीडिता को अवार्ड चाहिए या फिर न्याय?

कल 5 मार्च को इंदौर में सिविल जज परीक्षा की तैय्यारी कर रही छात्र के साथ गैंग-रेप  हुआ !

क्या बदला हमारे देश में ? स्त्री को कोई सुरक्षा मिलेगी या फिर वो यूँ ही मात्र एक उपभोग की वस्तु बनकर लुटती रहेगी?

इस देश में नारी की जो स्थिति थी, वो अब पहले जैसी नहीं है, स्त्री को मात्र एक कमोडिटी समझ कर उपभोग किया जाता है, फिर दूध में पड़ी मक्खी की तरह फेंक दिया जाता है।

स्त्रियाँ अपना सम्मान और सुरक्षा स्वयं करें। अच्छे बुरे पुरुष की पहचान आसानी से संभव नहीं अतः दूरी बना कर रखें। कितना भी कोई अच्छा लगे उसे संदेह के घेरे में ही रखें। भावनाओं में ना बहें , सावधान रहें ! सचेत रहें!

Zeal

Monday, March 4, 2013

अपना-अपना झरोखा ..

अजीत जी का एक आलेख पढ़ा , बहुत बढ़िया लिखा है, बस एक ही बात खटकी --"चिड़ियाघर"...मन तैयार नहीं ये मानने को की ब्लौगजगत एक चिड़ियाघर है और ब्लॉगर्स उस चिड़ियाघर का हिस्सा।

वाणी जी का तर्क बहुत अच्छा लगा- "अपने दिल की बात सच्ची-सच्ची लिखने का दम होना चाहिए बस "

एक दशक पूर्व तक हिंदी ब्लौगिंग का कोई नामो-निशान नहीं था ! लोग अपने मन की बात न कह पाते थे , ना ही लिख पाते थे!  लेकिन अब ये लाचारी नहीं है हमारे सामने। हिंदी ब्लौगिंग ने एक नया आयाम दिया है! आम जनता अपने मन की बात और अपने विचारों को सबके समक्ष रख सकती है।

हर व्यक्ति अपनी रूचि और ज़रुरत के अनुसार विभिन्न विषयों पर अपनी लेखनी चला रहा है, और इसी से लेखन में विविधता का भी कोई अभाव नहीं महसूस होता और पूरा ब्लॉगजगत इन्द्रधनुषी रंगों से सजा हुआ दिखता है।

किसी भी ब्लौग पर क्लिक करो, लोग अपनी-अपनी मासूम सी भाषा में अपने ह्रदय के भावों को निचोड़ कर रखे होते हैं। सभी को पढने में अलग ही आनंद आता है।

राजनीति पर पढना और लिखना सबसे ज्यादा अच्छा लगता है---

जो भरा नहीं है भावों से , बहती जिसमें रसधार नहीं,
वो ह्रदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

Zeal

Saturday, March 2, 2013

ज़बान इस तरह फिसलेगी बार-बार तो

शिंदे की ज़बान इस तरह फिसलेगी बार-बार तो कब तक बर्दाश्त किया जाएगा इन्हें ? धारा 228A का उल्लंघन करते हुए , भंडारा रेप काण्ड की नाबालिग रेप-पीड़िताओं के नामों का उल्लेख किया . इस प्रकार की गलती वे सन 2007 में भी कर चुके हैं। कभी वे हिन्दुओं को आतंकवादी भी कहते हैं ! बार-बार ज़बान फिसलना आखिर क्या दर्शाता है?

पिछले 65 सालों से तो गुलामी के लिए अभिशप्त हैं ही हम लोग, क्या आगे भी गुलामी ही लिखी है?

http://timesofindia.indiatimes.com/india/Before-Shinde-a-similar-gaffe-by-an-SC-judge/articleshow/18758667.cms