Wednesday, December 29, 2010
देश को ख़तरा है इटालियन गांधियों से -राहुल गांधी , सोनिया गांधी.
घर का भेदी लंका ढाए ।
जिस देश में राहुल गांधी जैसे विभीषण होंगे [wikiLeaks ], उस देश का क्या ख़ाक विकास होगा। जिन्होंने खुद को फिरंगियों की आँखों में चढाने की खातिर अपनी भारत माता से गद्दारी गंवारा की है ।
जिस देश को महात्मा गाँधी , नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , सरदार भगत सिंह और अनेक शहीदों ने अपने खून पसीने से आज़ाद कराया , उसे बेचने के लिए तैयार है , इटालियन गांधी-द्वय।
राहुल गांधी आखिर हैं क्या ? देश का इतिहास भूगोल भी नहीं मालूम और देश का प्रधानमन्त्री बनने का सपना देखते हैं । हमारे देश की अंधी , गुलाम और चापलूस जनता क्या वोट दे देगी ऐसे गद्दार कलयुगी विभीषणों को ? फिर घोटालों पर इतना अफ़सोस क्यूँ ? जैसा बीज बोयेंगे , वैसी ही तो फसल काटेंगे।
हिन्दुओं को आतंकवादी कहकर इन्होने देश के मुह पर चांटा मारा है। अगर भारतीयों में वाकई गैरत है , तो मजबूर कर देना चाहिए इन इटालियन गांधियों को इसाई या फिर इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए। क्यूंकि हिन्दू होकर , अन्य हिन्दुओं का अपमान करना एक गुनाह है।
शक्ति और पवित्रता के प्रतीक जिस भगवा को पहनकर स्वामी विवेकानंद ने अपने ओजमयी भाषण से पूरे हिंदुस्तान को गौरवान्वित किया था। उसी भगवा को ये इटालियन गांधी , भगवा आतंकवाद का नाम दे रहे हैं?
क्या हक है इस विदेशी गांधियों को हमारे देश पर हुकूमत करने का । जो देश की इज्ज़त नहीं करता। जो देशवासियों की आस्था का सम्मान नहीं करता , उसे देश बाहर कर देना चाहिए।
गुलामी , चाटुकारिता तथा खुदगर्जी में जकड़ी मानसिकता के चलते भारतवासी इन मुद्दों पर कुछ कहने से कतराते हैं। तटस्थ रहते हैं। निज विकास के बारे में सोचते हैं , देश के विकास से सरोकार नहीं। तटस्थ रहने वालों को समय माफ़ नहीं करेगा ।
मुझे तटस्थ रहना नहीं आता इसलिए स्पष्ट लिखती हूँ -- देश को ख़तरा हिन्दुओं से नहीं बल्कि इन विदेशी गांधियों से है। इनके नाम के साथ जुड़कर ' गांधी ' शब्द भी शर्मसार हो जाता है।
वन्दे मातरम् !
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68 comments:
भगवा आतंकवाद एक छदम शब्द है जो राजनीतिक कभ के किये कांग्रेस द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा है . राहुल गाँधी और दिग्विजय सिंह की बुद्धि पर तरस आता है .
arerere.....in gandhi-dwya ka apna itihas-bhoogal
kisi se kshipa nahi hai ... bristit adhyan ke liye
mahajal wale suresh bhaijee ke blog par 'nehru-gandhi rajwans' jaroor padhen...
tikhe tewar .... anukarniya
pranam.
हमारे देश की अंधी , गुलाम और चापलूस जनता क्या वोट दे देगी ऐसे गद्दार कलयुगी विभीषणों को ?...bevaak...sateek...jordaar....
सब स्पष्ट है. लोग कब तक खुद को भ्रम में रखेंगे.
धीरे धीरे राष्ट्र जागृत हो जायेगा. परन्तु देर न हो जाये...:(
तीखे तेवर ...
लोकतंत्र होते हुए भी परिवार वाद को पूजा जा रहा है ...कांग्रेस तो जैसे इस परिवार के बिना चल ही नहीं सकती ...
इस देश को खतरा मज़हब के नाम पे सियासत करने वालों से है. और कौन दूध का धुला है?
आदरणीय दिव्या जी आपने सही कहा है कि देश को खतरा हिन्दुओं से नहीं इन इटालियन गांधियों से है...अब तो ये अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिये कहीं भी गिर सकते हैं., कसाब को अमर सिंह कह सकते हैं...इनका पूरा मकसद है किसी भी तरह किसी भी कीमत पर सत्ता की कुर्सी पर राहुल को बिठाना जिसे देश का इतिहास भूगोल कुछ भी नहीं पता...हमारा मीडिया भी इसी कोशिश में लगा है कि किस प्रकार राहुल गांधी की छवि को साफ़ सुथरा बनाए रखे...चापलूसी की हद हो गयी है कांग्रेस में...इनके लिये तो जो कुछ भी है वह सोनिया माता ही है...गांधी परिवार के अलावा इन्हें कोई व्यक्ति दिखाई भी नहीं देता...जैसे कि देश इन गाधियों के बाप की जागीर है...
दिव्याजी,
http://vocaroo.com/?media=vLejoIMHFs0uZ0iBB
speaker on कीजिए और मेरी टिप्प्णी सुनिए।
कडी सार्वजनिक है और कोई भी इसे सुन सकता है।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
आज तो बहुत नाराज़ लग रही हैं आप और होना भी जायज़ है ……………क्या हाल हो रहा है देश का इसे देखकर हर हिन्दुस्तानी ऐसे ही नाराज़ होगा अगर उसे ज़रा भी देश से प्रेम होगा तो………………करारी चोट करता बहुत ही सुन्दर आलेख्। वन्दे मातरम्।
परिश्थिति जन्य , सामयिक , आवश्यकता अनुरूप लिखा गया लेख. सचमुच सही, सटीक, वेवाक, साहसिक लिखा वधाई
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आदरणीय विश्वनाथ जी ,
आपकी टिपण्णी सुनी । बहुत सटीक बात कही है आपने। काश वैसा ही हो जैसा आपने कहा है।
आभार।
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मासूम जी ,
पहले सत्ता में बैठे दीमकों से तो निपट लिया जाये। फिर एक-एक करके बाकि देशद्रोहियों को भी देख लिया जाएगा। आप ज्यादा विचलित मत होइए।
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बहुत सही बात कही है आपने ...यहां तो गांधी परिवार के अतिरिक्त और कोई है ही नहीं देश की कमान संभालने के लिये ...सामयिक विषय पर आपका लेखन एक सुन्दर प्रयास ..बधाई ।
यथार्थप्रस्तुति,धन्यवाद।
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डॉ अनवर जमाल ,
यदि आप अपनी आँख का कीचड हटा कर देखेंगे तो आपको हर स्त्री मेनका की तरह रूपवान और गार्गी की तरह विदुषी ही दिखाई देगी। इसलिए हो सके तो बहनों का सम्मान करना सीखिए। हिन्दू धर्म में भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र रिश्ता होता है।
आपने मुझसे अरविन्द मिश्रा के बारे में राय मांगी थी अपनी पोस्ट पर। उनके बारे में ज्यादा क्या कहना। वो तो महिला ब्लोगर्स को - ' कटही कुतिया ' कहते हैं। शायद इनके खानदान में माँ-बहन को इसी नाम से संबोधित करते होंगे।
और हाँ मुझे उन थाली के बैगानों की तरह मत समझिएगा जो दो-चार टिप्पणियों की खातिर गुटबंदी कर चाटुकारिता में लिप्त रहते हैं।
आभार।
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तटस्थता एक प्रकार की स्व-रक्षा है, एक प्रकार का स्व-अर्थ है.
लेकिन यही सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से छिपा देश-द्रोह भी है.
आपका स्पष्ट लेखन जागरूकता के लिये अच्छा है.
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उम्मीद तो यही की जानी चाहिए की आज नहीं तो कल इस देश की जनता बिहार को केंद्र में दोहराएगी ,
"सच - सच " कह डाला सब कुछ, शानदार लेखन, खुदा खैर बक्शे आपको मैडम जी.
इन दुष्टों को जिन्हें दोस्त बना कर दामन से लिपटाये बैठे हैं, इनको बाहर निकलना होगा.
एक पंक्ति है-
"बेखबर हम आपका घर सजा रहे थे,
आप हमारी नींव से पत्थर हटा रहे थे."
... jay hind !!!
@ आदरणीया बहन दिव्या जी ! आपने जो कीमती और बेबाक राय दी है यह आपके हौसले और स्वाभिमान का परिचायक है । अगर आपने यही टिप्पणी मेरे ब्लाग की उसी पोस्ट पर की होती जिसमें मैंने अन्य लोगों के साथ व बिहारी भाइयों के साथ हो रहे अन्याय पर विचार हेतु आप सभी को आमंत्रित किया था तो दूसरे ब्लागर्स की जानकारी में पूरा संदर्भ रहता ।
अगर आप अब भी अपनी इस राय को वहां सुशोभित कर देंगी तो आपका बड़ा शुक्रगुज़ार होऊंगा ।
आपकी राय मेरे लिए महत्वपूर्ण है और मेरे पाठकों के लिए भी ।
It's a friendly request.
धन्यवाद !
फ़ैले हुए कोढ को इसी तरह चिह्नित करने की आवश्यकता है।
आपका यह आलेख दृढ विश्वास प्रेरित है।
देश के हालात देखकर गुस्सा आना स्वाभाविक है.
dibya ji apne bahut satik hi kaha hai desh yo desh drohiyo ke hath yani nakli gadhiyo ke hath m chala gaya hai ye durbhagya kab dur hoga .bahut-bahut dhanyabad.
देखें कब देश का स्वाभिमान जागृत होता है?
दिव्या जी,
राहुल बाबा के अभी और बहुत से "कारनामे" देश के सामने आना बाकी है…। जिस तरह बदबूदार दिग्विजय सिंह, अज़ीज़ बर्नी नामक कौए की हां में हां मिला रहा है उसे देखते हुए हिन्दू कांग्रेस से और दूर होंगे…
और हाँ…
"मेरी बहन", "मेरी बहन" कहते-कहते एक "सज्जन", अब "मेनका जैसी सुन्दर" भी बताने लगे हैं आपको…। बाकी तो सभी लोग समझदार हैं… आगे क्या कहूं…
देश के हालात देखकर गुस्सा आना स्वाभाविक है.
नव वर्ष की शुभकामनाये ,नया साल आपको खुशियाँ प्रदान करे
जब यह सत्ता से अलग होंगे तब तक दूसरा इनके जैसा ही नयी शक्ल और पार्टी के नाम से सत्ता मैं बैठ चुका होगा. और फिर हम उसके खिलाफ आवाज़ उठा रहे होंगे. कुछ अजीब सा नहीं लगता क्या? धर्म के नाम पे सियासत हिन्दुस्तान की बदकिस्मती है...
वन्दे मातरम...!!
विचारणीय एवं सार्थक पोस्ट...
ईश्वर ऐसे लोगों को सद्बुद्धि प्रदान करें जो देश के अस्मिता से खिलवाड़ की चेष्टा कर रहे हैं|
बहुत बेवाक सच..
आपकी कटुता समझ में आती है परंतु यह भी उतनी बड़ी सच्चाई है कि राजनीति करने वाले और होते हैं और कराने वाले और. आज की राजनीति के पीछे पैसा है.
एक खरब देशवासियों में से एक भी देश का नेता बनने लायक नहीं, इससे बढ़कर दुर्भाग्य किसी देश का और क्या होगा!!!! :(
बिल्कुल सही लिखा आपने।
दुख तो इस बात का है कि जो भी सत्ता में आता है वह वह देश के किसी न किसी महापुरुष के नाम का उपयोग बैसाखी की तरह जरूर करता है।
सुंदर भावनात्मक आलेख ...
1, यदि एक सज्जन द्वारा स्वर्गिक सौंदर्य के प्रतिमान के तौर पर मेनका का नाम लेना आपत्तिजनक है तो कोई दूसरा विकल्प तो सुझाया होता ?
2, ऐतराज करती तो बहन करती लेकिन वो ऐतराज़ करे जो न तो बहन है और न ही ...
3, सजेशन ट्रिक का एक नमूना ?
सच कहा आप ने ,
जब सोनिया गाँधी ईसाई है, उन की लड़की प्रियंका बड़ेरा ईसाई है तो फिर सिर्फ राहुल गाँधी हिन्दू कैसे हो सकते है ????????????????????????????
राजीव गाँधी एक सच्चे हिन्दू थे पर दुनिया की सबसे धूर्त जगह सिसली से आई उन की पत्नी ने न तो कभी हिन्दू धर्म स्वीकार किया और न ही उन के बच्चो ने.अभी २ जी एस्पेक्ट्रम घोटाले में सोनिया की दो बहनों का नाम भी आ रहा है .इनकी दोनों बहनों को १५ -१५ हजार करोण रुपये मिले है ऐसा स्वामी प्रसाद जी का कहना है . उन के अनुसार राजा की जान को खतरा है .क्यों की वही सारे राज जानता है .
उन के अनुसार राजा तो बलि का बकरा है जिसे घोटाले की राशी का सिर्फ १० % मिला ,३०% करूणानिधि और ६०% सोनिया गाँधी डकार गयी है जिस में से इन की प्रत्येक बहन को १५ हजार करोण रूपये मिले है .
घोटाले में नाम आने पर नटवर सिंह और अन्य मुख्यमंत्रियों पर कार्यवाही करने वाली कांग्रेस आखिर इस घोटाले की जाँच के इतना घबराई हुई क्यों है ???????
ऊपर कुछ टिप्पड़िया देखिये .कुछ लोग कैसे मासूम कांग्रेस का पक्ष कैसे ले रहे है और कितनी निराशा जनक बात कर रहे है . आप दूसरे को चोर कर कर अपनी चोरी को जायज नही ठहरा सकते है .
हम भी हेरान होते हे अपने ही भाईयो पर, कोई इन्हे देश की बहू कहता हे, तो कोई युवराज, ओर जनता भी तो हमारी गोरे को देख कर पलके बिछाती हे.... पता नही क्यो? क्या अलग लगा हे इन गोरो मे,जब तक हम लोगो मे स्वाभिमान नही जागताम तब तक यही होता रहेगा, यह राहुल या माईनो अपने आप यहां तह नही पहुचे हमारे ही गद्दार भाईयो ने अपने लाभ के लिये इन्हे यहां पहुचायां हे, इन की जुबान तेज की हे हमे सब से पहले इन गद्दरो से जतना को साबधान करना होगा, वो चाहे किसी भी धर्म के हो, हे तो वो भी भारतिया, ओर जब तक सब मिल कर इन्हे नही हटायेगे, तब तक इन का कोई बाल बांका भी नही कर सकता, पिछले ६३ सालो मे मुस्लिम भाईयो को ,दलित लोगो को, आदि वासी लोगो को,ओर अन्य अल्प मत लोगो को इस सरकार ने क्या दिया, यह उन लोगो से पूछा जाये जिन के वोट ले कर यह बनते हे, वो अब सब अपने अपने वॊट डाले ओर इन्हे हटाये.तभी बात बने गी, वर्ना हम युःई चिल्लते रहेगे, जलते रहेगे.
धन्यवाद इस अति सुंदर लेख के लिये
दिव्या जी सबसे पहले तो कान बिना पकड़े माफी.....क्योंकी मैं कान तो तब पकडूं जब हाथ न जोडे़ हों..साष्टांग की मुद्रा में हुं.......इस बार पोस्ट लिखने के एक दिन बाद आया हूं सो शिकायत का मौका आपको नहीं मिलेगा। दरअसल सही में इतना व्यस्त होने लगा था कि टिप्पणी नहीं कर पा रहा था। विचारों के वंवडर में फंसा हुआ था औऱ कुछ जरुरी समाजिक कार्यों में भी। हां आपकी पोस्ट जरुर पढ़ रहा था। वैसे भी आप इतना तेजी से लिखती हैं कि उतनी तेजी से मैं नेट पर भी नहीं आ पाता। पर इधर अपनी पोस्ट के साथ ही नेट पर आ रहा था। इधर इतना कुछ बीता की लिखने को लगता कभी कि एक ही दिन में तीन चार पोस्ट लिख दूं, पर कुछ पेशेगत कारण का ध्यान रख कर न लिख पाया। सिर्फ पेशेगत कारण कुछ महीने बाद ही स्पष्ट कर पाउंगा।
2-अब आपकी आज की पोस्ट........पोस्ट में सीधे वही विचार हैं जो एक सच्चे भारतीय के दिल में सीधे उतरते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि देश को इससे इतर होकर सोचना होगा। राजनीतिक तौर पर देश जागा हुआ है। मगर मुश्किल ये है कि देश की अस्सी फीसदी जनता रोटी रोजी से आगे कुछ कर नहीं पा रही सो राजनीतिक स्थिती बिगड़ी हुई है। देखा जाए तो प्रशासनिक विफलता औऱ राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव ने देश को इस हालात में खड़ा कर दिया है कि एक तरफ भगवा को आतंक से जोडा़ जा रहा है दूसरी तरफ अपने ही गंगा के तट पर खड़ा होने में मुश्किल होती जा रही है। और इसके कारणों को पैदा करने वाले के साथ हमदर्दी जताई जा रही है। इनका बस चले तो तो देश के झंडे से भी भगवा रंग मिटवा दें।
3-जमाल साहब की पोस्ट भी पढ़ी.....मगर शायद वो खुद अंतर्विरोध में हैं। खुद नहीं जानते की भारतीय सभ्यता क्या है। भारत की सभ्यता इनके हिसाब से एक हजार साल पहले शुरु हई थी।
जिस शख्स को बहन औऱ अप्सरा मेनका के अंतर का पता नहीं वो क्या जाने भारत की सभ्यता.....औऱ उसके सरोकार। लानत है ऐसी सोच और ऐसी समझ पर।
गज्जब !
विचारणीय एवं सार्थक पोस्ट| देश के हालात देखकर गुस्सा आना स्वाभाविक है| धन्यवाद|
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काफी धारदार टिप्पणी है अभिषेक1502 की. राज भाटिया ने भी युक्तियुक्त बात की, पसंद आयी. पत्रकार रोहित जी भी इस सभा में आकर बैठ गये हैं. उनके विचार मुझे अपने से लगे.
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sahi kha aapne.....
दर्पण से परिचय
बिल्कुल सही लिखा आपने। शर्म तो तब और बढ जाती है जब कांग्रेसी उनके पावों तले बिछ जाते है.बस किसी भव्य सोनिया एन्तानियो माईनों मंदिर का अब इंतजार है. अगर ६० सालों में भारत जैसा बनाना चाहिए वैसा नहीं बन पाया तो इसके पीछे कांग्रेस ही है .गरीब के घर में दो रोटी किसी युवराज के खा लेने से उसकी गरीबी नहीं चली जाती.......देशवासियों तालियाँ अब सम्हलकर बजाओ.
आपको ये पोस्ट याद है दिव्या जी ???? http://zealzen.blogspot.com/2010/09/blog-post_28.html
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शेखर सुमन जी,
व्यक्ति का मूल्यांकन कभी आखिरी नहीं होता. वह तथ्यों के सामने आते ही बदल भी जाया करता है.
यही तो स्वयं की जागरूकता है. शायद कल कुछ और बातें पता चलें और उसकी झलक मात्र से उस व्यक्ति से घृणा ही हो जाये.
मेरी भी उसमें एक टिप्पणी थी. लेकिन विषयांतर थी, वह केवल पोस्ट में शरीक होने के लिये थी.
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@ शेखर सुमन -
आपकी बचकानी शिकायत के लिए आपको इतना बता दूँ की भूतकाल में जीना मूर्खता है। समय के साथ लेख लिखे जाते हैं और समय के साथ जो चलते हैं वही आगे बढ़ते हैं।
एक समय था जब राहुल गांधी में लोगों में उम्मीद दिख रही थी। आज उनके मुर्खता पूर्ण वक्तव्य देखकर इस लेख को लिखने की आवश्यकता पड़ी । आप भी समय के साथ चलिए।
कम से कम आपकी तरह तो नहीं हूँ, जिन्हें फरक नहीं पड़ता देश के गद्दार क्या वक्तव्य दे रहे हैं।
आप तो बस गूगल से तस्वीर उठाकर पहेलियाँ बुझाने में व्यस्त रहते हैं।
मुझे लगता था इन्जिनीरिंग करके आप थोड़े व्यस्क हो जायेंगे । लेकिन नहीं, आप जैसे लोग कभी बड़े नहीं होते। जिंदगी भर गुड्डे-गुडिया से खेलने लायक हैं।
भविष्य में मुझे मेरे द्वारा लिखे हुए लेख याद दिलाने की जरूरत नहीं है।
और ना ही ये याद दिलाईयेगा की मैं बचपन में पापा की गोदी में सुसु करती थी।
आभार।
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प्रतुल जी ,
शेखर के साथ माथा फोड़ना मुर्खता है । कुछ लोग कभी भी ढंग की बात नहीं कर पाते। ये लोग इसी फिराक में लगे रहते हैं की कैसी किसी को नीचा दिखायें।
इनके पास देशद्रोहियों के सन्दर्भ में लिखने को कुछ नहीं है। ये तो बस साथी ब्लोगर्स को नीचा दिखाना जानते हैं। इनके जैसी मानसिकता वालों के लिए कौन सी बूस्टर डोज़ देनी है , मुझे पता है। बहुत जल्दी इसका मर्ज ठीक हो जाएगा।
अब तक इसको बहुत बर्दाश्त किया है, अब और नहीं।
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NAYA SAAL 2011 CARD 4 U
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
डॉ अनवर जमाल ,
मैंने तो अपनी आपत्ति अपनी पहली टिपण्णी में ही आपको संबोधित करके, दर्ज करा दी थी। लेकिन अब थोड़ा विस्तार दूंगी दुबारा।
१--सौन्दर्य के प्रतिमान में आपने मेनका के नाम उल्ल्लेख किया , जिसके लिए आपत्ति शायद मेनका को होनी चाहिए। मुझे नहीं। मेनका निसंदेह रूपवान थी। न तो मैं मेनका की तरह रूपवान हूँ, और ना ही गार्गी की तरह विदुषी।
२-- मुझे आपति इस बात की है आपने मेरी तुलना किसी देशभक्त से क्यूँ नहीं की । सुंदरियों से मेरा क्या वास्ता ?
३-- मेरे लेख पर सौन्दर्य प्रतियोगिता नहीं हो रही है , इसलिए सौन्दर्य का अनावश्यक जिक्र क्यूँ किया गया।
४- भारत में विश्व-बंधुत्व है, इसलिए आप हों या कोई और हो , वो भाई सामान ही है। इसके लिए किसी को मेरे नाम के आगे बहिन लगाकर मेरा रिश्तेदार बनने की आवश्यकता नहीं है।
५-यहाँ ब्लॉग जगत पेट्रोल की तरह उड़नशील [ Volatile] बहुत से भाई- भतीजे मिले। रिश्ता निभाना किसी को नहीं आता। एक-एक टिपण्णी पर ईमान बिकते देखा है यहाँ दोस्तों और भाइयों का। इसलिए घिन आती है मुझे इन झूठे दिखावों से।
६- आपने मुझसे निवेदन किया है की मैं अपनी टिपण्णी आपकी पोस्ट पर लिखूं। तो मैं खेद के साथ आपका निवेदन अस्वीकार करती हूँ। हर शब्द की अपनी गरिमा होती है और वो सही जगह पर ही होनी चाहिए।
यदि आपकी पोस्ट पर कुछ लिखूंगी तो चारा चरने वाले और चारा घोटाले वालों का हुजूम लग जायेगा। ब्लॉग जगत में ईर्ष्याग्रस्त होकर गाली देने वालों की कमी नहीं है।
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डॉ अनवर जमाल ,
आपने अपने ब्लॉग पर जो पोस्ट मेरे नाम के साथ लगाई है , उसे हटा लीजिये । मुझे आपत्ति है उस पर।
हाँ आपके जो प्रश्न हैं, वो आप यहाँ पूछ सकते हैं । मर्यादित तरीके से पूछेंगे तो अवश्य उत्तर दूंगी।
अमरेन्द्र त्रिपाठी की तरह बचकानी हरकतें मत कीजिये। अब तक बेचारा तीन पोस्टें मेरे खिलाफ लगाकर पोपुलर होने की जद्दोजहद में लगा हुआ है।
उसके जैसे हिंदी के शोधार्थी साहित्य की सेवा तो करते नहीं , हाँ समाज में किसी पराई, अनजानी स्त्री का जीना जरूर दूभर कर देते हैं। शर्म आती है ऐसे लोगों को हिंदी का शोध छात्र कहने में।
उम्मीद है आप उदारता के साथ मेरी बातों को समझेंगे।
धन्यवाद।
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चलिए कुछ बातें राहुल गांधी जी के बारे में की जाएँ।
भारतवर्ष में शिक्षा की बहुत कद्र की जाती है इसलिए राहुल गांधी स्वयं को हार्वर्ड university से पढ़ा हुआ बता कर आम जनता को धोखे में रखना चाहते हैं । लेकिन उन्होंने तो वहां से कोई डिग्री ली ही नहीं। राजीव गांधी द्वारा दिए गए donation के तहत उन्हें डोनर कोटा में admission मिला था , उनके grades के आधार पर नहीं। फिर तीन महीनों के अन्दर उन्हें , उनकी poor performance देखकर बाहर का रास्ता दिखा भी दिया गया था।
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भारत के कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं हो सकता जब तक की वो दुसरे देश की नागरिकता त्याग ना दे । लेकिन राहुल के जन्म के समय सन १९७० में सोनिया गांधी इटली की नागरिक थीं , और वहीँ जन्मे राहुल भी इटली के नागरिक हैं।
भारतीय नागरिक होने के लिए इन्हें अपनी इटली की नागरिकता त्याग देनी चाहिए , जो इन्होने नहीं किया । न ही करना चाहते हैं। क्यूंकि ये तो इटली की नागरिकता का भरपूर इस्तेमाल करते हैं और इनके पासपोर्ट पर -
" Rahul Vinci " लिखा है , न की Rahul Gandhi।
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Rahul जी हिंदी-भाषी उत्तर प्रदेश को represent करना चाहते हैं। जो हिंदी की परीक्षा तक नहीं पास कर पाए।
अफ़सोस है की वो गरीब भोली जनता को अपनी बोली से emotional blackmail करना चाहते हैं। वो गरीब जनता, जो wikileaks और इनकी बयानबाजियों से पूर्णतया अनभिज्ञ है।
विदेशियों और Ambessedors के साथ dinner करके इनको ये अधिकार मिल गया की ये हिन्दुओं को आतंकवादी कहें ? हिन्दुओं से देश को ख़तरा है ?
अरे तो जाओ भाई , इटली में रहो - पाकिस्तान में रहो । सुरक्षित रहो । आबाद रहो ।
हम भारतवासियों को तो स्वाभिमान के साथ जीने दो।
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विदेशी हमारे देश में आकर राज तो कर सकते हैं, लेकिन उनके खून में देशभक्ति नहीं आ सकती।
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देशी और विदेशी के मध्य पहचान बहुत जरूरी है।
ये लोग देश को बेच कर खाएं , इससे पहले इन्हें उखाड़ फेंकना जरूरी है।
अरविन्द जांगिड जी की बेहतरीन पंक्तियाँ दुबारा लिख रही हूँ---
"बेखबर हम आपका घर सजा रहे थे,
आप हमारी नींव से पत्थर हटा रहे थे."
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बहुत अच्छी पोस्ट ...आपका ये रूप पहली बार देखा ....१ सांस मै लेख और टिपण्णी पढ़ गयी ...
वाकई मे देश को बाट कर , एक वर्ग विशेष को लम्बे समय से वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करनेवाले secular बने हुए है , बहुत अजीब लगता है जब बुजुर्ग कांग्रसी नेता राहुल गाँधी के सामने बिछे हुए नज़र आते हैं .....
और हिन्दुतत्व की बात भी करने वाले को हिन्दुस्थान मे " भगवा आतंकवाद " का नाम दिया जा रहा हा है
आपको नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये....
INDIA IS BADLY IN NEED OF HONEST RULERS WHO CAN REALLY TURN-AROUND, NOT THOSE WHO TURN COUNTRY UPSIDE DOWN !!
divya ji naskaar ,
bhut achha or dhardaar likha ,sadhuvad aap ko ,
ye vdeshi namoone is desh kilootiya oobo denge
आप तो बस गूगल से तस्वीर उठाकर पहेलियाँ बुझाने में व्यस्त रहते हैं।
:)
aatankwad to hai . dono type ke aatankawad hain. bas dekhne ki ki baat hai. aankhe band karane par sirf andhakar hi mahsoos hota hai, aur ak aankh kholane par sir ak taraf hi dikhata hai. jarurat hai dono aakhe kholne ki. jin logon ko Rahul gandhi ke kahe gaye baaton se aitaraz hai yadi wo muslim hote aur unhe kisi bekary ya eet ke bhatthe me koi hindu dal deta ya yogi aadityanath ke gadh me chala jata to sayad usako hindu aatankwad ke bare me pata chalata.
LOGOO KI AANKHE KHOLNE WALA LEKH HAI YE. . .AGAR JANTA JAGRUK HAI TO DES KI TARKKI SANBHV HAI. . . . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
LOGOO KI AANKHE KHOLNE WALA LEKH HAI YE. . .AGAR JANTA JAGRUK HAI TO DES KI TARKKI SANBHV HAI. . . . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
ZEAL ji, aap ki trah to mujhe hundi nahi aati magar aapne bahoot acha likha hai
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज ३ जून, २०१३ के ब्लॉग बुलेटिन - भूली कहावतें पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
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