Friday, May 4, 2012

फिरदौस खान का थप्पड़ , अश्लीलता के पुजारियों के मुंह पर.

हमारा एक सवाल...
इंडिया टुडे में प्रकाशित कवर स्टोरी और इसकी तस्वीर का समर्थन करने वाले इंडिया टुडे के अगले अंक के लिए अपनी मां, बहन या बेटी की 'ऐसी' तस्वीर भेजेंगे...?

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अश्लीलता के पुजारी हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति का गला बेदर्दी से घोंट रहे हैं। पहले तो फूहड़ता से फिल्म इंडस्ट्री चलती थी केवल , लेकिन अब इस फूहड़ता ने ब्लॉग-जगत को भी संक्रमित कर दिया है। नारी को इंसान समझकर , प्रोडक्ट की तरह नुमाईश करते पत्र-पत्रिका और कुछ ब्लॉग अत्यंत घ्रणित कार्य कर रहे हैं।

ऐसे लोग अश्लीलता परोसने के बहाने ढूंढते रहते हैं। कभी अरूंधती राय की गिलानी के साथ न्यूड तस्वीर को कला के नाम पर समर्थन देखर तो कभी इंडिया टुडे की अभद्र तस्वीर को तुरुप का पत्ता बनाकर , अपने ब्लॉग की दूकान चलाते हैं।

धन्य हैं ऐसी घिनौनी मानसिकता वाले जो स्त्री का पग-पग पर अपमान करते हैं। ऐसे लोग ही समाज में विकृत मानसिकता को जन्म देते हैं। युवाओं को गलत दिशा में भटकाते हैं

जिस देश में नारायण दत्त तिवारी, मदेरणा और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे 'डर्टी' लोग सत्ता में होंगे वहाँ तो 'डर्टी-फिल्में' ही राष्टीय पुरस्कार की हक़दार होंगी।

शर्म आती है विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियों पर जो चंद पैसों और सस्ती-शोहरत के लिए अपना जिस्म बेच रही हैं।

ऐसा ही कर रही है एक और महिला ब्लॉगर जो अश्लील साहित्य लिखने वाले ब्लौगरों के समर्थन में फिरदौस के एक वाजिब और अहम् सवाल का विरोध कर रही है। शर्म आनी चाहिए इस महिला को जो स्त्रियों की अस्मिता की रक्षा के लिए नहीं लडती बल्कि जहाँ देखो वहीँ, स्त्रियों के खिलाफ ही लडती है। यह महिला विषय से भटकाकर, व्यक्ति के विरोध में उतर आती है।

हमें पूरी ताकत से इस अश्लीलता और फूहड़पन का विरोध करना है। और स्त्री के सम्मान की रक्षा करने के साथ-साथ अपनी संस्कृति को भी बचाए रखना है।

जो भी पुरुष अपने मन को चंगा बताकर स्त्रियों की आपत्तिजनक तस्वीर लागायेगा कहीं भी , वहीँ पर उसकी माँ-बहन और बेटी की तस्वीर उसी दशा में लगाई जानी चाहिए, फिर देखेंगे इनके चंगे-मन का भूत कितनी जल्दी उतरेगा।


Zeal


10 comments:

Prabodh Kumar Govil said...

aapka mukhar aakrosh ham sab ka aakrosh hai. jab tak kalam, aawaz aur chappalen aisi mansikta par lagataar nahin padenge, tab tak ye 'kuchh log' dimag ki usi awastha me rahenge, jisme aadimaanav tha.

मुकेश पाण्डेय चन्दन said...

sahi kaha aapne !
jin logo me khud ka dimag, vichar nhi hote we hi is tarah ke sadhno ka sahra lete hai. warna agar aapki baton me dam hai to use bina mirch mashale ke hi lokpriyta milegi. is tarah se to bas char comment char din ko hi mil payenge .

मुकेश पाण्डेय चन्दन said...

मैं आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ .

शूरवीर रावत said...

सच कहा आपने. सत्ता और शासन में अधिकांश दुर्योधन और दुशासन ही बैठे हैं. वे जो कर रहे हैं उसे प्रचारित भी कर रहे हैं. प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया उनके दरबार में रात दिन हाजिरी बजाते हैं उनके चारण बने बैठे हैं. क्या करें. आम आदमी लाचार हैं.

Unknown said...

बहुत ही सार्थक और ज्वलंत मामला उठाया आपने
बधाई........
नि:संदेह नग्नता अच्छी नहीं है सभी समाज में . नारी देह के नग्न फोटो अथवा कलेंडर एक कलंक की भान्ति है परन्तु दोष क्या पुरुष ही हैं, क्या ये फोटो ज़बर्दस्ती अथवा लुक छिप कर खींचे जाते हैं.........नहीं जी नहीं, बाकायदा कीमत लेकर अपनी देह बेचने वाली उन कलेंडरी युवतियों को क्यों नहीं कटघरे में खड़ा करतीं आप ? दोषी वे भी तो हैं...........जय हिन्द

ZEAL said...

अलबेला जी ,
समय-समय पर बहुतेरी पोस्टें महिलाओं के गिरते स्तर पर भी लिखी हैं और आने वाले समय में भी लिखी जायेंगीं। एक ही साथ , एक ही आलेख में बहुत से मुद्दों का समावेश संभव नहीं है। नीचे एक लिंक दे रही हूँ...कृपया जांच लें , की स्त्रियों द्वारा की जा रही अभद्रता के खिलाफ भी बहुत बार लिखा है मैंने....

राखी सावंत,
मल्लिका शेरावत,
बिपाशा,
एकता कपूर,
पूनम पांडे

...आदि महिलाओं की अश्लीलता का घोर विरोध किया है।

यदि आप ध्यान दें तो इस पोस्ट पर भी मैंने 'विद्या बालन' की निंदा ही की है।

सरस्वती माँ की कृपा से , इस लेखनी द्वारा कभी पक्षपात नहीं होने दूँगी। स्त्री हो अथवा पुरुष, अनैतिक आचरण के विरुद्ध सदैव लिखती रहूंगी।

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एक खूबसूरत महिला का आतंक-भारतीय संस्कृति की चिता मत जलाईये।
http://zealzen.blogspot.in/2010/10/hiss.html

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शोहरत की लालच में स्त्री की अस्मिता को शर्मसार करती पूनम पाण्डेय

http://zealzen.blogspot.in/2011/04/blog-post_09.html

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आभार।

दिवस said...

इण्डिया टुडे के इस कवर पेज को अपने ब्लॉग पर लगाने पर मैंने उस ब्लॉगर से यही सवाल पूछा था कि यदि इसमें कोई खराबी नहीं है तो ऐसी ही तस्वीर अपनी माँ-बहन-बेटियों की कब छपवा रहे हो? इण्डिया टुडे ख़ुशी-ख़ुशी छाप देगा। परन्तु मेरी टिप्पणी मॉडरेट कर दी गयी।
जाहिर है इन महानुभाव को दुसरे की बहन-बेटियों का जिस्म निहारने में तो बड़ा मजा आता है किन्तु अपनी बहन-बेटियों को निहारने से सभी को वंचित रखना चाहते हैं। इनसे घटिया कौन होगा?
वहीँ दूसरी मोहतरमा द्वारा इनके पक्ष में खड़े होना अत्यंत खेदजनक है। हद होती है किसी बात की। ऐसे सवाल कभी किसी के पारिवारिक सदस्य का अपमान नहीं करते। फिरदौस खान द्वारा कहीं किसी माँ-बहन का न तो कोई अपमान किया गया है और न ही कोई लांछन लगाया गया। फिर भी ठरकियों का इस प्रकार बचाव एक घृणित अपराध है। वह भी किसी महिला द्वारा तो और भी घटिया। इन्हें अपने स्त्रीत्व की लाज के विषय में सोचना होगा। ठरकियों से तो संसार भरा पडा है। दम है तो उनका विरोध करो न कि उनकी जी-हुजूरी। ऐसा कर वे स्त्री धर्म का अपमान कर रही हैं। आपने सही कहा कि श्रम अणि चाहिए इस महिला को जो स्त्रियों की अस्मिता की रक्षा के लिए नहीं लडती, बल्कि जहां देखो वहीँ स्त्रियों के खिलाफ ही लडती हैं।

Unknown said...

imaandaari ki apeksha kalamkaar se rahti hi hai divyaji,

maine vo sab nahin padha tha isliye aisa kaha

aapka dhnyavaad

दिगम्बर नासवा said...

सहमत पूरी तरह से आपकी पोस्ट से ...

vandana gupta said...

्पूरी तरह सहमत