एक पति की व्यथा। बहुत कुछ करना चाहता है वो अपनी पत्नी के लिए। लेकिन खुद को असमर्थ पा रहा है। पत्नी से दूर परदेस में नौकरी कर रहा 'मानव' , अपनी पत्नी के सभी स्वप्न पूरे करना चाहता है। वो अपनी पत्नी 'माही' के दुखों को समझता है। वो जानता है माही बेसब्री से उसकी प्रतीक्षा कर रही है। साथ मिलकर जीने- मरने की कसमें खाने वाले इस दम्पति ने साथ-साथ बहुत कुछ करने की भी कसमें खायी हैं।
गावं में रह रही 'माही' के पास यूँ तो बहुत काम था , लेकिन वो कुछ सकारात्मक करके अपने पति की सही अर्थों में सहचरी बनना चाहती थी। वो जो भी नया सोचती , उसे अपने पति के सहयोग की आवश्यकता पड़ती। वो मानव से इस विषय पर बात करती, उससे पूछती, कब आओगे? लेकिन मानव का यही जवाब होता -- " जल्दी आऊंगा, तुम्हारे पलकों में पल रहे हर स्वप्न को पूरा करूंगा "
माही फिर इंतज़ार और आशा में अपने घर के काम में व्यस्त हो जाती। मुंह झलफले गायों को चारा डालती , झाडू- बुहारू करके , घर के लोगों के उठने से पहले ही रसोयीं संभाल लेती। हांडी में दाल पकती रहती और उससे उठ रही सोंधी खुशबू के साथ ही परवान चढ़ते माही की आँखों के सपने।
हांडी रोज चढ़ती रही और उतरती रही , लेकिन उसका इंतज़ार ख़तम नहीं हो रहा था। उधर मानव भी बहुत बेबस था। अपनी माही से मिलने के लिए जार-बेजार होकर तड़पता था। डरता था कहीं माही उसे गलत न समझ ले। हर ख़त में उसे धीरज बंधाता , हौसला और विश्वास बनाये रखने को कहता। कभी-कभी माही के आसुओं से भीगे पत्र उसे बहुत विचलित कर देते तो कभी असहज।
माहि भी अपने पूरे संयम के साथ पति का इंतज़ार कर रही थी। कोशिश करती थी उसकी चिट्ठियों में उसकी बेचैनी न झलके। क्यूंकि जब वो कमज़ोर पड़ती थी, तो मानव के मन में अपराध-बोध बढ़ जाता था और यदि वह मज़बूत बनती थी तो मानव को लगता था वो दूर जा रही थी। लेकिन सच तो ये था की माही अपने पति को इतना विवश नहीं देखना चाहती थी। वो चाहती थी की मानव उसके लिए ज्यादा परेशान न रहा करे। वो उसकी बेबसी को समझती थी। परदेस में पड़े पति की चिंता उसे सताती थी, वो उसपर और बोझ नहीं डालना चाहती थी।
इसलिए अक्सर चुप ही रह जाती थी। पर माही की चुप्पी से मानव घबरा जाता था। उसे लगता था की उसकी पत्नी उसकी विवशता को नहीं समझ रही है, उस पर अविश्वास कर रही है। उससे अपने मन की बातें नहीं कहती है, शायद दूर जा रही है...
लेकिन माही सब जानती थी। अपने पति के 'प्रेम' पर उसे अटल विश्वास है। वो जानती है उसका पति आएगा, जल्दी ही आएगा , उसके सपनों को पूरा करने।
उसके मन का इंतज़ार बरबस ही बढ़ता जा रहा था। दाल की हांडी में उफान आने से चूल्हे की लकड़ियों में आंच कुछ धीमी हो गयी। माही नें फूंक मारकर उसे पुनः सुलगाने की कोशिश की । इस प्रयास में आग की लपटें प्रचंड हो गयीं और चूल्हे से उठते धुएं ने उसकी आँखों को गीला कर दिया।
दाल में उफान जारी था , लेकिन माही तो अपने मानव के साथ उस पवित्र अग्नि की लपटों के गिर्द अपने पवित्र प्रेम के फेरे ले रही थी.......आखें बंद थीं और इंतज़ार की मिठास उसके होठों पर त़िर आई थी...
Zeal
17 comments:
वही अग्नि नित साक्षी रहती हैं..
भावना, प्रेम और समझदारी का अच्छा समिश्रण लिए बढ़िया लघु कथा !
TRUST is a big thing in a relation and those who have trust on each other go a long long way and live a happy life together
all the best to mahi and i am sure her hubby will come home in her arms sooon
Bikram's
एक दूसरे को समझ कर चलेंगे तो ही जीवन में खुशियाँ आयेंगी |अच्छी रचना ...बधाई
भावुक !!!
माही-मानव , दोनों ही दूर हैं एक दुसरे से। दोनों एक दुसरे के लिए कुछ करना चाहते हैं। एक दुसरे के सपनों को पूरा करना चाहते हैं। दोनों में इच्छाशक्ति है। तो कुछ भी अनर्थ नहीं होगा। वे दोनों जो चाहते हैं कर के रहेंगे। पति-पत्नी एक दुसरे के सहचर ही होते हैं। कोई किसी पर बोझ नहीं होता। अपने प्रिय के लिए कुछ करना ख़ुशी देता है, भार नहीं।
ये क्या कम है जो जीवन के इस कठिन दौर में ये दोनों एक-दुसरे का सहारा बने हुए हैं। विशेषकर माही, जिस शिद्दत से वह अपने मानव का इंतज़ार कर रही है, पलकें बिछाए बैठी है, मानव को उसकी पीड़ा समझनी चाहिए। शायद मानव समझता भी हो, इसिलए अपराधबोध में जल रहा है। शायद माही को वह सब न दे पाने की पीड़ा भी उसके मन में हो जो वह चाहती है।
जो भी हो, ये दोनों परिस्थितियों पर विजय भी पा जाएंगे। हाँ कई बार समय लगता है। मानव को भी अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी।
बस यही कहा जा सकता है, एक-दुसरे पर विश्वास बनाए रखें, प्रयास चरम पर रखें, एक-दुसरे को समझे और साथ-साथ चलते रहें।
ईश्वर माही-मानव का साथ बनाए रखे।
बस दोनों एक दूसरे का सहारा बने रहें, एक दूसरे की ताकत बनें, एक दूसरे पर अपने विश्वास की मोहर लगाएं, साथ निबाएं, तो यह कठिन समय देखते-देखते निकल जाएगा, अन्यथा इंतज़ार की ये घड़ियाँ काटना दोनों के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।
typical,sweet Indian wife.........
nice writing.
anu
प्रसाद शैली की घोर साहित्यिक कथा...
अब इस विलुप्त शैली के दर्शन दुर्लभ हैं....
बहुत कम सृजनधर्मी अपने कोमलतम भावों को इस कदर व्यक्त कर पाते हैं.
आनंद आया... पढ़कर.
बहुत बहुत सुंदर........
सकारात्मक अंत लिए अच्छी कहानी।
आपकी कहानियों का कथ्य और शिल्प दोनों ही लीक से हटकर होते हैं।
घर से दूर रहकर नौकरी कर रहे पति और पति से दूर घर पर रह रही पत्नी के मन की व्यथा को रेखांकित करती कहानी....
पत्नी के मन की व्यथा को व्यक्त करती सकारात्मक कहानी...
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
सार्थक और उद्देश्यपूर्ण कहानी.
पारस्परिक विश्वास कभी हताश नहीं होने देता
खुबसूरत कथन और कथ्य लिए तथा सुन्दर भाव भरी प्रेम कथा के लिए बधाई स्वीकारें
ऐसे इंतज़ार में विश्वास के नीचे अविश्वास की लहरें उठने लगती है. कोई होता है जो अग्नि को साक्षी बना कर चलता रहता है और 'इंतज़ार की मिठास' उसके होठों पर बनी रहती है. बहुत कठिन परिस्थिति. कहानी की शैली में आपकी छाप है. बहुत खूब.
very touching...nice
पापी पेट जो न कराये
पति पत्नी को विलगाये
पिता को परिवार से
बीरबानो को पिता के
स्नेह से वंचित कर
बयाबान घर बनाये
सशक्त सम्प्रेषण
सादर
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