कसम खाने के लिए हमने भी दिवाली के अवसर सफाई की कुछ । बहुत मेहनत के बाद भी कुछ ख़ास अंतर नहीं दिखाई दिया। हमने सोचा चलो फ्रिज ही साफ़ कर लेते हैं। पुनः जुट गए सफाई अभियान में। सफाई भी हो रही थी , और कुछ चीजें खा-खा कर निपटाते भी जा रहे थे। मेरी फ्रिज तकरीबन साफ़ हो चुकी थी की तभी एक सफाई-प्रेमी , बड़ी बहन का फ़ोन आ गया । उनसे पूछा क्या समाचार है, तो पता चला लखनऊ में ठण्ड काफी पड़ रही है । और डेंगू ने भी त्रस्त कर रखा है। अरे भाई, डेंगू तो दिल्ली वालों की बपौती है, ये मच्छर का क्या काम नजाकत और नफासत के शहर लखनऊ में। खून पीने को कोई और जगह नहीं है क्या।
दिवाली सफाई से नगर-निगम वालों की याद आई। बहुत बेशरम हो गए हैं ये लोग। देश को गन्दगी से भर रखा है। सिर्फ तनख्वाह लेते रहते हैं। काम कुछ नहीं। कहीं सीवर चोक पड़ा है, तो कहीं दुनिया जहान की गन्दगी उड़-उड़ कर पुरे गली सड़क को रंगीन कर रही है।
कल न्यूज़ में देखा तो गंगा-तट पर बेशुमार गन्दगी का ढेर लगा हुआ है । अब अपने पाप की गठरी धोने कहाँ डुबकी लागाएं हम ? पाप तो धुल जायेंगे , लेकिन दो-चार संक्रामक रोग गले पड़ जायेंगे।
जब हम छोटे थे तो गली मोहल्ले में मच्छर मारने के लिए नाली आदि में दवा का छिडकाव होता था। सर्फेस -टेंशन से मच्छर महोदय डूब जाया करते थे । फिर शुरू हुआ "फौगिंग" से मच्छर मारने का उपक्रम । लेकिन वो भी तब होगा जब कोई महान आत्मा हमारे गाँव आएगी।
एक बार राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ग्वालियर आये तो पुरे शहर में झाडू लगवाई नगर-निगम ने। अब ' ओबामा' आ रहे हैं मुंबई में, बेचारों पर काफी प्रेशर होगा सफाई का। अरे कोई नेता या नेत्री हमारे गाँव भी आ जाती तो हम गरीबों का भी कल्याण हो जाता । माया बहन तो पत्थरों में जीवन तलाश रही हैं। चिदंबरम जी, गिलानी जी, अरुंधती जी, कोई तो आओ लखनऊ। झाड़ू तो लगे।
गए वो ज़माने जब कहते थे -- " मुस्कुराइए की आप लखनऊ में है " । अजी जनाब अब तो हमारे शहर आइयेगा तो रुमाल नाक पर रख लीजियेगा। नगर-निगम व्यवस्था डेंगू से ग्रस्त है यहाँ।
" अंधेर नगरी, चौपट माया बहन "
---------------------------------------------------------------------------------
डेंगू और एडीज -
डेंगू बुखार , डेंगू- वाइरस से होता है जो एडीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। इसके मुख्य लक्षण हैं - त्वचा में रैशेज़ , तेज़ बुखार, [७ दिन], पेट में दर्द , मितली आना, भूख न लगना , सर में दर्द, जोड़ों में तीव्र दर्द [इसे हड्डी-तोड़ बुखार ]- 'breakbone fever' भी कहते हैं।
इस रोग में प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम हो जाती है । प्लेटलेट्स में उपस्थित प्रोटीन रक्त में थक्का जमाने का कार्य करते हैं। अतः प्लेटलेट्स की कमी होने के कारण खून जमने की प्रक्रिया न होने से बहुत रक्तस्राव हो जाता है। यह रक्तस्राव आँख, नाक, कान, आँख तथा त्वचा से भी हो सकता है।
शरीर से फ्लुइड लॉस तथा रक्तस्राव अधिक हो जाने के कारण, रक्त चाप बहुत कम हो जाता है , जिसके कारण डेंगू-शौक -सिंड्रोम होता है तथा मरीज की मृत्यु होने की संभावना होती है।
इसकी जांच तथा डैगनोसिस बनने में ४८ घंटे लग जाते हैं, तथा तकरीबन दो-हज़ार रूपए लगते हैं ।
इससे बचने के लिए अभी तक कोई सुरक्षित वैक्सीन नहीं बनी है लेकिन वैज्ञानिक प्रयासरत हैं इस दिशा में ।
उपचार--
१- Oral re-hydration
२- Platelet transfusion. [when platelet count drops below 20,000].
३- Avoid Aspirin and NSAID
4- Paracetamol can be taken to check fever।
5- Hospitalization for intravenous fluid supplementation.
Do not take this disease lightly.
हाँ तो भैया नगर-निगम वालों , सफाई करवा दो । नौकरी और ईमान के नाम पर न सही तो कम से कम दिवाली की सफाई के नाम पर ही करवा दो।
नोट- कोई ब्लोगर यदि नगर निगम में कार्यरत हो तो उससे अग्रिम माफ़ी।
76 comments:
बहोत अच्छा लिखा है आपने
मेरे शहर कानपुर में तो डेंगू ने ऐसे पांव फैलाये है की अस्पतालों में एक बेड पर दो -दो लोग लेटे हुए है . गन्दगी और बजबजाती नालियों ने जीना नरक कर दिया है .नगर निगम में भ्रस्टाचार चरम पर है किसी को फुर्सत नहीं है की वो शहर के नागरिको के बारे में सोचे . रही बात गंगा में पाप धोने की तो कानपुर में चमड़ा फैक्ट्रियो से निकला क्रोमियम जो पता नहीं कितने रोगों का वाहक है , गंगा में पाप की तरह घुल गया है .
अब पृष्ठ तनाव से मछर नहीं मरते बल्कि डेंगू के प्रभाव से मनुष्य .
सोये हुओं को जगाने वाला लेख्।
पूरे भारत का यही हाल है ... किस किस की बात करें ....
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
फ़र्ज़ का अहसास ही कम लोगों को है और वह भी कम है ।
बहुत सही लिखा आपने .......!
दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं आपको !!!
.
आशीष जी,
आपने सही कहा । लोगों में जागरूकता की कमी है। शायद कोई ध्यान नहीं देना चाहता की गंगा , यमुना और नर्मदा आदि नदियों का क्या हश्र हो रहा है। ४० हजार करोड़ रूपए से ज्यादा बर्बाद हो चुके हैं , इस नदी बचाओ आन्दोलनों पर। यमुना नदी तो लगभग समाप्तप्राय है। गँगा नदी को यदि समय रहते नहीं बचाया गया , तो उसका भी यही हश्र होना है।
पुष्प, चुनरी आदि पूजा की सामग्री जो मंदिरों से निकलती है तथा फैक्ट्री आदि से निकले दूषित केमिकल्स जो पानी को दूषित कर रहे हैं, इनका प्रोपर डिस्पोज़ल होना चाहिए। लोगों को भी पर्यावरण को बचाए रखने के लिए , पर्यावरण नियमों का पालन करना चाहिए। पुष्पांजलि नामक समिति पिछले १० वर्षों से जुटी है , इन पुष्प आदि अध्यात्मिक कचरे तो इकट्ठा करके डिस्पोज़ करने में।
मात्र अकेली दिल्ली से ही प्रतिदिन ३.६ बिलियन लीटर सीवेज प्रतिदिन निकलता है, जिसका केवल ५० प्रतिशत ही ट्रीट हो पाता और शेष तो यमुना को अर्पित होता है। इसी कारण यमुना अब समाप्ति की कगार पर है।
यही हाल रहा तो बहुत जल्दी हम पानी की समस्या से जूझेंगे।
.
divya ji,
यमुना का तो नाम ही मत लीजिये, वो अब नदी कहलाने लायक भी नहीं बची है...
नदियाँ अब नदियाँ कम मनुष्य समुदाय का कचराघर ज्यादा हैं..जो चीजें हमारे किसी काम की नहीं उसे नदी में डाल दो... आखिर कब तक ये बोझ वो उठती फिरेंगी....गंगा भी अभी तक इसलिए बची हुयी है की वो दिल्ली से होकर नहीं गुजरती....अरे मैं विषय से भटक गया...
continued
लेकिन उसका भी हाल कुछ ख़ास अच्छा नहीं ही कहा जा सकता...
डेंगू के बारे में इतना रोचक आलेख कभी नहीं पढा था। उसके नाम से ही इतना डर लगता रहा कि कुछ भी लिखा देख आगे बढ जाता था। पर आपके आलेख की रोचकता ने पूरा पढवाया और ढेर सारी जानकारी मिली। आपके लेखन शैली का और नया अंदाज़ मिला पढने को जिसमें व्यंग्य तत्व की मौज़ूदगी ने आलेख को सरस बना दिया है।
आभार।
नगर निगम वालों से मैं कुछ नहीं कहूँगा...
अरे भाई भैंस के आगे बीन बजाये, भैंस रही पगुराय ...वाली बात है ये तो..
सब जानते हैं इन दिनों बिहार में पावन पर्व छठ बड़े धूम धाम से मनाया जाता है | स्वच्छता का प्रतीक ये पर्व अब लोग अपने घरों की छत या फिर अपने आँगन में मनाने लगे हैं.. क्या करें घाट ही इतने गंदे होते हैं...मेरे शहर की एक कालोनी में तो सब ने मिलकर एक लम्बी सी नहर टाईप का गड्ढा बना लिया है जिसे पूजा अर्चना के बाद ढक दिया जायेगा... फिर भी इन नगर निगम वालों को शर्म नहीं है की घाटों की सफाई शुरू करें...
डेंगू ओर उसके निदान को लेकर लिखी गई उपरोक्त पोस्ट हेतु आभार.
स:परिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं..............
आध्यात्मिक कचरे की बात बिल्कुल सही है लेकिन तथाकथित धर्मिकता का दिखावा करने वाले लोगों के मन में व्याप्त आध्यात्मिक कचरे की सफाई कहीं ज्यादा जरूरी है।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है आप की प्रकाश पर्व के अवसर पर ..।
जहा तक बात गंगा के प्रदुषण की है , औद्योगिक कचरे को ढोना गंगा की नियति बन चुकी है . कानपुर में चर्म उद्योगों की बहुतायत है और कुछ बड़े उद्योगों के अलावा किसी ने भी effluent treatment plant , नहीं लगा रखा है . जब पर्यावरण नियंत्रण वाले छापा मारते है तो कुछ दिनों के लिए उत्पादन बंद कर दिया जाता है फिर यथास्थिति बहाल. ऐसा नहीं है की गंगा की इस स्थिति के लिए उद्योग ही उत्तरदायी है , , रोज मर्रा में काम आने वाली वस्तओं और अपशिष्ट का गंगा में विलय कोढ़ में खाज की स्थिति उत्पन्न करता है . मुझे लगता है प्रो वीरभद्र मिश्रा जैसे बहुतेरे आधुनिक भगीरथो की जरुरत है गंगा को गन्दा नाले होने से बचाने के लिए और साथ हमारे बीच जागरूकता.
सचमुच नगर निगम का बुरा हाल है, लेकिन सिर्फ उन्हें दोष देने से काम नहीं चलेगा हम भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं, माफ़ कीजिएगा! दीपावली की ढेर सारी शुभकामना!
उपयोगी जानकारी
समय समय पर ऐसी जानकारे देती रेहिए।
डेंग्यू और चिकनगुण्या में क्या अंतर है?
दिवाली के अवसर पर शुभकामनाएं
आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
हम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.
अच्छी पोस्ट. गंगा में डुबकी लगा कर दो-चार रोग लगवा लेने से तो दो-चार पापों का बोझ ढो लेना अच्छा है :))
सही कहा आपने!...गंदगी से बिमारियां फैलती है....क्यों कि गंदगी में मच्छर, कान्क्रोच, मक्खिया और अन्य जीव-जंतु पनपते है और स्वाथ्य के लिए खतरनाक साबित होते है!...अब अंधों की तरह हमारी सरकार जान कर भी अन्जान बनी रहे और लोग भी सर्कार का अनुसरण करें ...तो कोई बदलाव नहीं आ सकता!...हम जैसे रह रहे है, वैसे ही रहेंगे...होली, दिवाली या नौरात्री जैसे त्यौहारों के आने पर भी गंदगी ही देख्न्ने को मिलेगी!...सामयिक आलेख!...दिपावली की अनेको शुभ-कामनाएं!
.
हमारी चीटी की चाल वाली सरकार भी सचेत हो रही है अब। एक महत्वपूर्ण निर्णय में गंगा नदी पर बने तीन हाईड्रो-प्रोजेक्ट [ भैरवघाटी , पला मनेरी तथा लोहारीनाग पला प्रोजेक्ट ] को रोक दिया जाएगा । तथा गंगा की सफाई कराई जायेगी जिसमें तकीबन चार बिलियन डॉलर का खर्चा आने के अंदेशा है। विश्व बैंक से ऋण लेकर कहीं हम कर्जे में न डूब जायें।
.
अरे बाबा क्यो डरा रही हे मुझे,मै भारत जा रहा हुं, कही इस कमबखत से आंखे भिड गई तो मेरे बच्चो ओर बीबी का क्या होगा...... हे राम जल तू जलाल तू आई बला को टाल तू...
जागरूक करती रचना। बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
.
@ - विश्वनाथ जी,
चिकनगुनिया के लक्षण भी डेंग्यु से मिलते जुलते ही होते हैं। यह बिमारी भी वायरल है तथा एडीज मच्छर के काटने से होती है। इसमें भी बुखार, सर दर्द तथा जोड़ों में दर्द , मांसपेशियों में दर्द तथा रैशज़ होता है ।
फर्क सिर्फ इतना है की इसमें बुखार हल्का होता है तथा निश्चित तौर पर दो दिन में उतर जाता है। लेकिन जोड़ों का दर्द लम्बे समय तक रहता है। कभी कभी यह दो वर्ष तक भी रह सकता है। युवाओं में जल्दी ठीक होता है तथा बुजुर्गों में लम्बी अवधी तक यह दर्द बना रहता है। डेंगू में मृत्यु होने का खतरा रहता है जबकि चिकनगुनिया फैटल नहीं है। चिकनगुनिया का नामकरण , जोड़ों में दर्द के कारण मरीज के पोस्चर में झुकाव आ जाने के स्थिति पर किया गया है।
इसकी चिकित्सा लाक्षणिक होती है अर्थात लक्षण के आधार पर मरीज को आराम पहुचाने के लिए होती है। मुख्यतः जोड़ों के दर्द की। इसमें भी Aspirin, Ibuprofen, NSAIDs आदि दवाओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए। इसमें क्लोरोक़ुइन लाभदायी साबित हुई है । इसकी भी अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है।
डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण काफी मिलते जुलते होने से अक्सर एपिडेमिक के दौरान गलत diagnosis होने की संभावना होती है।
.
.
@ आशीष-
आपने सही कहा, छापा पड़ता है तो कुछ समय के लिए ये शांत होकर बैठ जाते हैं और फिर वापिस उसी ढर्रे पर आ जाते हैं। इसके लिए सख्ती से क़ानून बने तो काफी कुछ किया जा सकता है । सख्ती बरतेंगे तो उद्द्योग्पति भी पर्यावरण के बारे में सोचना शुरू कर देंगे। सख्ती करके लोगों में ईमान जगाया जा सकता है।
यहाँ थाईलैंड में , ' PPT ' नामक सबसे बड़ी कंपनी है जो बाकि सभी ओद्योगिक संस्थानों को बिजली देती है। बहुत सी शाखाएं हैं इसकी । लेकिन, सरकार ने इसके एक नव-निर्मित प्लांट जिसकी कीमत करोड़ों में है , पर रोक लगा दी है। क्योंकि इसके कारण पर्यावरण को काफी हानि पहुँचने की संभावना है।
ये होती है सख्ती। रोक लगाने का मतलब रोक लगा देना।
ऐसे निर्णयों को देखकर उद्योगपति सोचने पर मजबूर होते हैं।
.
.
निलेश जी,
आपने सही कहा हम भी जिम्मेदार हैं इसके लिए। जब नगर निगम ने योजना चलायी की घर घर कचरा इकठ्ठा करने वाले आयेंगे और मात्र ११ रूपए महिना हमें देना होगा , तो कुछ जिद्दी पड़ोसियों को उनसे लड़ते देखा। ११ रूपए न देना पड़े इसके लिए उन्हें सड़क पर की घरेलु कचरा फेंकते पाया।
लेकिन कुछ महीने बाद जब कचरे वाले से पूछा आते क्यूँ नहीं हो तो बेचारे ने बताया की नगर-निगम वालों ने भुगतान नहीं किया पांच महीनों से।
बेचारे गरीब की भी सुनवाई नहीं। अच्छे से अच्छी योजना भी धराशायी हो जाती है हमारे देश में। कारण नहीं मालूम । शायद, नातिक मूल्यों में गिरावट या फिर कामचोरी।
.
.
.
राज भाटिया जी,
डरना मना है ! मोस्कीटो - रिपेलेंट है न !
Smiles !
.
डेंगू के बारे में अच्छी जानकारी के लिए आभार . दीपावली और धनतेरस की शुभकामनाएं .
ाच्छी जानकारी है शायद आपकी पोस्ट का कुछ असर हो जाये। मगर मुझे नही लगता कि नगर निगम मे कोई ब्लागर होगा। आपको व परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
सुन्दर पोस्ट, मगर नगर निगम वाले इसे नहीं पढ़ते हैं या पढ़कर भी अनजान बन जाते हैं!
--
आपको और आपके परिवार को
ज्योतिपर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|
दीवाली पर तो सब ही नगर निगम वाले बन जाते हैं घरों में ।
यहाँ धूल मिट्टी भी तो बहुत है ।
कुछ भी हो , जगमगाहट तो देखने लायक ही होती है दीवाली पर ।
दीवाली की शुभकामनायें दिव्या जी ।
नागरिक तो जागरुक नहीं है. लेकिन जिनके ऊपर जिम्मेदारी है यह सब करने की और जिसके लिये उन्हें पाला गया है, तनख्वाह दी जाती है, वे ही काम न करें तो क्या किया जाय़े.
हटा लो भाई, जल्दी से।
Thanks for the reply telling us the difference between Dengue and Chikangunya.
It was very informative.
Happy Diwali.
यक़ीनन मैं आपके समजोपयोगी चिंतन... और उस चिंतन से उत्पन्न लेखन से काफी प्रभावित रहा हूँ। आपके पास जब भी आता हूँ, हर बार यात्रा सार्थक ही होती है। यह बात मैं पूरी ईमानदारी के साथ कह रहा हूँ।
आपने ‘सफ़ाई’ से जुड़े इस लेख में प्रसंगतः बहुत सफ़ाई के साथ चिकित्सकीय जानकारी दे दी... वो भी अत्यन्त आसान भाषा में।
इसके लिए... धन्यवाद!
और हाँ... एक बात कहना चाहूँगा आपके ‘दीवाली’ वाले संदर्भ से जुड़कर कि- यह जो ‘बाहर’ वाली गंदगी है न, वह झाड़ू-पोंछा एवं वैक्यूम-क्लीनर जैसे भौतिक उपकरणों से साफ़ हो सकती है...लेकिन ‘अन्दर’ वाली गंदगी के लिए कौन-सा उपकरण काम आ सकता है...? हमें इस दिशा में भी सोचते रहना चाहिए...है न ?
बहरहाल कुछ इन्हीं भावों के इर्द-गिर्द घूमती एक ज़रूरी पोस्ट के लिए कल सुबह आप एवं आपके सभी सम्मानित पाठकगण सादर आमंत्रित हैं...‘जौहरवाणी’ पर! Do plz visit for sure.
नगर निगम की परिभाषा मे एक छोटी सी कविता " नल नाली
गली गाली "
यह काम निगम वालों के वश का नहीं लगता। निजी क्षेत्र को सौंपा जाना चाहिए।
.
डॉ अमर ,
करारा व्यंग ! आज की बदहाली का जबरदस्त चित्रण किया है आपने। मरीज के कष्ट में में सभी अपनी-अपनी दूकान चलाने में व्यस्त । बेरोजगारी में भी बेड मिलेगी किराय पर। अच्छा रोजगार है।
रैपिड कार्ड की सुविधा है , तो उसे भी बेचो ब्लैक मैं !
सच में यही हिंदुस्तान है !
हमारी शान !, हमारा मान ! हमारा सपनों का जहान !
.
वैसे काफी कुछ गंदगी और इससे होने वाली बीमारियों के लिए हम भी जिम्मेदार हैं.हम जिम्मेदार और सभ्य नागरिक होने का दावा तो करते हैं पर हर सुबह ढेर सारा कूड़ा खुद ही सड़क पर फेकते हैं.पहले खुद को जागरूक होना होगा.फिर सोते हुए नगर निगम को जगाने के बहुत से तरीके हैं.
आप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.
.
यशवंत जी,
नगर निगम को जगाने के दो-चार तरीके भी बता देते तो कोई बात होती। सभी समाज को तो सड़क पर कचरा फेंकते नहीं देखा। सामने रखे कचरे के डिब्बे में ही फेंकते हैं लोग। कुछ हवा से उड़ कर फैलते हैं , और कुछ सड़क के कुत्ते , गाय , सुवर , उसमें मुह मार कर फैला देते हैं।
यदि नगर निगम नियमित कचरा हटवाये तो , तो सड़क पर फैला हुआ नहीं मिलेगा। जो बैठ कर तनख्वाह खा रहे हैं , उनकी ये जिम्मेदारी है, की शहर-शहर, गली-गली साफ़ रहे।
आम जनता क्या करेगी ?, प्रतिदिन निकलने वाले कचरे के लिए घर-घर कचरा ट्रीटमेंट प्लांट तो नहीं लगवाया जा सकता न ?
.
माया बहन तो पत्थरों में जीवन तलाश रही हैं।
patthar ke sanam hai ye pattharo ki bhasha jante hai
dipawalee ki hardik shubhkamna pawan aur kiran ki taraf se
ये मेरा इंडिया... आई लव माय इंडिया..
नगर निगम में सारे तत्व देखने को मिल जाते हैं
डेंगू के बारे में अच्छी जानकारी मिली।
दीवाली की शुभकामनायें दिव्या जी डेंगू के बारे में अच्छी जानकारी मिली
शायर बुध्दिसेन शर्मा कहते हैँ सफाई किसकी करनी चाहिए क्या साफ करता है।कचरा आँख मेँ है और चश्मा साफ करता है।दिव्या जी इलाहाबादी टोन मेँ लिखा प्रशँसनीय लेख आपको एक दिन चिकित्सा का नोबेल सम्मान मिले HAPPY DEEPAVALI
दिव्या जी,
शुभ दीपावली...!
कल जो वादा करके गया था मैं, वह पूरा किया। ‘जौहरवाणी’ पर वह पोस्ट आप सभी का इंतज़ार कर रही है। यह रही लिंक- http://jitendrajauhar.blogspot.com/
दिव्या जी सार्थक लेख मेरा एक मित्र है जो की नगर निगम में पार्षद है और सफाई विभाग में प्रभारी भी है मैंने आपके लेख को उसे पढ़ाया पढ़ कर उसने नगर निगम के बहुत से अधिकारियो को पढ़ाया आपका लेख नगर निगम में चर्चित हो गया !
.
अमरजीत जी,
कुछ असर हुआ उन लोगों पर ? कृपया सूचित करें ।
.
भ्रष्टाचार से फुर्सत मिले तो नगर की सफाई के बारे में सोचा जाए...बहुत सुन्दर आलेख...दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें
आपको और आपके परिवार को दीपावली कि शुभकामनाये ...
बहुत सुन्दर आलेख ... एक बात बहुत दुःख के साथ कहना पड़ता है कि हमारे संस्कृति में ही साफ़-सफाई पर कहीं भी जोर नहीं दिया गया है ... इस बारे में हमें पाश्चात्य संस्कृति से शिक्षा लेनी चाहिए ..
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
हैदराबाद में एक कहावत मशहूर है- बल्दिया.... खाया, पिया, चल दिया :)
आपको और आपके परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जानकारीपरक और जागरूक करने वाले आलेख के लिए आभार
दिवाली की शुभकामनायें आपको भी
आपको;आपके मित्रों व समस्त परिवारीजनों को दीवाली की शुभ कामनाएं.
कभी ऐसा हो जाये की आपका यह लेख पढकर नगर निगम वालो की नियत फिर जाये ओर वे अपना कम ईमानदारी से करने लगे ,
वो दिन देश के लिए एक बहुत बड़ा दिन होगा |
आपको ओर आपके पाठको को दीवाली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाये |
।आपको व आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
दीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर
दीपावली के इस पावन पर्व पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें....
.
आप सभी को मेरी तथा मेरे परिवार की तरफ से दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं !
.
आपके प्रश्न बहुत सामयिक हैं। सामाजिक विषयों पर आपकी चिंता और आपके प्रयास अनुकरणीय है।
आज दीपावली है। प्रकाश पर्व। अज्ञान के अंधकार को हरने, उसे ज्ञान से प्रकाशित करने तथा रिद्धि -सिद्धि, सुख, सम्पत्ति से जीवन को आप्लावित करने की कामना का त्यौहार।
ईश्वर से कामना है कि यह दीपोत्सव आपके जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण करे।
प्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
जब सब हैं हम भाई-भाई
तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
आओ सब मिलकर खाए मिठाई
और भेद-भाव की मिटाए खाई
सुहानी लगे हर गली आपको,
लगे फूल-सी हर कली आपको.
सुखी रक्खें बजरंगबली आपको,
मुबारक हो दीपावली आपको.
कुँवर कुसुमेश
सार्थक पोस्ट...सटीक बात...बधाई.
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
सटीक अभिव्यक्ति. आभार.
इस ज्योति पर्व का उजास
जगमगाता रहे आप में जीवन भर
दीपमालिका की अनगिन पांती
आलोकित करे पथ आपका पल पल
मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
सुख समृद्धि शांति उल्लास की
आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर
आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
जनता की जागरुकता ज़रूरी है-न सिर्फ सफाई के अपने अधिकार के प्रति बल्कि गंदगी न फैलाने के प्रति भी।
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
बदलते परिवेश मैं,
निरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है,
जूझने के लिए है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामनाये!!
दीप उत्सव की बधाई...................
आज की मेरी टिप्पणी सिर्फ आपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनायें देने के लिए है. मेरी तरफ से ये दिवाली आपको मंगलमय हो.
अभी केवल शुभकामनायें, आती हूं पोस्ट पढने बाद में.
दीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर , काफी सुंदर लेख लिखे हैं आपने ...जानकारी और प्रेरणा से परिपूर्ण ...आपको भी दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें ....और इसके साथ मैं आपका १६५ वां अनुसरण कर्ता
आपको दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें ।
.
@ Ram - Thanks for this beautiful gesture.
.
ह्म्म्मम्म....
हमारा शहर भी त्रस्त है ...डेंगू, चिकनगुनिया और अब तो मंकीगुनिया भी ...
दिवाली पर जिसके भी घर गए , ऐसे ही मरीज मिलते रहे ...!
Nice post thanks for share This valuble knowledge
Post a Comment