टेलिविज़न पर अधिक समय गुजारने वाले बच्चे स्कूल में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार ३० % बच्चे चार से अधिक घंटे टीवी देख रहे हैं। इससे उनका मानसिक स्तर घट रहा है। गणित, विज्ञान , अंग्रेजी आदि विषयों में उनकी परफोर्मेंस निरंतर घट रही है। पढ़ाई में concentration भी घट रहा है । अक्सर ये बच्चे स्कूल में सो जाते हैं। इन्हें PE [ physical education ] जैसे vigorous activities में रूचि नहीं रहती । इनकी स्टेमिना भी कम हो जाती है।
शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों को ये कम ही देखते हैं। ज्यादातर हिंसा या हॉरर वाले प्रोग्राम ही पसंद करते हैं । रात्री नौ के बाद वाले प्रोग्राम तो ये चोरी से देखते हैं । इस प्रकार के प्रोग्राम देखने से मासूम बच्चों के अन्दर एक प्रकार का भय अथवा हिंसा पैदा हो जाती है। कभी कभी इतना प्रतिकूल प्रभाव होता है की ये अपने आप में सिमट जाते हैं।
३५ % बच्चों का टीवी उनके बेडरूम में होने के कारण , उन पर निगाह भी नहीं रखी जा सकती , न ही वो बच्चे परिवार के साथ ज्यादा समय व्यतीत कर पाते हैं। ऐसे बच्चे एकाकी जीवन ज्यादा पसंद करने लगते हैं , तथा लोगों से घुल मिल नहीं पाते । ये दोस्त बनाने में भी असक्षम होते हैं। थोड़े असामाजिक हो जाते हैं।
टीवी के आलावा कम्पूटर भी बर्बाद कर रहा है बच्चों को । मार-काट वाले विडिओ गेम उनके अन्दर हिंसा भर रहे हैं तथा उन्हें addict कर रहे हैं। ऐसे बच्चे काफी एग्रेसिव हो रहे हैं और जब उनके मन का नहीं होता तो ये लड़ाई-झगडे का विकल्प अपनाते हैं ।
आठ साल से कम उम्र के बच्चों को कंप्यूटर के इस्तेमाल से दूर रखना चाहिए। आज शैक्षणिक संस्थानों में ICT [information and communication technology] , को शामिल करने के कारण, बच्चों में cognitive skills और power of retention काफी कम हो रहा है। कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल उनके concentration को प्रभावित कर रहा है तथा दिमाग की सेल्स को डैमेज कर रहा है। सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चे के गणितीय [ mathematical skills ] पर पड़ता है।
समय रहते माता पिता को कुछ जरूरी नियम बना लेने चाहिए--
- टीवी उनके बेडरूम में न हो।
- एक दिन में एक घंटे से ज्यादा टीवी न देखें।
- रीडिंग की आदत डालें
- टीवी देखते समय कुछ खाने को न दें , मोटापा भी बढाता है।
- पहले होम-वर्क कर लें फिर टीवी देखें।
- नौ के बाद टीवी न देखें।
- १० बजे हर हाल में सो जाएँ। नीद पूरी लें।
- खेलों में रूचि बढायें।
- कम्पूटर पर गेम्स की इजाजत न दें।
- उन्हें समझायें की कौन कौन सी साइट्स नुकसानदायक है और उन्हें दूर रहना है उनसे।
आभार।
42 comments:
अच्छी पोस्ट। मैने अपने पोते को आपकी इस जानकारी से अवगत कराया॥ आभार॥
अच्छी जानकारी .....
सार्थक लेख .. यकीनन बच्चों की गतिविधियों को नज़र में रखनी होगी.
kudos 2 ur goodwill. u r really helping d readers n their dependents...........
बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद
भविष्य मे काम आयेगी....................
सार्थक आलेख्।
सहमत।
यदि सीमाओं का खयाल रखते हैं तो टीवी उपयोगी भी हो सकता है।
अच्छे कार्यक्रम भी हैं जैसे Discovery, National Geographic वगैरह जिससे बच्चों का ज्ञान बढता है।
मुझे आजकल के reality shows/competitions के प्रोग्राम पसन्द नहीं।
बच्चों पर बुरा असर पड सकता है। हारने वाले बच्चों पर भी प्रभाव बुरा हो सकता है।
टी वी/कम्प्यूटर एक शक्तिशाली माध्यम है और हमें उसका सही उपयोग सीखना चाहिए।
एज जमाना था (जब हम छोटे थे) जब बुजुर्ग लोग हमारी comics पढने की आदत से खुश नहीं थे।
आजकल तो बच्चे comics भी नहीं पढते।
आशा करता हूँ कि Ipad जैसे Tablet Computers के कारण e books का प्रचार होगा और बच्चे ज्यादा पढने लगेंगे।
जी विश्वनाथ
बच्चों के सुखद भविष्य के लिये यह अवश्य किया जाना चाहिए।
बहुत ही सार्थक जानकारी प्रस्तूत की आपने।
... bahut badhiyaa .... shaandaar post !
नियम उपयोगी हैं, काम आयेंगे।
टी.वी. और कम्प्यूटर जैसी रेडिएशन वाली चीज़ें बच्चों में लॉस ऑफ़ मेमोरी,विसुअल प्रोब्लम्स और एपिलेप्सी होने की सम्भावनाओं को भी जन्म देती हैं /
human architaturing.......
very sesible and usefull post..............
pranam.
मेरे बच्चे टी वी कम ही देखते हैं ...
डरावने धारावाहिक मैं देखने नहीं देती ...
अच्छी जानकारी !
आपके दिये हर सुझाव से सहमत , ये सत्य है की आजकल बच्चो का आउट डोर स्पोर्ट्स एक्टिविटी बहुत कम हो गयी है और भारत में मोटापा एक महामारी का रूप ले रहा है . अच्छी पोस्ट .
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार-श्री गुरुवे नमः
आपकी पोस्ट से 'अच्छे बच्चे - गंदे बच्चे' की परिभाषा बदलती दिखाई देती है.
Dearest ZEAL:
Good post.
Semper Fidelis
Arth Desai
आपने आज की ज्वलंत समस्या पर प्रकाश डाला है!..उपयुक्त लेख!..धन्यवाद!...मेरी नई पोस्ट हाजिर है!http://jayaka-baatkabatangad.blogspot.com/
बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद|
अनुकरणीय सलाह ,आभार ।
बहुत अच्छी जानकारी सार्थक लेखन। बधाई। आभार।
अपना जमाना ही मस्त था ...अब कितनी समस्याएं हैं..ध्यान न दिया जाय तो गए काम से।
..उपयोगी पोस्ट।
यह देखते हुए कि टीवी और कम्प्यूटर घर और पढ़ाई का ज़रूरी हिस्सा बन गए हैं,इन दोनों के अनुकूल प्रयोग पर ध्यान केंद्रित करना ही उपयुक्त प्रतीत होता है। जिन माता-पिता के पास अपने बच्चों के लिए समय न हो,वे आउटडोर गेम्स या मूवमेंट से ही बच्चे व्यक्तित्व विकास का ख़्वाब न पालें। ऐसे माता-पिता के बच्चों का सपना भी पैसों के अलावा भला और क्या होगा!
माता-पिता को सचेत करती हुई बहुत ही उपयोगी प्रस्तुति। इस आलेख का एक-एक वाक्य महत्वपूर्ण है।
आलेख का अंतिम वाक्य-‘हो सके तो माता पिता रोज अपने बच्चों के साथ कुछ समय बातें करें, उनकी बातें सुनें, उनके सुख दुख और जिज्ञासाओं में शामिल हों और उनके सपनों को जानें।‘-इस वाक्य में ‘हो सके तो‘ के स्थान पर मैं कहना चाहूंगा ‘अनिवार्य रूप से‘।
माता पिता से अलग-थलग रहने वाले बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास नहीं हो पाता। ऐसे बच्चे डिप्रेशन के भी शिकार हो सकते हैं।
प्रत्येक बच्चे में जन्मजात कुछ अच्छे गुण अवश्य होते हैं, टी.वी., वीडियो गेम्स और कम्प्यूटर का अधिक उपयोग बच्चे के उन गुणों को हमेशा के लिए नष्ट कर सकते हैं।
एक सुझाव और जोड़ना चाहूंगा कि माता-पिता अपने बच्चों की रुचि का क्षेत्र और सृजनात्मक कौशल creative skills को पहचानें और उसमें अधिक समय व्यतीत करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें।
इस आलेख के अनुपालन से पूरी एक पीढ़ी लाभान्वित होगी...आभार, दिव्या जी।
आपके पास भेषजीय ज्ञान है अतः आपकी बात से पूर्णतः सहमत. परन्तु एक अजीब बात हमने पाया. हमारी एक भतीजी है. मुंबई से १२ वीं करने के बाद अब वह अभियंता बनने की राह पर है. हमने पाया की TV के बगैर वह पढाई नहीं कर सकती. ऐसा नहीं की वह बहुत अछे कार्यक्रम देखती हो. सब आजकल का मसाला ही होता है. हमेशा ९५% के ऊपर ही अंक अर्जित करती आई है. राजनीति को छोड़ बाकी हर प्रकार का ज्ञान उसमें हैं.सबसे बड़ी कमजोरी, वह एकदम दुबली पतली है. वजन ३० के जी से ज्यादा न होगा.
very nice post.... thanks. i will keep in mind.
dhanyavad Dr..for the motivating comment..do stay connected..best wishes always:)
उपयोगी पोस्ट!
Nice post .
मालिक सबका भला करे ,
वेद कुरआन ब्लॉग पर
@ दिव्य बहन दिव्या जी ! आपने मुझे ईद की मुबारकबाद दी , बेशक आपने केवल सुह्रदयता का ही नहीं बल्कि विशाल ह्रदयता का भी परिचय दिया है ।
मालिक आपको दिव्य मार्ग पर चलाए और आपको रियल मंजिल तक पहुँचाए ।
धन्यवाद !
जिन्होंने मुझे शुभकामनाएं नहीं भेजीं , वे भी मेरा शुभ ही चाहते हैं ऐसा मेरा मानना है ।
मालिक सबका शुभ करे ।
विशेष : तर्क वितर्क से मेरा मक़सद केवल संवाद है और संवाद का मक़सद सत्पथ की निशानदेही करना है ।
किसी के पास सत्य का कोई अन्य सूत्र है तो मैं प्रेमपूर्वक उसका स्वागत करता हूं , अपने कल्याण के लिए , सबके कल्याण के लिए ।
कल्याण सत्य में निहित है ।
ahsaskiparten.blogspot.com पर देखें
बहुत सही बातें कहीं है - ज्यादातर नियम लागू है घर में - टीवी तो हफ़्तों नहीं चलती :)
main to nahin hoon....aur main to tv kharidoonga bhi nahin..usme kuch bacha bhi nahi hai dekhne ko....
samay kam hai isliye tippani thodi chhoti reh gayi....
achhi jaankari ke liye shukriya...
sundar
बहुत उपयोगी पोस्ट.
एकदम ज़रूरी बात
वाह
एक अत्यंत आवश्यक बिन्दु पर समाजोपयोगी जानकारी दी है आपने इस पोस्ट के माध्यम से!
मैं आपका ब्लॉग अपने ब्लॉग रोल में जोड़ रहा हूँ। अब मुझे आपकी हर नयी पोस्ट की जानकारी तुरंत मिलती रहेगी!
सार्थक लेख!
sarthak evm upyogi post,main yh sb apney ghar main dekh raha hun,
इस बढिया और जनोपयोगी पोस्ट के लिये आभार
ये बातें ध्यान रखेंगे जी
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Bible says :-
"लड़के की ताड़ना न छोड़ना; क्योंकि यदि तू उसको छड़ी से मारे, तो वह न मरेगा। तू उसको छड़ी से मारकर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा।" Proverbs 23:13
मैं तो पने गिरेबाँ में झाकने लगा हूँ... आखिर मैं भी तो बच्चा ही हूँ.. कम्प्यूटर पर ६-७ घंटे आराम से बीत जाते हैं.. लेकिन पढाई होती है.. और लिखाई भी.. इससे भी नुकसान हो तो ये भी बन्द किया जा सकता है..
http://way-haven.blogspot.com
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