Thursday, December 23, 2010

राजधानी दिल्ली -- बलात्कारी दिल्ली

बड़े ही शर्म की बात है की जिस देश की राष्ट्रपति महिला हैंUPA की अध्यक्ष भी महिला हैं और दिल्ली की मुख्य मंत्री भी महिला हैं, वहाँ भी बच्चियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और दिनों दिन बलात्कार की घटनाएं आम हो रही हैं

सुना था दिल्ली पठन-पाठन में अग्रणी हैयहाँ रोजगार के अवसर भी बहुत हैंलेकिन अब तो हमारी दिल्ली -
  • क्राइम में
  • व्यापारियों को लूटने में
  • इमारतों के ढ़हने में
  • सड़क दुर्घटनाओं में
  • ब्लू-लाइन से कुचलने में और
  • बलात्कार जैसी घटनाओं में अग्रणी है
आखिर वजह क्या है ? ये घटनाएं दिल्ली में ज्यादा क्यूँ हैं ? क्या इसके लिए -
  • दिल्ली की लडकियां जिम्मेदार हैं
  • या दिल्ली का पुरुष वर्ग कुछ भिन्न मानसिकता रखता है
  • या फिर सामाजिक ढाँचे में कहीं कोई कमी है
  • या फिर कमज़ोर सुरक्षा व्यवस्था
  • या फिर झोल-झाल कानूनी प्रक्रिया और व्यवस्था
  • या फिर अशक्त और असंवेदनशील राजनैतिक व्यवस्था
आखिर इसका कोई तो हल होगाकिसी को दोष देकर तो इस समस्या से जूझा नहीं जा सकताबहुत सोचने पर मुझे लगता है यदि निम्न उपायों को अपनाया जाए तो कुछ मदद मिल सकती है , इन बढती हुई घटनाओं से निपटने की


Self defense -

  • लड़कियों को Self defense अपनाना होगा। उन्हें स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी सुरक्षा कैसे करनी है , इसकी physical training लेनी चाहिए।
  • अपने साथ pepper-spray [ मिर्ची पाउडर ] रखें , तथा बलात्कारी और छेड-छाड़ करने वालों से आपातकाल में निपटें ।
  • कोई भी दुर्घटना हो उसकी FIR अवश्य दर्ज करायें । इससे बेसिक- पुलिसिंग में मदद मिलती है ।
  • कोई भी व्यक्ति जन्मजात बलात्कारी नहीं होता। उसमें कुछ क्रिमिनल जींस होते हैं जो धीरे-धीरे विकसित होते हैं , यदि हर छोटे बड़े गुनाह की रिपोर्टिंग होगी तो बड़े गुनाहों को होने से रोका जा सकता है।
  • लडकियां अकेले ना निकलें , एक ग्रुप बनाएं , और यदि कोई दुर्घटना होती है तो मिलकर रिपोर्ट करें तथा थोड़े थोड़े समय पर follow- up के लिए जाएँ तथा त्वरित कारवाई के लिए pressurize करें।
सुरक्षा व्यवस्था -
  • चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा होना चाहिए ताकि मनचलों की हिम्मत ही न पड़े गुनाह करने की।
  • पुलिस वालों का संवेदनशील रवैय्या होना चाहिए अपनी बहन बेटियों के लिए।
  • रिपोर्ट लिखने में तथा कार्यवाई करने में तत्परता दिखायें तथा यथा संभव पूरा सहयोग दें जिससे महिलाएं ऐसी घटनाओं को पुलिस में रिपोर्ट करने में हिचकें नहीं तथा अपराधी खुले ना घूमें।
GPS [ Global positioning system] व्यवस्था -

BPO में काम करने वाली लड़कियों को रात्री में जिस Cab से जाना होता है , उसमें GPS व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कम से कम गाडी किस दिशा में ले जाई गयी है ये पता लगाया सकता हैतथा समय से मदद के लिए पहुंचा जा सकता है

कानूनी व्यवस्था-

  • कानून में बलात्कार जैसी शर्मनाक घटनाओं के लिए सख्त सजा होनी चाहिए
  • त्वरित कारवाई करके अपराधी को शीघ्र ही सजा दिलानी चाहिए। [ Justice delayed is justice denied]
  • ऐसी दुर्घटनाओं में Victim बहुत भयग्रस्त हो जाती है , तथा उसपर मानसिक दबाव भी बढ़ जाता है । मनोबल टूट जाता है । इसलिए कानूनी प्रक्रिया त्वरित तथा सहज होनी चाहिए जिससे पीडिता को बार-बार तिरस्कृत न होना पड़े।
  • त्वरित एवं सख्त कार्यवाई अपराधी की संख्या भी कम करेगी तथा फलस्वरूप ज्यादा केसेज़ रिपोर्ट होंगे और इस समस्या का निदान हो सकेगा।
राजनैतिक व्यवस्था-

  • जो सत्ता में है , जिसके पास ताकत है , वो चाहे तो , सब -कुछ कर सकता है। [ Where there is will , there is a way ]
  • शीला जी का ये वक्तव्य की - " आप बताइये हम क्या कर सकते हैं " ---अत्यंत शर्मनाक है । यदि वो कुछ नहीं कर सकतीं तो अपनीं कुर्सी ही छोड़ दें ।
  • पहले बिहार की बुरी स्थिति थी , आज नितिश जी के सद्प्रयासों से लडकियां सुरक्षित महसूस कर रही हैं । साइकिलों पर बैठकर स्कूल जा रही है। यदि कोई सही मायनों में विकास चाहे तो बिकुल किया जा सकता है।
नया साल रहा हैऐसे में विकृत मानसिकता वाले असामाजिक तत्व ज्यादा active हो जाते हैंइसलिए लड़कियों /स्त्रियों को चाहिए की सजग हो जाएँ

आभार

59 comments:

ashish said...

दिल्ली में बढ़ते बलात्कार जैसे अपराध की खबर सुनकर मान खिन्न हो जाता है . देश की राजधानी के माथे पर ये कलंक का टीका हम सभी देशवासियों को पीड़ा देता है . आये दिन खबर मिलती है की राजधानी में चलते वाहन में किसी लड़की को खीचा गया और उसके साथ मुह काला किया गया .धिक्कार है ऐसे बलात्कारियो पर जो अपने साथ साथ देश की राजधानी का मुह भी काला कर रहे है . आपने जो उपाय बताये है उसमे जो भी ज्यादा प्रभावशाली लगे लडकियों को प्रयोग में लेना चाहिए . रही बात राजनैतिक सक्रियता की तो वो कैसे हो सकती है जब बलात्कारी ही राजनीति के थैले का चट्टा बट्टा होता है .बहुत ही विचारपरक आलेख .आभार

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

एक समसामयिक विषय पर इन प्रश्नों के जवाब हमें ही ढूंढना होगा वो भी बड़ी ज़िम्मेदारी से , बड़ी शिद्दत से , वगरना ये सब ऐसे ही चलता रहेगा।

संजय कुमार चौरसिया said...

ek kahavat suni thi " delhi dilvaalon ki "
ye ab sirf kahavat bankar rah gayi hai,
delhi ho ya mumbai, desh ka aisa koi bhi kona nahin bacha jahan, is tarah ki ghatnaayen na ho rahi hain

AS said...

GPS - Global positioning system . Can be Used to track position of the car.
GPRS - General Packet Radio System - Used for data connection in mobiles.
So i think you mean GPS. Even GPRS can be used, with some applications like Google map to know the position of the person to an accuracy of 500 meters. but then you have to make your position public to another person (may be family member) through a google application

डॉ टी एस दराल said...

सचमुच हालात काफी चिंताज़नक हैं ।
इसके कानून व्यवस्था को मज़बूत होना पड़ेगा । मानव जाति सिर्फ और सिर्फ डंडे (सजा) से डरती है ।
लेकिन यहीं हम मार खा जाते हैं । मुज़रिमों को इसका कोई डर नहीं । उन्हें पता है कि कुछ नहीं होने वाला ।
इसीलिए उनकी हिम्मत बढ़ जाती है ।
गरीबी , बेरोज़गारी , अशिक्षा , मल्टी कल्चरल सोसायटी आदि सिर्फ बहाने हैं , अपनी कमजोरी छुपाने के ।

Rahul Singh said...

सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व का गंभीर विचारपूर्ण संदेश.

निर्मला कपिला said...

मुझे तो लगता है कि हर शहर मे यही हाल है। आपने बहुत अच्छे सुझाव दिये हैं। असल मे इसके कारण भी कई हैं सब से बडा कारण तो यही है कि दिल्ली पोलिस मे भ्रष्टाचार का खून बह रहा है। अपराधियों को संऱाण पुलिस के साये मे ही मिलता है नही आधूनिक हथ्यारों से लैस पोलिस इतनी नाकाम नही हो सकती। काश आपकी ये पोस्ट सरकार तक पहुँचे। शुभकामनायें।

VICHAAR SHOONYA said...

दिव्या जी आप दिल्ली की बात करती हैं मैं कहता हूँ की पूरे उत्तर भारत की मानसिकता यही है. हमारे उत्तर भारतीय बेल्ट की विद्रोही मानसिकता है जहाँ कानून के विरुद्ध जाकर कार्य करना गर्व का विषय समझा जाता है. यहाँ जिसकी लाठी उसी की भैंस का कानून चलता है. खुशवंत सिंह जी ने एक बार दिल्ली के आस पास बस रहे लोगों को जयराम पेशा कहा था जो मैं समझता हूँ सत्य ही था.

केवल राम said...

Dr.Divya Srivastava जी
आपने बहुत सशक्त तरीके से इस मुद्दे को उठाया है ...और यह जरुरी भी है ....बहुत - बहुत आभार

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

केवल दिल्ली ही नहीं भारत में कई जगह पर ऐसी हालत है ... इसके लिए जिम्मेदार शाशन प्रणाली तो है ही पर आम लोगों में जागरूकता कि कमी भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है ...
हम बहुत जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं, बहुत जल्दी हार मान लेते हैं, बहुत जल्दी भूल जाते हैं ...
हम गुणबत्ता से ज्यादा जाती, धर्म और प्रांतीयता के आधार पर अपना निर्णय लेते हैं ... यहाँ तक कि यही बात कई बार मुझे ब्लॉग जगत में भी देखने को मिली है ...
दरअसल हम बहुत गैर-जिम्मेदार समाज से हैं ...

प्रवीण पाण्डेय said...

स्थितियाँ सुधरनी होंगी, यह राजधानी है।

nilesh mathur said...

सच में चिंताजनक है, आपके सुझावों पर सब को गौर करना चाहिए!

ZEAL said...

@-AS,
Yes, I meant GPS. Edited and corrected the error. Thanks for pointing it out.

Sushil Bakliwal said...

बलात्कार के अपराध आबादी के अनुपात में सभी जगह आम हैं । देश की राजधानी होने से दिल्ली विशेष चर्चा में भले ही आते दिखता हो । आपके बचाव के सुझाव उपयोगी हैं और इनका अधिक से अधिक अनुसरण यदि हो सके तो समस्या में कमी आ सकना बिल्कुल संभव है ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यदि दिए हुए सुझाव माँ लिए जाएँ तो बहुत कुछ सुधार हो सकता है ...अच्छी और जागरूक करने वाली पोस्ट ...

Pratik Maheshwari said...

कई बार लगता है कि इन सब मामलों में कट्टर होना ही सबसे बेहतर उपाय है..
समाज के इन कीड़ों को जेलों में पाल-पाल कर हम सिर्फ और सिर्फ और कीड़े ही पैदा कर रहे हैं..
इनके लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट चलनी चाहिए जो इन्हें जल्द-स-जल्द सजा दे और वो भी कठोर से कठोर.. चाहे वो फांसी ही क्यों न हो.. पर ऐसा करते हुए इस बात पर भी ऐतिहात बरतना होगा कि लड़कियां इसका गलत फायदा उठाकर किसी निर्दोष की ज़िन्दगी बर्बाद न करे..

लड़कियों के लिए शारीरिक सुरक्षा वाली बात पर तो बिलकुल सहमत हूँ और मैं तो कहूँगा कि घर वालों को भी अपनी बेटियों को अपनी सुरक्षा के लिए कराटे, जुडो, इत्यादि वगैरह की ट्रेनिंग दिलवानी चाहिए..

एक सशक्त और समृद्ध समाज के लिए परिवार और समाज दोनों की तरफ से पहल होनी चाहिए..

"Prevention is better than cure"

आभार

Kunwar Kusumesh said...

हालात वाक़ई चिंताजनक हैं.
आपकी उक्त बातें सहमतियोग्य हैं.

prabhat said...

Daulat ki diwani delhi, Bhuk pyas ki rani delhi, manchalo ki manmani delhi, meri nhi teri nhi bus aansuo ki kahani delhi. Nangepan aur loot mar me, tera koe na sani delhi...

सदा said...

बहुत ही सशक्‍त शब्‍दों में इस घटना को अपने लेखन के माध्‍यम से प्रस्‍तुत किया है ... गहन एवं विचारणीय ।

P.N. Subramanian said...

बहुत ही सुन्दर सामायिक आलेख. प्रशासन को चुस्त होना होगा. क़ानून का भय है ही नहीं. लोग भी स्व अनुशासित नहीं हैं.

पी.एस .भाकुनी said...

aapka khna hai ki -
बड़े ही शर्म की बात है की जिस देश की राष्ट्रपति महिला हैं। UPA की अध्यक्ष भी महिला हैं और दिल्ली की मुख्य मंत्री भी महिला हैं, वहाँ भी बच्चियां और महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं और दिनों दिन बलात्कार की घटनाएं आम हो रही हैं।
durbhagy se iske bavjud bhi aisi ghatnayen hoti hain to yh ek chintniy vishay hai,
विचारपरक आलेख .आभार .....

कडुवासच said...

... prasanshaneey post !!!

vandana gupta said...

आपने बहुत सशक्त तरीके से इस मुद्दे को उठाया है...........विचारपरक आलेख .आभार .

रश्मि प्रभा... said...

iska nirakaran apne hi haathon hoga , sarkar, janta , samaj to muk darshak hain

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

bahut hi lajjajanak aur dukhad sthiti hai..
aise mahatvpoorn vishay par likhkar aapne kalam ki sarthakta siddh ki hai..
aapke sabhi sujhav 100prtishat sahi hain,in par amal hone se bahut kuchh halat sudhar sakte hain.

Tausif Hindustani said...

जब पोलिस और समाज मुजरिमों के प्रति ढीला बर्ताव रखंगे ये मुजरिम खुले आम ऐसे ही वारदात करते रहेंगे

Tausif Hindustani said...

kafi behtarin lekh

AS said...

I agree where there is a will there is a way. It was the same government, the same people, during the CW games. Delhi had a different look, the police, the administration and even the people were different or were they the same? Just there was the intent to make the things well. So it can be done, and the mechanism suggested are appropriate in the post.

कविता रावत said...

कमोवेश यही स्थिति हर शहर की है ... जिस दिल्ली से अमन चैन का पैगाम मिलना चाहिए उसके तले अँधेरा देख सत्ता में बैठे लोगों को कभी शर्म आती नहीं, आम जनता और समाज के गूंगे, बहरेपन को देखकर भी गहरा क्षोभ होता है. इस संवेदनशील त्रासदी के निवारण के लिए मेरा भी यही मानना हैं कि Self defense ही सबसे कारगर हथियार है.....क्योंकि जब तक क़ानून या किसी की मदद की गुहार लगती है या कोई मदद करने सामने आता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और रोने कलपने के अलावा कुछ बचता ही नहीं....
सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व के गंभीर मसले पर आपके इस विचारपूर्ण संदेश के लिया आभार

murar said...

rajneet ma mail ho y female sab ke soch ak hi hotee hai pass.....deas ke janta say koe matalb nhe

shikha varshney said...

ये घटनाये हर जगह ही हैं दिल्ली राजधानी है तो वहां अपराध ज्यादा दिखाई पड़ते हैं .
ये सुझाव काश मान लिए जाएँ .
विचारपरक पोस्ट.

सुज्ञ said...

सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व का संशोधनपूर्ण आलेख और सशक्‍त शब्‍दों में सार्थक, गहन एवं विचारणीय संदेश.यदि दिए गये सुझावों पर अमल हो तो सुधार सम्भव है। जागरूकता प्रेरक प्रस्‍तुतिकरण।

Ankur Jain said...

vicharpoorn post...

JAGDISH BALI said...

बहुत सार्थक सवाल और सुझाव भी !

वीरेंद्र सिंह said...

divya ji

I don't know how many journalist and media persons read your post because your many post deserve to be in the newspaper. This is my thinking.

I go through many newspapers daily including Dainik jagran, Navbharat times and Times of India. I seldom come across such write ups as yours.

You are really a gem of writers, Master of many subjects.

agar main kisi akhbaar ka sampadak hota to main sampadakiye prasht par dalily apka likha article chaapta. vishvaas kijiye.

Your this article is a complete article.
I can't pick up any shortcomings in this article.


Apki Post "GAAGAR MEN SAAGAR" vali baat ki
yaad dila rahi hai.

Con grates Divya ji on this meaningful post......

महेन्‍द्र वर्मा said...

दिल्ली में, जहां देश की तीन-तीन सुपर पावर महिलाएं राज करती हैं, वहां ऐसी शर्मनाक घटनाएं हो रही हैं, सचमुच चिंता की बात है।

इस गंभीर समस्या के निराकरण के लिए आपने जो सुझाव दिए हैं उन पर शासन, पुलिस, न्यायालय, आम नागरिक , सभी को ध्यान देना चाहिए।

Apanatva said...

upyogee lekh....

Bharat Bhushan said...

मेरे विचार में कानून का स्वरूप बदलना चाहिए. 'Justice delayed is justice denied' की बुद्धि की अपेक्षा यह बुद्धि आनी चाहिए- 'Justice delayed is injustice only'.

ZEAL said...

.

वीरेंद्र जी ,

आज तक अपनी तारीफ़ सुनने को नहीं मिली थी । आज आपसे सुन कर बहुत अच्छा लगा।

Thanks.

.

मनोज कुमार said...

हर शहर की ऐसी अवस्था तो नहीं है। पर दिल्ली ... उफ़्फ़!
सच ही कहा है आपने। विचारणीय पोस्ट और चिंताजनक स्थिति। आपके बताए सुझावों पर अमल होना चाहिए।

Satish Chandra Satyarthi said...

आलेख आपने-आप में पूर्ण है.. मुद्दे के हर पह्ज्लू को छूता हुआ....
लड़कियों को हिम्मत करनी होगी.. चुप न रहें.... आपकी चुप्पी अपराधियों का मनोबल बढाती हैं.. कोई गलत कमेन्ट/इशारे/हरकत करता है.. उसको तुरंत सबक सीखाएं.. यही कुंठित लोग आगे जाकर बलात्कारी बनते हैं..
और समाज को यौन शोषण/बलात्कार की पीडिता के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा.. तभी महिलाएं हिम्मत जुटा पाएंगी...

पूनम श्रीवास्तव said...

divya ji,
aapane jo sujhav diye hain agar unpar amal kiya jaye to bahut sari esi ghatnayein hone se roki ja sakati hain.itne gambhir vishay ko itne satiik tareeke se prastut karne or sabke samne lane ke liye bahut bahut dhanyavaad.....
poonam

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

सुझाव अच्छे हैं बशर्ते कि उनपर अमल हो...

राज भाटिय़ा said...

दिल्ली की आम जनता तो शरीफ़ हे, मुझे लगता हे यह सब काम इन नेताओ की बिगडी ओलाद ओर उन के चमचे करते हे,ओर रही सही कसर अफ़सरो के बिगडे बच्चे, तभी तो पकड मै भी कम आते हे, साल दो साल पहले कही पढा था कि लालू की ओलाद अपने खास दोस्तो के संग लडकियो के छेडते दिल्ली के नोजवानो के हाथ हाथ पेर तुडवा कर आये थे, अगर वहां वो नो जवान ना होते तो?? इस के लिये जनता को अब जागरुक होना चाहिये जहां भी ऎसे लोगो को पकडे उन्हे मार मार कर सबक सिखाना चहिये ताकि घर जा कर अपनी बीबी को भी बहिन बोले....... कोई ओर रास्ता नही, पुलिस गुंडो की गुलाम हे क्योकि बेटे की हरकत इन नेताओ ओर अफ़सरो को बचपना लगती हे, चाहे किसी क<इ जान चली जाये

सूबेदार said...

दिब्या जी अपने तो कमाल क़ा विश्लेषण किया है कांग्रेसी जहा भी है वहा देश को नष्ट करने में लगे है भ्रष्ट में लिप्त, भारत,हिन्दू बिरोधी और भारत को बदनाम करने क़ा कोई मौका नही चुकते.

कुमार राधारमण said...

आज बलात्कार हुआ,तो दिल्ली बलात्कारी हो गई। कल किसी नेक काम के लिए मोमबत्तियां जलेंगी इंडिया गेट पे,तो दिल्ली दिल वालों की हो जाएगी। अब ये टैग बन्द होने चाहिए।
अधिकतर बलात्कारी बेशुमार दौलत वालों के आवारा बच्चे होते हैं जिन पर काम का कम और ऐश करने की ज़िम्मेदारी ज़्यादा होती है। पुलिस की काहिली,पीड़िता को बदनामी का डर और तिसपर से सत्ता में बैठे लोगों की गैर-जिम्मेदार बयानबाजी तमाम मामले को संगीन बना रहे हैं।

ZEAL said...

.

@- कुमार राधारमण ,

व्यर्थ में सारा दोष दौलत वालों पर मढ़ देना भी कुछ उचित नहीं लगता। कल के समाचार में सुनीता नाम की लड़की को उसके ही मोहल्ले के लड़के ने ये कहकर की उसे उसके प्रेमी से मिलवा देगा , लेकर गया । रेप करके जंगल में छोड़ दिया। वहां से वो लौट रही थी तो चार अन्य युवकों ने उसकी मदद का वादा करके उसका गैंग रेप किया । लुटी पिटी १४ साल की बच्ची ने रास्ते ने आ रही ट्रक ड्राइवर से मदद मांगी तो उसने भी अपने सहयात्री के साथ उसका रेप करके सुनीता को एक दलाल के हाथ बेच दिया। सुनीता ने जिस पर भी यकीन किया उसी ने उसको लूट लिया । इसमें दौलतवाले शामिल नहीं थे। अपराध अक्सर गरीबी और शिक्षा के अभाव में पनपता है।
गरीब बच्चियां असुरक्षित भी ज्यादा हैं। और निम्न वर्ग के युवक ही कुछ ऐसी छेद- छाड़ जैसी मानसिकता रखते हैं। इसलिए ये कहना की दौलत वाले ही बलात्कारी होते हैं, उचित नहीं है। सभी वर्गों में इस तरह की विकृत मानसिकता मिल रही है।

रही बात दिल्ली की तो इसमें कोई संदेह नहीं की दिल्ली में हर तरह का अपराह ज्यादा है फिर बलात्कार में दिल्ली पीछे कैसे रहेगी। आज गुजरात , बिहार , और कई ऐसे राज्य हैं जहाँ लडकियां सुरक्षित हैं , और अपराध भी कम हैं . क्यूंकि उन राज्यों के संचालक अपने राज्य का हर दिशा में विकास चाहते हैं और कर रहे हैं।


.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

डा. दिव्या जी,
आपके इस पोस्ट की जितनी भी तारीफ़ की जाय कम है !
आपने एक सामयिक समस्या और उसके निदान पर विस्तृत विवेचना प्रस्तुत किया है !
आप समस्या की जड़ तक पहुँचने में सफल हुई हैं और जो उपाय आपने सुझाये हैं उस अपर अमल करके इस समस्या को कम अवश्य किया जा सकता है !
बलात्कारी के लिए ऐसी सज़ा का प्रावधान होना चाहिए कि कोई ऐसा कुकृत्य करने की सोच भी न सके !
धन्यवाद,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

सम्वेदना के स्वर said...

एक समय था जब बिहार के बारे में लोग कहते थे कि यहाँ शाम के बाद कोई घर से नहीं निकलता है.. हमारे यहां सज़ा के तौर पर कहा जाता है कि तुम्हारा परफोर्मेंस खराब रहा तो तुम्हें बिहार ट्रांसफर कर दिया जाएगा..मानो बिहार न हुआ काला पानी हो गया. फिर भी बलात्कार जैसी घटनाएं बिहार में नहीं हुईं (कहने वाले कह सकते हैं कि रिपोर्ट नहीं हुईं).
अब सब अमन चैन से है... क्योंकि व्यवस्था ने सार्थक कदम उठाये हैं... आपने जितनी बातें बतायीं सब सही हैं, सलाह भी उचित है..पर इन सब कि कोई आवश्यकता नहीं रहती यदि व्यवस्था इन अपराधों के उन्मूलन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाए. जो सोया हो उसे तो आपके सुझावों से जगाया जा सकता है, किन्तु जो सोने का नाटक किये आँखें मूंदे है, उसे कौन जगा सकता है!!

A.G.Krishnan said...

Jai Shri Krishna

Thanks Doctor for following. I am honoured.

My blog is for all: Children, Students, Ladies, Gents, Elderly People your nearer and dearer and for those who are looking for neat and clean, informative site.

My aim is to bring forth the “root cause” of all trouble around us in an attractive but funny manner, which, if addressed properly, can do miracles.

I welcome all and expect positive response. With my blog, I hope to provide our descendants, a Cleaner, Greener, Developed and Safer India.

Your complaint regarding objectionable material (if any on my blog) will also be welcomed and I will take no time to remove that.

Jai Shri Krishna

smshindi By Sonu said...

डॉ.दिव्याजी
आपके ब्लाग पर "राजधानी दिल्ली = बलात्कारी दिल्ली" एक दम सही लिखा है क्यकी दिल्ली में आज कल चोरी और दिनों दिन बलात्कार जेसी की घटनाएं आम हो चुकी है!

smshindi By Sonu said...

"समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को एक दिन पहले
"मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !

()”"”() ,*
( ‘o’ ) ,***
=(,,)=(”‘)<-***
(”"),,,(”") “**

Roses 4 u…
MERRY CHRISTMAS to U

डा.दिव्या जी, मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

एस एम् मासूम said...

बलात्कार के कारणों को दूर करना चाहिए ,पहरे कहां तक बिठाए जा सकते हैं? Self देफेनसे एक अच्छा मशविरा है..ज्ञानवर्धक पोस्ट

शोभना चौरे said...

bahut hi kimti sujhav
abhar

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

Your post brings to mind the novel by Sir Thomas More titled 'Utopia' written in 1516.

Utopia is an ideal community or society possessing a perfect socio-politico-legal system. The word was invented by Sir Thomas More for his 1516 book Utopia, describing a fictional island in the Atlantic Ocean. The term has been used to describe both intentional communities that attempted to create an ideal society, and fictional societies portrayed in literature.

The word comes from the Greek: οὐ, "not", and τόπος, "place". The English homophone Eutopia, derived from the Greek εὖ, "good" or "well", and τόπος, "place", signifies a double meaning.

It could also mean 'good place' and also 'no place'. For the dreams, it is 'good place' but in actuality, it is 'no place'.

Your post wishes for Utopia to prevail.

Can it?


Semper Fidelis
Arth Desai

Swarajya karun said...

बलात्कारियों की वजह से दिल्ली कलंकित हो रही है, यह सच है ,लेकिन इसके लिए दिल्ली महानगर पर 'बलात्कारी दिल्ली 'होने का आरोप उचित नहीं है.शहर में लाखों शरीफ लोग भी तो रहते हैं. निश्चित रूप से बलात्कार जैसे घिनौने अपराध के लिए अपराधी को मृत्यु-दंड दिया जाना चाहिए .

Swarajya karun said...

बलात्कार की घिनौनी घटनाओं की वजह से दिल्ली कंकित हो रही है, यह बिल्कुल सच है, लेकिन इसके लिए आलेख के शीर्षक में इस महानगर को 'बलात्कारी दिल्ली' नाम देना मेरे विचार से उचित नहीं है. महानगर में लाखों शरीफ लोग भी तो रहते है. इस प्रकार के शीर्षक से क्या उन्हें ठेस नहीं पहुंचेगी ? वैसे आपका आलेख बहुत अच्छा है और ज्ञानवर्धक है. निश्चित रूप से बलात्कार के अपराधियों को मृत्यु-दंड मिलना चाहिए.

ZEAL said...

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@ स्वराज्य करुण,

दिल्ली सिर्फ दिल्लीवालों की है या फिर हर भारतीय की ? शरीफों को ठेस लगने की सोचूँ या फिर बलात्कार की शिकार होती मासूम बच्चियों के बारे में ?

शरीफों में अगर सचमुच शराफत है तो दिल्ली की हर सड़क पर प्रदर्शन हो जाना चाहिए इन काली करतूतों के विरोध में ।

लेकिन नहीं ! वो तो शरीफ हैं ! बेकार के पचड़ों में पड़ना शरीफों की फितरत नहीं होती।

.

Anonymous said...

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