मेहनतकश दिन गुज़ारने के बाद जब सोती हूँ तो इनती गहरी नींद आती है की सपने ही नहीं आते । आज तक बहुत कम सपने दिखे । लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है की आज तक जो भी सपने देखे उन्हें दो-तीन महीने के अंतराल पर बार-बार देखती थी और ये क्रम कई वर्षों तक जारी रहता है । कभी समझ नहीं आता था की ऐसा क्यूँ है। लेकिन मेरे द्वारा देखे गए अधिकतर स्वप्न कुछ वर्षों के बाद सत्य में तब्दील हो गए और मुझे उन स्वप्नों की हकीकत पता चल गयी।
जब वो स्वप्न , यथार्थ में पूरा हो जाता था , तो उसके बाद वो स्वप्न स्वतः ही दिखना बंद हो जाता था। लेकिन एक दो स्वप्न अभी भी दिखने जारी हैं , जिसका सच जानने की बेहद उत्सुकता है।
अपने देखे कुछ स्वप्न और उनका सच यहाँ लिख रही हूँ -
पहला स्वप्न - जब कक्षा एक में पढ़ती थी तबसे एक स्वप्न दिखता था की मैं एक ऐसे कक्ष में हूँ जहाँ बहुत से मृत व्यक्तियों के शव हैं और उन्हीं शवों के बीच मैं भी हूँ और बहुत से जीवित लोग घूम रहे हैं। ११ वर्षों तक ये स्वप्न मुझे परेशान करता रहा । फिर १८ वर्ष की उम्र में जब मेडिकल में सेलेक्शन हुआ , तो सीनियर स्टुडेंट के साथ हम सभी एक कक्ष में गए जहाँ Cadaver [ प्रेसेर्व किये हुए शव ] , रखे थे। स्वप्न में देखे हुए कक्ष , मृत शव तथा उनके बीच घूमते हुए जीवित लोगों का सच इस प्रकार जाहिर हुआ।
दूसरा स्वप्न - १५ अगस्त १९९५ को मैं अपनी बुआ के घर जमशेदपुर में थी । मेरी दादी , मेरे घर पर लखनऊ में थीं। प्रातःकाल पांच बजकर चालीस मिनट पर , स्वप्न में मैंने अपने माथे पर बरफ के सामान ठन्डे हाथों का स्पर्श महसूस किया। हडबडाकर उठ गयी। आधे घंटे में फ़ोन आया लखनऊ में दादी जी का निधन हो गया है।
तीसरा स्वप्न - १६ जनवरी २००९ , सुबह ६:४० पर ससुर जी को स्वप्न में मृत देखा । सात बजे घर से फोन आया की ससुर जी की मृत्यु हो चुकी है।
चौथा स्वप्न - मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का दुबारा चुनाव जीतने पर दूरदर्शन पर साक्षात्कार आ रहा था [जनवरी २००९]। मैंने वो साक्षात्कार देखा और उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई। रात्री में स्वप्न देखा की मेरी उनसे मुलाक़ात एवं चर्चा हुई है। एक हफ्ते के अन्दर मेरी उनसे यथार्थ में मुलाक़ात एवं चर्चा हुई। कारण था ससुर जी का मंत्री होना । उनके निधन पर शोक प्रकट करने के लिए मुख्यमंत्री का हमारे निवास पर आगमन हुआ।
पांचवा स्वप्न मेरे एक नियमित पाठक का - ससुर जी के निधन के एक मॉस पूर्व मेरे एक पाठक ने स्वप्न देखा की वो मेरे घर आये हैं और सब लोग बहुत दुखी हैं और बहुत लोग मिलने आ रहे हैं। उन्होंने जब यह स्वप्न हमें बताया तो कुछ समझ नहीं आया , लेकिन ससुर जी मृत्यु के बाद जब वो पाठक हमारे घर आये तो वैसा ही दृश्य था जो उन्होंने एक मॉस पूर्व स्वप्न में देखा था।
छठा स्वप्न - १५ मार्च २०१० में प्रातः जो स्वप्न देखा तो घबराकर जीजाजी को भारत फोन किया, पता चला उसी दिन उनकी माता जी का निधन हो गया है ।
सातवाँ स्वप्न - सात माह पूर्व स्वप्न में देखा एक शव को मंदिर में रखा है , दो तीन दिन लगातार उस स्वप्न को देखा की वो शव मंदिर में है और लोग उसका दाह संस्कार नहीं कर रहे हैं। समीर जी को बताया तो पता चला उनकी
कंपनी का एक थाई ऑफिसर , प्लांट में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया है । थाई लोग मृत शव को मंदिर में रखते हैं और कई दिनों तक प्रेसेर्व रखते हैं। संस्कार कुछ दिनों के बाद करते हैं।
आठवां स्वप्न - बचपन से एक छोटी बच्ची दिखती थी स्वप्न में । विवाह के बाद एक नन्ही बच्ची गोद में आ जाने के बाद वो स्वप्न भी आना बंद हो गया।
नवां स्वप्न - गर्भावस्था के आठवें माह में स्वप्न देखा की बच्चा खौलते पानी से जल गया है। जब बेटा आठ माह का हुआ तो गरम चाय से भयानक रूप से जल गया।
एक स्वप्न जो अब नहीं आता - बहुत बार देखा इम्तेहान का पर्चा हाथ लग गया है । लेकिन अफ़सोस ये सौभाग्य कभी प्राप्त नहीं हुआ।
एक स्वप्न जो बहुत परेशान करता है - हकीकत जानने की उत्कंठा बेहद प्रबल है -- एक स्वप्न मुझे तकरीबन २० वर्षों से आता है , जिसमें एक अनजान व्यक्ति हमेशा पीछे रहकर, निस्वार्थ रूप से मेरी बेहद मदद करता है। ये व्यक्ति कौन है , ये जानने की बहुत अभिलाषा है। देखें कब इस स्वप्न का सच पता चलता है।
क्या आपने भी कभी ऐसा अनुभव किया है ? यदि हाँ तो बताइए।
आभार।
55 comments:
अरे इन्ही सपनो के बारे मे भी एक पोस्ट लिखने वाला था, चलिये आप के सवाल का जबाब भी मै अपनी पोस्ट मे ही दुंगा, वेसे मैने कल एक सपना देखा, अगर वो सच हो गया तो..........
प्रातः कालीन सपने अक्सर सच्च होते हैं. कई बार ऐसा महसूस किया है
@एक स्वप्न जो बहुत परेशान करता है - हकीकत जानने की उत्कंठा बेहद प्रबल है -- एक स्वप्न मुझे तकरीबन २० वर्षों से आता है , जिसमें एक अनजान व्यक्ति हमेशा पीछे रहकर, निस्वार्थ रूप से मेरी बेहद मदद करता है। ये व्यक्ति कौन है , ये जानने की बहुत अभिलाषा है। देखें कब इस स्वप्न का सच पता चलता है।
दिव्या जी
आपके ईष्ट देव हमेशा आपकी मदद करते हैं...
या कोई ऐसा व्यक्ति जो हमेशा आपकी केयर करता है...आप अपनी ज़िन्दगी की उन चीज़ों पर ध्यान दीजिए, जिन्होंने आपको बहुत तकलीफ़ पहुंचाई... ऐसे में किसने सबसे ज़्यादा आपका साथी दिया...? इस सवाल का जवाब मिलते ही आपको अपने ख़्वाब की ताबीर मिल जाएगी...
मेरे साथ कभी ऐसा नहीं हुआ | मुझे कोई सपना याद ही नहीं रहेता | आप के पास दिव्या शक्ति है | आप का लेख पाद कर अच्छा लगा |
हाँ! मेरे भी एकाध सपने सच्चाई में तब्दील हुए है |
जो सपना आपको बीस वर्षों से परेशां कर रहा है ,जिसमे एक अदृश्य शक्ति आप की मदद करती आ रही है | वह सपना भी सच होगा | उस अदृश्य शक्ति से साक्षात्कार भी होगा , जिसकी आपके जीवन को ऊंचाई के शिखर तक पहुँचाने में महती भूमिका होगी |
दिव्या जी,
सपने अक्सर सच होेते हैं, कुछ लोगो को घटना का पुर्वाभास होता है तो कुुछ को स्वप्न दर्शन, यदि धर्म की माने तो हमारे कुल देवता (देव पितर) यदि हमसे प्रसन्न है तो वे इस तरह के स्वप्न दिखाकर हमे सचेत करते है।
मेरे विचार से वे अनजान व्यक्ति आपके कुल देवता ही है।
Interesting ! yeah, divyaji, it happens, sometimes, i think with everyone. But in your case its really interseting !
दिव्या जी
आपकी पोस्ट अच्छी लगी। जहां तक प्रश्न है सपनों के जिक्र का तो मैं ज्यादा ध्यान नहीं रखता पर हां मां बहुत बार अपने सचे सपनों का जिक्र करती हैं।
एक स्वप्न आता है, अर्थ समझ नहीं आता।
सपने तो आते हैं पर याद नहीं रहते| कहते हैं प्रात: कालीन सपने सच होते हैं|पोस्ट अच्छी लगी धन्यवाद|
सपनों पर रोचक पोस्ट. पढ़कर थोड़ा ताज्जुब भी हुआ.
हे भगवान ! शुभ-शुभ सपने दिखियेगा दिव्या जी को.
शुभकामनायें.
sahi kaha ... main bhi maanti hun
दिव्या जी , हमें तो ऐसा कभी नहीं लगा या फिर हम सपने देखते हैं और भूल जाते हैं ।
वैसे एक सपना खुली आँखों से देखा ।
उसका ज़िक्र कल की पोस्ट पर ।
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फिरदौस जी , दीपक जी ,
कुल देवता वाली बात काफी अपील कर रही है। बहुत लोगों ने ये बात मुझसे कही ये। मुझे बहुत बार ये एहसास हुआ है की कोई ईश्वरीय शक्ति मेरी हर जगह रक्षा करती है और मदद करती है। काफी बड़ी-बड़ी मुश्किलों के दौर से गुजरी हूँ , लेकिन हमेशा किसी ना किसी को अपना मददगार पाया है। और वो शक्ति मानवीय कम ईश्वरीय ही लगती है।
लेकिन स्वप्न में मनुष्य ही दिखता है । जिसका चेहरा बहुत सौम्य और गंभीर रहता है। मेरे से अपरिचित है वो व्यक्ति । हमेशा शांत रहता है । मेरा और उसका कभी संवाद नहीं होता स्वप्न में। अक्सर स्वयं को बहुत भीड़ में देखती हूँ जहाँ वो अपरिचित मददगार तन्मयता से मेरा ध्यान रखता है। वो घर का सदस्य भी नहीं । परिचित भी नहीं। फिर कौन है भला।
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मन की प्रक्रियाएँ बहुत जटिल हैं. बाढ़ का पानी चढ़ आना, अन्न का बर्तन गिर जाना आदि लोग अकसर देखते हैं जिसके बाद अपने ख़ून के किसी संबंधी का मृत्यु का समाचार आता है. ऐसा बहुत लोग कहते हैं. दो-एक बार मुझे भी इसका अनुभव हुआ है. जो एक अनुभव परीक्षा-पत्र का आपको नहीं हुआ वह मुझे हुआ था. मैंने केवल उन्हीं पाँच प्रश्नों की विस्तार से तैयारी की जो दिखे थे. नतीजतन इतना याद था कि लिखते समय पाँच में से केवल साढ़े चार प्रश्न ही कर सका. शेष लिखने के लिए समय ही नहीं बचा.
परंतु मैं इसे मन की सामान्य कार्यप्रणाली मानता हूँ. चोर भी छिपे धन को स्वप्न में देख लेते हैं. जिसकी वृत्ति जहाँ लगी हो उसे उसके बारे में जानकारी अपने ही भीतर स्वप्न या जाग्रत में मिलती रहती है.
आपकी पोस्ट का यह रंग भी बहुत अच्छा लगा.
वैसे मैं तो यकीन नहीं करता, शायद जिसे अनुभव ही ना हुआ हो, वो इस बारे में कुछ भी कहने का अधिकारी नहीं है.
कोई अच्छा सपना हो तो मैडम जी मुझे भी बताना ! थोडा डर भी गया हू, शायद ये भी स्वीकारोक्ति ही हो.
आप के पास दिव्या शक्ति है | आप का लेख अच्छा लगा |
दिव्या जी
आपकी पोस्ट कभी रहस्यमय और कभी हकीकत लगती है ..जैसे जादू का खेल चल रहा हो ....पर सच्चाई है यह सब में भी महसूस करता हूँ कभी - कभी ...आपने बहुत संजीदा तरीके से अपने जीवन के सत्यों को उद्घाटित किया है ..ईश्वर करे अब आपको जो भी स्वप्न आयें आपकी जिन्दगी में बहार लेकर आयें ..शुक्रिया आपका
दिव्या जी,
मुझे भी B.Sc.के पर्चे एक दिन पहले सपने में आ जाते थे
और वो ही प्रश्न आ भी जाते थे पेपर में
ऐसा शायद मेरी पूरी तैयारी हो जाने के कारण आते थे
मै सारे खास खास प्रश्न तैयार करता था
वो ही स्वप्न में दिखाई देते थे
ऐसा मात्र संयोग वश होता होगा
जो होने की आशंका होती है वो अचेतन मन में घूम रही होती है उस के सच हो जाने पर स्वप्न के साथ मेंल खा जाना ही ऐसा धोखा पैदा करता है कि जैसे सपना सच हो गया
आपने ९-१० सपनों का ही जिक्र किया जबकि इस् दौरान असंख्य सपने देखे होंगे आपने
मैने भी बहुतों से सपने सच होने के बारे में घटनाएं सुनी हैं .. एक सपने के बारे में अपना अनुभव मैने यहां पोस्ट किया था।
आखिरी वाले सपने के व्यक्ति का पता लगे न लगे, सपना आता रहे, सच होता रहे.
दिव्या जी
नमस्कार !
पोस्ट अच्छी लगी
मुझे कोई सपना याद ही नहीं रहेता
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दर्शन लाल जी ,
आपने सही लिखा , मैंने मात्र ९-१० स्वप्नों का जिक्र किया जबकि ऐसे असंख्य स्वप्न देखे हैं जिनका सच सामने आ चुका है। उसमें से कुछ बहुत रुला देने वाले हैं, कुछ चौंका देने वाले हैं। और कुछ बहुत ही ज्यादा हसाने वाले हैं। लेख को संक्षिप्त रखने के लिए ही बहुत से स्वप्न और घटनाओं का जिक्र नहीं किया लेख में।
एक हसने वाला अविश्वसनीय स्वप्न - हमेशा स्वप्न में देखती थी की गुलाबजामुन से भरी प्लेट सामने है , लेकिन जब तक खाने की नौबत आती थी , गुलाब जामुन गायब हो जाता था। खाने को तरस गयी थी स्वप्न में। अब वो स्वप्न नहीं आता क्यूंकि जबसे विदेश हूँ। गुलाबजामुन खाने को तरसती रहती हूँ। कोई इंडिया से आता है तो काजू बर्फी या सोहन पपड़ी ले आता है । एक मित्र सूरत से आये थे तो कोई 'घेवर' नाम की मिठाई ले आये।
इश्वर से जुडा स्वप्न -- बचपन में तकरीबन १५-१६ साल तक हमेशा भगवान् शिव को स्वप्न में देखती थी। १९९७ में एक ज्योतिषाचार्य ने भगवान् शंकर की उपासना करने की बात कही , जब से उनका व्रत शुरू किया तब से वह स्वप्न आना बंद हो गया। भगवान् शंकर की विशेष कृपा है मुझ पर । काशी विश्वनाथ की नगरी बनारस से मेडिकल किया , लेकिन कभी दर्शन करने नहीं गयी थी काशी विश्वनाथ का । डर लगता है मंदिरों की भीड़ से। एक बार लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में , शिवरात्री की भीड़ में शहीद होते-होते बची हूँ। खैर ज्योतिषाचार्य के कहने पर , बनारस छोड़ने के पूर्व , काशी विश्वनाथ के दर्शन किये।
एक और सच -
स्वप्न में जब परिवार के मृत सदस्यों को देखती हूँ तो केवल स्त्रियों को ही देखती हूँ जैसे अपनी दादी को और नानी को और अपनी माँ को । और हमेशा इन लोगों को स्वस्थ्य और खिलखिलाते हुए देखती हूँ। जबकि मृत्यु के समय ये लोग काफी कष्ट में थे. दादी और नानी दोनों सात वर्ष तक पक्षाघात [ paralysis] से पीड़ित थीं , मृत्यु से पूर्व. कभी स्वप्न में दिवंगत दादा जी , नाना जी , मामा या ताऊ जी को नहीं देखती । इस स्वप्न के पीछे का सच भी नहीं जानती।
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सपनो कि दुनिया से बाहर एक दुनिया है और वहां कि बातें सपनो मैं बयान करना भी एक कला है..
ऐसी मान्यता है कि सुबह के सपने सच होते हैं। मैंने पढ़ा-सुना है कि बहुत से लोगों ने ऐसा अनुभव किया है।
मेरा विचार है कि जिन व्यक्तियों में आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति अधिक होती है, उनके सपने सच के करीब होते हैं।
स्वप्न अब अंधविश्वास नहीं बल्कि परामनोविज्ञान का विषय हो गया है।
इस रोचक प्रस्तुति के लिए साधुवाद, दिव्या जी।
आपकी पोस्ट कभी रहस्यमय और कभी हकीकत लगती है आपकी पोस्ट का यह रंग भी बहुत अच्छा लगा...
मुझे तो बहुत सपने आते है रात तो रात दिन में भी सपने आते है कई सपने सच होते है और कई सपने तो बिलकुल ही
असम्भव होते है |और ज्यादातर मुझे याद भी नहीं रहते |एक सपने का जरुर स्मरण है मै हमेशा सपने में देखती मै एक ऐसे घर में रह रही हूँ जिसके आजू बाजु पानी ही पानी है कई बार उस द्रश्य को देखा मैंने लेकिन अभी कुछ तिन साल पहले केरल घूमने गये और वहां बेक वाटर में घर बने देखे (इसके पहले मैंने कभी बेक वाटर के घरो के बारे में नहीं जाना था )और लोगो को वहां रहते देखा तो मुझे लगा यही तो मै सपने में देखती थी फिर उसके बाद कभी सपना नहीं आया पानी के बीच का |और भी ऐसे सपने ए है जिनमे हकीकत और सपने में फर्क करना मुश्किल हुआ है |
स्वप्न बहुत कुछ कहते हैं ...
पता नहीं, लेकिन कुछ सपनों से मैं दहल जाता हूं...
हाँ मैं भी मानता हूँ कि कई सपने सच होते हैं, चित्रशः. मगर शायद किसी विशेष परिस्थितियों में मष्तिष्क करता है इन्हें अरेंज संभवतः.
dr divyaji jo log vicharak ya pavitra man ke hote hain unka man/atma sote samay bhi ananat aakash me vicharan karti hai.aise loge ke swapn sahi hote hain mujhe bhi isi tarah ka anubhav hai.nice post congrates
सपना देखना वो भी खुली आँखों से , मुझे अच्छा लगता है , बंद आँखों वाले सपने शायद याद नहीं रहते . वैसे आप भाग्यशाली हो की आपको साहस देने वाली दिव्यशक्ति सपने में भी दर्शन दे जाते है . सपनो के मनोविज्ञान में मेरी रूचि आपके इस आलेख से बढ़ेगी.
प्रिय,
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मेरा मानना है की कुछेक मामलों में भविष्य में घटने वाली किसी घटना की पूर्व सूचनाएं होती हैं सपने , इसमें कोई संदेह नहीं है की सपने सच होते हैं , अक्सर ऐसा होता है जब हम किसी होनी या अनहोनी की आशंका से ग्रस्त हो जाते है ओर मष्तिस्क बार-बार उन घटनाओं को दोहराने लगता है क्योंकि नींद में भी हमारा मष्तिस्क सक्रीय रहता है और बार-बार उन घटनाओं की पुनरावर्ती होती रहती है जिन्हें हम सपने कहते हैं , यहं है सपनो का वैज्ञानिक आधार , अब एक दूसरा उदहारण जिसका उपरोक्त विश्लेषण से कोई सम्बन्ध नहीं है _
मैं जब सातवीं या आठवीं कक्षा में पढता था तब एक सुबह छ: बजे करीब मैंने अपने घर के सद्ष्यों से पूछा की फलां गाँव हमारी कोई रिश्तेदार रहती है ? घर के सद्ष्यों का जवाब था " हाँ ! क्यों नहीं वहां पर तुम्हारी बुवा जी रहती हैं , तू यह सब क्यों पूछ रहा है ?
वो अब नहीं रही ! मेरा जवाब था , ( सुबह-सुबह अपशगुन बोलने पर मेरी अच्छी खासी खिचाई हुई थी ) यकीन मानिये मैं बुवा जी के बारे में कुछ भी नहीं जनता था आठ बजे के करीब फलां गाँव से सन्देश आ गया था की उनका निधन हो चुका था , और भी कई घटनाएँ हैं समयाभाव के कारण जिनका जिक्र करना फिलहाल संभव नहीं है , (अधिक नहीं तो संक्षेप मैं इतना दावे के साथ कह सकता हूँ की कुछ तो है ............)
आभार...
दिव्याजी,
आपके सपने तो रोचक हैं।
हम तो कभी कभी भयानक सपने देखते हैं।
शुक्र है कि यह भयानक सपने कभी सच नहीं हुए।
बाकी के समय, हमारी स्थिति विपरीत है।
पहले हकीकत अनुभव करता हूँ।
फ़िर उस रात को उसी घटना से संबन्धित कोई सपना देखता हूँ।
आशा करता हूँ कि आपके आखरी सपने का राज भी एक दिन खुल जाएगा,
शुभकामनाएं,
जी विश्वनाथ
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महेंद्र जी ,
सपनों के पीछे का रहस्य और मनोविज्ञान बहुत रोचक है। लेकिन कभी कभी जिन बातों के विषय में व्यक्ति ने सोचा भी नहीं होता है वो कैसे स्वप्न में आते हैं.जिन लोगों और रहस्यों को हम जानते भी नहीं , उन्हें और उस विषय को कैसे स्वप्न में देखते हैं। मैंने सिर्फ स्वप्नों का जिक्र किया है , लेकिन बहुत सी घटनाएं ऐसी हुई हैं जिनकी मात्र इच्छा की है और वो घटित हो गयीं। निकट अतीत में इश्वर से जो प्रार्थना की वो पूरी हुई । इन घटनाओं से भी मन में आत्म विश्वास बहुत बढ़ा है और एक परा-अलौकिक शक्ति या मनोविज्ञान कहिये उसमें विश्वास बहुत बढ़ा है। इसमें निसंदेह आत्मशक्ति एवं इच्छाशक्ति की महती भूमिका है। इच्छाशक्ति पर शोध जारी है , काफी हद तक सफलता मिल चुकी है । इस परिक्षण एवं परिणामों में मेरे साथ मेरे बहुत से मित्र एवं परिचित शामिल हैं।
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"..जिसमें एक अनजान व्यक्ति हमेशा पीछे रहकर, निस्वार्थ रूप से मेरी बेहद मदद करता है."
इस बारे में मेरा अनुभव है कि जब हम किसी प्रकार की घृणा से ग्रस्त होते हैं तब हमें एक प्रकार की मानसिक शक्ति की आवश्यकता होती है जो हमें उस रूप में मिलती है जिसका आपने उल्लेख किया है. भूत, प्रेत, अच्छी-बुरी आत्माएँ, अलौकिक दृश्य आदि हमारे मन की ही प्रोजेक्शंस होती हैं. होती नहीं हैं परंतु उनका आभास होता है. बाहर से कोई नहीं आता.
यह मेरा मत है जिसे आप तक पहुँचा रहा हूँ. ठीक लगे तो प्रकाशित करें.
sapne adha haqiqut adha fasana jaisa hota hai...
manovigyan me frayod ne iska bahut achha vishleshan kiya hai.....
pranam.
सपने सच होते हैं ,,,,
बहुत सुंदर .
सपने सच होने की घटनाएं मेरे साथ भी घटी हैं .लेकिन हर सपना सच नहीं हुआ.आप में कुछ विशेषता है तभी आगत की आहट सपनों में पा लेती हैं .
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भूषण जी ,
यहाँ तो सभी पाठक अपने-अपने अनुभव लिख रहे हैं। आपने , अपने जीवन में जो अनुभव किया वो आपने भी लिखा। इसमें प्रकाशित न करने जैसी क्या बात है।
आपके विचारों के लिए आपका आभार।
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मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........
यकीनन, सपने सच होते हैं, ये बात दीगर है, कि कोई सपनों को संजों कर रखता है, तो कोई भुला देता है।
बहुत सही एवं रोचकता से भरपूर सुन्दर लेखन ..हमारा भी यही मानना है कि अक्सर सपने सच होते हैं वो भी सुबह के समय देखे गये ।
यहाँ आने से पहले मनोज भारती के ब्लोग पर स्वप्न के सन्दर्भ में एक बहुत सुन्दर झेन कथा पड़ी जो इस तरह थी :
च्वांगत्सू ने स्वप्न में देखा कि वह एक तितली है । रंग बिरंगी, पंख फड़फड़ाती, उड़ती, फूलों पर मँडराती ,तितली । तितली के रूप में उसे जरा भी ध्यान नहीं आया कि वह वास्तव में एक इंसान है । अपने मनुष्य रूप का कोई बोध उसके मन में नहीं था । फूलों पर मँडराते-मँडराते अचानक उसकी नींद टूटी ।
वह सोचने लगा ," क्या मैं एक मनुष्य हूँ, जो तितली होने का स्वप्न देख रहा था ? या मैं एक तितली हूँ जो मनुष्य होने का स्वप्न देख रही है ?"
आपके स्वप्नों के अनुभव पढकर दिल में यही आता है कि सितारों से आगे जहाँ और भी हैं शायद!
इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान रिजल्ट निकलने से एक दिन पूर्व मुझे हमेशा सपना आता था जिसमें मेरा रोल नंबर रिजल्ट बोर्ड पर दिखता था ! दूसरे दिन उसी क्रम पर अपना नाम पाकर बहुत हैरानी होती थी ! कई बार दोस्तों को अपना रिजल्ट पहले ही बता देता था !
मैंने कई बार अपने सपनों को सच होते पाया है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
कभी-2 सपने भी सच होतें हैं। सहमत हूँ।
आपको मकर संक्रांति के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुबह के समय सपने लगभग रोज ही दिखते हैं, कुछ याद रहते हैं कुछ नहीं. लेकिन यह सही है की कुछ सपने सच हुए.इस लिए यह कहना कि सभी सपने सच नहीं होते कहना मुश्किल है.
अजी सपने ही तो सच होते हैं। जो सच है वह तो है ही। और जो सपने नहीं देखता वह फिर क्या देखता है। हम तो जागी आंखों में भी सपने देखा करते हैं।
और जो सोई आंखों में देखता हूं, उसे दिन भर सच होने के सपने देखता हूं।
क्या कहू ...... सच भी हो सकते है तभी तो. ........सपनों की दुनिया ने तो ज्यादा तकलीफ ही दी है.. हा कुछ अच्छे भी हो सकते है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है. ...........
स्वपन तो सुना है सभी को आते हैं कुच्छ याद रहते हैं और कुच्छ आँख खुलते ही भूल जाते हैं ! पर जहां तक आपके स्वपन कि बात है तो जिस इन्सान को आप स्वपन मै देखती हैं वो मेरे ख्याल से आपकी ताक़त , हिम्मत का ही दूसरा रूप है जो आपके ही अन्दर रहता है और आप उसे अपने अनुभव के मुताबिक स्वपन मै देखती हैं !
रोचक वार्ता !
ये पूरी तरह से आप की सोच और आने वाले समय के हिसाब से तैयारी करने की सूचना है.....। पराशक्तित हमेशा सबका ख्याल रखती है....ठीक उसी तरह जिंदगी में दो जमा दो चार ही होते हैं....पर कुछ नियम हैं जीवन के .. जैसे मौत का समय निश्चित होता है....पर इसका मतलब बीच सड़क पर भरे ट्रैफिक में आप नहीं चलते.....ठीक उसी तरह स्वप्न आप की विचारों का आइना है....कुछ इस तरह से जैसे आपको बारिश की सूचना मिलती है अब आप पर है कि आप छाता लेकर चलें या नहीं....पर एक बात और ..सपनों का विश्लेषण आसान नहीं होता..कई बार लगता है कि यही बात सपने में देखी थी पर हकीकत का आना शेष होता है....वहीं जैसे चिकित्सा जगत में जाना शायद आपका प्रारब्ध था सो वो आपको दिखता रहा..उसी तरह कई समस्याओं से अवचेतन मन सोने पर भी दो चार होता रहता है....और उसका हल भी ढंढ ही लेता है.....शायद आपने पढ़ा होगा कि रामानुजन सपने में सवालों के हल ढूंढ लेते थे और फिर तुरंत उनकी नींद उचट जाती औऱ वो हल निकाल लेते थे....तो ये एख विज्ञान है जिसे आप समझ सकते हैं....जान सकते हैं...पर विश्लेषण कोई जानकार ही कर सकता है....
ji han mere sapne bhi saty hote hai....mai aapki lekh pd rhi thi to lga mano aap meri hikahani likh di ...!!
मुझे भी इस तरह के सपने आते है जब भी मै किसी नई जगह जाता हु तो याद आता है कि मै यहा पहले आ चुका हु जब भी सपने मे साँप दिखता है तो अगले दिन वही साँप असलियत मे दिखता है किसी कि मौत का पहले पता चल जाता है
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