दुसरे प्रकार के भाई , अपनी बहनों के रूप पर ही मोहित होते रहते हैं और उन्हें मेनका की उपाधि से विभूषित करते हैं। लेकिन दुखद बात तो ये है की 'अनवर जमाल ' टाइप भाई को जब मेनका और गार्गी जैसी बहनें घास नहीं डालतीं तो ये विचलित होकर , अपनी बहनों के खिलाफ अपने ब्लॉग पर पोस्ट लिखकर अमरेन्द्र त्रिपाठी जैसे सस्ते भड़ासियों को आमंत्रित करते हैं अपनी बहनों को अपमानित करने के लिए । और ये चवन्नी में बिके हुए आलोचक अपनी लेखनी का भरपूर प्रयोग करते हैं एक स्त्री को जलील करने में।
कुछ महान हस्तियाँ मेरे ब्लॉग पर आकर आग में घी डालती हैं और उनके उकसाने पर जब दोषी को खरी खोटी सुना दी तो ये महानुभाव मेरी भाषा पर आपत्ति दर्ज कराके खुद शारीफ होने का दम भरने लगे। धन्य है ऐसे दोयम चरित्र वाले उपदेशक भी। सिर्फ राजनेताओं और गद्दारों और घोटालों के खिलाफ कलम चलाई जाए ? ब्लॉग पर भटकते भड़ासियों को खुले सांड की तरह छोड़ दिया जाए ? नहीं भाई , आप लोग रिश्तेदारी निभाइए , टिप्पणीकार जुटाइये और सोशल नेटवर्किंग कीजिये। मुझे फर्जी भाई और भाड़े के भड़ासियों से बहुत भय लगता है।
अब अनवर जमाल के प्रश्न का उत्तर --
प्रश्न एक - आपको और लोगों ने भी तो बहन कहा लेकिन आपने आपत्ति क्यूँ नहीं जताई ।
उत्तर - जनाब अनवर जमाल , बहुतेरे फर्जी भाई मिले यहाँ ब्लॉगजगत में , लेकिन पतझड़ के मौसम में गिरते पत्तों की तरह उनका नकली नकाब स्वतः ही गिर गया और उनका भ्रातृ - प्रेम सूखे पत्तों की तरह सूखकर बिखर गया। हाँ एक अंतर जरूर है आपमें और अन्य भाइयों में की उन्होंने मुझे जलील करने के लिए लेख लिखकर भाड़े के टट्टू नहीं बुलवाए मुझे अपमानित करने के लिए। शायद उनमें आपसे ज्यादा शराफत है।
प्रश्न दो - आपने अरविन्द मिश्रा के खिलाफ विचार क्यूँ नहीं रखे मेरी पोस्ट पर ?
उत्तर- मैं भाड़े का टट्टू नहीं हूँ जो अपनी भड़ास निकालूंगी किसी की पोस्ट पर। इस काम के लिए अमरेन्द्र त्रिपाठी ही बेहतर है। रही बात अरविन्द मिश्रा की तो वह एक निम्न मानसिकता वाला पुरुष है जो महिला ब्लोगर्स को कुतिया और अन्य विशेषणों से नवाजता है। ऐसे व्यक्ति समाज में कलंक हैं और मैं ऐसे लोगों से दूर रहती हूँ।
अब अनवर जमाल से कुछ विनम्र निवेदन --
१- कृपया मझे मेल लिखकर भीख म़त माँगा करें कि आकर आपकी पोस्ट पर कुछ लिखूं।
२- आपने अपनी ही पोस्ट पर फर्जी नामों से और anonymous ID से मुझे भद्दी गालियाँ दीं । बाज आइये ऎसी छुद्र मानसिकता से। बचकानी हरकतें हैं ये सब । बुजुर्गों पर शोभा नहीं देती।
३- मेरे खिलाफ लेख लिखने वाले बहुतेरे आये और चले गए । इसलिए आप इस मनभरोसे में मत रहियेगा की आप इन टुटपुंजिया हरकतों से मुझे किसी प्रकार की क्षति पहुंचा सकते हैं।
४- किसी को बहन तभी कहिये जब उसका अपमान देखकर आपका खून खौल जाए। न की मदारियों की तरह मजे लीजिये स्त्री का अपमान होते देखकर। [ Blood is thicker than water ]
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आभार।