देश की वो हस्तियाँ , जिनके स्मरण मात्र से ह्रदय , ऊर्जा एवं स्फूर्ति से भर जाता है , उसमें से एक शख्सियत हैं - डॉ ए . पी . जे . अब्दुल कलाम ।
१५ अक्टूबर १९३१ को जन्मे , भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति [२००२ से २००७ ] , जिनका पूरा नाम डॉ अवुल पक़िर जैनुलबदीन अब्दुल कलाम है, एक बहुत बड़ी हस्ती हैं जिन्होंने अपने कार्यों से पूरे देश को गौरवान्वित किया है। देशभक्ति और देश के विकास के लिए प्रयासरत इस भारत के रत्न को सादर नमन।
एक एरोनौटिकल इंजिनियर , जिसने DRDO एवं ISRO के साथ , बैलिस्टिक मिसाइल्स एवं रॉकेट टेक्नोलोजी पर कार्य किया। भारत के पोखरन-द्वितीय , नुक्लियर टेस्ट में इनका महत्वपूर्ण योगदान है।
डॉ कलाम का सपना है की , सन २०२० तक भारत एक सुपरपावर और विकसित देश बन कर उभरे । विज्ञान के क्षेत्र में डॉ कलाम के अभूतपूर्व योगदान हैं।
डॉ कलाम को मिले सम्मान -
- पद्म भूषण - १९८१
- पद्म विभूषण - १९९०
- भारत रत्न - १९९७
- Hoover medal [ अमेरिका का इंजीनियरिंग में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ]- २००७
- Wings of fire
- Ignited minds
- India 2020
- Indomitable spirit
- Envisioning an empowered nation
आभार।
68 comments:
bar-bar naman kalam sahab jaise yug purush ko.
sarthak lekhan ke liye lekhni bhi pranamy hai.
चाचा कलाम तो हमारा सलाम !
Indeed he is great Indian; deserves another term as PRESIDENT OF INDIA.
aapne A.P.J Abdul kalam ji ke bare mai kafi bata diya jo mujhe pata nhi tha
aapka aabhar
kabhi yaha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
मेरा नमन।
मैं तो डा.कलाम का फ़ैन हूं.
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@ Stranger -
Yeah, People's president.
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इस महापुरुष से हाथ मिलाया था और तीन चार मिनट तक बातें भी की थी।
१९८६-८७ का किस्सा है, जब वे रष्ट्रपति नहीं बने थे।
सपने में भी मैंने सोचा नहीं था कि भारत के भावी राष्ट्रपति से हाथ मिला रहा हूँ।
फ़िर कभी पूरी कहानी सुनऊँगा।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
डॉ कलाम का व्यक्तित्व उर्जा से भरपूर, विचारवान और चमत्कारिक है . ऐसे महामानव को हमारा शत शत प्रणाम .
सच मे इसे कहते हे महान आदमी, मेरा सलाम कालम साहब को,
लेकिन आज तो इस कुर्सी पर पता नही केसे केसे लोग बेठ जाते हे, जिन के नाम से घाटोलो के केस भरे पडे हे, फ़िर भी आराम से शान से बेठे हे...
धन्यवाद,
निसंदेह महान व्यक्तित्व ! अच्छा होता कुछ विस्तार दिया होता महा मानव के जीवन के बारे में !
Dear Divya Ji. I think somewhere you said that you are not scared of people on net. So i am asking you (without fear of being misunderstood), is it possible to contact you on messenger? specially after reading your post about maoist binayk sen i am eager. I chatted with you few times in H1.I am Madhav
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Madhav ji ,
Yes, It is true that I do not fear anyone, but ironically I do not trust anyone.
You are very welcome to discuss anything here in public. When issues are general , then it should be talked in public.
regards,
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यह इस देश का दुर्भाग्य है कि हम ऐसी अज़ीम हस्ती की कद्र न कर पाए और उन्हें राष्ट्रपति पद से पदच्युत कर दिया :(
डाक्टर कलाम साहब के बारे में सुन्दर वर्णन किया है. महान व्यक्तित्व जाति, सम्प्रदाय और क्षेत्रवाद से काफी ऊपर उठ चुके होते हैं, उन्ही में से एक कलाम साहब के प्रति आदर स्वतः ही आ जाता है.
सुन्दर रचना के लिए साधुवाद.
sat sat naman...!
peechhle dino ham Rameshwaram gaye the, to inka tuta futa makan dekha........sach main aise mahan vyaktitwa ki sirf hajaro me bhi sankhya hoti to hamara desh kahan se kahan pahuch jata...:)
धन्यवाद
यह बेहतरीन लेख विज्ञान ब्लॉग पर ले जाने का दिल कर रहा है पर डर भी लगता है :))
सुन्दर रचना के लिए साधुवाद.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बाद देश को सबसे सक्षम राष्ट्रपति मिला था... सारगर्भित जानकारी..
एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व का आपने स्मरण कराया. आभार
डॉ. कलाम हमारे देश के गौरव हैं।
उनके कार्यों में, व्यवहार में, भाषणों में तथा उनकी लिखी किताबों में उनकी संवेदनशीलता, देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता स्पष्ट झलकती है।
ऐसे महान व्यक्तित्व को मेरा नमन।
कलाम को सलाम
भारत में डॉ.कलाम के योगदान के प्रति नतमस्तक.
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दर्शन लाल जी,
आपकी डर वाली बात पढ़ी तो मुस्कराहट आ गयी । क्यूँ शर्मिन्दा करते हैं , बेझिझक लगाइए विज्ञान ब्लॉग पर।
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वन्दे मातरम,
आपको डॉ. कलाम के विषय में सारगर्भित एवं प्रेरनादायी जानकारी प्रस्तुत करने हेतु सादर धन्यवाद एवं डॉ. कलाम को शत शत प्रणाम करते हुए उनके स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की कामना करता हूँ
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गिरधारी खंकरियाल जी ,
निसंदेह इस महान हस्ती पर लिखने के लिए बहुत कुछ है। मैंने बहुत मुश्किल से इसे संक्षिप्त रखा है। अगर पाठक अपनी तरफ से कुछ जानकारी जोड़ते हैं तो लेख की सार्थकता बढ़ जाती है।
उनकी लिखी पुस्तकों में से मैंने अभी तक सिर्फ दो [ wings of fire , Ignited minds ] ही पढ़ी हैं। यदि आज की युवा पीढ़ी इन पुस्तकों के प्रथम दस पृष्ठ ही पढ़ लें तो उनका जीवन बदल जाएगा। एक दिशा मिल जायेगी।
मेरा सपना है की एक बार डॉ कलाम से मुलाक़ात कर सकूँ। उनका हंसता हुआ चेहरा अपने ब्लॉग पर लगाकर उन्हें अपने बहुत करीब पा रही हूँ। ऐसा लगता है जैसे वो मेरे सर पर अपना आशीर्वाद भरा हाथ रख कर स्नेह लुटा रहे हों।
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डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी सादर नमन ....
इस पोस्ट के लिए आपका आभार !
सादा जीवन उच्च विचार की यथार्वादी सोच से ओतप्रोत डा. अब्दुल कलाम आजाद को मेरा भी नमन.
Dr.divya ji,
Dr.Abdul kalam jaise log bahut birle paida hote hain magar afasos hamaari ochi raajniti unhen Kuch karane ka maoka nahi deti.
Dr.Abdul kalaam ko salaam.
-Gyanchand marmagya
देश के लिए कलाम साहब के योगदान को सब जानते हैं. मगर मुझे काफी शिकायत है उनके राष्ट्रपति-काल से.
१. याद कीजिये जब वे तुरंत राष्ट्रपति बने ही थे उस समय वाजपेयी जी ने बिहार में राष्ट्रपति-शाशन कि सिफारिश की थी. क्योकि सर्वोच्च नायालय ने ऐसा कहा था कि वहाँ पर सरकार नाम की कोई चीज़ नहीं है. कुछ ऐसी ही सिफारिश वहाँ के राज्यपाल ने भी की थी. लेकिन कलाम साहब ने उस सिफारिश को ठुकरा दिया. और बिहार कि जनता त्रस्त की त्रस्त ही रही.
२. इस के विपरीत. अपने शाशन के अंत में. जब सरकार ने गोवा में राष्ट्रपति शाशन की मांग की थी क्योकी तब की कांग्रेस की सरकार में अल्पमत में आ गयी थी. ज्ञात हो कि तब राजनीतिक कारणों से वहाँ के स्पीकर ने भी सिर्फ इसलिए इस्तीफा दिया था ताकि वो कांग्रेस नीट सरकार को बचाया जा सके. इस सिफारिश का परिणाम ये था की कलाम साहब ने जो की तब रूस में थे वहीं से राष्ट्रपति शाशन को स्वीकृति दे दी थी. ये दोहरे मानदंड का परिचायक हो सकता है या उनके राजनीति में रूचि की कमी.
इसलिए मैं नहीं मानता की उनका दोबारा राष्ट्रपति बनना अभी की स्थिति से कुछ ज्यादा अलग होता. हाँ, कहने के लिए जरूर होता की अपने देश का राष्ट्रपति एक वैज्ञानिक है और अच्छी छवि का है.
३. रही २०२० तक भारत को विकसित राष्ट्र बन जाने के उनके स्वप्न का तो मुझे इसमें शंशय है. शक मुझे अपने देश के काबलियत पर नहीं है. बल्कि विकास के लिए जो रास्ता हम अपना रहे हैं उस तरीके को लेकर है. क्या विदेश से उन्नत किस्म की मशीने अपने यहाँ की university में लगा देने भर से या प्रदर्शनी के तौर पे सारी विदेशी चीज़े यहाँ ला भर देने से क्या हम विकसित हो जायेंगे? जब तक अपने आप में हम सक्षम नहीं होंगे तब तक २०२० तो क्या ३०३० तक भी विकसित नहीं होंगे. विकसित होने के परिभाषा में ही कहीं कोई problem है. हम खेती उस चीज़ की करते हैं जिसकी विदेशों में ज्यादा मांग है ना की हमारी जरूरत उस चीज़ की है. हम स्सिएंस में उस चीज़ पे शोध कर रहे हैं जो दुनिया में hot field है. हमे अपने जरूरत के हिसाब से अपने research design करना चाहिए.
माफी चाहता हूँ की मैं सब से अलग बात बोल रहा हूँ. लेकिन मुझे लगता हैं सोचने की जरूरत है.
४. आख़री बात. क्या मनमोहन सिंह जी की काबलियत पर किसी को शक है? २० कोस लंबा उनका CV किसी काम क्यों नहीं आ रहा देश के?.
सोच सोच के सब अच्छा लगता है. लेकिन वास्तव में आज भी देखिये की कितने लोग रोती खा पा रहे हैं.
वैसे मैं क्या कहूंगा इस पर सब को सब मालूम है. छोटे मुह बड़ी बात.
मैं बस विज्ञान में उनके योगदान और उनकी इमानदारी के सराहना करता हूँ जो की जरूरी है. राष्ट्रपति रहते हुए ना टी किसी की सोच बदली और ना ही कुछ हुआ.
किसी की भावनाओं को ठेस पहुँची हो तो माफी चाहता हूँ.
मेरी ये टिप्पणी कलाम साहब के व्यक्तित्व पर नहीं है और ना ही उनपर कोई व्यक्तिगत आक्षेप है.
डॉ कलाम का व्यक्तित्व उर्जा से भरपूर है
डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तित्व को मेरा नमन।
नमन इस विभूति को.आभार आपका.
डा कलाम जैसे शख़्शियत को अपनी लेखनी के माध्यम से उद्घ्रित करने के लिय आप बधाई के पात्र हैं, ऐसी महान हस्तियों को गाहे ब गाहे याद करना हम सब की ज़िम्मेदारी है।
आज आपका यह लेख और उसके भाव मन को छू गये ...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ...बधाई के साथ शुभकामनायें ।
SHRADHEYA KALAM SAHAB AUR KIRAN BEDI KA NAAM JAB
BHI SUNTA HOON ..... APNE MRIT BLOOD CELL ME NA
JANE CHINGARI SI UTHTI HAI.......KYA YE KOI LA-ILAZ BIMARI HAI...........
PRANAM.
इस महान आत्मा को नमन.
i Salute this gr8 man.... there r very few like him.... thnx for sharing....
(lets laugh @oueself... new post hav a look, whn time permits)
... prasanshaneey post !!
कलाम साहब का नज़रिया था की पक्के घड़े पर मिटटी नहीं चढ़ाई जा सकती ..
इसलिए वो स्कूल जाते थे कॉलेज जाते थे ताकि आने वाली पीढ़ी की नस्ल सुधारी जा सके...
ऐसे इमानदार और कर्मठ व्यक्तित्व को सलाम...
अगर हमारे देश के १० % रहनुमा भी उनके जैसे हो जाए तो भारतवर्ष को महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता....
अजीमों शान शहंशाह को सलाम!
मिसाईल मैन कलाम को मेरा सलाम,
इस महान शख्सियत का जितना जिक्र किया जाये उतना कम है,
आभार
बिल्कुल सही कहा है आपने। निसन्देह डॉo कलाम का व्यक्तित्व दुसरे कई लोगों पर भारी पड़ता है।
डा कलाम एक सच्चे भारतीय हैं। उन पर हमें गर्व है और साथ में आप जैसे भारतीयों पर जो भारत से दूर रहते हुए भी अपने वतन से इतना प्यार करते हैं।
Bahut Khub
डॉ ए . पी . जे . अब्दुल कलाम हिन्दुस्तान की शान
kalam ji par sunder prastuti........ unhen naman
देश के विकास के लिए समर्पित एक सच्चे भारतीय पर लेख लिखकर मन प्रसन्न एवं ऊर्जान्वित है। भारत माता के ऐसे सपूतों के आगे सर श्रद्धा से नतमस्तक हो उठता है।
देश के विकास के लिए समर्पित एक सच्चे भारतीय पर लेख लिखकर मन प्रसन्न एवं ऊर्जान्वित है। भारत माता के ऐसे सपूतों के आगे सर श्रद्धा से नतमस्तक हो उठता है।
aap ko badhai ho kuch alag se likha -----
Rajesh Kumar 'Nachiketa जी की टिपण्णी भी बहुत अच्छी लगी, सत्य कहा आप ने धन्यवाद
Dr. A.P.J. Abdul Kalaam Is a truly Indian Man.
Salur To him.
नमन है कलाम साहब को.. न जाने कितनों के प्रेरणा स्रोत हैं..
पहले तो ये समझ नहीं आया कि विनायक सेन पर मेरी कि गई टिप्पणी कहां गायब हो गई। दूसरे मैने कई बार कहा है कि आपकी लिखने की गति इतनी तीव्र है कि मैं उतनी तेजी से न तो कई पोस्ट पढ़ पाता हूं न ही नेट पर आ पाता हूं।
कलाम साहब पर नचिकेता जी की बात से पूरी तरह तो सहमत नहीं हूं। हालांकि कुछ राजनीतिक मजबूरियां होती हैं, जिनके बारे में राष्ट्रपती कुछ नहीं कर पाता। कलाम साहब कि सबसे बड़ी उपलब्धि ये थी कि वो बैठने वाले राष्ट्रपित नहीं थे। बिना ज्यादा अधिकार के भी उन्होंने देश के बच्चों के मन में आगे आगे बढ़ने का जो जोश पैदा किया है वो मेरे ख्याल से कोई नहीं कर पाया है आजादी के बाद। बच्चे भविष्य हैं। और आज की पीढ़ी कुछ करने में विश्ववास रखती है। तर्क के साथ आगे बढ़ना पसंद करती है। तो जाहिर है कि आने वाली पीढ़ी भी कम नहीं होगी और यही जरुरी है। ओबामा ने दो साल पहले अमेरिका में कहा था कि Yes, We Can, लेकिन भारत में कलाम साहब ने उससे पहले ही बच्चों में ये विश्ववास जगा दिया था कि हां हम कर सकते हैं। हम विश्वशक्ति बन सकते हैं। ये तो भारत का सौभाग्य रहा उनके वक्त में कि जब अंधी राजनीति धर्म के नाम पर वोट बटोरने के लिए चाल चल रही थी, उस वक्त कलाम साहब जैसा शख्स था इस देश की जनता के मन में भी जिससे बढ़कर कोई भारतीय नहीं हो सकता। यही भारत की अखिल पहचान है।
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रोहित जी ,
शायद net connectivity न होने के कारण आपकी टिपण्णी मुझ तक न पहुंची हो । उस महत्वपूर्ण विषय पर तो आपकी टिपण्णी का विशेष इंतज़ार था। हो सके तो संक्षेप में पुनः अपने विचार लिखें, उस विषय पर।
आभार।
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रोहित जी,
एक बार विस्तार से लिखने के बाद , यदि टिपण्णी net connection अथवा किसी कारणवश मार्ग में ही खो जाती है तो दुबारा लिखने में वो भाव नहीं आ पाते और फिर से लिखने में आलस आता है। लेकिन हो सके तो दुबारा लिखियेगा।
आपकी टिपण्णी मुझ तक ना पहुँच पाने के कारण प्रकाशित नहीं हो सकी , जिसका मुझे खेद है।
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@ भारतीय नागरिक ,
आपके ब्लॉग पर फिर समस्या आ गयी ? वहां कोई भी पोस्ट नहीं है । कृपया जांच करके सूचित करें।
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सच्चा हिंदुस्तानी ,सलाम करता हूं
dr.A .P.J.KALAM MAHAMHIM EX PRESIDEND KO YAD KARNA BHARAT KE GAURAV KO YAD KARANA HAI.IS POST KE LIYE AAPKO JITANI BHI BADHAI DI JAY KUM HAI.AAP BHI HAMARE DESH KI GAURAV HAIN BADHAI
@boletobindaas! आप मीडिया से जुड़े हैं इसलिए मुझ से बेहतर समझ रखते हैं. लेकिन मैंने तो जो बिहार में देखा और जितनी राजनीति के बारे में सोचा सो कहा. विज्ञान में कलाम साहब का योगदान बहुत है. फिर भी मैं आप को बताऊँ. आप चाहें तो DRDO के laboratories के स्थिति जा के पता लगा सकते हैं. वहाँ पर रेसेअर्च में जितना पैसा लगाया जाता है क्या उतना काम होता है. रक्षा के नाम पे वहाँ ना तो कोई publication किया जाता है और ना ही कोई cutting edge research . आप मीडिया से जुड़े हैं इसलिए आसान होगा आपके लिए जरूर पता लगाईये. मेरी आप से गुजारिश है की आप पता लगाइए और मुझे भी बताइए. अगर मेरी बात सही ना हो तो मैं अपनी धारणा बदल लूँगा. वास्तव में मैं ये धारणा बदलना चाहता हूँ अगर मैं गलत हूँ तो.
हमारी समस्या है की हम दुनिया की देखी करते हैं. हमारा मीडिया भी राजनीति की कठपुतली बना है. उल जुलूल के खबर दिखा के २४ घंटे पूरे करने होते हैं. हमारे टीवी चंनेल्स के प्रोग्राम भे वैसे और बस नक़ल.
भरत को विकसित तब मानिए जब घरों में ताले ना लगाने की जरूरत रहे.
मैं फिर कहता हूँ कलाम साहब की मैं बहुत इज्जत करता हूँ और मेरे भी प्रेरणा श्रोत हैं.
लेकिन राजनीतिक दोहरा रवैया जो दिखाया वो भूल सुधार नहीं किया उन्होंने.
बच्चों में अच्छी भावना जरूर लाये हैं मैं मानता हूँ.
हम तुलना भी बहुत करते हैं. और नक़ल. अपना कुछ ओरिगिनल नहीं है. जो है उसे बचा नहीं पा रहे और ना ही उसका प्रचार कर रहे हैं. जैसे योग ज्योतिष इत्यादि.
इसे व्कतिगत तौर पर ना ले.
दिव्याजी/रोहितजी,
एक सुझाव।
जब टिप्पणी एक या दो लाइन से ज्यादा लंबी हो, तो उसे किसी Editor में ही टाइप कीजिए।
इसी में समझदारी है। इंटर्नेट का कोई भरोसा नहीं। कभी कभी लटकता है और सारी मेहनत बेकार हो जाती है।
मुझे भी कई बार ऐसा हुआ था। अब सबक सीख गया हूँ और एक विशेष text file है मेरा जिसमें मेरी सभी टिप्पणियाँ हैं।
off line Typing करता हूँ और फ़िर ब्लॉग में copy / paste करता हूँ। इसमे एक और लाभ है कि मेरे पास reference के लिए, मेरी सभी टिप्पणियाँ एक ही जगह सलामत हैं और जरूरत पढने पर Ctrl F करके किसी भी टिप्पणी को, किसी भी समय, offline mode में खोज सकता हूँ। ध्यान रहे कि ब्लॉग पर टिप्पणी करते समय, बीच बीच में Save as draft का option नहीं है, इसलिए मेरा सुझाव शायद आपके काम आ जाए।
हाँ, एक और बात कहना चाहता था। अनेक ब्लॉग पर, टिप्पणी की लंबाई पर limit लगा दी गई है और लंबी टिप्पणियाँ प्रकाशित नहीं होती। सन्देश मिलता है "e blogger could not complete your request". जब टिप्पणी की लंबाई २०० शब्द से ज्यादा हो, तो उसे किस्तों में लिखकर भेजिए।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
सुन्दर और विस्तृत जानकारी !
१३ जनवरी को पौष माह का आखिरी दिन यानि ठंड का अंत !इसी दिन लोहरी होती है ।
आप हमारे संग लोहरी मनाने हमारे यहाँ आईएगा ।
आभार !
हरदीप
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@ GV Sir ,
Many thanks for this wonderful suggestion .
regards,
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हरदीप जी ,
आपको लोहड़ी मुबारक हो । प्रेम भरे निमंत्रण के आपका शुक्रिया । जरूर आउंगी।
दिव्या जी आपने इस बादशाह के विषय जो कुछ भी लिखा है वह सही लिखा हे . ऐसे लोग पूरी कायनात में कुछ ही मिलतें हें .
लोहड़ी, मकरसक्रान्ति, गणतंत्र दिवस, की बहुत -२ बधाई .
@नचिकेता जी
नचिकेता जी मैने कहा था कि मैं आपसे पूरी तरह सहमत नहीं हूं ......शायद आपने लिखे शब्द का अर्थ ठीक से नहीं लिया...पूरी तरह नहीं सहमत होने का एक अर्थ होता है कि कई बातों पर सहमति....सो आपकी कुछ राय से मैं इत्तफाक रखता हूं...वैसे भी सबकि राय एक हो जरुरी तो नहीं होता दोस्त....जहां तक जो सवाल आपने DRDO के बारे में उठाए हैं..वो कोई नई बात नहीं है..कई बार अखबार कठघरे में खड़ा कर चुके हैं दुखद बात ये होती है कि खराब खबरों के बीच लोग अच्छी और बेहतर खबरों से भी अंजान हो जाते हैं...वहीं कलाम साहब के फैसलों पर कहना है कि...वो तो अटल बिहारी वाजपेयी जी की शराफत थी कि उनकी सरकार ने दोबारा कलाम साहब के निर्णय की इज्जत करते हुए फैसले को दुबारा राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा....जबकि गोवा वाले प्ररकरण में दोबारा फैसला उनको जस का तस सौंप दिया जाता और फिर उनके पास उसपर हस्ताक्ष्क्षर करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता..इसलिए पहली बार मे साइन करके उन्होंने गलत नहीं किया....
नचिकेता जी आप अपने विचारों को बिल्कुल न बदलें कलाम साहब के प्रति .... एक राजनीतिज्ञ के तौर पर आप उन्हें असफल मानते हैं तो कोई गलत नहीं करते.....कलाम साहब कि इज्जत करने का मतलब ये नहीं कि उनकी हर बात से हर कोई सहमत हो....और न ही उन्हें किसी क्षेत्र में असफल मानना उनकी बेइजज्ती करना है......एक शख्सियत के तौर पर कलाम साहब की सारा हिंदुस्तान इज्जत करता है. और मेरे हिसाब से उनके जैसा व्यक्ति राष्ट्रपती के अत्यंत सीमित अधिकार के बाद भी जो कर पाया वो काफी प्रेरक और बेहतर है...
कलाम साहब समेत कई विषय हैं जिनपर लिखने का मन करता है पर लिखता नहीं..लंबी पोस्ट से बचता हूं मैं फिर भी लंबी पोस्ट हो जाती है.....जब टिप्पणी ही मैं इतनी लंबी कर देता हूं तो पोस्ट कौन झेलेगा.....
@माधवन जी...
सर आपकी बात पर अमल करने की कोशिश जरुर करुंगा.....हां हर बार कर पाउंगा नहीं कह सकता...इसके लिए क्षमा..हां पोस्ट मैं पहले ऑफ लाइन ही लिखता हूं फिर उसे पेस्ट कर देता हूं ब्लॉग पर....और एडिट भी....ब्लॉग पर ही करता हूं...
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आशीष जी और रोहित जी की टिपण्णी मुझ तक नहीं पहुंची थी तथा प्रकाशित न हो पाने के कारण उन्होंने मुझे सूचित किया तथा दुबारा अपने विचार लिखे , जिसके लिए इनकी आभारी हूँ।
नेट कनेक्शन की गड़बड़ी से शायद ऐसा हो जाता है। विश्वनाथ जी की सलाह पर ध्यान दें।
यदि किसी को अपनी टिपण्णी यहाँ पर ना दिखे तो कृपया एक बार सूचित अवश्य कर दें।
असुविधा के लिए खेद है।
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