Tuesday, January 25, 2011

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा ..



महाकवि कालिदास के शब्दों में , " स्वर्ग से भी सुन्दर यदि कोई जगह है तो वो कश्मीर है " सुन्दर झीलों , झरनों और वादियों की अनुपम भूमि काश्मीर , सुख , शान्ति एवं आनंद को देने वाली है पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत स्थल आज दो देशों के मध्य विवाद की हड्डी बना , सिसक रहा है
भारत और पाकिस्तान के मध्य राजनीति का खिलौना बन गया है कश्मीर भारत धर्म निरपेक्षता का पालन करते हुए काश्मीर की हिफाज़त कर रहा है , वहीँ पाकिस्तान धर्म के नाम पर कश्मीर पर अधिकार चाहता है । मुस्लिम-बहुल राज्य काश्मीर में , खून की होली खेलते आतंकवादियों के उत्पीडन से बचने के लिए , तकरीबन तीन लाख हिन्दू वहां से पलायन कर गए तथा एक लाख शांतिप्रिय , बुद्धिजीवी तथा उद्दार व्यक्तित्व वाले मुसलमान भी काश्मीर छोड़कर भारत के अन्य राज्यों में बस गए ।
१९४७ की आज़ादी के बाद से ही यह २२२, २४६ वर्ग किलोमीटर भूमि विवादित हैदक्षिण पूर्वी हिस्सा भारत का जम्मू-काश्मीर राज्य है जबकि उतर पश्चिमी भाग पकिस्तान के अधिकार में है

काश्मीर का नाम कैसे पडा -

प्राचीन ग्रंथों में मिले उल्लेख के अनुसार ऋषि कश्यप के नाम पर इसका नाम 'कश्यपामार' था जो बाद में 'कश्मीर' हो गया। सातवीं शताब्दी में Hiun-Tsang जब भारत आया तो उसने इसे 'काशिमिलो ' कहा।

कश्मीर की इस स्वर्गरुपी साझा ऋषि भूमि पर हिन्दू , मुस्लिम सदियों से साथ-साथ मिलकर रहते थे । कश्मीरी हिन्दुओं की ऋषि परंपरा तथा मुस्लिमों की सूफी-इस्लामिक परम्परा एक दुसरे की पूरक हुआ करती थी। दोनों ही समुदाय एक दुसरे के धर्म को पूरा सम्मान देते थे , तथा एक दुसरे के मंदिर और मस्जिदों में पूरी आस्था और विश्वास के जाया करते थे।

प्रसिद्द इतिहासकार कलहन के अनुसार , तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने काश्मीर में 'बौद्ध' धर्म का प्रचार प्रासार किया तथा नवीं शताब्दी होने तक काश्मीर में पूरी तरह से हिन्दू धर्म का वर्चस्व था।

चौदहवीं शताब्दी तक हिन्दू राजाओं का राज्य था यहाँ । फिर मुगलों के आगमन होने कारण १५ वीं शताब्दी मेंअनेक हिन्दू-तीर्थ नष्ट कर दिए गए और इस्लाम का प्रचार प्रसार होने लगा। १७ वीं शदाब्दी में अफगान शासकों ने काश्मीर की दुर्दशा कर दी। मुग़ल शासन काल का अंत हुआ ५०० वर्षों बाद जब सिक्खों द्वारा १८१९ में काश्मीरका राज्य हरण हुआ ।

१८४६ में प्रथम सिक्ख युद्ध के बाद यहाँ हिन्दू डोगरा शासकों का अधिपत्य हो गया। जिसमे महाराजा गुलाब सिंहका शासन काल १८४६ से १८५७, महाराजा रणबीर सिंह का १८५७ से १८८५ , महाराजा प्रताप सिंह १८८५ से १९२५तक तथा महाराजा हरी सिंह का शासन काल १९२५ से १९५० तक था। डोगरा शासकों ने ही काश्मीर को उसका आधुनिक स्वरुप प्रदान किया।

१९४७ में अंग्रेजी शासन समात होते ही काश्मीर विवादित हो गया। विभाजन के बाद भारत ने धर्म निरपेक्ष होनेके कारण हिन्दू और मुसलामानों दोनों को शरण दी , जबकि पाकिस्तान ने धर्म के नाम प़र पूरे काश्मीर कों हथियाना चाहा । अक्टूबर १९४७ में वहां के शासक महाराजा हरी सिंह ने ये फैसला किया की काश्मीर की जनता स्वेच्छा से भारत अथवा पाकिस्तान , जहाँ जाना चाहे वहां जा सकती है। लेकिन ये फैसला पाकिस्तान को मंजूर नहीं हुआ और उसने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया दिया क्यूंकि पाकिस्तान को लगता है की भारत के मुस्लिम -बहुल क्षेत्र उसके अधिकार में होने चाहिए। इस स्थिति में महाराजा हरि सिंह को भी भारत में ही शरण लेनी पड़ी।

यह युद्ध १९४८ तक जारी रहा , फिर प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी तथा संयुक्तराष्ट्र से हस्तक्षेप की गुहार की । संयुक्त राष्ट्र ने अपने फैसले तथा सुझाव में कहा की - " काश्मीर का परिग्रहण भारत या पकिस्तान में होने के लिए निष्पक्ष जनमत-संग्रह होना चाहिए। " अर्थात काश्मीर वासियों की स्वेच्छा को प्रमुखता मिलनी चाहिए। लेकिन पाकिस्तान को भला कहाँ मजूर था ये निर्णय। उसे तो पूरा काश्मीर चाहिए। १९४९ में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों के मध्य एक नियंत्रण रेखा खींच दी गयी।

लेकिन पाकिस्तान शांत बैठने वालों में से नहीं है । वो समय-समय पर अपनी आतंकवादी गतिविधियों से काश्मीरकी शान्ति को भंग करता है , स्वर्ग के सामान सुन्दर धरती को मासूम इंसानों के खून से रक्तरंजित करता है तथा नयी पढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

ये तो था काश्मीर का इतिहास , लेकिन आज जब बासठवां गणतंत्र मनाने जा रहे हैं तो बस यही ख़याल आ रहा है की कसाब जैसा आतंकवादी ज़िंदा क्यूँ है । हमारे काश्मीर के भाई-बहन कब सुकून की जिंदगी बसर कर पायेंगे ।अलगाववादी नेता क्यूँ इस सुन्दर धरती को अपनी गन्दी राजनीति का हिस्सा बना रहे हैं। इस्लामिक मुल्क क्यूँ हमारे शांतिप्रिय मुस्लिम समुदाय को भड़का रहे हैं ।

आज अपने ही देश में , काश्मीर राज्य में हमारा राष्ट्रिय ध्वज जलाया जा रहा है। अलगाववादी नेता देश को बेचने की पुरजोर कोशिश में हैं। लेकिन सरकार को इन सब बातों से कोई सरोकार नहीं है। क्या काश्मीर वासी गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करने की तमन्ना नहीं रखते ? क्या उग्रवादी , इस सुन्दर वादी के शांतिप्रिय भारत वासियों को गणतंत्र दिवस पर अपने राष्ट्रीय ध्वज को फ़हराने का अवसर नहीं देंगे ?

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ये तिरंगा , उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा
जो भी टकराएगा हमसे , ख़ाक में मिल जाएगा

खून की लाली जवानों की बड़ा रंग लाई है
दुश्मनों ने चोट दिल में , मातमो की खाई है
आग बनके उनपे बरसी , है हमारी गोलियां
जो किया उसकी सजा , उन दुश्मनों ने पाई है
हिंद की धरती पे दुश्मन , लौट कर ना आएगा
ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा

दुश्मन बिखर गए तिनके बनके , आँधियों के सामने
धज्जियाँ ऐसी उड़ीं , आया ना कोई थामने
उनकी लाशों को भी हमने, दफ़न इज्ज़त से किया
हमने एक मिसाल रखी , है जहाँ के सामने
अब वो दुश्मन , दुनिया से , आँखें मिला ना पायेगा
ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा

जो वतन पर मर मिटे , हर दिल में उनका दर्द है
उनके घरवालों की रक्षा करना ,अपना फ़र्ज़ है
उनकी कुर्बानी भुला सकता नहीं ,अपना वतन ,
देश के हर नागरिक के सर पर ,उनका क़र्ज़ है
देश अपना उम्र भर ये क़र्ज़ भर ना पायेगा ,
ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा

हम बनायेंगे शहीदों के समारक , हर जगह
हमने उनसे पायी है जीने की अपनी ये वजह
वक़्त के माथे पे लिख देंगे हम उनके नाम को
याद रखेगा ये भारत , उन शहीदों को सदा
कश्मीर का ज़र्रा ज़र्रा , उनके नगमे गायेगा
जो भी टकराएगा हमसे ख़ाक में मिल जाएगा

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....

वन्देमातरम ! वन्देमातरम ! वन्देमातरम !

66 comments:

शिव शंकर said...

वाह सुन्दर प्रस्तुति ।
लाजवाब आलेख,आपका लेख काफी ‌‌‌जानकारियो से भरा था।
बहुत अच्छा लगा पढकर।

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....

वन्देमातरम ! वन्देमातरम ! वन्देमातरम !

vandana gupta said...

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....कश्मीर भी तो भारत का अभिन्न अंग है तो कैसे ना लहरायेगा।
वन्दे मातरम्।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'ye tiranga umr bhar kashmir par lahrayega'
bahut hi deshbhakti se paripoorn aur chintanparak lekh.
...aur saath me ojasvi kavita .
aaj ham sabhi kalam ke sipahiyon ko apne desh ke prati apne kartavyon ke nirvahan ka khyal rakhna hoga .
maun ka samay nahi hai.

Darshan Lal Baweja said...

जय हो ...

आशीष मिश्रा said...

आप ने कश्मीर के बारे में बहोत अच्छी जानकारी दी .....आभार

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कश्मीर के इतिहास के साथ साथ जो गीत है वो भी बहुत प्रेरणादायक है ...गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

गौतम राजऋषि said...

कश्मीर के इतिहास पे संक्षित्प किंतु अच्छी पोस्ट। किंतु विनती है मैम कि ये "आज अपने ही देश में , काश्मीर राज्य में हमारा राष्ट्रिय ध्वज जलाया जा रहा" जैसी बात न लिखें। ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा यहाँ। वो बीते जमाने की बात थी। कश्मीर बदल रहा है और इस तरह के वक्तव्य कहीं-न-कहीं इस बदलाव में अड़चन डालते हैं।

आप तो इतनी पढ़ी-लिखी हैं...तिरंगे के नाम पर हो रही राजनीति तो अनपढ़ भी समझ रहे होंगे इस वक्त। पचास से ऊपर प्रतिशत कश्मीरी आवाम उतने ही जोश से इस गणतंत्र दिवस को मनायेंगे कल सुबह...जितने शेष भारत के लोग। हो सके तो अपनी पोस्ट से उस वाक्य को हटा दें, जिसका कोई मतलब नहीं सिवाय उन्माद जगाने के।

ashish said...

तिरंगा हमारी आन बान शान का प्रतीक है और भारतवर्ष के अभिन्न अंग कश्मीर में शान से लहराएगा . बेहतरीन पोस्ट .

प्रवीण पाण्डेय said...

जोश में डूबी कविता।

Rahul Singh said...

''पृथ्‍वी पर कहीं स्‍वर्ग है तो यही है'' फारसी में ऐसा कुछ मुगल बादशाह जहांगीर ने कहा था. कालिदास ने ऐसा कुछ लिखा है, यह मेरे लिए नई जानकारी है. बहरहाल इस जज्‍बे को सलाम.

AS said...

A excellent post. But you have missed the contributions of a great Indian, post independence to the unity of Kashmir in India, Dr Shyama Prasad Mookarjee who gave the slogan "Ek desh mein do Vidhan, do Pradhan and Do Nishan nahi challenge" and laid his life down for the country.

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

KASHMIR KE ITIHAS KI JANKARI DETA SUNDER LEKH , SATH MEN DIYA GYA GEET ISKI SUNDERTA KO CHAR CHAND LGATA HUA .
HAPPY REPUBLIC DAY

Arvind Jangid said...

बड़ी ही विकट समस्या है. सभी समस्याएं व्यक्ति के नजरिये पर टिकी होती हैं, जब तक पुनः हमारे जीवन में नैतिक मूल्यों का निर्धारण नहीं होगा, वो स्थान नहीं मिलेगा जो कभी हुआ करता था, शायद कुछ सकारात्मक न हो.



जब व्यक्ति स्वंय ही बिक जाता है तो फिर क्या समाज और क्या देश. गेहूं कम और घुन ज्यादा हो चले हैं.

Arvind Jangid said...

विस्तृत एंव प्रेरणादाई आलेख हेतु आपका आभार.

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

KASHMIR KE ITIHAS KO BTATA SUNDER LEKH , SATH MEN DIYE GEET NE ISKI SUNDERTA MEN CHAR CHAND LGA DIYE HAIN .
HAPPY REPUBLIC DAY

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बिल्कुल शहीदों का अपमान नहीं होने देंगे.

Kunwar Kusumesh said...

कश्मीर के बारे में विस्तृत जानकारी देकर आपने देशभक्त होने का फ़र्ज़ निभाया है. धन्यवाद.
मेरा एक शेर है:-

सीने में अगर जज़्बा-ए-हुब्बे-वतन रहे,
किसकी मजाल छूले कोई कश्मीर को.

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

सुज्ञ said...

आपकी राष्ट्रीय भावनाओं को सलाम!!
कश्मीर पर सुन्दर आलेख।
कुटिल भावनाओं ने इस स्वर्ग को रौंद सा दिया है।
भारत का गौरव वहां की वादियों में गूंजे यही शुभकामनाएं

रश्मि प्रभा... said...

ये तिरंगा , उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा
जो भी टकराएगा हमसे , ख़ाक में मिल जाएगा
aapke blog per gyan , arth sab milte hain

Deepak Saini said...

कश्मीर के इतिहास के विस्तृत वर्णन के साथ साथ आपकी ओजपूर्ण कविता भी गजब की है

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....


जय हिन्द

प्रतुल वशिष्ठ said...

Rahul ji,

Kuchh kahte hain:
"Agar ruhe zami asto, ami asto ami asto"... vaaky khush hokar Shahaajahan ne kahaa tha.
to kuchh kahte hain:
ye vaaky us samay uske saath gaye kisi faarasi lekhak kaa hai.

Shaayad aapko pataa nahin hai Kaalidaas jii ne bhii Pooraa bhaarat ghoomaa thaa, Kashmeer khaas tuar par.
Bade vidwaan log kahte hain - jitanii kavitaa hai mahaakavi kaalidaas jii kii jhoothan hai.
to fir kaise is vaaky me aapko originality kii gandh aa rahii hai.
ek prashn :
"Janani Janmbhoomishch Swargadapi garyasi" kiskii ukti hai?

.


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चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

कुछ इतिहासकार तो यह भी मानते हैं कि ईसा ने भी यहां आकर कुछ समय बिताया था।

आपके जज़्बे को नमन। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं॥

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

इतिहास पर एक बड़ा ही सुन्दर और जानकारी से भरा लेख....
धन्यवाद...

Pratik Maheshwari said...

पता नहीं... ऐसी खूबसूरत जगह के फिलहाल के हालात देख कर तो अच्छा महसूस नहीं होता...
जब अपने ही वहां झंडा नहीं फहरा सकते हैं तो फिर बाकियों की तो बात करनी ही सजा है..
आशा है कि अमन-ओ-शांति का समागम फिर से देखने को मिले धरती के स्वर्ग पर..

Arvind Mishra said...

सुन्दर तथ्यपूर्ण विवेचना!

उपेन्द्र नाथ said...

दिव्या जी , बहुत ही जानकारी परख और विचारणीय लेख ... सुंदर प्रस्तुति. गणतंत्र दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं ....जय हिंद

राज भाटिय़ा said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई

amit kumar srivastava said...

jay jay jay jay ho....
veryyyyyy nice article loaded with sweet lyrics and sound.

वाणी गीत said...

कविता का यह उत्साह जन- जन तक पहुंचे ...
गणतंत्र दिवस की बहुत शुभकामनायें !

ZEAL said...

आप सभी कों गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनायें !

समय चक्र said...

गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...

निर्मला कपिला said...

प्रेरक और नया उत्साह जगाती रचना के लिये बधाई। आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

Bharat Bhushan said...

कश्मीर में पंप हो रहे पैसे ने वहाँ के लोगों को भ्रष्ट और निकम्मा भी बनाया है. नाबार्ड जैसी संस्था ने वहाँ विकासात्मक कार्य जम कर किया है जिसका मूल्याँकन होना चाहिए. बहुत ही अच्छे आलेख के साथ आह्वान करती जोशीली कविता की पंक्तियों ने हृदय को सराबोर कर दिया.

Coral said...

गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को ढेरों शुभकामनाये

Bahut sundar prastuti....

Sawai Singh Rajpurohit said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

ZEAL said...

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लेख के नीचे लिखा गीत , एक बहुत ही लोकप्रिय देशभक्ति गीत है । जिसे मोहम्मद रफ़ी जी ने अपनी ओजमयी आवाज़ में गाया है । इस गीत कों लिखने वाले के जज्बे कों हम सबकी तरफ से नमन

मैंने इस गीत कों You tube पर बहुत ढूंढा ताकि यहाँ अपलोड कर सकूँ, लेकिन पूरे नेट पर कहीं नहीं मिला। इसकी lyrics लिखने के लिए मैंने अपने घर पर जो cassette उबलब्ध है , उसे बार-बार replay करके नोट किया है और फिर यहाँ प्रस्तुत किया है।

यदि किसी कों यह गीत नेट पर मिले , तो कृपया उसका लिंक यहाँ उपलब्ध करायें ताकि पाठक भी इस बेहतरीन देश-भक्ति गीत का आनंद उठा सकें।

मेरे लेख का शीर्षक , इसी गीत से साभार ली गयी एक ओजमयी पंक्ति है।

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Atul Shrivastava said...

वंदेमातरम। आपको और पूरे देशवासियों को गणतंत्र पर्व की शुभकामनाएं। कश्‍मीर को लेकर आपके जज्‍बे को सलाम। ऐसा ही जज्‍बा हर देशवासी के दिल में होना चाहिए फिर कश्‍मीर पर बुरी नजर डालने की हिम्‍मत कोई नहीं करेगा।

Kailash Sharma said...

ये तिरंगा , उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा..

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें और बधाई !

शोभना चौरे said...

झंडा ऊँचा रहे हमारा ,
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा |
"जब तक सूरज चाँद रहेगा
तिरंगे का ही आसमान रहेगा |"

कश्मीर के बारे में संक्षिप्त किन्तु महत्वपूर्ण जानका री के लिए आभार |
गणतन्त्र दिवस सदा विजयी हो .|

Akhilesh pal blog said...

bahoot achha dr divya ji mere blog par aane thata rast gaan ke liye

Rahul Singh said...

इस तरह की एक प्रसिद्ध उक्ति है- ''अगर फिरदौस बन रुए जमी अस्त। हमीनस्तो, हमीनस्तो हमीनस्त''.

Sushil Bakliwal said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

ZEAL said...

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राहुल जी ,

यह पंक्ति अपने लेख में लिखना चाहती थी , लेकिन याद नहीं थी। इसे यहाँ उपलब्ध कराने के लिए आभार।

.

ePandit said...

कश्मीर के इतिहास के बारे में आपने बहुत अच्छी तरह से जानकारी दी। आपको गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें।

अजय कुमार said...

शानदार रचना ,आपके जज्बे को सलाम

Unknown said...

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....

वन्देमातरम ! वन्देमातरम ! वन्देमातरम !

Sunil Kumar said...

यह तिरंगा उम्र भर कश्मीर में लहराएगा मग़र कब ? हम इंतजार करेंगे उस पल तक जान झंडे पर राजनीति नही होगी
काश ऐसा होता अच्छी पोस्ट बधाई

Patali-The-Village said...

आपके जज़्बे को नमन। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं॥

Irfanuddin said...

हमें अपना राष्ट्रीय ध्वज ज़रूर फहराना चाहिये लेकिन इसे अपना राष्ट्रीय धर्म और राष्ट्रीय कर्म समझ के, राजनीतिक उकसावे पर कदापि नही !!!
KASHMIR IS INTEGRAL PART OF INDIA AND WILL REMAIN SO...
JAI HIND
irfan’s

Rakesh Kumar said...

sunder vaktaya,sunder bhavnaye aur ati sunder kamna.Dil se ki hui kamna jaroor poori hogi aur kashmeer hi nahi samast bharat me sukh shanti birajegi.Gantantra divas per bahut bahut subh kamanae.

हरीश प्रकाश गुप्त said...

62वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

कश्मीर के बारे में पर्याप्त तथ्यपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराईं है आपने। आपको आभार।

कश्मीर के संबंध में सामान्यतया लोग सतही तौर पर अपने आग्रह दूसरों पर थोपते हैं। जबकि कश्मीर एक अति संवेदनशील विषय है तथा संकीर्ण और स्वार्थी मानसिकता वाले गैरजिम्मेदार वक्तव्यों ने इस समस्या को और पेचीदा ही बनाया है। कुछ नामी-गिरामी लोगों ने इतिहास की अनदेखी कर या फिर तथ्यों को अपने आग्रहों के अनुरूप तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करते हुए अवाम की भावनाओं को भड़काया है। परिणाम आज हम सबके सामने है। दुख की बात है कि आज भी कुछ लोग ऐसा ही कर रहे हैं। ईश्वर से कामना है कि यह गणतंत्र दिवस उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करे।

हाँ, एक तथ्य और, भारत के साहित्य के लिए कश्मीर एक थाती की तरह है तथा संस्कृत साहित्य और हिन्दी साहित्य इसके लिए हमेशा उसके ऋणी रहेंगे।

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

bahut sunder! वन्देमातरम !

पी.एस .भाकुनी said...

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....
62वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप को हार्दिक शुभकामनाएं।
कश्मीर के बारे में पर्याप्त सूचनाएं उपलब्ध कराईं है आपने। आभार।

सञ्जय झा said...

bravo.......

b a n d e m a t r a m.......

sabhi ko gartantra divas ki subhkamnayen.....

pranam.

अजय कुमार दूबे said...

वन्देमातरम जय हिंद !

महेन्‍द्र वर्मा said...

काश्मीर के इतिहास के संबंध में तथ्यपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद, दिव्या जी।

काश्मीर भारत का ही राज्य है। पाकिस्तानी शासकों की हठधर्मिता ने इसे निरर्थक रूप से विवादित बना दिया है।

लेख के साथ दिया गया गीत हर भारतीय के मन में जोश भर देने वाला है।

देशभक्ति से परिपूर्ण इस आलेख के लिए आभार।

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

AS said...

Not to take any credit from what the article said, but a different thought comes to the mind and just am putting it here, for the author and the others including myself.
I waited for a day, read the responses. Every one said Kashmir is an integral part of India, was so from ages, etc .. , last year too there would have been a article, the same comments, next year too it would be so ... I leave the rest unsaid

ZEAL said...

.

@ AS-

हर साल ऐसे लेख आपको मिलेंगे। लेकिन लिखने वाले और पढने वाले हमेशा फरक होंगे। ये ज़ाहिर करता है की जन जागृति हो रही है। भारत के कोने कोने में और हर दिल में बसता है कशमीर । हमारे देश का अभिन्न अंग है ये । काश्मीर के दुःख से दुखी काशमीर वासियों का दुःख हमारा भी दुःख है। हम उनके साथ हैं। हम उनकी खुशहाली और राज्य में शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

शरीर का कोई भी एक अंग यदि कष्ट में होता है , तो व्यक्ति कों किसी भी पल चैन नहीं मिलता है । इसलिए भारत देश का प्रत्येक राज्य जब विकास करेगा, तरक्की करेगा , अमन और सुकून से रहेगा , तभी पूरे देश का विकास संभव है।

अमर जी , समय के साथ बहुत से सकारात्मक बदलाव आयेंगे। बस जरूरत है तो एक सकारात्मक सोच की । हम सभी देश के प्रति अपना फ़र्ज़ इमानदारी से निभाएं तो खुशहाली और अमन मिलना मुश्किल नहीं है। सदियों से चले आ रहे इस विवाद का अंत होने में कुछ तो समय लगेगा ही । तब तक शायद हम और आप जीवित भी नहीं होंगे। लेकिन अपने जज्बे कों ज़िंदा रखकर आने वाली पीढ़ी कों अपने देश के हर हिस्से से सरोकार है , इस बात की मशाल तो पकड़ा ही सकते हैं। शमा रौशन रखना आने वाली पीढ़ी की जिम्मेदारी होगी।

हमारे हाथ सब कुछ नहीं होता । हम लोग बहुत बार लाचार हो जाते हैं। यदि मैं देश-प्रमुख होती तो शायद कुछ और करती । न्याय व्यवस्था में होती , तो कुछ ज्यादा कर पाती । पुरुष होती तो कहीं न कहीं , ज्यादा सक्षम होती । लेकिन जो भी हो जितना मेरे हाथ में है , उसका ही अपनी बुद्धि के अनुसार सकारात्मक उपयोग करने की कोशिश करती हूँ।

हाथ में 'कलम' है , इसलिए देश के अभिन्न अंग ' कशमीर' के लिए मेरा प्यार आज इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो चुका है। जब तक कशमीर में शान्ति नहीं बहाल हो जाती , ये कलमें यूँ ही चलती रहेंगी, और आने वाली पीढ़ी कों जागरूक करती रहेंगी।

.

AS said...

To be awoken from a deep slumber, it has been now 63 years. Who´s prosperity the kashmiri pandits? If you raise a voice for them you are communal.
Which portion of the body does not have wounds, militancy is on rise, naxalitism is on rise, where is the peace? 60+ years and still in peace? sleeping?
Its complex i agree, its a will that is required more than a positive approach. The people in power, do not have the will to take it to a logical conclusion, they are caught up in petty things. For small gains, no one is willing to make a sacrifice, and this land demands sacrifice.

Rohit Singh said...

आलेख अच्छा है। ये गीत मुझे भी कहीं नहीं मिला।

ZEAL said...

@ AS -

If raising voice , tags a person as communal then let it be. Who cares for the labels ?

We are here on earth to perform our duties. Why to bother about people with their casual , trivial remarks ? Those who have nothing better to do in their lives , then tend to deviate the good lot from their focused path of sacrifice.

I am very well aware of my pious intentions and my sentiments for my motherland. I am doing what i deem fit for mankind. Ordinary people cannot understand the value of this work , nor they can ever be able to distract me from
my path.

With the blessings of lord Shiva and guidance of Lord Krishna , i will continue with this great passion in my heart.

.

AS said...

@Zeal,
You missed the point which i was raising. Am sorry, you took it the other way. Your passion is unmatched, and is reflected in every post.

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