Saturday, April 9, 2011

शोहरत की लालच में स्त्री की अस्मिता को शर्मसार करती पूनम पांडे.

पूनम नाम की एक महिला जिसका नाम पहले कभी नहीं सुना था ने वादा किया था की वर्ल्ड कप की विजय प्राप्ति पर वो विजेता भारतीय खिलाड़ियों के लिए निर्वस्त्र होंगी।

पूनम जी से मेरे दो प्रश्न हैं --

  • क्या खिलाड़ियों को इतनी तुच्छ मानसिकता का समझा की वो इस घिनौनी पेशकश से खुश होंगे ? विश्व विजेताओं के पास एक खूबसूरत परिवार और शुभचिंतक मित्र होते हैं जिनके साथ वे अपनी खुशियाँ बांटते हैं।
  • २८ वर्षों बाद मिलने वाली जीत पर निर्वस्त्र होना गवारा है , लेकिन क्या ४२ वर्षों बाद भ्रष्टाचार से मुक्ति जो अन्ना हजारे दिलायेंगे , उसके लिए भी वो निर्वस्त्र होना पसंद करेंगी जहाँ करोड़ों देशभक्तों की भीड़ है और एक ७३ वर्षीय वृद्ध देश की खुशहाली के लिए , निस्वार्थ भाव से , अपनी सेहत के साथ समझौता करके , भूखा प्यासा , भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा है ?


ऐसी स्त्रियाँ संस्कार और सभ्यता का गला घोंटती हैं, समस्त स्त्री जाती को शर्मसार करती हैं , समाज को गलत सन्देश देती हैं , व्यभिचार और अनाचार को निमंत्रण देती हैं ।

ऐसी स्त्रियों के खिलाफ त्वरित कारवाई होनी चाहिए जो अपने संस्कार विहीन विचारों से 'वैचारिक प्रदूषण' करती हैं। इन्हें ये समझने की जरूरत है की देश की जीत सिर्फ विश्व कप में ही नहीं बल्कि और भी उपलब्धियों में है ।

जैसे--
  • संस्कारों का जीवित रहना।
  • गरीबों को रोटी मिलना और उन्हें भी मुस्कुराने का अवसर मिलना।
  • देश का भ्रष्टाचार मुक्त होना।
  • एक अरब जनता का जागरूक होना ।
  • बच्चे-बच्चे का साक्षर होना
  • दहेज़ और कन्या भ्रूण हत्या मुक्त समाज का होना ।

यदि पूनम जैसी स्त्रियों को सुन्दर काया के साथ सुन्दर बुद्धि भी मिलती तो स्त्री-उत्थान और देश का उत्थान दोनों एक साथ ही हो जाता।

और भी बहुत से गम हैं ज़माने में IPL के सिवा । खिलाड़ियों पर करोड़ों लुटाया जाता है और गरीबों के बारे में सोचने के लिए फुर्सत ही नहीं तो धन कहाँ से आएगा । कांच के घरों में रहने वाले , गरीबों के सपनों को कुचलकर नाम कमाते हैं ।

है किसी विश्व-विजेता खिलाड़ी में ये दम की वो इनाम में मिली धन-राशि को गरीबों के नाम समर्पित कर दे?

आभार

92 comments:

DR. ANWER JAMAL said...

आपने सच कहा
नेकी को बढ़ावा देने की ज़रूरत है और नेकी तब बढ़ती है जब बंदा अपनी ख़्वाहिशों के बजाय अपने मालिक के हुक्म पर चलता है ।
http://islamdharma.blogspot.com

अरुण चन्द्र रॉय said...

बहुत गंभीर विषय को छुआ है आपने

Rakesh Kumar said...

आप तो शायद ऐसा ही कह रहीं हैं.
"कबीरा खड़ा बाजार में,लिये लकुटिया हाथ,
जो घर फूंके आपनो ,चले हमारे साथ '
ज्ञान की बातें भी तो घर फूँक कर ही समझ आती हैं.
घर का फूंकना क्या आसान बात है.घर में भले ही कूड़ा करकट भरा हो ,पहले तो समझ नहीं, क्यूंकि कूड़े की बदबू ही मन को इतनी भाने लगी है.
आपकी पिछली पोस्ट पर जो गीता का श्लोक(अ.९ श.१२) वर्णित किया था वह इस केस में भी पूर्णतया लागू है.ऐसा घर हो या स्वर्ण की लंका,दोनों में ही आग लगनी चाहिये.वास्तव में सूर्पनखा की नाक तो कटनी ही चाहिये.

Taarkeshwar Giri said...

Goog Post

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

While one person in search of quick fame may have reduced herself morally, but the holistic view will take into consideration the miniscule proportion she is in as against the multitude of women who choose propriety over indecency.

It is but the nature of publicity seeker to create a hype and proliferation of the act - even in dissension [as does this post] – abets the specific objective that person had when the stunt was mentioned, gaining more notoriety.

Equating Poonam Pandey to 'Women in general' is a mis-scaled equivalence and hence, I do not feel to perturbed by the antics of such 'a-moment-under-the-spotlight-person'. She will fade away faster than she came into the lime-light.

About donations or spending money on sports, there can't be a mandate set by anyone on anyone. If I love the sport, I will buy a Rs. 500 ticket for Rs. 50000. It is for Joy. I firmly believe I have a right to be happy, feel joyous, be celebratory. Further, if I am not a believer in donation but love to splurge on sport, does it necessarily make me a bad person?

If so, how? Ethically? Morally? Socially? Economically?

We won the world cup after 28 years and we may win it again, sooner or may be later, that is yet to be seen.

But, corruption is a deep-rooted evil in our societal and political structure and it will be Never eradicated. May a zillion Anna Babu pass away in fasts. This fasting is going to get no results.

As I read in papers today, he is winding up the fast. Government has accepted his demands on Lokpal Bill. People will clap, eat sweets, dance in the streets and disperse away. This ‘naatak’ or in street terms ‘nautanki’ will soon be forgotten. The men in power, the politicians are precisely where they were before this - in the seat of power. For them, it was just a few days' drama. Now it is wrapped up. Back to business of raking in the moolah.

Just a few personal thoughts on the topic.


Semper Fidelis
Arth Desai

अजय कुमार झा said...

सटीक और झन्नाटेदार .....तेवर बनाए रखिए । आज सबसे ज्यादा जरूरत इसी की है

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

पूनम पाण्डेय जैसी लड़कियां नारी जाती के लिए कलंक है ...

Irfanuddin said...

i think what ever she said was only to have publicity, and these days its very easy to get publicity n media attention if i do or say something unethical....

and by making it breaking news and writing article on this we help them to achieve what these ppl want.....

in my personal opinion we should avoid making it an issue and just ignore it....people like Poonam Pandey are mentally sick.

Dr. Yogendra Pal said...

बहुत सही लिखा है आपने,

ऐसी महिलाओं की वजह से ही आज भी बहुत सी महिलाएं घरों में कैद रह जातीं हैं

वैसे उसने सिर्फ नाम के लिए किया था वो उसको मिल गया अब उसको टॉप मोडल बनाने से कोई नहीं रोक सकता और उसकी सफलता से प्रभावित हो कर कई और भावी मॉडल ऐसा ही करें इसमें कोई शक नहीं

ऐसी हरकतों को मीडिया को हवा नहीं देनी चाहिए, इससे ऐसी हरकतों के भविष्य में होने की संभावना बढ़ जाती है

प्रवीण said...

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दिव्या जी,

बॉलीवुड में हर किसी का गॉडफादर या फादर नहीं होता... पूनम जैसी अनेकों लड़कियाँ आंखों में सपने लिये आती हैं और मुंबई के स्लमों की गलियों में एक बेनाम जिंदगी गुजारती रहती हैं... यह पूनम का एक पब्लिसिटी स्टंट था... ध्यान दीजिये उसने हमेशा यह कहा कि वह यह सब BCCI की इजाजत के बिना नहीं करेगी... इजाजत कभी मिलती नहीं परंतु पूनम रातोंरात चर्चित हो गयी... काफी आगे जायेगी यह लड़की...

After all it's a GAME, You have to play it to Win it...

पूनम एक व्यक्ति मात्र है, नारी जात का प्रतिनिधि होने का दावा न तो उसने किया है और न ही यह भारी बोझ लादना उस पर उचित है...

आप खुद ही आत्मावलोकन करिये कि ब्लॉगवुड में चर्चित होने व चर्चा में बने रहने के लिये आप ने क्या-क्या नहीं किया ? अंत में खेल अगर आप जीत जाते हैं तो सब जायज है/ हो जाता है !


आभार!



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ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

आपके लेख में उठाये गए सारे सवाल विचारणीय हैं !
पूनम पाण्डेय भारतीय संस्कृति पर एक दाग़ है!सस्ती लोकप्रियता के लिए इतना गिर जाना बेहद शर्मनाक है !
एक तरफ ये खिलाड़ी जो करोड़ों में बिक रहें हैं दूसरी तरफ अन्न उगाने वाला किसान भूख,गरीबी और क़र्ज़ से परेशान होकर आत्महत्या करने पर विवस है ! इस असमानता को दूर किये बिना इन प्रश्नों का उत्तर पाना मुश्किल है !
ज्वलंत समस्याओं को ब्लॉग पर रेखांकित करने के लिए आभार !

प्रतिभा सक्सेना said...

वालीवुड की चकाचौंध और गलाकाट प्रतियोगिता में उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,बिना सोचे-समझे कुछ भी कह देना सिर्फ़ शोहरत के लिए -ऐसी स्थिति में कटु आलोचना के बजाय उन्हें कोई अपना शान्तिपूर्वक समझा सके तो कितना अच्छा रहे !
हो सकता है स्वयं ही पछता रही हों .

अशोक सलूजा said...

एक महिला को उसके किये पर एक महिला का जवाब !
बाकी किसी के लिए कुछ नही रेह जाता कुछ कहने को !
खुश रहो !
आशीर्वाद!
अशोक सलूजा !

Suman said...

bahut achi post antim line bahut pasand aai............

ashish said...

सही है . जनता की गाढे परिश्रम की कमाई चीयर गर्ल्स के ठुमके पर न्योछावर . पूनम तो समाज की अमावस है .

VIVEK VK JAIN said...

aap vahas me kuchh bolne lyak chhodti hi nhi h........mei kya kahoo.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

Blog padhne waale log samajhdaar hain, sab samajhte hain Usne aisa kyun kaha.

Baaki JAN-JAAGRAN jaari rakhiye, aise vishayon par jamini star par bhee logon se guftgoo kijiye. Jab tak aam log SANSKRITI ka mahatw nahi samjhenge, BHAARAT aur BHARATWASI kathinayion me gujar basar karta rahega aur prasiddhi ke liye mulyon se samjhauta karta rahega.


राष्ट्र जागरण धर्म हमारा

जयकृष्ण राय तुषार said...

मैडम आज तो आपने बहुत ही दमदार बात रख दी पूनम पांडे के सामने मैं आपके विचारों का स्वागत करता हूँ |यह विदेशों की नकल है और सस्ती लोकप्रियता के लिए किया जाता है |बधाई लौह महिला जी और शुभकामनाएं |

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...
This comment has been removed by the author.
vandana gupta said...

है किसी विश्व-विजेता खिलाड़ी में ये दम की वो इनाम में मिली धन-राशि को गरीबों के नाम समर्पित कर दे?

ऐसी सोच होती तो इस देश की ये हालत ना होती अन्ना को अनशन पर ना बैठना पडता…………एक गंभीर विषय पर सार्थक आलेख सोचने को मजबूर करता है।

आकाश सिंह said...

उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद |
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औरत की खूबसूरती तबतक कायम रहती है, जबतक की वो अपनी शर्म और हया को कायम रखती है |
पूनम पांडे ने नारी समाज को अपमानित किया है | लानत है वैसी जिंदगी पे जिसमे संस्कार ही नही हो |

गिरधारी खंकरियाल said...

कुपोषित समाज ka परिणाम है पूनम पाण्डेय

Kunwar Kusumesh said...

उसने तो अपने नाम के प्रचार के लिए ये हथकंडा अपनाया है,नग्न हुई नहीं.तमाम रोज़ सड़कों पर अधनंगी घूम रही हैं,उन्हें शर्मनाक कहना ज़ियादा सार्थक होगा.

सम्वेदना के स्वर said...

मांग और आपूर्ति के इसी बाजारु अर्थशास्त्र से ईमानदार प्रधानमंत्री इस देश की समस्याओं को हल करने चले हैं।

महिला को प्रोडक्ट बना देने वाली व्यव्स्था को बदलना है तो अगला अनशन संसद में महिलाऑ के 50% प्रतिनिधित्व को लेकर होना चाहिये। जब महिलाओं कि कानून बनाने में बराबर की शिरकत होगी तब ही यह बाजारूपन समाप्त होगा।

वाणी गीत said...

ऐसी कुछ महिलाओं के कारण उन महिलाओं के संघर्ष पर विराम/प्रश्नचिन्ह लग जाता है जो न्यायोचित कारणों के लिए लड़ रही है ...
इस तरह का प्रस्ताव शर्मनाक है! स्वयं पूनम के लिए भी और खिलाडियों के लिए भी !
मुझे कौशलेन्द्र जी की टिप्पणी पर सख्त आपत्ति है ... पूनम के किये का उसकी जाति से क्या सम्बन्ध है ... ??

Unknown said...

poonam pandey,rakhi sawnt,mallika sehrawat,etc...
in jaise logo se hi to pata chalta hai ki naari pragati par hai.....रोज़ सड़कों पर अधनंगी घूम रही हैं ghoom rahi hai unka koie kasoor nahi hai .naari pragati kar rahi hai...

jai baba banaras....

मनोज कुमार said...

सस्ती लोकप्रियता और विकृत मानसिकता के सिवा और कुछ नहीं। ऐसे प्रयासों की भरपूर निंदा की जानी चाहिए।

G.N.SHAW said...

ऐसी ही कई पूनम ...समाज में नारियो की गरिमा को बिध्वंश कर रही है !' है किसी विश्व-विजेता खिलाड़ी में ये दम की वो इनाम में मिली धन-राशि को गरीबों के नाम समर्पित कर दे?'-अब तक तो कोई नहीं ! शर्मसार हुयी जिंदगी !

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

ऐसी महिलाओं के स्त्री-समाज का अंग नहीं मानना चाहिए। ये महज़ कठपुतलियां हैं जो धन के धागे खिंचने पर किसी भी तरह का नाच करेगी॥

प्रवीण पाण्डेय said...

दुर्भाग्यपूर्ण।

Darshan Lal Baweja said...

ताहि तो भारत में रहना सबसे मजेदार है ..
कोई कुछ भी कहो ..
कुछ भी करो ..
बको ...
:)

जीवन और जगत said...

यह महज एक पब्लिसिटी पाने का हथकण्‍्डा था जो कामयाब भी रहा। इस बवाल से पहले मुझे भी नहीं पता था कि पूनम पाण्‍डेय नाम की कोई हिन्‍दुस्‍तानी मॉडल भी है। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब किसी भारतीय महिला ने भारतीय संसक़ति को शर्मसार किया है। वर्षों पहले प्रोतिमा बेदी ने समुद्र तट पर अपने कपडे उतार कर तहलका मचाया था। आजकल राखी सावंत तरह तरह के हथकण्‍डे अपनाकर समाचार चैनलों को मसाला देती हैं एक से एक बढिया रेसिपी बनाने के लिए। वास्‍तव में महिलाओं की अस्मिता को कलंकित करने के लिए जितना जिम्‍मेदार पुरुषों को ठहराया जाता है, उतनी ही जिम्‍मेदार महिलायें भी हैं।

Luv said...

And we are discussing her because....?

She is a shrewd marketer.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दिवाला ही निकाल दिया पूनम पांडे ने भारतीय संस्कृति का!

aarkay said...

आपने बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न किये हैं , दिव्या जी.
सफलता के सोपान पर चढ़ कर खिलाडियों को प्रशंसकों व शुभ चिंतकों की क्या कमी हो सकती है ! वैसे भी वे लोग ऐसी घटिया बातों की ओर ध्यान कम ही देंगे . खैर , शायद पूनम पाण्डे का एक ही उत्तर होगा-बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा ?
सार्थक आलेख !

punita saran said...

माफ़ कीजिये मै औरो की तरह आपके हाँ में हाँ नहीं मिला सकती, मल्लिका शेरावत राखी सावंत जैसी महिलाओं का तो कहना है की जिन्हें शर्म महसूस होता हो वो हमें न देखे, जब पुरुष कपडा खोल के सब कुछ दिखा सकता है तो महिलाएं क्यों नहीं? महिला पर ही इतनी पाबन्दी क्यों ? यदि नग्नता में सौन्दर्य न होता तो देवी देवताओं की मुर्तिओं का नग्न प्रदर्शन क्यों होता ? आज देश की जनता की यही मांग है. आज देश के नेता सरकार या रोल मॉडल जनता के ही प्रतिबिम्ब होते हैं. ये सच्चाई आप को स्वीकार करनी ही पड़ेगी माना की यह पूनम का एक पब्लिसिटी स्टंट था लेकिन यही अंतिम लड़की नहीं है नग्नता में कोई भी बुराई नहीं है इसलिए यदि इसे रोकना है तो हमें खुद को सुधारना पड़ेगा यदि किसी को नग्न होने में ही खुसी मिलती है तो हमें उसकी ख़ुशी छिनने का कोई भी अधिकार नहीं है

shikha varshney said...

She does not even deserve to be discussed.

Apanatva said...

Gandheejee ke teen bandar aadarsh hai mere............

ise samay dhyan dene ke liye Annajee ka aandolan hee kafee hai.......unke sath yuvapeedee ka josh aur ekjut hojana ek nayee asha ayr ummeed bandhee hai .

ethereal_infinia said...

Pravin Shah:

Your utter stupidity is very clearly seen by your senseless comparison.

Just in case, you do not know or someone has not yet got it into your thick skulled peanut-size brain, take this -- Pravin, you are an IDIOT.


Arth Desai

तदात्मानं सृजाम्यहम् said...

दिव्या जी, हमने कुछ खबरनवीसों से पता किया तो पाया कि उत्तरप्रदेश के कुछ इलाकों में पूनम पांडेय के खिलाफ केस भी दर्ज हुए हैं। पहले तो लगा कि उसे सजा दिलवाने के लिए ऐसा किया गया है, लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा सिर्फ लोगों ने पूनम पांडेय को करीब से देखने के लिए किया है। उधर विश्वकप हो रहा था, इधऱ कुछ बंधु पूनम का पता ढूंढ़ रहे थे ताकि वो देवी जी निर्वसना हो सकें और मीडिया को टीआरपी/पब्लिक को थोड़ी उत्तेजना मिल सके। यूं तो कुछ लोग बचाव भी कर रहे हैं यह कहकर कि यह पूनम पांडेय की निजता में दखल है किंतु इस बात का किसी के पास जवाब नहीं है कि यह निजता शुरू कहां होती है और इसे समाप्त कहां होना चाहिए। बहुत कपड़े उतारने का शौक है तो अपना घर वगैरह तो होगा ही। इतना भी क्या खुद से नाराजगी कि सबको दिखाने चल पड़े। है भी क्या दिखाने को। इस देश ने जाने कितने नंगे देखे, जाने कितने दंगे देखे और फिर जस का तस। हमें लगता है कि ये दौर खतरनाक है और ऐसे दौरे किसी न किसी को समय-समय पर पड़ते रहते हैं।​ इन पर विचार किया जाना चाहिए, परंतु तवज्जो दिए बिना।​​​​​​​​​​

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

पूनम से अधिक दोष मीडिया का है, जिसने इस बेकार की बात को इतना बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया, प्रोमोट किया. एक खबरिया चैनल की साइट इसे पूनम की दीवानगी बता रहा था. अब दीवाना कौन है..

Deepak Saini said...

पूनम पाण्डेय जैसी लड़कियां नारी जाती के लिए कलंक है ...

सुधीर राघव said...

...या संसार में भांति भांति के लोग

प्रवीण said...

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@ Arth Desai,

Each and every one of us appears as an IDIOT to someone, there are no exceptions to it, so I have no issues with it...

but...

on blogger since July 2010, follows only one blog, comments on only one blog, 65 profile views...

Just to tell you that here in India we have a description for people like you... & that is चिपकू अप्पम _ _ _...

Read this page to find more about अप्पम _ _ _.

... :))


...

आशुतोष की कलम said...

पूनम पाण्डेय चारित्रिक रूप से गिरी हुई निकृष्ट कोटि की महिला है..

महेन्‍द्र वर्मा said...

बेहद शर्मनाक है यह।

अंतिम पंक्ति में खिलाड़ियों को दी गई चुनौती अच्छी लगी। अगर वे सच्चे देशभक्त हैं तो गरीबों के लिए कुछ कर के दिखाएं।

डॉ टी एस दराल said...

सब पैसे और टी आर पी की माया है । आखिर सब जान ही गए पूनम पांडे को ।

निवेदिता श्रीवास्तव said...

दिव्या जी ,आपने बिलकुल ठीक लिखा है ।पूनम पाण्डेय तो ऐसा बोल कर अपने मन्तव्य में सफ़ल हो गयी ,परन्तु बाकी स्त्रियों को शर्मसार कर गयी । सच कहूं तो जिस दिन स्त्री को अपने स्त्री होने में शर्म नहीं महसूस होगी ,वो दिन इस समाज और सभ्यता के लिये स्वर्ण-युग की वापसी का होगा ।आज के समय में अधिकतर स्त्रियां पुरुषों की बराबरी करने में खुद की हस्ती मिटाने पर तुली हैं ।

akshay raj said...

poonam wanted to earn name and fame and for that she was ready to go undressed... this is undoubtedly a very shameful attempt by her and a bad side of western culture.

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

@वाणी गीत जी ! कदाचित मेरी टिप्पणी अमर्यादित हो गयी है, भविष्य में ध्यान रखा जाएगा. आपकी आपत्ति ने दर्पण का कार्य किया है...आभारी हूँ. यदि आप ब्राह्मण हैं और आपको इससे भावनात्मक आघात पहुंचा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ.

Smart Indian said...

@कौशलेन्द्र said...
@अरे पूनम पंडियाईन ! ज़रा अपने ब्राह्मणत्व का तो ख्याल किया होता ........
@यदि आप ब्राह्मण हैं और आपको इससे भावनात्मक आघात पहुंचा हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ.

जातिगत आक्षेप और रेशल प्रोफाइलिंग अनैतिक ही नहीं बल्कि कानूनन अपराध भी हैं। वाणी जी के विरोध को मेरा भी समर्थन है

कौशलेन्द्र, गलत बात से भावनात्मक आघात पहुँचने के लिये ब्राह्मण होने की शर्त ज़रूरी नहीं है।

Dr Varsha Singh said...

सार्थक आलेख ....

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

@ स्मार्ट इन्डियन जी ! मैंने ब्राह्मण की मर्यादा बनाए रखने की बात की है ब्राह्मण जाति पर आक्षेप नहीं किया है. कृपया बताएँगे कि जातियों के सम्बन्ध में कुछ बोलना इतना आपराधिक कृत्य है तो भारतीय परिवेश में जातियों का औचित्य ही क्या है ? saadar anurodh है कि कृपया मेरे इ मेल पर उत्तर दिया जाय, इस ब्लॉग पर नहीं.

mridula pradhan said...

ऐसी स्त्रियाँ संस्कार और सभ्यता का गला घोंटती हैं, समस्त स्त्री जाती को शर्मसार करती हैं , समाज को गलत सन्देश देती हैं , व्यभिचार और अनाचार को निमंत्रण देती हैं ।
ekdam sahi hai ye baat.....

Atul Shrivastava said...

दिव्‍या जी आपका सवाल वाजिब है।
पूनम की क्‍या बात करें, उस पर काफी बात हो चुकी है।
हां खिलाडियों की आपने बात की तो ये सारे के सारे दिखावा करते हैं।
विज्ञापनों से करोडों कमाते है और बनते हैं देशभक्‍त।
अब सचिन की बात करें तो शराब के विज्ञापन की पेशकश को ठुकराकर खुद को पाक साफ साबित किया और फिर वर्ल्‍ड कप में जीत पर शेंपेन एक दूसरे पर उछालते टीवी पर दिखे ये महोदय।
इसके बाद शेंपेन से भीगे शरीर पर तिरंगा भी लपेट लिया।
कुछ लोग सचिन को भारत रत्‍न की मांग करते हैं। मैं उन्‍हें अतिवादी मानता हूं। अरे क्रिकेट ही तो खेला है, देश के लिए जान तो नहीं दे दी। क्रिकेट के बदले करोडों अरबों रूपए भी मिले हैं।
सीमा पर जान गवाने वाले लोगों के परिवारों को तो चंद लाख ही मिलते हैं वो भी भटकाव के बाद।
मुझे नहीं लगता कि किसी खिलाडी में दम है कि वो अपने इनाम की राशि गरीबों को दे सके।
बहरहाल आपने काफी गंभीर विषय पर लिखा। सो भडास निकाल ली मैंने भी।

Mohini Puranik said...

irfanji se mai sahmat hun. par phir bhi yh saval man me aata hi hai ki is nirlajjata ka koi samadhan hai ya nahi, mera ek sawal cricketeronse hai, ki ek ne bhi yh nahi kaha ki, yah anaitik hai aur mai iska virodha karta hun!

Arun sathi said...

सब शोहरत के लिए दिव्या जी, इससे पहले पुनम को कौन जानता था अब तो जान गया।

वाणी गीत said...

@बात ब्राह्मण होने की नहीं है ...किसी भी व्यक्ति की जाति को संबोधित करते हुए इस तरह की टिप्पणी अशोभनीय है ...

Unknown said...

दिव्या जी विषय सिर्फ उठाने के लिए अच्छा है, भड़ास निकलने के लिए भी इसमें बहुत सी गुंजाईश है पर सच पूछा जाये तो इस उपभोक्तावादी समाज में स्त्रियों को उपभोक्ता की तरस परोषा जा रहा है,फिल्मों में भी, टीवी पर भी और प्रिंट मीडिया में भी, पूनम पाण्डेय तो एक कड़ी है. फिल्मो में एक स्त्री के मुख से असंस्कारिक, अशोभनीय शब्द कह लाये जाते है और स्क्रिप्ट की मांग पर सब कुछ जायज ठहराने का दोंग भी होता है. समाज की विद्रूपताए है ये इनसे किसी आँ को ही आगे आना होगा.. कौन होगा वो तलासिये उसे

ZEAL said...

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@-आप खुद ही आत्मावलोकन करिये कि ब्लॉगवुड में चर्चित होने व चर्चा में बने रहने के लिये आप ने क्या-क्या नहीं किया ?...

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@ प्रवीण शाह -

आत्मावलोकन करवाने के बजाये , कभी किया भी कीजिये। आपने उपरोक्त वक्तव्य में जो व्यक्तिगत आक्षेप किया है लेखिका पर , वो आपकी द्वेष-ग्रस्त मानसिकता का परिचय दे रही है। जो ब्लौगिंग के स्वस्थ माहौल को खराब करती है। यहाँ पूनम जैसी गिरी हुयी स्त्री के हथकंडे की निंदा हो रही है और आप मुझे बता रहे हैं की मैंने क्या-क्या हथकंडे अपनाए ? दया आती है आप जैसे पूर्वाग्रही लोगों पर।

जब इंसान स्वयं को किसी से कमतर पाता है तो उसके अन्दर अनायास ईर्ष्या , द्वेष जन्म लेने लगता है । वो अपने स्तर से गिर जाता है , दोसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में स्वयं को और भी नीचे गिरा लेता है। ईर्ष्या से कांपते हुए अपनी कमतरी छुपाने के लिए व्यक्तिगत हो जाता है और दूसरों पर निरर्थक आक्षेप लगाने लगता है।

जो लोग दूसरों की प्रतिभा की सराहना करना जानते हैं वो लोग इस भयानक मानसिक दोष से मुक्त रहते हैं । अन्यथा व्यक्तिगत आक्षेप करके अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं । और अपने संस्कारों को भी परिलक्षित करते हैं ।

आशा है आप भविष्य में व्यक्तिगत-आक्षेप करने से बाज आयेंगे। मुझपर कीचड उछलने का हक आपको किसने दे दिया? ब्लौग पर टिप्पणी लिखने की स्वतंत्रता का नाजायज फायदा मत उठाइये।

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@ अर्थ देसाई -

जानकार अच्छा लगा की आपने उस वक्तव्य में छुपा हुआ अपमान देखा और गलत बात के खिलाफ आवाज़ उठायी। आपका शुक्रिया।

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Rahul Singh said...

ग्‍लैमर और प्रपोगैंडा की दुनिया.

ZEAL said...

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अतुल जी ,
आपने कुछ बातों को सामने रखा , जो मेरे लिए बिलकुल नयी हैं , बहुत जरूरी है इन सच्चाइयों का सामने आना। मीडिया को भी निडर और निष्पक्ष होकर हर पहलू से अवगत करना चाहिए समाज को।


कुश्वंश जी ,
आपकी बात सही है। फिल्मों में बहुत कुछ अभद्र परोसा जा रहा है और निर्देशक उसे सीन की मांग कहकर मजबूर भी कर रहे हैं , लेकिन व्यक्ति में चारित्रिक दृढ़ता होनी चाहिए । जो गलत है उसे सिरे से नकार देने का दम होना चाहिए। हाथ पकड़कर कोई गत नहीं करवा सकता।

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ZEAL said...

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@--पूनम पाण्डेय तो ऐसा बोल कर अपने मन्तव्य में सफ़ल हो गयी ,परन्तु बाकी स्त्रियों को शर्मसार कर गयी । सच कहूं तो जिस दिन स्त्री को अपने स्त्री होने में शर्म नहीं महसूस होगी ,वो दिन इस समाज और सभ्यता के लिये स्वर्ण-युग की वापसी का होगा ।आज के समय में अधिकतर स्त्रियां पुरुषों की बराबरी करने में खुद की हस्ती मिटाने पर तुली हैं ।

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निवेदिता जी ,

बहुत सही कहा आपने , पूनम जी का तो अभीष्ट सिद्ध हो गया , लेकिन समस्त नारी जाती पर प्रश्नचिन्ह लगा गयीं । बराबर होने के बावजूद , बराबरी की जद्दोजहद क्यूँ ? संभवतः आगे निकलने की होड़ में अपनी हस्ती मिटा रही हैं।


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ZEAL said...

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कुछ लोग अक्सर लेख पर आकर लिखते हैं की इसकी चर्चा आवश्यक नहीं । उनसे इतना ही कहना है की , मुझे जो आवश्यक लगता है उसकी चर्चा अवश्य करती हूँ। समाज में जो गलत हो रहा है उसके खिलाफ आवाज़ उठाना बहुत जरूरी है । अन्यथा विकृत मानसिकता बहुत तेजी से बढेंगी।

अतः जिन लोगों को आपत्ति हो वो इन लेखों को पढ़ा ही न करें , और यदि पढ़ लें तो टिप्पणी न करें।

मेरा स्वभाव ऐसा नहीं है की अभद्रताओं को देखकर भी अनदेखा कर दूँ । ...." Let go attitude" ---- जाने दो, सब चलता है , वाला रवैय्या नहीं है मेरा।

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ZEAL said...

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@-इस देश ने जाने कितने नंगे देखे, जाने कितने दंगे देखे और फिर जस का तस। हमें लगता है कि ये दौर खतरनाक है और ऐसे दौरे किसी न किसी को समय-समय पर पड़ते रहते हैं।​ इन पर विचार किया जाना चाहिए,

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तदात्म्यम जी ,

बहुत सही विवेचना की है आपने। समय-समय पर विवेचना बहुत जरूरी है।

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ethereal_infinia said...

Idiotic Snooper Pravin Shah:

You think you are Sherlock Holmes with that 'detective' work?

Laughz.

Grow up, kid, grow up.

Sudhar jaa, maamu, ab bhi time hain. Main kahi ungli karungaa to phir rotaa phiregaa. Samjhaa?

I am only on one blog because it is Commitment.


Arth Desai

दर्शन कौर धनोय said...

सस्ती प्रचार शेली है --जिसे हमे नकारना चाहिए --यह वाकई महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ है --ऐसी गन्दी मासिकता के लिए भी कोई बिल पास होना चाव्हिए --क्या कोई दूसरा अन्ना हजारे आएगा जो हमे इन गन्दी सस्ती पब्लिक सिटी से मुक्ति दिलवाएगा !

प्रवीण said...

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@ 'Appam Pillu' Arth Desai,

Aa gaya Aukat par jab aaina dikhaya...
Itni door kyon Unglii karega re Chamche, Ched (Hole) to tere paas bhi hoga hi... voh to sabko deti hai kudrat... ek unglii wahan ghusa, ek munh pr rakh aur ' Commitment' dikhate rah...


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बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

टिप्पणीकारों से सादर अनुरोध है कि वे आपसी युद्ध के लिए किसी के ब्लॉग को रणभूमि न बनाएं और मर्यादित शब्दों का प्रयोग किया करें ....या फिर व्यक्तिगत इ.मेल का स्तेमाल करें......ब्लॉग विचारों के आदान-प्रदान का स्थान है वाक्-युद्ध का नहीं. आशा है कि मर्यादा पालन में सभी एक मत होंगें.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

दिव्या जी आपका ये आलेख पढ़ा ...... पूनम काफी चर्चित रही इन दिनों अपने नग्नता के कर्ण पर सूना तो होगा ही ना लोग नाम करने के लिए या तो कुछ अच्छा काम करते हैं जिससे उनका नाम हो, और कुछ लोग बुरा काम के द्वारा ख़ुद को मशहूर करना चाहते हैं ,रही पूनम की बात तो उसकी तुच्छ मानसिकता ने उसे यही सोंचने तक की शक्ति दी की नारी का सबसे बड़ा गहना, सबसे बड़ा धन , और उसकी जीवन पूंजी उसकी अस्मिता है जिसे उसने खुलेआम प्रदशन कर ख़ुद को सबसे अलग थलग साबित करने की कोशिश की ....... ये कहावत सिद्ध कर दी उसने खीरा का चोर या हीरा का चोर बात तो एक ही है . कम कपड़े तो हर रोज़ पहनती हूँ आज यदि नग्न हो जाऊ तो क्या बुराई है..........

ethereal_infinia said...

01] Kaushalendra:

Mind your business.

Is it clear enough?

========= X X X =========

02] Mr. Idiot [Pravin Shah]:

You showed your gutter class by the interpretation. Laughz.

Keep up your stupidity, it is as amusing as the monkey's show in the circus.

As they say at McDonald's - I'm lovin' it.


Arth Desai

रचना said...

स्त्री की अस्मिता
sometimes i wonder what is the meaning of this phrase
that i cant relate to it

रचना said...

its good that you blog on issues that touch your mind
she is model waiting to be popular in her circuit . what you have missed out in this news is that she will be posing nude on the victory of world cup by indian team with the permission of bcci in a place like paris .

paris is known fashion and its a place where if she gets a breakthru she will be popular as a top model which is her lively hood
http://www.google.co.in/search?hl=&q=poonam+pandey++paris&sourceid=navclient-ff&rlz=1B3GGLL_enIN425IN426&ie=UTF-8


zeal
you or any one else has a right to criticize her but can you do away with the perils of her livelyhood

lest some one comes and blasts me on supporting her i might clear that i am neither supporting her nor i am against her

what needs to be thought before we crucify people like poonam is who started promoting cheer leaders for cricket which was thought to be Gentleman's game .

lets us sit up and discuss why woman who have a beautiful body are so sought after

and

zeal
in one of your older posts you wrote नोट-- कुछ स्त्रियाँ कोमलता से विहीन होने के कारण , सुन्दर एवं स्तुत्य नारी-रूप का अपवाद भी होती है। यहाँ उनका जिक्र नहीं हो रहा।

now if a lady of your calibre writes about beauty as the base of being a woman then dont expect people of poonam's calibre not to use her beauty to be called a woman

zeal

i expect more zeal from you and more consistency in your thoughts on woman oriented issues
and dont get angry just delete the comment if its not worthy to be here

ZEAL said...

कौशलेन्द्र said...

टिप्पणीकारों से सादर अनुरोध है कि वे आपसी युद्ध के लिए किसी के ब्लॉग को रणभूमि न बनाएं और मर्यादित शब्दों का प्रयोग किया करें ....या फिर व्यक्तिगत इ.मेल का स्तेमाल करें......ब्लॉग विचारों के आदान-प्रदान का स्थान है वाक्-युद्ध का नहीं. आशा है कि मर्यादा पालन में सभी एक मत होंगें.
April 10, 2011 1:56 PM

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पूरी तरह सहमत हूँ कौशलेन्द्र जी के विचार से । पढ़े लिखे लोगों को इस तरह लड़ते देखकर मन में अति-विषाद है।
हम लोग घर पर नहीं थे , लौट कर वापस आने पर ब्लौग को रणभूमि बना देखकर अत्यंत खेद हुआ। इंसान का अहम् कितना बड़ा हो गया है।

मोडरेशन का विरोध करने वाले डॉ अमर और और अजित गुप्ता जी भी नहीं हैं इस आलेख पर जो देख पाते की कितनी मजबूरी में मोडरेशन लगाया गया था।

खैर , दूसरों को मैं नहीं बदल सकूँगी , लेकिन अपने ब्लौग की इस नियति को स्वीकार कर लिया है। जिसको जो उचित लगे वो करे । लोगों की भाषा और टिप्पणियां उनके स्वयं के व्यक्तित्व की पहचान हैं।

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ZEAL said...

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अर्थ देसाई -
प्रवीण शाह -

आप दोनों की भाषा अत्यंत खेदजनक है । आप लोगों को इतना तो लिहाज करना चाहिए था की ये किसी का ब्लौग है । युद्धस्थल नहीं । आप दोन ही घर-परिवार वाले , समाज के सम्मानित व्यक्ति हैं , आप लोगों को इतना नीचे गिरकर एक दुसरे का तथा साथी ब्लॉगर्स का इस तरह अपमान नहीं करना चाहिए।

यहाँ विषय पर विमर्श होता है । हो सके तो भविष्य में किसी का अपमान न करें और विषय से इतर टीका-टिप्पणी न करें।

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ZEAL said...

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रचना जी ,

जब इस समाज में 'पूनम पांडे जैसी मानसिकता वाले होंगे तो निश्चय ही उसकी अभद्रता सा समर्थन करने वाले भी होंगे इस समाज में । आप पूनम की संस्कार-विहीन सभ्यता का समर्थन कर रही हैं तो ये आपका अधिकार है , आपकी स्वतंत्रता है । मेरे विचारों से सहमत होना किसी टिप्पणीकार के लिए आवश्यक नहीं है।

मुझे नहीं लगता कि अनायास पुरुषों के खिलाफ जहर उगलते रहने से 'स्त्री' का उत्थान होगा। चंद स्त्रियों की शर्मसार कर देने वाली हरकतों और वक्तव्यों से समस्त स्त्री जाति के ऊपर प्रश्न-चिन्ह लग जाता है।

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amit kumar srivastava said...

अगर पूनम पाण्डेय का कथन किसी प्रकार से हमारे संस्कारों के विरुद्ध है, तब यह मंथन किया जाना चाहिए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न क्यों हुई | वह एक मॉडल है जो कैलेंडर पर भिन्न भिन्न मुद्राओं में तस्वीरें खिचवाती है और हम ही लोग उसे बड़े चाव से अपने अपने ड्राइंग रूम में सजाते है | आप क्या सोचते है ,जब वह ऐसी मुद्राओं में तस्वीरें खिचवाती होगी तब उसकी कितनी अस्मिता बच पाती होगी | शायद यह सब करते करते उसके पास अब बचाने छुपाने को कुछ बचा नहीं होगा, तभी उसने ऐसा बयान दिया | कहीं ना कहीं हम सब भी इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं |
प्रत्येक बुराई की पराकाष्ठा से पहले प्रारम्भ में ही उसके निदान की बात होनी चाहिए | पूनम पाण्डेय की ऐसी मानसिकता किन परिस्थितियों में बनी होगी, इस पर विचार होना चाहिए | भर्त्सना करना तो सदैव आसान रहा है पर पुनरावृत्ति रोकना सदैव मुश्किल |

ZEAL said...

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@-भर्त्सना करना तो सदैव आसान रहा है पर पुनरावृत्ति रोकना सदैव मुश्किल |

* क्या जो अनुचित है उसकी भर्त्सना करनी बंद कर दी जाए ?
* सरकार की चुप्पी पर चुप रहे ?
* घोटालों पर भी चुप रहे ?
* कला धन वो बटोरे जाएँ , हम चुप रहें ?
* पूनम जैसी स्त्रियाँ जो संस्कारों का गला घोटें , उनके अश्लील वक्तव्यों पर चुप रहा जाये ?
* बलात्कारों पर चुप रहें ?
* समाज में फैले भ्रष्टाचार पर चुप रहें ?
* गरीब और दलित छः गज की साडी में खुद को लपेटे शील बचाएं और ये दो कौड़ी की स्त्रियाँ , जिस्म की नुमाईश करें और हम भर्त्सना भी न करें ?
* अश्लीलता को सर-माथे पर लगायें ?
* संस्कार नहीं है, चरित्र नहीं है , शिक्षा तार-तार हो रही है तो फिर बचा क्या ? बचाएं किसे ?

कृपया बताएं भर्त्सना किसकी की जानी चाहिए ?

एक बात और ---स्त्रियों की अश्लील तस्वीरों वाले कैलेण्डर शरीफों के घर की शोभा नहीं होते। परिवार में बड़े-छोटे दोनों होते हैं , भरसक कोशिश रहती है की अपने बच्चों को जगह-जगह परोसी जाने वाली अश्लीलता से दूर रखें और सही संस्कार दे सकें ।

शायद मैं कुछ पुराने खयालात की हूँ ।

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SM said...

She does not understand that Indian democracy is not matured enough to respect the freedoms of others.

amit kumar srivastava said...

with due regards to your views and opinion , i simply meant to say that "hate the sin not the sinner." and whatever any society produces or delivers in the form or shape of poonam pandeys,the society is equally responsible.

ZEAL said...

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Amit ji ,

There is no point of hating anyone. We are not carrying any personal grudges , so why shall anyone will hate her ?

But definitely her silly and moronic statement must be condemned by those who believe in protecting our culture .

India is known for our culture mainly . If we will lose that too , then what will be left with us ?

Everytime blaming society is not good . We have our brains to use , think and correct the system. If each of us will start blaming society then who will take the lead to rectify and correct the system for the betterment of our people.

Poonam Pandey, Mandira Bedi, Rakhi Sawant Sawant , Bipasha Basu and Mallika Sherawat type of women are real threat for the grace of women and culture of India.

Such women are so selfish that they are trying to get popularity and money at the cost of our values.

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ZEAL said...

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@ sm _

Vulgar statements and nudity is freedom and democracy ?

Great definition !

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रचना said...

lest some one comes and blasts me on supporting her i might clear that i am neither supporting her nor i am against her

zeal when you said आप पूनम की संस्कार-विहीन सभ्यता का समर्थन कर रही हैं did you miss out my words as above in my comment if you missed out then do read it again but if u ignored it then you are not justifying the effort of people who comment with seriousness on your blog

ZEAL said...

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@ Rachna -

You presented your views and others are stating their own . I believe all are stating seriously and I respect all the commentators equally .

And why are you waiting for someone to come and blast you ? Its a peaceful and friendly discussion , why do we need for people to grow hostile unnecessarily ?

As fas as my views are concerned, I'm constantly opining and answering to the best of my knowledge and energies.

And about you being a supporter of Poonam type of women is your choice.

In our society there will always exist two type of people -

1-A bigger lot who respects our culture .
2- A smaller lot who is REBEL and selfish like Poonam.

PS- I do not miss out anything but no one can provide me with there own words. I am very independent in thinking. So I know what to write and what not.

I believe in peaceful and healthy discussions. Blasting someone by being hostile is not my domain.

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सञ्जय झा said...

:)

pranam.

bhagat said...

किसी महिला ने महिला के बारे में इतना अच्छा लिखा पढकर अच्छा लगा

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

@ रचना जी ! पेट भरने के लिए और ज़िंदगी की दीगर ज़रूरतों को पूरा करने के लिए व्यक्ति अपनी क्षमताओं, रूचियों और योग्यता के अनुसार रोज़गार का चयन करता है. बेशक ! अपवाद स्वरूप परिस्थितियाँ भी एक फैक्टर हो सकती हैं. परन्तु पूनम जी के मामले में इससे आगे भी कुछ है. बचपन में जिस गाँव में पढ़ने जाता था वहाँ स्कूल के पास ही वेश्याओं के घर थे. पर कभी किसी ने उनके रहने पर ऐतराज़ नहीं किया ...क्योंकि उनका रहन-सहन बड़ा शालीन था ....वे विज्ञापन नहीं करती थीं. उनके अन्दर शर्म थी और अपराध बोध भी.क्या पूनम जी के मामले में भी ऐसा ही है ?
@ अमित जी ! मुझे पूनम जी जैसी लड़कियों के कृत्यों से बिलकुल भी सहानुभूति नहीं है ......क्योंकि उनकी भूख असीमित है. किन्तु आपके विचारों से सहमत हूँ.......बाज़ार...+मांग ....+खपत....= उत्पादन. इस गणित के अनुसार हम सब भी कम दोषी नहीं हैं.......आपने स्थायी समाधान खोजने की दिशा में चिंतन और उपाय किये जाने की ओर संकेत किया है. यदि आपके मन में ऐसा कोई विचार हो तो कृपया अवश्य साझा करें....कुछ लोगों को तो आगे आना ही होगा न !

सुधाकल्प said...

पूनम पांडे जैसा चरित्र नारी जाति के माथे का एक धब्बा है | अपने ही सोने में दोष हो तो क्या करें |आत्मग्लानि की सीमा नहीं !
सुधा भार्गव

Pratik Maheshwari said...

इस नाम से नफरत सी हो गयी है.. और अपने आपके बचाव में कहता हैं कि मेरी ख़ुशी जाहिर करने का यह तरीका है तो इसमें बुरा क्या है?
पूनम जी.. नहीं नहीं.. सिर्फ पूनम.. तुम्हें अगर हर ख़ुशी की बात पर ऐसा करना पड़ता है तो तुम्हें जंगलों में जा कर रहना चाहिए जहाँ आदिवासी आज भी पत्ते लपेटकर घूमते हैं..
इन्हीं नादानों के कारण आज देश का युवा बहक रहा है.. फिर वुमेन राईट्स वाली कहेंगी कि पुरुषों ने इसका अपमान किया है.. वगैरह वगैरह..
बहुत ही तुच्छ बात रही है.. अफ़सोस है.. और इससे ज्यादा अफ़सोस यह है कि देश के कुछ फूहड़ कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए इसके पास प्रस्ताव भी आने लगे हैं..

ZEAL said...

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प्रतीक जी ,
बहुत सही विवेचन है आपका । ऐसे व्यक्तित्व ही युवाओं को दिग्भ्रमित करते हैं । चरित्रहीनता की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी । अपने निजी स्वार्थ के लिए इतनी घटिया चाल चलने वाले , समाज के लिए आतंक हैं। इन्हें वास्तव में जंगल में ही रहना चाहिए जहाँ निर्वस्त्र होने के लिए BCCI की अनुमति भी न लेना पड़े । कम से कम ,सभ्य समाज सुरक्षित तो रहेगा।

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कौशलेन्द्र जी ने बहुत उपयुक्त उदाहण दिया। वेश्याएं भी मर्यादित होती हैं । थोड़ी शर्म लिहाज़ रखती हैं । मजबूरी में शायद जीविका के लिए अपना सौदा करती हैं . लेकिन पूनम जैसी बेशर्मी तो विरले ही करते हैं जो मूर्खों की तरह बयानबाजी करके शोर्ट कट से दौलत कमाकर रातों रात अमीर बनना चाहती हैं।

समाज का कोढ़ हैं ऐसी महिलाएं।

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सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बिलकुल खरी-खरी कही है आपने ....

शत प्रतिशत सहमत हूँ

padam kumawat said...

aapke vichar bahut ache lage muje