Tuesday, April 19, 2011

भाई-बहन का काल्पनिक संवाद


इस काल्पनिक संवाद में भाई अपनी उदास बहन को हिम्मत दिला रहा है , कुछ इस प्रकार से..

इन चंचल नयनों में नीर भरे वो कौन है निष्ठुर पापी 'शय'
अवनत पलकों में छलक रहे , क्यूँ काँप रहे हैं आँसू द्वय
क्यूँ गला तुम्हारा रूंध रहा , स्वर कम्पन में है किसका भय
हर दुःख को तेरे हर लूँगा, हर क्षण पर तेरी होगी जय

बहन मेरी उदास हो , यश सदा तुम्हारा अमर रहे
हर मुश्किल में तुम बढ़ी चलो, चाहे कितनी भी समर रहे
मैं जान लड़ा दूंगा अपनी, यूँ अटल तुम्हारी आस रहे
हर बहना का अपने भैया में, मधुर बना विश्वास रहे

जिस भवन में तुम हम पले-बढे,हैं वहां बहुत से फूल खिले
उस उपवन के रंगीं फूलों को , उर में रखकर हैं द्वार सिले
है सदा तुम्हारा स्थान अलग, जिसमें किसी को जगह मिले
अधरों पे तेरे मुस्कान सजे, हर 'लोक' में तुझको मान मिले

मैं भाई तुम्हारा गर्वीला , तुम बहन हो मेरी लाखों में
उर में रहो मन में रहो, तुम सदा रहोगी आँखों में
भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही जाती, आती रहना

आभार

72 comments:

सञ्जय झा said...

khoobsurat.......khoobsurat......khubsurat......
kya baat.........kya baat........kya baat.......


pranam.

सञ्जय झा said...

भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही आती, जाती रहना।

pranam.

निर्मला कपिला said...

भाई बहिन के प्यार पर सुन्दर रचना। बधाई आपको।

Bharat Swabhiman Dal said...

भाई - बहन के पवित्र प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति ...... आपका आभार ।

Sawai Singh Rajpurohit said...

आदरणीय डॉ.दिव्या श्रीवास्तवजी

मैं भाई तुम्हारा गर्वीला , तुम बहन हो मेरी लाखों में
उर में रहो औ मन में रहो, तुम सदा रहोगी आँखों में।
भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही आती, जाती रहना।

वैसे आपके "भाई-बहन का काल्पनिक संवाद" पढ़ कर अच्छा लगा और ख़ुशी हुई की आप इतनी दूर{थाईलैंड}जाकर भी हम सब से कितनी जुडी हुई हुई है

Irfanuddin said...

Very Impressive ...... Divya ji...

Apanatva said...

very nice poem.

रश्मि प्रभा... said...

मैं भाई तुम्हारा गर्वीला , तुम बहन हो मेरी लाखों में
उर में रहो औ मन में रहो, तुम सदा रहोगी आँखों में।
pyaar vishwaas se otprot samvaad

मदन शर्मा said...

बहन मेरी उदास न हो , यश सदा तुम्हारा अमर रहे
हर मुश्किल में तुम बढ़ी चलो, चाहे कितनी भी समर रहे
मैं जान लड़ा दूंगा अपनी, यूँ अटल तुम्हारी आस रहे।
हर बहना का अपने भैया में, मधुर बना विश्वास रहे।
भाई बहन के प्यार को खुबसूरत शब्दों में पिरोया है आपने
खुबसूरत रचना! दिल से आभार आपका....

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

मुझे अफसोस है दिव्या ! आपने अपने अन्दर के कवि को बहुत पहले क्यों नहीं पहचाना...अब तक पता नहीं कितनी यात्रा कर चुकी होतीं .......बहुत संभल-संभल कर और बह-बह कर लिखी गयी इस कविता में दिव्या की अपेक्षाएं स्पष्ट हैं.......
आपको मालुम है ! हमारे देश में कुशल चिकित्सक को "कविराज" पुकारने की परम्परा भी रही है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर भावपूर्ण रचना।

सुज्ञ said...

भातृ-नेह की विलक्षण अभिव्यक्ति!!! अद्भुत!!अद्भुत!!अद्भुत!!

Sunil Kumar said...

भाई बहन के काल्पनिक संवाद ना होकर वास्तविक प्रतीत होते है आत्मीयता से भरे , बहुत अच्छे लगे बधाई

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

कई दिनों से हमारे बीच आ गये मौन को आपने शब्द दे दिये बहना...
अभिव्यक्ति काल्पनिक नहीं है
सेहत का ध्यान रखो
मैं हूं ना...
भइया

ashish said...

भ्रातृ प्रेम के भावों से भारी ये सुँदर रस भारी गगरी हमारे संस्कारों के अतिरेक से छलक राही है . मन अह्वलादित हुआ .

गौरव शर्मा "भारतीय" said...

बेहतरीन भावाभिव्यक्ति....आभार !!

Sushil Bakliwal said...

एक हजारों में मेरी बहना है...

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

मैं जान लड़ा दूंगा अपनी, यूँ अटल तुम्हारी आस रहे।
हर बहना का अपने भैया में, मधुर बना विश्वास रहे।
ye kalpnik snvad hqiqt bne yhi dua hai

प्रतुल वशिष्ठ said...

मन की पीड़ा को जो गाता है वह 'महादेवी' हो जाता है.
लेकिन जो प्रेम की सात्विकता को गेयता दे दे वह दिव्या हो जाता है. ...... ध्यान रखियेगा यह बात आने वाले समय में कभी-न-कभी कोई ब्लॉग-इतिहासकार जरूर कहेगा.

सुधाकल्प said...

संवाद भरी कविता बहुत कुछ कह गयी ।बहन के प्रति भाईके प्यार की समुद्र जैसी गहराई को खंगाल गयी।भावनाओं की अतिरेकता से कल्पना को संबल मिला ।कल्पना भी कभी -कभी साकार हो जाती है --ऐसा मेरा विश्वास है ।
सुधा भार्गव

Deepak Saini said...

भाई बहिन के प्यार पर सुन्दर रचना। बधाई आपको।

महेन्‍द्र वर्मा said...

जिस भवन में तुम हम पले-बढे, हैं वहां बहुत से फूल खिले
उस उपवन के रंगीं फूलों को , उर में रखकर हैं द्वार सिले।
है सदा तुम्हारा स्थान अलग, जिसमें न किसी को जगह मिले।
अधरों पे तेरे मुस्कान सजे, हर लोक में तुझको मान मिले।

अद्वितीय रचना। हर संस्कारवान भाई अपनी बहना के लिए यही कामना करता है।
कविता मन में अमिट छाप छोड़ गई है।

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhtrin pstuti ke liyen bdhaai. akhtar khan akela kota rajasthan

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत सुन्दर, बहुत बढ़िया... शानदार..

Rakesh Kumar said...

कविता से भावों की बरखा , क्या सुन्दर आपने कर दी है
भाई के बहिन से दिव्य प्रेम की अनुपम प्रस्तुति कर दी है.
पढकर दिल मगन हुआ मेरा,अब मेरी तो यही सम्मति है
दिल खोल लिखें कविता में,मंगल रसधार यूँ ही तो बहती है
वाणी विनायक जी से यही मंगल कामना है:

"वर्णानां अर्थसंघानाम रसानां छंद सामपि
मंगलानाम च कर्तारौ वन्दे वाणी विनयाकौ"

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर रचना...एक काल्पनिक संवाद , लेकिन असल मे आज कल ऎसा नही होता, आज के युग मे बहुत कम भाई बहिन होंगे जो एक दुसरे पर जान देते होंगे, वर्ना तो सब को पैसो की पढी हे, रिश्ते जाये भाड मे...

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

कल्पना ही तो है अब, कहां है ऐसा प्यार:(

Satish Saxena said...

जन्मे दोनों इस घर में हम
और साथ खेल कर बड़े हुए
घर में पहले अधिकार तेरा,
मैं, केवल रक्षक इस घर का
अब रक्षा बंधन के दिन पर, घर के दरवाजे बैठे हैं !
हम पुरूष ह्रदय,सम्मान सहित,कुछ याद दिलाने बैठे हैं!

shikha varshney said...

भाई बहन के प्यार पर सुन्दर कविता.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत संवाद ....मन प्रसन्न हो गया पढ़ कर ...

VIVEK VK JAIN said...

aapki first poem h ye!

Vivek Jain said...

भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही जाती, आती रहना।
बहुत खूबसूरत !
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Arvind Jangid said...

बहुत ही सुन्दर रचना ! बधाई स्वीकार करें.

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

A very good creation indeed.

Exquisitely Beautiful, the way you are !!

The poem lingers on.


Semper Fidelis
Arth Desai
0711

Vaanbhatt said...

ismein kalpanik kuchh nahin hai...bhai ka farz hai bahan ka khyal rakhna, use khuh rakhna...uttam rachna...

SANDEEP PANWAR said...

जाट देवता की राम-राम,
नहीं बता सकता क्योंकि मेरी कोई बहन नहीं है।

वाणी गीत said...

भाई बहन के प्रेम की खूबसूरत अभिव्यक्ति !

Udan Tashtari said...

सुन्दर कविता.

प्रतिभा सक्सेना said...

भाई-बहिन के स्नेह का मन को पुलकित कर देता चित्रण !

aarkay said...

काल्पनिक संवाद ही सही, पर भाई- बहिन के प्यार तथा निहित संवेदना का चित्रण आपने बखूबी किया है .
आपके कवि-रूप से भविष्य में भी बहुत आशा रहेगी. आपकी लेखनी निरंतर, अनवरत चलती रहे .
हार्दिक शुभकामनाएं !

Maestro-2011 said...
This comment has been removed by the author.
mridula pradhan said...

इन चंचल नयनों में नीर भरे वो कौन है निष्ठुर पापी 'शय'
अवनत पलकों में छलक रहे , क्यूँ काँप रहे हैं आँसू द्वय।
wakayee aapne to bhai ke pyar ko hi shabd de diya hai....bahut sundar rachna.

मीनाक्षी said...

भाई बहन का स्नेह दर्शाती सुन्दर कविता

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहन के प्रति भाई के स्नेह को बहुत सुन्दर एवं बहुत प्रभावी शब्दों में पिरोया है आपने।
इस भावपूर्ण रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

सदा said...

इस स्‍नेहिल संवाद के साथ भावपूर्ण प्रस्‍तु‍ति के लिये बधाई ।

Suman said...

bahut sunder.......

smshindi By Sonu said...

भाई बहन के प्यार पर सुन्दर कविता.

amit kumar srivastava said...

cool configuration......nice

वन्दना अवस्थी दुबे said...

भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही आती, जाती रहना।
बहुत सुन्दर रचना है दिव्या जी.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

सार्थक एवं भावपूर्ण पोस्ट( वस्तुतः रचना ) .मन से तो बहुत सी बातें लिखी जाती हैं किन्तु अंतर्मन से उपजी रचनाएँ ही अंतर्मन को छूती हैं.संवाद द्विपक्षीय ही पूर्ण होता है . भाई की भावनाओं को उकेरा गया है, बहन के संवाद (भावनायें) रचना में अपेक्षित हैं .श्रेष्ठ रचनाधर्मिता हेतु बधाई.

ZEAL said...

.

अरुण जी ,

बहुत ही सार्थक बात कही आपने। संवाद द्विपक्षीय ही होता है। शीर्षक लिखते समय यही प्रश्न अपेक्षित था।

उत्तर - बहन का संवाद रूँध हुआ कंठ है , छलकते हुए आँसू हैं और स्वर में छुपा भयजनित कम्पन है । इस भाषा को केवल एक प्यार करने वाला भाई ही समझ पा रहा है और संवाद कर रहा है बहन से।

कोशिश की है इस तरह से द्विपक्षीय संवाद को कहने की।

.

निवेदिता श्रीवास्तव said...

दिव्या जी ,आप कवितायें भी बहुत खूबसूरत रचती हैं ....लिखा कीजिये ..आज तो आपने मेरी भी आंखों में आंसू ला दियें....आभार !

A.G.Krishnan said...

Lovely !!!

प्रवीण पाण्डेय said...

अद्भुत रिश्ता है यह।

अजित गुप्ता का कोना said...

दिव्‍या जी यदि यह कविता आपने सृजित की है तो मेरा स्‍नेह स्‍वीकार कीजिए। बहुत ही श्रेष्‍ठ कविता है।

धीरेन्द्र सिंह said...

क्या खूब कविता है. निश्छल भाव से ओत-प्रोत कविता.

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