Sunday, April 10, 2011

ईष्या, द्वेष , पूर्वाग्रह और व्यक्तिगत आक्षेप से भरे वक्तव्य व्यक्ति के संस्कारों को उजागर कर देते हैं.

जब इंसान स्वयं को किसी से कमतर पाता है तो उसके अन्दर अनायास ईर्ष्या , द्वेष जन्म लेने लगता है । वो अपने स्तर से गिर जाता है , दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में स्वयं को और भी नीचे गिरा लेता है। ईर्ष्या से कांपते हुए अपनी कमतरी छुपाने के लिए व्यक्तिगत हो जाता है और दूसरों पर निरर्थक आक्षेप लगाने लगता है।

जो लोग दूसरों की प्रतिभा की सराहना करना जानते हैं वो लोग इस भयानक मानसिक दोष से मुक्त रहते हैं। अन्यथा व्यक्तिगत आक्षेप करके अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं । और अपने संस्कारों को भी परिलक्षित करते हैं।

ऐसा ही कुछ किया पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाडी 'शाहिद अफरीदी' ने । अपनी हार बर्दाश्त न कर पाने के कारण पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर खेल के बारे में न बोलकर , भारत के लोगों के खिलाफ बयान दे दिया। शायद निंदा करके वो अपने मनोबल को बनाए रखना चाहता था। शायद अपने देशवासियों को मुंह दिखाने के लिए पर-निंदा द्वारा ही शेर बनना चाहता होगा। क्या भारत के खिलाफ बयानबाजी ही पाकिस्तानियों की मर्दानगी है ? इनके साथ कितना भी दोस्ताना सलूक क्यूँ न किया जाए , ये नहीं सुधरेंगे।

वहां के सैन्य बल और राजनीतज्ञों का वैमनस्य और द्वेष तो क्षम्य है , लेकिन खिलाड़ियों के मुंह से ऐसे वक्तव्य अत्यंत अशोभनीय हैं और खेल की भावना को दूषित करते हैं।

आभार।

48 comments:

Unknown said...

jo log swyam hi apne bare bata de, unke liye kuch kehna bekar hai......

Irfanuddin said...

You are right.... we must be restrained from all this.

Rakesh Kumar said...

मै अपनी पोस्ट 'वन्दे वाणी विनयाकौ' में वर्णित पंक्तियों को यहाँ भी दोहराना चाहूँगा
भलो भलाइहि पई लहइ, लहइ निचाइहि नीचु
सुधा सराहिअ अमरताँ ,गरल सराहिअ मीचु
भला भलाई ही ग्रहण करता है और नीच नीचता को ही ग्रहण करता है. अमृत की सराहना अमर करने में होती है और विष की मारने में.

Sunil Kumar said...

दिव्या जी, यह उनकी मज़बूरी है ...

सुज्ञ said...

ईष्या, द्वेष , पूर्वाग्रह आदि मनुष्य में सामान्यतः पाए जाने वाले दुर्गुण है। किन्तु श्रेष्ठ तो सदैव वही माना जायेगा जिसके जीवन में यह दुर्गुण नहीं है।

किसी अन्य की कीर्ती मलीन करके कभी भी यश नहीं प्राप्त किया जा सकता।

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

Nice write-up.

Fully concur with your line of thought.

To the people who try to show errors, I sign-off musing to myself -

Woh karam ungliyo pe ginte hain
Zulm kaa jinke kuchh hisaab nahi


Semper Fidelis
Arth Desai

आकाश सिंह said...

डॉ. दिव्या सिवास्तव जी --
एक बात तो है की इन्सान कभी भी "दूसरों को बुरा कहके खुद अच्छा नही हो सकता " और अफरीदी ने ये साबित कर दिया |
अच्छी रचना के लिए आभार |

Deepak Saini said...

मजबूरी है उनकी, जब पाकिस्तानी ही उनसे ये सब सुनना चाहते है,
दूसरो छोटा बता कर खुद बडा नही बना जाता, बडा बना जाता है तो सिर्फ कर्म से
आभार

प्रतुल वशिष्ठ said...

.

जिसके पास जो होता है वही प्रदर्शित करता है, अधिक हो जाता है तो बाँटने लगता है.
प्रेम हो या घृणा, करुणा हो या ईर्ष्या-द्वेष .. बढ़ जाने पर बिना छलके नहीं रहते.

.

धीरेन्द्र सिंह said...

जब मीडिया द्वारा एक खेल को और खिलाड़ी को सामान्य मनुष्य से बहुत ऊँचा कर दिया जाता है, खेल को खेल नहीं एक युद्ध भूमि बना दिया जाता तब है तब बेचारा खिलाडी क्या करे. व्यवस्था में टिके रहने के लिए के लिए शायद वह नहीं बोलता हो बल्कि उससे बुलवाया जाता हो. खिलाड़ी तो बस खेलना जनता है. यह वाक्य एक भ्रष्ट व्यवस्था का रूप है.

Unknown said...

जिसके पास जो होता है वही प्रदर्शित करता है, अधिक हो जाता है तो बाँटने लगता है.
प्रेम हो या घृणा, करुणा हो या ईर्ष्या-द्वेष .. बढ़ जाने पर बिना छलके नहीं रहते.
pratul ji ki baat se ham sahmat hai....

jai baba banaras....

मदन शर्मा said...

आपकी बातों से सहमत हूँ. बुरे आदमी को सभी बुरे ही नजर आते हैं. हमें कुछ भी बोलने से पहले आत्म अवलोकन कर लेना चाहिए. पाकिस्तान कभी नहीं सुधरेगा जिसका जों संस्कार होता है वो उसी के अनुसार आचरण करता है. उसे सचिन से सिख लेनी चाहिए.

मदन शर्मा said...

मैं राकेश जी की पंक्तियों का विशेष उल्लेख करना चाहूँगा ...
"जो भले व्यक्ति हैं वे हमेशा भलाई ही ग्रहण करने में लगे रहतें हैं. भले ही किसी पोस्ट में
वाणी के उपरोक्त सभी तत्व मौजूद न भी हों ,परन्तु यदि हित अथवा मंगल का तत्व
उसमें है तो भी वे उसे ग्रहण करते हैं अर्थात 'सार सार को गहि लई, थोथा दई उडाय'.
परन्तु नीच का स्वाभाव इसके उलट होता है. वे किसी न किसी प्रकार से निंदा करना ही
पसंद करते हैं".
मै आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

यह तो इन सबका असली चेहरा है... हम ही हैं जो खामखाह ये उम्मीद करते हैं कि मुहावरा गलत सिद्ध हो जायेगा... बल्कि राजनीतिबाजों के वोट पाने के चोंचले हैं..

ashish said...

इर्ष्या तू ना गई मेरे मन से ,
पाकर तोहें जनम के साथी लाज गयी लोकन से .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जब इंसान स्वयं को किसी से कमतर पाता है तो उसके अन्दर अनायास ईर्ष्या , द्वेष जन्म लेने लगता है । सटीक ....अच्छी पोस्ट

VIVEK VK JAIN said...

sahi h..

प्रवीण पाण्डेय said...

सच कहा, मन से निकल ही आता है, विशेषकर हार के बाद।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

कुंठा में धैर्य विरले ही रख पाते हैं।

Dr Varsha Singh said...

बहुत सही कहा आपने....

Kunwar Kusumesh said...

ईष्या, द्वेष , पूर्वाग्रह और व्यक्तिगत आक्षेप वाले लोग sick personality के अंतर्गत आते हैं.

saurabh sinha said...

divya mam aap doctor hain apr bahut accha likhti hain maine thermodynamics me ek niyam padha hai energy is always conserved i m bet sure that aap sayad aacchi doctor v hon..:)

saurabh sinha said...

dr..sahiba maine suna hai har rachna ke piche ek anubhav hota hai muje jaankar ye harsh hoga ki aapne ye anubhav kahan se liya main aapki rachnao ko bahut pasand akr rha hun..:)

Arshad Ali said...

Baat aapne bilkul sahi kahi...apni kami ko chhupana ya dur karna yahi do kaaran ninda se bachne ka hai...prantu iske biprit dusron ki ninda aapke kamjori ko dikhla jati hai...

umda post...behtareen post

Dr (Miss) Sharad Singh said...

गहन चिन्तन के लिए बधाई।

ईर्ष्या, द्वेष ....
मेरे विचार से इनमें पड़ना यानी अपना समय ख़राब करना...

महेन्‍द्र वर्मा said...

पाकिस्तानी खिलाड़ियों में खेल भावना शून्य है।

नीलांश said...

jo swayam ko kamtar maante hain ,wo dhire dhire safalata ki or agrasar hote hain...sikhte chale jaate hain...

nischal man se apne ko bada kahna ...abhimaan nahi hota hai ...

har manav me ek gun hota hai us gun ko parakhne wala bahut accha hota hai....

नीलांश said...

mere mat ke anusaar shahid ek acche insaan hain. ...wo bhi jee jaan lagate hain...bharat pakistaan ka match ek aisi bhavna me khela jaata hai jahan jeet mile to desh ko samman milta hai .......aur haar mile to khiladiyon ki deshprem ki bhavna ko thes pahunchta hai.......bhavnao me bah jaata hai vyakti...
bharat to ek pehchaan hai dosti aur dharm sikhane ke liye..
jai hind....

Unknown said...

अफरीदी बडबोला है सेमी-फ़ाइनल से पहले भी वो जीत के लिए बोला था और हार गया दरअसल उन्हें यही सिखाया जाता है की भारत के खिलाफ बोलोगे तो पाकिस्तान में जी पाओगे, पकिस्तान की राजनीती यही कहती है और अफरीदी भी एक मोहरा है. खैर अफरीदी को भारत के खिलाफ हारने की भी सजा मिल रही है.. देखते जाइये क्या क्या होता है..

aarkay said...

" कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूँ कोई बेवफा नहीं होता "

एक कारण यह भी हो सकता है :
' बेचारा ' अफरीदी क्या करे , एक तो भारत से हार का सामना, ऊपर से यदि भारत या भारतीयों की तारीफ़ करने लग जाता तो वहां की जनता क्या हाल करती. वैसे भी भारत के विरुद्ध ज़हर उगलने से ही वहां काफी कुछ शांत रहता है . " खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे "

मीनाक्षी said...

कुछ देशों की सियासत ही ऐसी है कि वहाँ के लोगों को दो चेहरे लगा कर जीना पड़ता है..कुश्वंश जी सही कह रहे है कि अफरीदी एक मोहरा है..

आचार्य परशुराम राय said...

ईर्ष्या मनुष्य की बड़ी लाड़ली है। वह उसे बहुत प्यार करता है। जबकि इतनी घातक और जहरीली हमारी और कोई प्रवृत्ति नहीं है। फिर भी हम इसे बहुत चाहते हैं- ईर्ष्या तू न गयी मेरे मन ते।

udaya veer singh said...

afridi ji aise sanskaron ke varis hain , jahan sach ko swikar karna ,vikas ke naye aayamom ka varan karna ,sadasayata kafiron ki shreni men
aata hai , aur ve kafir nahin banna chahte .ismen
unka dos nahin hai . samyik vicharon ke liye
dhanyavad .

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

दो भाई अलग होते है तो कट्टर दुश्मन हो जाते हैं... गैरों से भी अधिक!!!!

Nirantar said...

People try to cover their weaknesses by
speaking and thinking ill for others

डॉ टी एस दराल said...

एक हम हैं जो गैरों को , सर आँखों पर बिठाते हैं
एक वो हैं जो खा पीकर , हमको ठेंगा दिखाते हैं ।

जयकृष्ण राय तुषार said...

डॉ० दिव्या जी पाकिस्तान को अल्लाह और अमेरिका भी नहीं सुधार सकते हैं |बहरहाल मेरे ब्लॉग पर एक तजा खूबसूरत प्रेमगीत आपके गुस्से को शीतलता प्रदान कर सकता है |आभार सहित

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

Rahul Singh said...

पाकिस्‍तान को धूल चटाकर फतह किया और लंका दहन की तैयारी की, फिर...

अजय कुमार झा said...

ऐसा कहते समय शाहिद अफ़रीदी शायद ये भूल गए थे कि पाकिस्तान से सिर्फ़ खिलाडी नहीं आते खेलने के लिए बल्कि उनके यहां से बहुत सारे कलाकार , गायक और जाने कौन कौन हर साल आते हैं सबसे बढ कर अगर भारत अपना बडप्पन नहीं दिखाता तो कसाब कब तक कबाब की तरह भूना जा चुका होता । खैर ये उनकी हार से उपजी खीज थी और ये उनके चरित्र के अनुरूप ही थी । इसलिए सिवाय अफ़सोस के और क्या हो सकता है ..

Saleem Khan said...

जब इंसान स्वयं को किसी से कमतर पाता है तो उसके अन्दर अनायास ईर्ष्या , द्वेष जन्म लेने लगता है ~!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Manish said...

जाने दीजिये, दिल बड़ा कीजिये...

भारत जीत गया.. उन्हें जवाब मिल गया..

शाहिद अपनी टीम सहित ड्रेसिंग रूम में बैठ कर रोए..टिशु पेपर कम पड़ गए.. और मोहाली से उन्हें उसी हाल में प्रेस-वार्ता पर बुला लिया गया
इसलिए उन्हें ऐसा लगा होगा ...

ये हार की खीज से ज्यादा और कुछ नहीं..और उन्हें अपने मुल्क में ही अपने उस बयान की सफाई देनी पड़ी...
फिर ये बयान उनकी विवशता है.. रहना तो उन्हें पकिस्तान में ही है ...

amit kumar srivastava said...

actually survival of pakistan is totally supported on anti-india concept or philosophy.so poor shahid cannot help himself.

Arun sathi said...

खिंसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाली बात है यह। यहां भारत में जो उनका वक्तव्य था उससे लगा कि पाकिस्तान में कुछ अच्छे लोग है पर यह भ्रम टूट गया।

Anupama Tripathi said...

जब इंसान स्वयं को किसी से कमतर पाता है तो उसके अन्दर अनायास ईर्ष्या , द्वेष जन्म लेने लगता है । वो अपने स्तर से गिर जाता है , दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में स्वयं को और भी नीचे गिरा लेता है। ईर्ष्या से कांपते हुए अपनी कमतरी छुपाने के लिए व्यक्तिगत हो जाता है और दूसरों पर निरर्थक आक्षेप लगाने लगता है।


सार्थक अर्थपूर्ण लेखन ....!!
बहुत सही लिखा है .
बधाई .

अजित गुप्ता का कोना said...

अफरीदी इतना बड़ा व्‍यक्ति नहीं है जिसकी बात पर कोई बात की जाए। उसके बोलने से समझ आ गया कि वह समझदारी में शून्‍य है। पता नहीं कैसे कप्‍तान बना दिया उसे?

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

@एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं।क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?
साहित्य की चोरी बेशर्मों का काम है ........निंदनीय कृत्य ......कुछ दिन पहले हीर जी की नज़्म एक मोहतरमा ने चुराई थी ....जब बात खुली तो बोलीं " जाइए जहां शिकायत करनी हो करिए ...हम तो ऐसा ही करेंगे" दूसरों की कविता को अपने नाम से छपवा लेने को वे मोहतरमा चोरी की श्रेणीं में नहीं रखतीं .......चोरी की अपनी-अपनी परिभाषाएं हैं ....वे मोहतरमा बुज़ुर्ग हैं और देश की प्रतिष्ठित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्नातक हैं. हमें ऐसे चोरों की एक सूची बनानी चाहिए.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बलकुल सही लिखा आपने .....कुत्ते की दुम सीधी हो ही नहीं सकती |