जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिट्कायी जिनमें चिंगारी
जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल
जो अगणित लघुदीप हमारे
तूफानों में एक किनारे
जल जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।
रामधारी सिंह दिनकर।
11 comments:
सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद , राम प्रसाद बिस्मिल, खुदीराम बोस, लाला लाजपत राय, वल्लभ भाई पटेल , डॉ राजेन्द्र प्रसाद, रानी लक्ष्मी बाई, सुभाष चन्द्र बोस , वीर सावरकर, लाल बहादुर शास्त्री , महात्मा गांधी, नाथूराम गोडसे और हमारे असंख्य स्वतंत्रता सेनानी और शहीदों को नमन !
समस्त भारतीयों को स्वतन्त्रता दिवस की शुभ एवं मंगलकामनाएं।
दिनकर जी के पंक्तियों को प्रस्तुत करके अपने दिल में एक बार से फिर शहीदों की यादों को ताजा कर स्वतंत्रता दिवस को सार्थक बनाया है. ये तभी सार्थक है जब हम उन महान शहीदों को नमन करके स्मरण करते रहें.
aazaadi viron ne dilwaai hai ... iska khyaal sab ko rakhna hai ..
15 agast ki shubhkamnayen ...
सिर्फ अहिंसा से सब मिल गया होगा मुझे नहीं लगता...बहरे कानों को धमाके सुनने की आदत होती है...जो शहीद नहीं होना चाहते थे वो राज करना चाहते थे...और उन्हें उसमें सफलता मिली भी...पर राज मिलने के बाद उनका वास्तविक स्वरुप आप सबके सामने है...६५ सालों में हम बहुत कुछ अचीव कर सकते थे...पर जो थोडा बहुत मिला है उसे कितना बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया-बताया जा रहा है...सावन के अंधों को हर तरफ हरा ही हरा दिखता है...अन्याय-सत्ता दुरूपयोग-बीमारी-भुखमरी-कुपोषण-मंहगाई-भ्रष्टाचार...ये किस चिड़िया का नाम है...यहाँ तो सब कुछ ठीक-ठाक है...बस बाबा और अन्ना अराजकता फैला रहे हैं...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
देशभक्ति से ओत प्रोत दिनकर की इस कविता के लिए आभार.
आपको भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.
धन्यवाद
दिनकर जी की देशभक्ति से सबंधित रचनाएं कालजयी हैं।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
जय जयनाद उन्हीं का होगा,
जिनके घर में भारत होगा।
आपको स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.
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