Tuesday, August 21, 2012

अरविन्द मिश्रा की ब्लॉग-वालियां

अरविन्द मिश्रा को वाचिक अश्लीलता करने में बहुत आनंद आता है। इस अभद्रता को वे 'वर्ड-प्ले' का नाम देते हैं। महिला ब्लॉगर्स को ब्लॉग-वालियां कहकर अपना मनोरंजन करते हैं और कभी-कभी महिलाओं को कटही-कुतिया कहकर भी ये अपना और अपने मित्रों का सस्ता मनोरंजन करते हैं। 'मनोविनोद' के नाम पर अशिष्टता का बार-बार परिचय देते अरविन्द मिश्रा के सुधरने के आसार ना के बराबर हैं। स्त्री शब्द भी यदि किसी के आलेख में आ गया तो इनकी भरपूर उपस्थिति वहां पर होती है और महिलाओं का अपमान करने को ये word-play के नाम से समझाते हैं। जैसा की इन्होने ब्लॉगर अमित श्रीवास्तव की पोस्ट पर किया। इनके द्वारा पूर्व में किये गए ऐसे प्रकरण (word-game) , अनगिनत हैं।

अरविन्द मिश्र का मनोबल बढाने वाले बहुत से पुरुष एवं महिला ब्लॉगर है जिन्होंने इनका नमक खाया है अथवा चाशनी में बनी चाय पी है। ये वो अज्ञानी-जन है जो कांग्रेस की तरह आँखें बंद किये हुए भ्रष्टाचार के साथ-साथ व्यभिचार को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

अरविन्द मिश्र की बढती अभद्रताओं के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने के लिए रचना और रश्मि रवीजा को कोटिशः बधाईयाँ।

स्त्रियों का अपमान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। और गन्दगी का समर्थन करने वालों का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।

हम इस वाचिक-हिंसा और अभद्र-भाषा का घोर विरोध करते हैं।

Zeal.

11 comments:

Sanju said...

nice presentation....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.

रचना said...

जील
शब्द किस तरह इस्तमाल होता हैं
जहां रश्मि ने पढ़ा वहाँ लिखा था "ब्लॉग वालियों " के फ़ोन नंबर इतने उनके पास हैं की वो "मैनेज" ही नहीं कर पा रहे
मैने जब पढ़ा तो
उसके नीचे ब्लॉग मालिक ने उनसे कहा " कुछ ऐसी वालियों के नंबर उनको भी दे दे "
मेरे आपत्ति करने पर ब्लॉग मालिक ने स्वीकार किया की उस से गलती हुई और उसने अपना कमेन्ट डिलीट कर दिया

अब अपने ब्लॉग पर पोस्ट दे कर इन्होने ये नहीं बताया की सन्दर्भ क्या हैं और कमेन्ट करने वाले उनके दोस्त हा हा ही ही कर रहे हैं

ZEAL said...

Rachna ji, Birds of the same feather, flock together.

kshama said...

Blog jagat se kisee karan itnee kat-si gayee hun,ki, kisee bhee gatividhee kee koyee khaba hee nahee!Afsos ki aisa hota hai.

Gyan Darpan said...

जिनकी जैसी मानसिकता होगी वो वैसा ही आचरण करेंगे !!
अफ़सोसजनक !

महेन्‍द्र वर्मा said...

अभद्र भाषा और वाचिक हिंसा का विरोध सभी को करना होगा।

Vaanbhatt said...

मैंने मूल टिप्पणी नहीं पढ़ी है...पर निश्चय ही भाषा के दुरूपयोग को मै भला नहीं मानता...

amit kumar srivastava said...

मैं 'ब्लॉगर' बहियन को छोटो ,झगडा केहि विधि निपटाऊं ..|

amit kumar srivastava said...

मैं 'ब्लॉगर' बहियन को छोटो ,झगडा केहि विधि निपटाऊं ..|

Sheshnath Prasad said...

मैं इधर कुछ दिनों से केवल ब्लॉगरों के ब्लॉग ही पढ़ रहा हूँ. मैं अनुभव कर रहा हूँ कि ब्लॉगरों ने ब्लॉग के संबंध में अपनी अपनी निजी धारणाएँ बना ली हें. अधिकतर ब्लॉगों में ब्यंग्य, चुटकी लेना, भड़ास निकालना आदि विषय ही मुख्य रूप से दिखते हैं. और इसके वर्णन में स्वच्छंद हो जाना इन लोगों ने अपना धर्म बना लिया है. मजे की बात है कि ये ही ब्लॉग अघिक पढ़े भी जाते हैं. ब्लागों के एग्रीगेटर भी ऐसे ही ब्लॉगों को महत्व देते दीख पड़ते हैं. मैंने कई ऐसे श्लील ब्लॉग भी देखे जो टिप्पणियों के लिए तरस रहे हैं. मैंने ही अपना एक ब्लॉग - कायस्थ उद्भव और विकास - अपने फेसबुक पर दिया किंतु आपके ग्रुप के ब्लॉगर अपने ब्लॉग तो मेरे फेसबुक पर तो देते हैं पर मेरे ब्लॉग पढ़ने के लिए उनको फुरसत नहीं है. मेरी समझ से आप लोगों को इसपर अप्रसन्नता जाहिर करने के बजाय इसका सामना करना चाहिेए जैसे अश्लील फिल्मों का सामना करती हैं.

Unknown said...

दिव्या जी बहुत से लोग ऐसे होते है जिन्हें अनर्गल कहने की आदत होती है और कुछ भी कहने की आदत होती है उनका जमकर विरोध होना चाहिए. ब्लोगिंग जगत में कुछ भी कहने की छूट मिली हुयी है इसे सईयम से उपयोग में लाना चाहिए .