माननीय चिदंबरम जी " भगवा-आतंक " द्वारा पहले ही काफी शोहरत बटोर चुके हैं।
राहुल गांधी जब भी अपनी चोंच खोलते हैं तो कुछ न कुछ गजब ढाते ही हैं । इस बार उनका वक्तव्य है - " हिन्दू आतंकवाद , राष्ट्र के लिए ज्यादा बड़ा ख़तरा है। "
अब मिलिए मनीष तिवारी जी से । इनकी बयानबाजियां तो अंतहीन हैं।
- काश्मीर के हिन्दू पंडितों के विरोध में।
- अमिताभ बच्चन के विरोध में
- नरेंद्र मोदी को २००२ में हुए गुजरात दंगों का जिम्मेदार बताया।
- मोदी की दाऊद से तुलना की ।
अरे इनसे कोई पूछे राजीव गांधी ने सन १९८४ में जो सिख दंगे फैलाए उसका क्या ? जगदीश टाईटलर और सज्जन सिंह क्यूँ नहीं पेश हुए हुए अपेक्स कोर्ट में। क्यूँ छुपते रहे सीबीआई के पीछे । उन्हें कभी बाहर का रास्ता क्यूँ नहीं दिखाया गया। क्या इनमें इतनी हिम्मत थी की मोदी की तरह SIT के सामने स्वयं ही पेश हो जाएँ। साँच को आँच क्या । आज नीर-छीर विभाजन हो चुका है। क्या सज्जन कुमार और दाऊद जैसे लोग खुद को volunteer कर सकेंगे SIT के आगे ? फिर इतनी घृणास्पद तुलना क्यूँ ? क्या कुछ भी बयान दे देना इनका शौक हो गया है ? या फिर आदत ? या फिर पार्टी-पॉलिसी ?
धर्म-निरपेक्षता-
क्या कोंग्रेस वास्तव में धर्म-निर्पेक्ष पार्टी है ? जो लगातार RSS और BJP पर निशाना साधती रहती है और " हिन्दू-आतंकवाद " तथा " भगवा-आतंकवाद" जैसी घृणित शब्दावलियों का प्रयोग करती है। आज कोंग्रेस इसी पुरजोर कोशिश में लगती है की राष्ट्र को साम्प्रदायिकता के नाम पर टुकड़ों में बाँट दिया जाए।
यदि कोंग्रेस खुद को धर्म-निर्पेक्ष समझती है , तो इसके लिए जरूरी है धर्म निर्पेक्षता की परिभाषा को सही परिपेक्ष्य में समझा जाए। धर्म-निरपेक्षता में विश्वास रखने वाले लोग सभी धर्मों को उनकी आस्था एवं विश्वास के साथ जीने देते हैं ना की एक दुसरे पर निरंतर दोषारोपण करते हैं।
राहुल गांधी द्वारा - "हिन्दू आतंकवाद" और चिदंबरम के "भगवा आतंकवाद" तथा दिग्गी की बयानबाजियां क्या सिद्ध करती है ? क्या कोंग्रेस सही मायनों में धर्म-निर्पेक्ष है ? कोंग्रेस का धर्म , देश का विकास करना है अथवा विरोधी पार्टियों को आतंकवादी करार करना है ?
हिन्दू आतंकवाद -
यदि हिन्दू आतंकवाद जैसा कहीं कुछ जन्म ले रहा है तो उसका गर्भ कोंग्रेस में ही है , जो कोंग्रेसी नेताओं की निरर्थक एवं सस्ती बयानबाजियों में परिलक्षित हो रही हैं। समय आगया है की हम पहचानें उन आतंकियों को जो हिन्दू-आतंकवाद और भगवा-आतंकवाद , जैसी शब्दावलियों की आड़ में देशवासियों की श्रद्धा और विश्वास के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
ड़ाल-ड़ाल कमज़ोर है , पहचानो पक्षी-पक्षी को ..
हर शाख पे दिग्गी बैठा है , अंजामें गुलिस्ताँ जाहिर है ।
आभार ।
51 comments:
हर शाख पे दिग्गी बैठा है
अंजामे वफ़ा क्या होगा ...
बहुत जोरदार अभिव्यक्ति ... दिग्गी तो खैर दिग्गी ही हैं ....
हर शाख पे दिग्गी बैठा है , अंजामें गुलिस्ताँ जाहिर है
पूर्ण रूपेण सेहमत ..........
these are totally 'hoax'
pranam.
सबसे बड़ा कष्ट तो ये है की इस देश की सच्चाई किसी को दिख नहीं रही.............. आजतक २० साल से आतकवाद कोई मुद्दा ही नहीं था अब बहुत बड़ा मुद्दा हो गया......... कमाल है...
सृजन शिखर पर ---इंतजार
आज कोंग्रेस इसी पुरजोर कोशिश में लगती है की राष्ट्र को साम्प्रदायिकता के नाम पर टुकड़ों में बाँट दिया जाए।
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कौन सी पार्टी ऐसा नहीं कर रही? या किसको सरकार बनाया जाए जो यह ना करे. ?
is tarah ki bayanbaji desh ko kamjor hi kar rahi hai..
desh ki suraksha aur smita par seedha hamla ho raha hai...
samaj ,jo kafi kuchh samhalne ki koshish me hai use punah vishakt kiya ja raha hai.
kursi aur vote ke liye ye tathakathit rajneta admi ko admi se door karne ki sazish kar rahe hain..
kitne gair jimmedar aur swarthi huye ja rahe hain ye?
मात्र वोटों के लिये ये कुछ भी करने को तैयार है।
सत्ता की भूख इनकी बेलगाम हो गई है।
विकिलीक्स में उजागर हुए तथ्य जिसमे राहुल गाँधी ने भाजपा और राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ पर अपने बयान और कांग्रेस द्वारा युवराज को बचाने के लिए महंगाई को छोड़कर भगवा आतंक को मुद्दा बनाना उनके अल्पसंख्यक ध्रुवीकरण की घटिया मानसिकता को दर्शाता है . कांग्रेस की राजमाता , को हिन्दू आतंकवाद से देश को बड़ा खतरा दिख रहा है जो उनके और उनके सुपुत्र (शायद) की मानसिक विक्षिप्तता का प्रतीक है .रही बात दिग्विजय सिंह की तो ये सब बोलना उसकी मजबूरी है जो उन्हें राजमाता और युवराज के आँखों का तारा बनाने में मदद करेगी .
खरी खरी भाषा में सच का जीवंत दस्तवेज है आप का लेख.
मेरे मन में उठते विचारों को आप ने तार्किक तौर पर पेश किया है....शुक्रिया .
सुना है कि विज्ञान के अनुसार चीजें सापेक्ष होती हैं.
ये बताते हैं कि निरपेक्ष होती है.
कमालतो यह है कि धर्म को जानने का प्रयास भी नही करते .
बहुत गहरे चिंतन और अनुभव से लिखी पोस्ट .....शुक्रिया
Well....I don't think that Congress is Secular.
I hate people like Digvijay Singh who try to confuse everyone. He is just disgusting because he can say anything to please his bosses and for vote-bank politics.
अफ़सोस की बात तो ये है कि केंद्र में सरकार बनाने के लिए और कोई पार्टी दावेदार ही नहीं है...आखिर कांग्रेस को हटायें तो लायें किसे ???? बिहार में तो ऑप्शन था...पर केंद्र में...?????
शायद ये आजादी हमें बहुत महंगी पड़ रही है...पता नहीं ये लोग हमारा और कितना पैसा लूटेंगे?? और हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते....
अभी कुछ दिन पहले चिदंबरम साहब का बयान आया था कि, दिल्ली में बढ़ते अपराध का कारण प्रवासी हैं....
पता नहीं ये बोल कर वो क्या साबित करना चाहते, उन्होंने खुद को ही अपराधी घोषित कर दिया क्यूंकि वो खुद भी प्रवासी हैं....
अच्छा लगा यह अलेख पढना।
बर्बादे गुलिस्ता करने को एक ही दिग्गी काफी था ,
हर शाख पे दिग्गी बैठा है , अंजामे गुलिस्ता क्या होगा
गोयबल्स के सच्चे साधक हैं..
एक ऐसी नीति है जिसकी कोई नीति नहीं होती।
आजकलराजनीति की राजनीति का महल झूठ, झूठ और झूठ की नींव पर खड़ी है।
अब किसी राजनीतिज्ञ के बयान पर मैं चौंकता नहीं हूं, हां, मन में पीड़ा ज़रूर होती है।
सचमुच यह दुर्भाग्यपूर्ण है।यह उसी तरह की समस्या को जन्म दे सकता है जैसे कश्मीर समस्या...दूरगामी दुष्परिणाम।
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यह सब और कुछ नहीं, एक बड़े 'वोट बैंक' को अपने साथ रखने की कवायद है... वही बातें बार-बार नियोजित ढंग से कही जा रही हैं जिनसे 'वोट बैंक' पुख्ता हो जाये... क्या कहा जाये... शायद यही राजनीति है...:(... बिना किसी अपवाद के सभी राजनीतिक दल यह खेल खेलते हैं।
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merii bhii sahmatii hai aapke vichaaron se.
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... gambheer maslaa ... saarthak charchaa !!!
बहुत हौसले से लिखा गया है यह आलेख... वरना चाटुकारिता को धर्मनिरपेक्षता माना जाता है.. कोई पूछे तो कि ९०% से अधिक अपराध किसी खास वर्ग के लोग ही क्यों करते है.
इन काग्रेसियो को जनता बार बार चुनती ही क्यो हे, क्यो? क्या दुसरे मर गये हे, नरेंदर मोदी मुझे लगता हे इन सब का इलाज हे, ओर वो ही इन सभी की तबीयत ठीक कर सकता हे, इन्हे बोलने का सलीका सिखा सकता हे, वर्ना यह तो कल यह हिन्दूओ को देश से भी निकाल सकते हे.
आपका बहुत बहुत शुक्रिया मेरे पोस्ट की सराहना के लिए। ये हिन्दु आतंकवाद, भगवा आतंकवाद कुछ नही है। जहॉ तक मेरा सवाल है मै समझता हुॅ ये सब नाटक चल रहा है सिर्फ पुरे देश का ध्यान इतने बड़े बड़े जो घोटाले इनके राज में हुए है उसकी तरफ से हटाने के लिए।
यह सच है कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के कारण देश को बहुत नुकसान हुआ हैा लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि राष्टवाद का राग अलापने वाली भाजपा ने देश का कुछ भला किया हैा संसद पर हमला, कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ, कांधार विमान अपहरण जैसे काण्ड भाजपा के समय में ही हुए हैंा कांग्रेस हिन्दुओं को आतंकवादी बताती है और भाजपा मुसलमानों को, लेकिन जब आतंकवाद से निपटने का सवाल आता है तो कांग्रेस हो या भाजपा दोनों कटघरे में खड्े दिखाई देते हैंा जहां एक ओर कांग्रेस मुसलमानों और गरीबों को रिझाने में लगी रहती है, वहीं भाजपा राष्टवाद और राम मन्दिर की दुहाई देती रहती हैा जनता बेबस हैा जब देश के दो सबसे बडे राजनीतिक दल ही दलदल में धंसे हों तो कौन सा विकल्प बचता है
दस साल से गद्दी छिन गई है तो बौखलाएंगे ही :)
रोम राज्य में यही मिलेगा देखने सुनने को!!
कांग्रेस भारतीयता को समाप्त करना चाहती है दिग्विजय तो सोनिया को खुश करने के लिए ये सब बोलता है दास हज़ार सिक्खों को मारकर लाखो कश्मीरी हिन्दुओ को समाप्त कर देश भर में दंगे करवा कर विश्व में हिन्दुओ को बदनाम करने की साजिस ये सब अमेरिका के इशारे पर ,सोनिया,राहुल अमेरिका द्वारा प्रोजेक्ट है.
sarthak post...gahre chintan ki jhalak najar aati hai.
बहुत अच्छी पोस्ट. लेकिन इन राजनीतिज्ञों का कोई विकल्प नहीं. ये किसी भी पार्टी के हों, एक जैसे हैं. दिव्या जी और मैं किस के पक्ष में हैं इससे इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता. देश की अनपढ़ आबादी बेवकूफ़ बन सकती है, बन रही है. विकास के मार्ग में बिछे भ्रष्टाचार के जाल को कौन तोड़ना चाहता है. वह बड़ा मुद्दा क्यों नहीं बनता. भगवा को बड़ा मुद्दा क्यों बना लिया जाता है.
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Yeah , You are right Bhushan ji . These politicians are selfish, insensitive and opportunists.
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Appeasement, started by Nehru, and it paid dividends to him. It continued down the line, paid dividends to the whole of the followers (clan + family). So why not repeat, when you are sure you can become the PM without doing any constructive and responsible work. The easy way to good money and life over the gullible and not so clever ( clever minorities ). Its win win for both, the ruling and the minorities (read as leaders) for who cares for the common man, even if he is begging naked on the streets. The more the naked people, the less the literate, the more the desperate, the more easier for the leaders to appease.
hamen apno ne luta hai gairon main kahan dm thaa?
bharhaal...
हर शाख पे दिग्गी बैठा है , अंजामे गुलिस्ताँ जाहिर है --
shirshak hi kaafi tha.
इन दिग्गियो का क्या किया जाये
असली आतंकवादियों का चेहरा सबको पता है
ये (कु)नेता लोग ही देश को नष्ट किये जा रहे है
एक बार फिर से क्रांति लानी पड़ेगी
ये अगर अंग्रेजो के समय होते तो सारे शहीद आतंकवादी दर्जे में रखे गए होते
SACHAI SE DARTE HO AAP LOG
SACHAI SE DARTE HO AAP LOG
मुझे तो सारे नेता एक ही जैसे लगते हैं ,मैडम.
सब भ्रष्ट और बेईमान हो गए हैं.
बहुत ही सही कहा है आपने ...बधाई सुन्दर लेखन के लिये ...आपकी कलम यूं ही सच का सामना करती रहे ।
मैं तो यही मानता हूँ कि आज़ादी के समय विभाजन का कारण भी कांग्रेस थी और आज भी ऐसे वाहियात प्रवचन देने वाले कांग्रेसी हैं..
अब समय है कि पढ़े-लिखे समझदार लोग भी वोट देने जाएँ और कम से कम इस सत्ता को समाप्त करें..
मेरी टिप्पणी में टंकण की कुछ त्रुटियां हो गई थी, संशोधित रूप इस प्रकार है-
राजनीति एक ऐसी नीति है जिसकी कोई नीति नहीं होती।
आजकल की राजनीति का महल झूठ, झूठ और झूठ की नींव पर खड़ा है।
अब किसी राजनीतिज्ञ के बयान पर मैं चौंकता नहीं हूं, हां, मन में पीड़ा ज़रूर होती है।
thanks Dr:)
I thought it was going to be some boring old post, but it really compensated for my time. I will post a link to this page on my blog. I am sure my visitors will find that very useful. Thanks
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बड़ी अजीब बात है कि एक निहायत ही वेहूदा और वेबकूफ़ इंसान आपके ब्लॉग पर सबको शर्मिंदा कर रहा है और कोई उस पर लानत नहीं भेज रहा। बस इसी योग्यता और हिम्मत के आधार पर हम ब्ल़ॉगिंग कर रहे हैं?
दिव्या जी....आप एक विकृत मानसिकता के व्यक्ति के बारे चुपचाप क्यों हैं? आप तो ऐसी न थी!
वीरेन्द्र जी , आप किसकी बात कर रहे हैं ?
अरे ..आपके ब्लॉग पर "सुपाड़ा सिंह" की टिप्पड़ी है। क्या आपने वो
टिप्पणी नहीं पढ़ी। उस टिप्पणीकर्ता ने जो चित्र लगाया है। क्या
उस पर किसी की नज़र नहीं पढ़ी?
वीरेंद्र जी ,
उसकी टिपण्णी हटा दी है। और वो फोलोवर बन गया था, वहां भी ब्लाक कर दिया है।
फैसला तो जनता, समय आने पर कर ही देगी.
पूर्ण रूपेण सेहमत ..........
पहली बात तो यह है कि सारे राजनेता एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं ... इनमें से भी कुछ ऐसे हैं जो प्रगति के पक्षधर हैं ... हमें उन्हें चुनना चाहिए ..
दूसरी बात यह है कि आज जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए ज़िम्मेदार हम स्वयं हैं ... जनता जनार्दन बेवकूफी करके वोट देता है ... जाती, धर्म, प्रान्त के आधार पर ... इससे गद्दी पर चोर-उचक्के ही आते हैं ... अच्छे और सच्चे लोग नहीं आ पाते ... हमें जाती, धर्म और प्रांतीय भेदभाव तो त्यागना होगा ... तभी हम कुछ उन्नति की उम्मीद कर सकते हैं ...
Dearest ZEAL:
Lamenting on the politicians is like shedding tears over a lost cause.
Almost all the politicians and political parties are inherently corrupt to the core. The malaise is too deep-rooted and as long as the populace is out there voting them into power, nothing else matters.
Venting the angst is the only thing one can do and you have done it nicely. Lot of 'instigative statements' are often orchestrated in the meetings of seniors and one of them is chosen to speak it, so that others can pretend their views on it and placate the masses on both sides. The minorities regale at Hindus being called terrorists and then the other politicians word out goodies to appease the offended lot.
Sab nautanki.
Semper Fidelis
Arth Desai
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