आनंद - इन्हें मैं जानती नहीं , लेकिन इनके निमंत्रण पर सर्व-प्रथम मैंने ' श्रीश ' जी का ब्लॉग ज्वाइन किया , जहाँ से मुझे हिंदी में बहुत कुछ पढने को मिला।
अमरेन्द्र त्रिपाठी - मुझे हिंदी ब्लॉगजगत में लाने का पूरा श्रेय अमरेन्द्र को जाता है । इससे पहले मुझे हिंदी के इतने व्यापक स्वरुप का परिचय नहीं था।
डॉ अरविन्द मिश्र - इनके ब्लॉग से मैंने टिप्पणियां लिखने की शुरुवात की , तथा धीरे-धीरे अन्य ब्लोग्स का सफ़र तय किया।
अर्थ देसाई - इनकी विशेष आभारी हूँ , क्यूंकि इनका कहना है -- " Hindi blogging is total trash " । इन्होने जितना ज्यादा निरुत्साहित किया , मेरा मनोबल उतना ही बढ़ता गया, हिंदी में लिखने के लिए।
डॉ अमर- इन्होने अपनी खट्टी-मीठी टिप्पणियों से मेरे लेखों पर रोचकता बनाए रखी सदा।
राजेश उत्साही - इनकी ऊर्जा से भरपूर टिप्पणियों ने सदा डटे रहने की प्रेरणा दी।
सतीश सक्सेना- इनका स्नेह एवं शुभकामनायें अनेकों बार मिलीं। सतीश जी की एक यादगार टिपण्णी जो मुझे हमेशा भावुक कर देती है यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ --
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इस विषय पर अपने अपने अपने रंग में बोलने वाले यहाँ बहुत हैं ...
यह एक बेटी ही है जो यह किस्मत लेकर आती है कि उसे अपने नाज़ुक मन को लेकर, दो घर, उसी प्यार के साथ सँभालने पड़ते हैं ! डॉ दिव्या श्रीवास्तव का यह रूप कम से कम मेरे लिए अभिनंदनीय है ! निस्संदेह तुम एक आदर्श प्रस्तुत कर रही हो ! तुम्हारे माता पिता धन्य है ...
जहाँ रहोगी वहीं खुशियाँ बिखेरोगी !
"सारा जीवन किया समर्पित
परमार्थ में नारी ही ने ,
विधि ने ऐसा धीरज लिखा
केवल भाग्य तुम्हारे में ही
उठो चुनौती लेकर बेटी , शक्तिमयी सी तुम्ही दिखोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी
द्रढ़ता हो सावित्री जैसी,
सहनशीलता हो सीता सी,
सरस्वती सी महिमा मंडित
कार्यसाधिनी अपने पति की
अन्नपूर्णा बनो, सदा ही घर की शोभा तुम्ही रहोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी "
शोभना चौरे जी - शोभना जी एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी टिप्पणियों के बगैर मेरे सभी लेख अधूरे ही रहते हैं । शोभना जी अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद सामाजिक , सार्थक विषयों पर लिखती हैं तथा मेरे लेखों के जटिल विषयों पर अपनी टिपण्णी द्वारा अपना अमूल्य योगदान देती हैं। शोभना जी का मुझ पर कर्ज है । नहीं जानती कैसे उतारूंगी , लेकिन दुनिया की हर ख़ुशी शोभना जी को मिले यही मेरी हसरत है।
निर्मला कपिला जी - निर्मला जी , चाहे जितनी भी व्यस्त हो जाएँ , समय निकालकर प्रोत्साहन और आशीर्वाद देना नहीं भूलतीं। उनका नेट से दूर रहना मुझे खलता है।
प्रिया जी - प्रिया जी के बहुत सार्थक और analytical comments मिले हैं , जिसके लिए उनकी आभारी हूँ। " आत्मा की उत्पत्ति " लेख पर इनकी महत्वपूर्ण टिपण्णी है ।
रश्मि प्रभा जी - रश्मि जी हमेशा नवोदित लेखक एवं लेखिकाओं को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने हमेशा आशीर्वाद स्वरुप अपने कमेंट्स दिए , जिनके लिए ह्रदय से उनकी आभारी हूँ।
सदा जी - सदा जी के लिए दो शब्द--
" मेरा आपसे है पहले का नाता कोई , यूँ ही नहीं दिल लुभाता कोई। "
राज भाटिया जी - राज जी ने हमेशा अपनी सार्थक टिप्पणियों एवं सुझावों से मेरा मार्ग दर्शन किया । उन्होंने ब्लॉग-परिवार में मेरा ब्लॉग शामिल करके मुझे अपने परिवार का सदस्य माना । उनकी निष्पक्षता के लिए राज जी का आभार।
हरीश प्रकाश गुप्त जी - समय समय पर अपनी ऊर्जावान , निष्पक्ष एवं सार्थक टिप्पणियों से अनुग्रहीत किया।
गोपालकृष्ण विश्वानाथ जी - श्री विश्वानाथ जी , ब्लोगर नहीं हैं , फिर भी अपने व्यस्त समय में से अमूल्य समय निकालकर हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया। ब्लॉग पर हो रही अभद्रता को देखते हुए उन्होंने मुझे ' मोडरेशन' लगाने की सलाह दी । GV Sir को मेरा आभार।
महेंद्र वर्मा जी - बेहद वैज्ञानिक और तार्किक टिप्पणियों से मेरे लेखों की सार्थकता बढाई।
बी एस पाबला जी - हमेशा तकनिकी जानकारी सम्बन्धी मदद की , लेकिन अभी भी पेंडिंग है कुछ ---मुझे लिंक वाली टिपण्णी देना सीखना है।
चर्चाकारों का आभार - कुछ साथी ब्लोगर जिन्होंने मेरे लेखों को सराहा और समय समय पर चर्चा मंच पर मुझे स्थान दिया , उनका बहुत-बहुत आभार।
शिवम् मिश्रा जी
मनोज जी
वंदना गुप्ता जी
संगीता स्वरुप जी
डॉ नूतन नीति
श्री रूपचन्द्र शास्त्री जी
राजकुमार ग्वालानी जी
ब्लॉग एग्रीगेटर्स का आभार-
इन्डली
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हिंदी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट
हिंदीब्लॉगजगत
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फौलोवर्स का आभार - मेरे ब्लॉग का फोलोवर बनकर जिन लोगों ने मेरा उत्साह वर्धन किया उन सभी का ह्रदय से आभार।
मेरे दो भाई - ब्लॉग जगत का सबसे अनमोल तोहफा हैं मेरे दो भाई । मेरी भूलों और गलतियों को नज़र अंदाज़ करके मुझपर हमेशा एक बड़े भाई जैसा स्नेह लुटाया, मेरी मुश्किलों में मेरा साथ दिया और हमेशा मेरा मार्ग दर्शन किया ।
भाई रुपेश [ डॉ रुपेश श्रीवास्तव ]
भाई प्रतुल [ प्रतुल वशिष्ठ]
मेरे दोनों भाइयों के लिए आभार शब्द बहुत छोटा है ।
मेरे सभी पाठकों एवं टिप्पणीकारों का आभार -
अजय कुमार झा जी , रविन्द्र प्रभात जी , डॉ अरुणा कपूर , पी भाकुनी जी , रोहित जी ( बिंदास) , भूषण जी , कुंवर कुसुमेश जी, ज्ञानचन्द्र मर्मज्ञजी , राजीव नचिकेता जी , अरविन्द जांगिड जी , पी एन सुब्रमण्यम जी , चैतन्य जी , सलिल जी , संजय भास्कर जी , अजित गुप्ता जी , वंदना महतो जी , दीपायन जी , केवल राम जी , दर्शन लाल जी , फिरदौस जी , मुनव्वर आपा जी , दीपक सैनी जी , सरिता जी , आशीष जी , शिखा वार्ष्णेय जी , निशांत मिश्र जी , प्रकाश गोविन्द जी , राधारमण जी , राजीव कुलश्रेष्ठ जी, डॉ महेश , डॉ दराल , अभिषेक जी , सुरेश चिपलूनकर जी , अविनाश वाचस्पति जी , रचना जी , अंशुमाला जी , अंतर सोहिल जी , अभियान भारतीय जी , गौरव जी , सुज्ञ जी , अमित शर्मा जी , भारतीय नागरिक जी, गोदियाल जी , मनोज कुमार जी , मनोज भारती जी , मनोज K , रश्मि रविजा जी , वाणी गीत जी , अली जी, गिरिजेश जी , राजन जी , समीर लाल जी , अनूप शुक्ल जी , गिरीश बिल्लोरे जी , कविता रावत जी , रचना रविन्द्र जी , संगीता पुरी जी , डॉ अनवर जमाल , किलर झपाटा जी , ए एस मासूम जी , स्मार्ट इन्डियन जी , इरफ़ाननुद्दीन जी , शाह नवाज़ जी , इस्लाम विनय जी , मंसूर अली जी , काफिर जी , निर्झर नीर जी , कैलाश शर्मा जी , सुनील बकलियाल जी , शेखर सुमन जी , मृत्युंजय त्रिपाठी जी , विजय माथुर जी , यशवंत माथुर जी , वीणा जी , गिरधारी खंकियाल जी , जयकृष्ण राय तुषार जी , उपेन्द्र जी , जितेन्द्र जौहर जी , मयंक जी , शिक्षामित्र जी , AS ( अमर जी ), sagebob जी , पं पि के वत्स जी , मृदुला प्रधान जी , प्रतिभा सक्सेना जी , आशा जी , साधना वैद्य जी , पूनम ( झरोखा जी ), आशा जी , आकांशा जी , अंजना जी , राहुल सिंह जी , पहलामाइल स्टोन जी , गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी , वीरेंद्र सिंह चौहान जी , सुरेन्द्र सिंह झंझट जी , प्रवीण पाण्डेय जी , प्रवीणशाह जी , प्रवीण त्रिवेदी जी , संजीत त्रिवेदी जी , सोमेश सक्सेना जी , डॉ श्याम गुप्ता जी , ज्योति प्रकाश जी , दिगंबर नाशवा जी , महेंद्र मिश्र जी , अभिषेक-२ जी , अजय डूबे जी , कौशलेन्द्र जी , विचार शून्य जी , दीप्ति जी , डॉ मोनिका , राजी जी , नीलम जी , STRANGER जी , Jagdish bali जी, अदिति चौहान जी , सुलभ एवं सतरंगी जी , मीनाक्षी पन्त जी , दिनेशचन्द्र द्विवेदी जी , संजय झा जी , रंजन जी , माधव जी , कोरल जी , इन्द्रनील जी , प्रिय पाखी, आशीष एवं आशीष मिश्रा जी , सतीश पंचम जी , मुक्ति जी , अरविन्द (क्रांतिदूत) जी , अरविन्द कुमार पाण्डेय जी ,उन्मुक्त जी , अंकुर जैन जी , PD जी, चंद्रमौलेश्वर जी , हिमांशु जी एवं हिमांशु मोहन जी , पद्मभूषण जी , मुकेश कुमार सिन्हा जी , पुरविया जी , उदय जी , श्याम जी , डॉ पवन मिश्र , दिलबाग विर्क जी , Creative manch ,साधना जी , अजय कुमार ( गठरी ) जी , दिनेश शर्मा , रचना दीक्षित जी , रविन्द्र रवि जी, अरुण चन्द्र राय ( सरोकार ) जी , patali-the-village , डॉ संजय दानी जी , Harman , अमृता तन्मय , रेखा श्रीवास्तव जी , खुशदीप सहगल जी , Man जी , दिवस दिनेश गौर जी , वंदना अवस्थी दुबे जी , शिवा जी , दानिश जी , संध्या गुप्ता जी , काजल कुमार जी , अशोक बजाज जी , अशोक मिश्र जी , अमित-निवेदिता जी , अनामिका जी , गोपाल मिश्रा जी , डॉ वर्षा सिंह , डॉ शरद, शशि जी , मोहम्मद हमजा जी , रचना बजाज जी , दीप जी , अमर जीत जी , शिखा कौशिक जी , इमरान अंसारी जी , गिरीश पंकज जी , सुमन जी , सुधीर जी , राजेन्द्र स्वर्णकार जी , राकेश कौशिक जी , विवेक रस्तोगी जी , दीर्घतमा, प्रमोद्पाल सिंह मेघवाल जी , विचार शून्य जी, महक जी , lies destroyer ji , ललित शर्मा जी , honesty project democracy, प्रेम सरोवर जी , जाकिर अली रजनीश जी , बबली जी , नीलेश माथुर जी , सतीश चन्द्र सत्यार्थी , डॉ हरदीप संधू , ehsaas ji , संजीव जी , रंजना जी , देवेन्द्र पाण्डेय जी , ....
यह लिस्ट बहुत लम्बी है और अभी जारी है । बहुत से छूटे हुए नामों को जोड़ना है । इसमें मेरे हिंदी और अंग्रेजी दोनों ब्लोग्स के पाठकों के नाम शामिल है।
उपरोक्त नामों में से कुछ साथ छोड़ कर चले गए , कुछ साथ हैं। फिर भी मैं यही कहूँगी -
कठिन है राह बहुत , थोड़ी दूर साथ चलो ....
आभार सहित ,
दिव्या
104 comments:
लेकिन मैं तो आपसे ईर्ष्या करता हूँ जी :)
आभार! धन्यवाद!!
दिव्या जी
आपका सफ़र इसी तरह निरन्तर चलता रहे और आपको सभी पाठको का प्यार मिलता रहे……………आप इसी प्रकार लेख लिखती रहें और हमे लाभान्वित करती रहें यही दुआ करती हूँ। बहुत बहुत बधाई अब तक के सफ़र के लिये…………ये सफ़र सालों साल चलता रहे।
ब्लॉग जगत में आपकी बेवाक प्रस्तुतियों और सार्थक उपलब्धि के लिए बधाई ...भविष्य के लिए हार्दिक शुभ कामनायें..
Thanks for remembering everyone.
आभार का आभार।
दिव्या जी
आप के ब्लॉग से ही मैने ब्लॉग की दुनिया में कदम रखा | मेरा हिंदी से नाता टूट गया था | अब कोशिश है हिंदी से फिर जुड़ने की |
The best thing about this blog is the humbleness, and you have a great heart, thats is all i can say.
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अंतर सोहिल जी ,
आपकी ईर्ष्या में भी अपनापन है।
@ Stranger -
जो नाम छूट गए हैं , उन्हें लिस्ट में जोड़ रही हूँ।
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कठिन है राह बहुत , थोड़ी दूर साथ चलो ...
आपका सफ़र इसी तरह निरन्तर चलता रहे और आप इसी प्रकार लेख लिखती रहें, बहुत बहुत बधाई अब तक के सफ़र के लिये…………ये सफ़र सालों साल चलता रहे।
भविष्य के लिए हार्दिक शुभ कामनायें..
आभार आपका...
आदरणीय दिव्या जी,
पथ पर दृढ़ता से चलना ही सार्थक ब्लोगरी की पहचान है. ये सीख आपके ब्लॉग (ZEAL ) से स्पष्ट है.
आभार का आभार।
आपका सफर यूँ ही चलता रहे,
उजाला राहो यूँ ही मिलता रहे,
आप लिखते रहो हम पढते रहें,
आपका ब्लाग यूँ ही खिलता रहें
शुभकामनायें
दिव्या जी कहीं आप ब्लॉगिँग छोड़ तो नहीं रहीं हैं? क्योंकि आभार प्रदर्शन तो अक्सर सभा के अंत में किया जाता है।
आपने पुराने गिले शिकवे भुलाकर उन्हे भी धन्यवाद किया है जिनके ब्लॉग्स पर आपको अपशब्द कहे गए हैं। अच्छी पहल है ये। :)
all the best for your future blogging... all i can say is that after reading your so many well written hindi post i have tried today in hindi, i don't know how it is, but i m happy that i could do one post in hindi at my Blog.
कृतज्ञता ह्रदय की कसौटी होती है, इसे बनाए रखना श्रेष्ठ सृजन के लिए आवश्यक है .....आपमें दृढ़ता भी है आत्मविश्वास भी और भावुकता भी, यही एक ब्लोगर का अलंकार होता है, इसको बनाए रखने की जरूरत है !
Apka bhi aabhaar ...
कारवां आपका यों ही बढ़ता रहे . सादर आभार
apka abhar karne ka tarika bha gaya..:)
for tech help you can always search google and most of the things are there
open your account for webmasters tools and stat the tech learning process
all the best
आभार प्रस्तुत कर आप तो ॠणानुमुक्त हो जाएगी।
हमारा भी आभार स्वीकार किजिए जी, पूरक आभार!!
hamara naam kyun nahi hai ? boliye--boliye
aapki har ek post padhte hain fir bhi ?
ye to anyaay hai.
jaldi se hamara naam bhi likhen warna ham follower nahi banenge :)
विश्लेषण और सूचीकरण के लिए आवश्यक तटस्थता के सौंदर्ययुक्त पोस्ट.
aapke is suhane safar ke liye bahut bahut vadhayiyan.....:)
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अदिति जी ,
नाम विलम्ब से लिखने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। कोशिश कर रही हूँ की आज तक जिसने भी अपनी टिपण्णी दी है मेरे ब्लॉग पर , उनका नाम यहाँ लिखकर आभार प्रकट कर सकूँ।
देर हो सकती है , लेकिन सभी प्रोत्साहित करने वाले, सुझाव देने वाले , मार्ग दर्शन करने वाले एवं भूले-भटके प्रशंसा करने वालों का नाम यहाँ होगा। सभी का आभार लिखकर ही ये ह्रदय ऋण-मुक्त होगा।
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आभार! धन्यवाद!!
मैं अपने नाम को ढूंढ रहा था.. लेकिन असफल रहा..
अरुण जी ,
थोड़ा सा विलम्ब हुआ , उसके लिए खेद है । आशा है क्षमादृष्टि रखेंगे।
सदा जी के लिए की गयी टिप्पणी कभी हमारे लिए भी की थी आपने ...मगर अब भीड़ में शामिल सही ...कोई गल नहीं है जी ...
खुश रहिये , आबाद रहिये !
दिव्या जी , क्या आप भी हमारी तरह ब्लोगिंग को बाय बाय करने जा रही हैं ?
अरे! यह क्या?
Retirement के अवसर पर Farewell Speech लग रहा है।
आशा करता हूँ, कि आप मैदान छोडकर नहीं जा रही हैं।
लिखती रहिए, हम हैं आपके साथ।
हाँ, एक मामूली त्रुटि सुधार : मेरा नाम गोविन्द विश्वनाथ नहीं, गोपालकृष्ण विश्वनाथ है।
"गोपालकृष्ण" मेरे पिताजी का नाम है और "विश्वनाथ", मेरा नाम है
कोई बात नहीं, गोविन्द हो या गोपालकृष्ण, दोनों भगवान श्रीकृष्ण के ही नाम हैं।
मुझे और अन्य भक्तों को तो फ़र्क नहीं पढता
यह क्या कम है कि इतने सारे लोगों में से आपने मेरा नाम चुनकर विशेष सम्मान दिया?
पर हाँ, यदि, आप मेरी टिप्पणियों से खुश होकर मेरे नाम cheque भेजना चाहती हैं, या अपनी सारी संपत्ति मेरे नाम करना चाहती हैं तो कृपया गोपालकृष्ण विश्वनाथ ही लिखिए। ये बैंक वाले और वकील लोग बडे निष्ठुर होते हैं जी।
शुभकामनाएं
गोपालकृष्ण विश्वानाथ
main apana nam dekhakar bahut prasana hua.aabhar
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वाणी जी ,
आपका अभी भी वही स्थान है। वहाँ सिर्फ आप ही आप रहती हैं। अपनों को यूँ नहीं भुलाया जाता मुझसे।
डॉ दराल ,
ब्लॉग पर हो रही गतिविधियों से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ चुका है । Medicines पर हूँ। ब्लॉगजगत में सक्रियता अब कम रहेगी।
विश्वनाथ जी ,
मेरे पास धन ही तो नहीं है। कंगाल हूँ।
लेकिन जो कुछ है मेरे पास , अपने लेखों के माध्यम से बांटने की कोशिश रहेगी। आपका नाम लिखने में हुई त्रुटी सुधार ली है।
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दिव्याजी , मैं पंद्रह जनवरी २०११ को ही ब्लाग के रास्ते पर अग्रसर हुआ हूँ.छः दिनों में ही कोई मेरा आभार प्रकट करेगा, सोचा न था.तहे दिल से शुक्रिया. आप की टिप्पणियों ने सदैव मेरा मार्गदर्शन किया है और उम्मीद करता हूँ की आगे भी करती रहेंगी.आप निश्चय ही बहुत सारे ब्लागरों का प्रेरणा स्त्रोत हैं.मेरी शुभ कामनाएं.
dr.divyaji mujhe abhi hindi typing nahin aati hai.mera blog koi aur type karata hai.hindi ke swanamdhanya vidvan jo kam hindi ke liye nahin kar pa rahen hain vo kam itar profession me rahakar aap aur kuchha anya log kar rahe hain.aap doctor ke pese se judkar bhi hindi ke liye samarpit hain.aap jaise logon ke prayas se hi ek din hindi international bhasha banegi badhai divyaji.
नाम गिनाने में यही तो कठिनाई होती है... नाम चूक गया तो लोग नाराज़ होंगे :)
मेरे नाम का उल्लेख करने के लिए आपके प्रति आभार।
इस पोस्ट से आपका क़द बहुत उंचा हुआ है, इसमें आपका बड़प्पन झलक रहा है।
आगे भी सतत लिखते रहने के लिए शुभकामनाएं।
ब्लोगिंग तो नहीं छोड़ रही हैं न ?
ये एकदम से आभार की क्या ज़रुरत पड़ गई ?
दिव्या बहन ये ब्लॉगिंग का ही करिश्मा है कि मुझे भी डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जैसे चमत्कारिक शख्स से परिचय हुआ जबकि हम एक ही उपनगर में रहते थे लेकिन परिचित नहीं थे। एक दिन स्कूल में इंटरनेट पर "पनवेल" शब्द लिख कर सर्च इंजन से इनके ब्लॉग पर पहुंच गयी और बस फिर तो जो रिश्ते बने वे गहराते चले गए वो एक सच्चे दोस्त,भाई,पुत्र,पिता,माता,बहन और ना जाने कितने रिश्ते अपने में समेटे हुए हैं। आपके भाई मेरे सदगुरू सिद्ध हुए हैं साइबर संसार से असल रिश्तों में आने पर शुभेच्छा स्वीकारिये। सचमुच ब्लॉगिंग ने जीवन को नया मोड़ दे दिया है। हमारा प्रेम इसी तरह गहराता रहे और सुख-दुःख में भागीदारी बनी रहे। आप और आपके भाई डॉ.रूपेश जी का प्यार सदा सदा बना रहे यही अल्लाह तआला से प्रार्थना है। भड़ास परिवार का प्यार सदा आपके साथ रहेगा।
सप्रेम
मुनव्वर सुल्ताना
आज बहुत दिनों बाद आपके लेख में सकारात्मकता दिख रही है. इसे बनाए रखिये ! सकारात्मकता से सकारात्मक ऊर्जा निकलती है. आपके अंदर बहुत ऊर्जा है, प्रतिभा है, इसे सकारात्मक दिशा में लगाइए.
आप ये मत समझियेगा कि मैं उपदेश दे रही हूँ. पर ,मुझे लगता है कि प्रतिभाशाली लोगों को अपनी कुशलता का प्रयोग सही दिशा में करना चाहिए.
अच्छी नज़र से देखिये तो कोई भी इतना बुरा नहीं है, इंसान होने के नाते अच्छी-बुरी बातें सभी में हैं.
शुभकामनाएँ !
Fantastic.
Congratulations.
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Quote:
विश्वनाथ जी ,
मेरे पास धन ही तो नहीं है। कंगाल हूँ।
लेकिन जो कुछ है मेरे पास , अपने लेखों के माध्यम से बांटने की कोशिश रहेगी। आपका नाम लिखने में हुई त्रुटी सुधार ली है।
Unquote:
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दिव्याजी,
हम तो मजाक कर रहे थे।
कौन कहता है कि आप कंगाल हैं?
आपके पास ज्ञान है, बाँटने की इच्छा है, उर्जा है, कुछ करने की तमन्ना है
यही है आपकी असली संपत्ति। धन तो तुच्छ है।
यह जानकर संतोष हुआ की आप लिखती रहेंगी।
नाम लिखने में त्रुटि सुधार के लिए धन्यवाद
जी विश्वनाथ
DIVYA JI,
BAHUT-BAHUT HARDIK SHUBHKAMNAYEN ..
apki lekhni isi tarah hini sahity ko samriddh karti rahe ...
अब तक तो आप डायबिटिक हो गई हॊंगी,इतने स्वीट कमेंट्स जो मिलते हैं। god bless you.
आपको आपकी सफलता के लिए ढेरों शुभकामनाएँ......आप हमेशा इसी तरह लिखती रहें।
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विश्वनाथ जी ,
आपका sense of humour हमेशा अच्छा लगता है । इसे यूँ ही जारी रखियेगा । बस मुझे ही अपनी financial status का अनायास ही एहसास हो गया और निराशा झलक गयी ।
मुक्ति जी ,
आप यहाँ तक आयीं , अच्छा लगा। बस एक ही दुःख है , मेरे अब तक के लिखे गए ११२ लेखों में आपको पहली बार सकारात्मकता दिखी । ये तो सिर्फ आभार है अपनों का।
चंद्रमौलेश्वर जी ,
हम इंतज़ार करेंगे नाम छूट जाने पर नाराज़ होने वालों का । शिकायत भी वही करते हैं , जो अपना समझते हैं।
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अच्छा लगा जी. जैसा मुक्ति ने कहा, सकारात्मकता बनाएं रखें.
दिव्या जी इस अवसर पर हम भी याद है.......... आभार. ये ब्लॉग ऐसे ही नित उन्नति करता रहे. शुभकामनायें
क्या लिखूं डॉ दिव्या ?
सिर्फ ईश्वर से दुआ कर रहा हूँ ....ईश्वर तुम्हारी रक्षा करें और सहनशक्ति दें ....
वन्दे मातरम,
आपका सफ़र निरंतर, निर्बाध एवं सार्थकता के साथ चलता रहे यही कामना है, निश्चित रूप से आपके ब्लॉग से हमें बहुत कुछ जानने, सिखने का अवसर मिला, आगे भी मिलता रहेगा इसी आशा एवं विश्वास के साथ आपको ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनायें अपने एवं "अभियान भारतीय" परिवार की ओर से प्रेषित करता हूँ |
गौरव शर्मा "भारतीय"
आपके लेखन का यह सफर यूँ ही निरंतर चलता रहे ....
आभार के लिए आभार
यह अहैतुक धन्यवाद ज्ञापन क्यों?
धन्यास्तु ते दिव्या महाभागे!
वह परमशक्ति आपको स्वस्थ और हर विधि सानंद रखे!
यूं ही लिखती रहें और हम पढ़ते रहें..आभार..
दिव्याजी
अब मै क्या कहू ?आपने तो मुझे नि:शब्द कर दिया है इतना सम्मान के साथ अथाह प्यार देकर |मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जिसके लिए आप मेरी कर्जदार हो स्नेह से स्नेह मिला सब कुछ बराबर |प्यार बांटते चले इसी में विश्वास रखती हूँ |आपमे इतनी उर्जा है ,आत्मविश्वास है ये हमेशा बने रहे जरुर एक दिन आप अपने अभी तक के लिखे गये गये विशेष आलेखों पर सकारात्मक काम करेंगी ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है |
आभार के लिए आभार |
आपकोऔर आपके परिवार को अनेक शुभकामनाये |
दिव्या जी ! क्या हो गया है आपको ? मैदान छोड़ कर जा रहीं हैं ...ऐसा लगताहै ....मुझे यह सब बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा है. आभार तो आप सदा ही सबका करती रहीं हैं ....आज यह विशेष रूप से लिखना ....एक डर पैदा कर रहा है. आप ठीक तो हैं न ! आपने विदाई समारोह जैसा दृश्य पैदा कर दिया ......मुझे रोना आ रहा है .....आपका विदाई समारोह मेरी ओर से पूरी तरह खारिज. ब्रीफ केस लेकर वापस घर के अन्दर आइये......और एक बार मुस्कराकर सबसे कहिये ..."ओके ..मैं यहीं हूँ ......अब कहीं नहीं जाऊंगी" और हाँ ! लखनऊ कब आना होगा ? बस्तर में मैं आपका इंतज़ार कर रहा हूँ.
आपका सफर यूँ ही चलता रहे.......आपको शुभकामनायें.
मेरी तरफ से ईश्वर से कामना है की
१. सच को सच कहने की ताकत आपमें बरकरार रखे.
२. चारों तरफ फैले अँधेरे में रौशनी खोजने का जज्बा बरकरार रखे.
३. चाहे कोई भी (Not even single person) आपको मदद का हाथ ना बढाए, लेकिन आपका हाथ जरुरत मंद के लिए हमेशा तैयार रहे.
साधुवाद
मैं सोमेश सक्सेना जी के ही शब्दों को दोहराना चाहूंगा कि - आपने पुराने गिले शिकवे भुलाकर उन्हे भी धन्यवाद किया है जिनके ब्लॉग्स पर आपको अपशब्द कहे गए हैं। अच्छी पहल है ये।
ब्लॉगिंग में ढेरों मतभिन्नताएं,वैचारिक उहापोह आदि तो चलते ही रहेंगे। इनके बारे में कोई टेंशन मत लिजिएगा। आप स्वस्थ रहिये, सानंद रहिये।
मेरी ओर से शुभकामनाएं।
पर ये टिप्पणीकारों का आभार क्यों... समाज में आपस मॆं बात करने वालों को आपस में आभार तो व्यक्त नहीं करना पड़ता..
आपके स्वास्थ्य के लिये शुभकामनाएँ।
टिप्पणीकारों का मान सम्मान करना कोई आपसे सिखे। मुझे आपका यह तरिका बहुत पसंद आया।
बहुत अच्छा लगा आपकी उदारता भरी शालीनता का
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बीते सुखों की कहानी चाहे जितनी पुरानी हो जाये, वह नवीन कहानी की ही भाँति सुख देने वाली होती है.
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वियोग के पश्चात मिलन होता है और इस मिलन में जो सुख होता है, वह वियोग के कारण ही होता है. यदि वियोग न हो तो फिर मिलन का सुख मिल ही नहीं सकता. वियोग यदि भार होता है तो आभार भी होता है.
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विरह के कारण ही मुझे यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि मेरे इस ह्रदय में केवल प्रेमजन्य वासना की ही आग नहीं है, वरन करुणा की जलधारा भी है जो मुझको और अन्य दुखी जनों को भी सिक्त करके सुख देती है.
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वेदना का जन्म प्रिय के विरह में होता है. अभाव वेदना का पिता और अदर्शन उसकी माता है. वेदना समाधि है....
— सभी सूत्र किसी अज्ञात दार्शनिक के हैं. मेरा केवल संकलन है. सुज्ञ जी का आभारी हूँ कि उन्होंने इस ओर आने का संकेत किया.
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बहुत ही भावुक लेख लिख दिया आपने. ये आपकी उदारता ही कही जा सकती है. आप उनमे से एक हैं जिन्होंने मेरे ब्लॉग पर आकर प्रतिक्रया दी थी जिन्हें मैं पहले से नहीं जानता था.
आप मुझे लिखने की प्रेरणा देतीं हैं उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ. उसके बावजूद आपने हमें अपने स्नेह का पत्र समझा उसके लिए धन्यवाद.
इस भीड़ में अपना नाम देख कर अच्छा लगा...आपके इस ब्लॉग की ईमारत में कुछ ईटें हमारी भी सही....
आप यूँ ही लिखती रहे....:)
हमेशा खुश रहे, स्वस्थ रहे....
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मुखड़ा क्या देखे दरपन में
क्या छिपा है इस मन में
एक खरा सिक्का खोटों में
जैसे फूल उलझे काँटों में
फिर भी नहीं कुछ दामन में
मुखड़ा क्या देखे दरपन में
कौन है अपना कौन पराया
साथ नहीं जब जिस्म के साया
हर कोई अपनी उलझन में
मुखड़ा क्या देखे दरपन में
आदर्शों की तो बात बड़ी है
ठोकर ममता तक को लगी है
चाँद भी आ जाता है गहन में
मुखड़ा क्या देखे दरपन में
सुख और सच में बैर है भाई
चुप ही रहने में खैर है भाई
अँतर दृष्टि और दर्शन में
मुखड़ा क्या देखे दरपन में
मुखड़ा क्या देखे दरपन में... इस नाम से
कभी एक टी.वी. सीरियल आया करता था,
जिसका सिगनेचर साँग था, " मुखड़ा क्या देखे दरपन में "
यह ज़नाब कृष्ण बिहारी, ’नूर’ साहब का कलाम है ।
उसी की कुछ बेतरतीब सी लाइनें याद आ रही है.. ऎसा क्यों ?
यह तो मैं भी नहीं जानता !
अहाहा, अर्ज़ है..
लिखता कुछ और पर कुछ और है मन में
क्या जाने कब जा फँसे टिप्पणी मॉडरेशन में
मुखड़ा अब क्या देखे दरपन में
क्या क्या छिपाया इस मन में
इतने कड़वे आदमी को खट्टे-मीठे से नवाज़ा, आभार !
देख लो, ज़रूर कहीं कोई भूल हुई है, खुश रहा करो
achhi evam sachhi prastooti........
pranam.
आपका सफ़र यूँ ही चलता रहे...बधाई !!
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'पाखी की दुनिया' में 'अंडमान में एक साल...'
हम सब इस सफर के साथी हैं .आभारी हूँ दिव्या जी, आपने स्मरण रखा
अरे? ये क्या हुआ? ब्लॉगिंग से सन्यास ले रही हैं क्या?
या टेम्परेरी स्मशान वैराग्य है? ऐसा होता है हर ब्लॉगर के साथ… लेकिन आप बनी रहेंगी, यह विश्वास है…
मेरा नाम भी. आपके आभार के लिए शुक्रिया. आपकी टिप्पणियां हमारा उत्साह बढ़ाती कुछ और अच्छा लिखने के लिए.
मनोज खत्री
दिव्या जी,
आपका लेखन हमेशा यूं ही दिनों दिन प्रगति करे यही शुभकामनाएं और इस स्नेह के लिये आभारी हूं ...।
अब हुयी ना बात,बहुत अच्छा लगा, आज आप का यह लेख पढ कर, वैसे हम आप को जाने नही देगे जी,धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यबाद दिव्या जी ....
आपको नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिवस की बहुत बहुत शुभकामनाये !
आपका सफ़र यूँ ही चलता रहे...बधाई !!
यूं ही लिखती रहें और हम पढ़ते रहें..आभार.. शुभकामनाएँ।
शुभकामनाएँ।
शुभकामनाएँ।
शुभकामनाएँ।
...........................शुभकामनाएँ।
दिव्या जी..
आपने ये आभार- अभिवादन लेख लिखा अच्छा लगा... पर
अचानक इसकी वजह समझ नहीं आई..
आप बार- बार अभिनन्दन, आभार प्रकट करती है..
अपने लेखों में, अपने विचारों में, अपने टिपण्णी- कारों के लिए, सबके लिए
मैं समझता हूँ.. आप कुछ अधिक ही नम्र है..
आप अच्छी लेखक है.. क्यूंकि अच्छी इंसान है
आवश्यकता से अधिक सौम्यता.. आपसी व्यवहार में असहजता ले आती है...
एक औपचारिकता जैसा माहौल बन जाता है
मैं समझता हूँ ज्यादातर लोग आपको पसंद करते है.. क्यूंकि आपके लेख अच्छे होते है
और हिंदी ब्लोगर्स में बहुत कम ऐसे है जो आप जैसी लेखन- प्रतिभा रखते है
इसलिए जो स्नेह- सम्मान आपको मिला है आप उसके लायक है
और मित्रवत आपसे कहूँगा आप जैसा लिखती आई है वैसा ही लिखती रहिये
फिर आखिर में... जो आपको सही लगे वही करिए
काफ़िर..
कल से इस पोस्ट को देख रहा हूँ और सोच रहा हूँ कि यह आभार क्या है. आज लिख रहा हूँ कि आप दिल से एक अच्छी ब्लॉगर हैं और हम आपके अपराधी. हमारी ग़लतियाँ माफ़ :))
आभार का आभार
आपके स्वास्थ्य के बारे में जो खबर मिली है वह अप्रत्याशित है।
शुभकामनाएँ व स्नेह
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काफिर जी ,
अहंकार इंसान के विनाश का कारण होता है । इसलिए हम जिस परिवेश में रहते हैं , उसमें समय-समय पर अपनों का आभार प्रकट करते रहना चाहिए। इससे अहंकार दूर रहता है , चित्त स्थिर रहता है और मन प्रसन्न रहता है ।
औपचारिकता वाली बात आपने सही लिखी है। मेरा हर किसी के साथ एक औपचारिक रिश्ता ही है। आज तक की आयु में एक-दो बार ही किसी के साथ निकटता हुई , लेकिन इस समीपता की इतनी भारी कीमत चुकाई है की उससे मिला पाठ शेष जीवन के लिए काफी है।
आप एक लम्बी अवधी के बाद मेरे लेख पर आये , बहुत अच्छा लगा।
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पाबला जी ,
मेरे लिए भी वो सूचना अप्रत्याशित ही थी। जीवन की अनिश्चितता " समय बहुत कम है " , इसका बोध करा देती है शीघ्र ही कुछ होना है। ब्लॉग पर अपनी अनुपस्थिति लेख के माध्यम से सूचित कर दूंगी।
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कल आपके कमेन्ट पर निगाह पड़ी थी जिसमें आपने गरीब होने की बात कही थी :)
कहीं दिमाग में एक वेबसाईट का लिंक था जो किसी भी ब्लॉग का मूल्यांकन करता है
आज मन हुआ कि लाओ उसको खोजा जाए
... आखिरकार मिल गया
बड़ा दिलचस्प नतीजा सामने आया
आपका ब्लॉग तो सुपर-डुपर हिट है जी ....वाह वाह
आपको अपने ही ब्लॉग की कीमत मालूम है ?
देखिये मैंने जिन ब्लाग्स का मूल्यांकन जाना :
zeal - Rs 5,16,933
taslim - Rs 5,85,500
सुनिये मेरी भी.. - Rs 1,92,018
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इस वेबसाईट का लिंक है :
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आदरणीय दिव्या जी बहुत आभार| सबसे पहले क्षमा चाहता हूँ बहुत दिनों से आपके ब्लॉग को नहीं पढ़ पाया| मै थोडा व्यस्त था|
मै तो अभी कुछ महीनों पहले ही हिंदी लेखन से जुड़ा हूँ| सच तो यह है कि यहाँ आकर मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है| ईश्वर से प्रार्थना है कि आपका यह सफ़र इसी प्रकार चलता रहे और हमें आपका साथ मिलता रहे|
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दिव्या जी,
यह जान व्यथित हूँ कि ब्लॉगिंग के कारण आपको अस्वस्थता हुई व दवाई लेनी पड़ीं... एक संतुलन बहुत जरूरी है... वैचारिक मतभेद व असहमतियाँ तो होती ही रहती हैं, यह जरूरी भी हैं हम सब के मानसिक-वैचारिक विकास के लिये... परंतु इन मतभेदों व असहमतियों को दिल पर न लिया कीजिये...
यह आभार प्रदर्शन कतई जरूरी नहीं था... ( ... :) लीजिये एक और असहमति )...
आप शीघ्र पूरी तरह से स्वस्थ हों इसी कामना के साथ...
...
आखिरी आपकी टिप्पणी ने चिंतित होने के साथ ही सोचने पर मजबूर कर दिया है। समय बहुत कम है का मतलब। देखिए आप स्वस्थ रहिए। ये ज्यादा जरुरी है। जिंदगी उनकी जरुरी होती है जो समाज के लिए कुछ करते रहें। मुझे पूरा विश्वास है कि आप जल्द से जल्द अच्छी हो जाएंगी। उम्र के तकाजे के साथ जो बीमारी आती है वो अलग बात है। प्रार्थना करता हूं कि आप जल्द-अ-जल्द ठीक हो जाएंगी। हां यदि ब्लॉग से सेहत पर फर्क पड़ रहा है तो कुछ दिन दूर ही रहें। जरुरी नहीं कि रोज-ब-रोज आया जाए। लिका जाए। मैं वैसे तो कम ही लिखता हूं.पर रोज-ब-रोज कम्पयूटर पर रहने का खामियाजा भुगत रहा हूं। आप जल्दी ही सूचित करें कि आपको क्या हुआ है.....।
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रोहित जी ,
जब समय कम रह जाता है , तो अनावश्यक कामों को छोड़कर , तेज़ी से पेंडिंग कार्यों को निपटाया जाता है। परिवार के प्रति अपने दायित्वों को बखूबी निभा रही हूँ , लेकिन समाज का मेरे ऊपर ऋण है । बहुत से विषयों पर लिखना है अभी , देर हो जाए इसके पहले।
स्त्रियों की बहुत दुर्दशा है हमारे समाज में। बहुत संतुलित तरीके से इन पहलुओं को सामने लाना चाहती हूँ। लेकिन शायद वक़्त कम पडेगा। फिर भी कोशिश करुँगी ज्यादा से ज्यादा विषयों पर लिख सकूँ। जब समय कम होता है तो , priority पर उस काम को करना होता है।
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प्रवीण शाह जी ,
जब बड़े अपने आशीर्वाद से वंचित कर देते हैं छोटों को , तो कुछ फूल मुरझा कर समय से पहले ही गिर पड़ते हैं।
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@ creative manch -
बचपन से आज तक पैसों की कमी नहीं देखी है। पिता और पति के धन पर इतराना बचकानापन है । स्वयं किसी काबिल होती तो गर्व महसूस करती ।
आपने जो आंकड़े दिए हैं , उससे तो गूगल कामं रहा है। ये ब्लॉग गूगल पर होने के कारण , 'zeal' साईट पर क्लिक होने से होने वाली वाली कमाई तो गूगल को मिल रही है।
अफ़सोस तो यही है की ये छोटा सा लाभ भी अमेरिका को मिल रहा है , मेरे भारत को नहीं।
और मेरे लिए ये आंकड़े कुछ इस इस प्रकार हैं... " काहे री नलिनी तू कुम्हलानी , तेरे ही नाल सरोवर पानी "
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@ दिनेश गौर जी ,
व्यस्त रहना ही खुशहाली का मूल मन्त्र है। आप हमेशा व्यस्त रहे और दिनों दिन तरक्की करें, यही शुभकामना है आपके लिए।
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सुना है ब्लॉगिंग से स्पॉन्डिलाइसिस, स्मृतिह्रास, व्यवहार संबंधी गडबड़ियाँ, आखों की तकलीफ़, स्नायुतंत्र की दुर्बलता आदि के अवसर बढ़ जाते हैं. आपकी पोस्ट्स में आने वाला आऊटबर्स्ट परेशान करता रहा है. ईश्वर न करे ऐसी कोई तकलीफ़ आपको हो. मामूली परेशानी आती है चली जाती है. पहले स्वास्थ्य लाभ करें.
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भूषण जी ,
इश्वर ने कभी किसी मामूली चीज़ से नवाज़ा ही नहीं , इसलिए बिमारी भी आलिशान दी।
लेकिन बीमार होना और मृत्यु का होना एक मामूली घटना है। इस पर किसी का कोई जोर नहीं होता। इन बातों से घबराना नहीं चाहिए।
पृथ्वी पर हर किसी का जन्म किसी विशेष प्रयोजन से होता है। बस उसे ही realize करना है और निष्ठा से उसे अंजाम देना है , समय रहते।
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भूषण जी ,
आपने अपनी दूसरी टिपण्णी में जो लिखा है , वह सत्य है लेकिन आपसे निवेदन है की चिंता ना करें।
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दिव्या बिटिया, परवाह नहीं करनी है. अच्छे इलाज पर ध्यान रखना है.
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मेरे आभार को स्वीकार करने के लिए एक बार पुनः आप सभी का आभार एवं आपकी शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ।
अकेले हमारा कोई अस्तित्व नहीं होता।
United we stand , divided we fall .
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इतने मिथ्या-अनावश्यक-प्रतिगामी-ऊर्जापक्षयी-अपमानास्पद-हास्यास्पद काण्डों के उपरान्त यह आभार-काण्ड ? कुछ रुचा नहीं जी ! टीपों में आपके द्वारा कथित 'अप्रत्याशित-संदर्भी' बातों से हैरतजदा हूँ , यकीन तो नहीं हो रहा तथापि सत्य की बीहड़ दुर्निवार प्रायिकता से इनकार भी नहीं , इसलिए हाजिर हूँ दिव्या !
@ अमरेन्द्र त्रिपाठी - मुझे हिंदी ब्लॉगजगत में लाने का पूरा श्रेय अमरेन्द्र को जाता है। इससे पहले मुझे हिंदी के इतने व्यापक स्वरुप का परिचय नहीं था।
आभार की सदाशयता के लिए धन्यवाद , ब्लागिंग में जो भी कुछ अर्जित किया है आपने , वह आपका निजी है , उसमें मेरा कोई योग नहीं ! ठीक वैसे ही जैसे कर्म व्यक्ति का निजी होता है !
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ईश्वर आपको सकुटुम्ब स्वस्थ सानंद रखे ! मानसिक तौर पर सोल्लास स्वस्थ रहने का प्रयास कीजिये , प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मानसिक दृढ़ता सूर-बीथोवन-लुईब्रेल-एडीसन-हेलन केलर-सतीश गुजराल-सुधा चंद्रन जैसों से ग्राह्य है ! अनेकानेक शुभकामनाओं के साथ !!
No confidence motion by opposition has been defeated.
Divya's bloggerment survives!
Best wishes
GV
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Dear Amrendr ,
May God bless you !
With lots of love and best wishes to you too,
Divya
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Bhushan ji , Vishvanath ji ,
Many thanks to you Sir.
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आज आपकी नई पोस्ट देख कर हम सभी बहुत उत्साहित हैं. Keep it up Divya.
आपने बात गोल कर दी। हुआ क्या है?
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@ रोहित जी ,
ना आप उदास होइए , ना कमज़ोर मुझको कीजिये।
बस साथ चलते रहिये , आशीष अपना दीजिये।
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