Monday, January 10, 2011

पिता के संस्कारों ने उजाड़ा अपने ही बेटे का जीवन -- Culture, Ethics, Values

वर्ष २०१० में एक ब्लोगर युवक मोहन [परिवर्तित नाम ] से परिचय हुआउसने अपनी उम्र २८ बतायी थीइतनी कम उम्र में उसने घर में बहुत कलह-क्लेश देखे , जिसने उसके व्यक्तित्व को बहुत कमज़ोर बना दियाउसके अन्दर एक आत्महीनता गयी तथा वो थोड़े से सौभाग्य [सहानुभूति , प्यार] के लिए दर-दर भटकने लगाइस भटकन ने उसे हमेशा गलत लोगों की संगत में रखाजो सही लोग मिले , वो उससे दूर होते चले गए और गलत लोगों का उस पर प्रभुत्व बढ़ने लगाउसका अपना अस्तिव कहीं खो गया

मोहन की माँ , जिसने अनगिनत असहनीय प्रताड्नायें झेलीं अपने पति द्वारा , उनके लिए कुछ करना चाहता था मोहनअपनी बहन के दुखों को दूर करना चाहता थालेकिन मोहन की गलत संगति ने और पिता के गलत संस्कारों ने उसे माँ, बहन के दुखों से दूर कर दियावो संवेदनाहीन हो गयामोहन अब खुद भी अपने पिता जैसा क्रूर और स्त्रियों का अपमान करने वाला बन गया हैउसके कृत्यों से उसकी निर्दोष माँ और बहन अब और भी दुःख झेल रही हैंउनकी एक आस अपने इस घर के चिराग से थी , जो अब पूर्णतया बुझ चुकी हैउनके घर में पहले एक पुरुष था जो स्त्रियों पर अत्याचार करता था , लेकिन अब दो पुरुष हैं , जो मिलकर कहर बरपा रहे हैं

आज जरूरत है कि माता पिता अपने बच्चों को सही शिक्षा एवं संस्कार देभरपूर प्यार दे , नहीं तो देश की भावी पीढ़ी इसी तरह स्त्रियों पर अत्याचार करती रहेगी और समाज में हिंसा बढती रहेगी। राजेश गुलाटी जैसे लोग जो अपनी पत्नी को मारकर ७२ टुकड़े करते हैं वो ऐसी ही मानसिकता वाले होते हैं. जब माँ , बहनें , पत्नियां ही सुरक्षित नहीं रहेंगी तो कौन देगा संस्कार

समाज के प्रति अपने दायित्व को निभाइएआस-पास परिवेश में ऐसे लोगों और कृत्यों को देखिये तो तटस्थ मत रहिये , ऐसे युवकों को समझाइए और उन्हें सही मार्ग पर लाइएनहीं तो हिंसक मानसिकता वालों की संख्या बढती जायेगी

हर व्यक्ति के अन्दर इंसानियत और एक जानवर होता हैइससे पहले की जानवर बलवान हो जाए , घोंट दीजिये घृणा और बदले की भावना काइंसानियत का परचम लहराने दीजिये

आभार

25 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

उनको राह पर लाना बड़ा सत्कार्य होगा।

आपका अख्तर खान अकेला said...

shi khaa smaaj insaanon ko or insaniyt ko dushit kr rhaa he lekin yhi smaaj insaniyt bhi sikhaane ki taaqt rkhta he janvr ko insan bhi bna sktaa he . akhtra khan akela kota rajsthan

सोमेश सक्सेना said...

दिव्या जी जब इतना लिखा है तो उस ब्लॉगर का असली नाम भी लिख दें तभी तो हम उन्हे समझाएंगे और उन्हें सही मार्ग पर लाएंगे जैसा कि आपने लिखा है।

Rahul Singh said...

'इंसानियत का परचम' शुभ संदेश.

अजित गुप्ता का कोना said...

बच्‍चों को संस्‍कार सर्वप्रथम परिवार से मिलते हैं और उसके बाद समाज से। लेकिन आज ना तो परिवार बच्‍चों को संस्‍कारित कर रहा है और ना ही समाज। केरियर की अंधी दौड़ में सभी कुछ समाप्‍त होता जा रहा है। हर व्‍यक्ति अपने बच्‍चे के लिए अपार वैभव चाहता है, इसके लिए बच्‍चे का इस घुड़दौड़ में दौडने पर मजबूर कर देता है। जो दौड़ नहीं पाते वे अवसाद के शिकार होते हैं।

मेरे भाव said...

bahut hi subh sandesh.

ZEAL said...

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सोमेश जी ,

उस ब्लोगर जैसी मानसिकता रखने हर व्यक्ति को सुधारना होगा। वैसे मोहन अवसाद से पीड़ित है। और अवसाद के चलते वो बहुत से ब्लोग्स पर स्त्रियों का अपमान करता फिर रहा है। लेकिन टिप्पणियों के लालच में लेखक उसकी अभद्र टिप्पणियों को अपने ब्लॉग में स्थान दे रहे हैं। जिसका बहिष्कार होना चाहिए उसे अपनाया जा रहा है। मोहन ने तो अभी दुनिया ही नहीं देखी। जिसने अपने घर में माँ और बहन को इतना तिरस्कृत होते देखा , फिर भी स्त्री का सम्मान करना नहीं सीख पाया। वो अपनी पत्नी अथवा बेटी के साथ कैसे पेश आयेगा। चिंतनीय है।

मोहन ब्लॉग पर बहुत से लेखक और लेखिकाओं का सरेआम अपमान करता है , लेकिन टिप्पणियों के स्वार्थ से वशीभूत हो बहुत से लोग उसकी अभद्र टिप्पणियों को स्थान दे रहे हैं। मुझे तो वो " लोहारिन" के नाम से अपमानित करता है । शायद 'Iron lady ' शब्द से उसे बहुत तकलीफ होती है।

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P.N. Subramanian said...

संस्कार हीनता की स्थिति बनती जा रही है. कौन किसे दे?

Deepak Saini said...

इस तरह के लोगो को समझाना है तो टेढी खीर, पर लेकिन समझाना तो पडेगा ही, नही तो उन्हे देखकर हमारी दूसरो पर असर पडेगा।

ZEAL said...

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अजित जी ,

आपने सही कहा, बच्चे को सर्वप्रथम संस्कार परिवार और माता पिता से ही मिलते हैं उसके बाद ही वो कुछ ग्रहण करते हैं समाज से। लेकिन मोहन जैसे अभागे बच्चे आजकल अवसाद का शिकार हो रहे हैं, समाज में गन्दी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं और कई खतरनाक संगठनों से जुड़ रहे हैं। नयी पीढ़ी के ऐसे लोग समाज पर बोझ और ख़तरा हैं। और इनकी ऐसी दुर्दशा के जिम्मेदार , इनके शराबी और हिंसक पिता हैं। मोहन जैसे युवकों से इनकी माँ बहनें कोई अपेक्षा नहीं रख सकतीं , क्यूंकि ये खुद ही ख़तरा हैं समाज में स्त्रियों के लिए।

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सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

'insaniyat jinda rahe'
iske liye ham sabhi ka naitik dayitv banta hai ki susanskar pushpit-pallavit karne me jitna bhi ho sake kary karen.

Pratik Maheshwari said...

ओह. यह तो बहुत ही शोचनीय स्थिति है..
एक बात मैं कह सकता हूँ कि अगर घर वाले भी उसे नहीं सुधार पाए हैं तो सिर्फ और सिर्फ वह खुद ही खुद को सुधार सकता है.. और कोई नहीं.. चाहे कोई कितना भी समझाने की कोशिश करें..
आशा करता हूँ कि वह जल्द ही सुधरेगा..

AS said...

आज आपका लेख देख कर दुख हुआ | विशय अच्छा और उपयुक्त है परन्तु आप के लेखन में वो पकड़ और जोश नहीं हैं जो हमेशा आप के लेखन में होती है |

ZEAL said...

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@- AS ,

Sadness surfaced.

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ashish said...

संस्कार जीवन की पूँजी है . किसी भी मनुष्य के विचारो से उसके संस्कारो की झलक मिल जाती है . आभार .

Arvind Jangid said...

अत्यंत ही विचारणीय मुद्दा है, बच्चों को अच्छे संस्कार मिल सके इतना तो समय निकालना ही चाहिए, वरना अब बारूद के ढेर पर ही बैठे हैं...

आपका साधुवाद.

डॉ टी एस दराल said...

आज जरूरत है कि माता पिता अपने बच्चों को सही शिक्षा एवं संस्कार दे।

बहुत सही कहा ।
संयोग वश अपने भी वही लिखा है जो आज मैंने लिखा है ।

Anonymous said...

पहले अपने दिमाग का इलाज़ करा पागल....

राज भाटिय़ा said...

नही यह झूठ बोल रहा हे, ओर अपनी कजोरी छूपा रहा हे, अगर पिता के गलत संस्कारो का असर इस पर पडा हे तो मां ओर बहिन के अच्छॆ संस्कारो का असर क्यो नही पडा? ओर भी तो लोग घर मे होंगे, इस से बच कर रहे, ऎसे लोग सिर्फ़ सहानूभुति बटोअरने के लिये झूठ बोलते हे, मुझे भी एक ऎसा ही मिला था, ओर बाद मे मुझे उस की आसलियत पता चली थी, बाकी आप जाने

ZEAL said...

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भाटिया जी ,

आपका कहना बिलकुल सही लगता है । इस ब्लोगर ने शायद सहानुभूति जुटाने के लिए ही अपने घर का दुखड़ा रोया और अपने पिटा के अत्याचारों का बखान किया।

आपने बिलकुल सही कहा की , इस पर अपनी माँ के और बड़ी बहन के अच्छे विचारों का असर क्यूँ नहीं पडा।

आजकल सावधान रहने की जरूरत है ऐसे विकृत मानसिकता वाले अवसाद्ग्रसित लोगों से जो सहानुभूति पाने के लिए माँ- बाप को भी बदनाम करने से नहीं हिचकते।

इस ब्लोगर ने अब तक तकरीबन २५ कमेन्ट किये हैं , भिन्न -भिन्न नामों से और हर एक कमेंट में गालियाँ दे रहा है। इसने 'विक्रम' [ ivikram555] नाम से जो कमेन्ट किया है वो प्रकाशित कर रही हूँ, ताकि पाठक इसकी मानसिकता से अवगत हो सकें। इसके शेष अभद्र कमेंट्स मोडरेट कर दिए गए हैं। मोडरेशन की आवश्यकता ऐसे विकृत मानसिकता वाले ब्लोगर्स / पाठक से बचने के लिए पड़ती है।

इसके स्वस्थ्य होने की कोई गुंजाइश नहीं लगती अब। इसने ब्लॉग पर कुछ आतंक फैला रहे गिरोह के साथ हाथ मिला रखा है।

सावधान रहे ! बस इतना ही कहूँगी।

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ZEAL said...

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ivikram555 नाम के इस छद्म ID का कमेन्ट पढ़िए ऊपर।

इतने घटिया commentators के कमेंट्स से बचने का एक मात्र उपाय मोडरेशन ही है।

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Shekhar Suman said...

माफ़ कीजिये ये कोई छद्म ID नहीं है...
ये टिपण्णी मैं आपके ब्लॉग पर नहीं कर रहा था, गलती से हो गया... वो तो एक पागल का ब्लॉग था...
आप तो काफी पढ़ी लिखी और काबिल महिला हैं....
विक्रम मेरा नाम है और मेरा कोई गूगल खाता नहीं है....
मैं पेशे से समाजसेवक हूँ....और अक्सर आपके लेख पढता हूँ....

ZEAL said...

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शेखर सुमन उर्फ़ विक्रम ,

बेहद अफ़सोस हुआ आपकी टिपण्णी पढ़कर।

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Shekhar Suman said...

what the hell is this ?????
i haven't done any comment on ur blog ....
दिव्या जी मुझे माफ़ करें, लेकिन बिना मतलब के मेरा नाम उछाला जा रहा है....
अभी मुझे एक ब्लॉग मित्र ने बताया तो पता चला की अभी भी मेरे नाम से यहाँ टिप्पणियाँ प्रकाशित हो रही हैं.....
ये किसकी करतूत है मुझे पता नहीं....लेकिन ऐसी भी क्या दुश्मनी है मुझसे ????

ZEAL said...

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@- Shekhar -

Sort out your problem . Without commenting , your comment won't appear in my comment box.

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