समय गतिमान है , उसके साथ ही व्यक्ति और परिस्थिति दोनों बदलती रहती है। जो समय के साथ नहीं बदलता , वो बहुत पीछे छूट जाता है। प्रतिदिन और हर पल हम हज़ारों अनुभवों से दो-चार होते हैं । यदि हम में उन अनुभवों और अपनी गलतियों से सीखने की प्रवित्ति ही नहीं होगी तो जीवन व्यर्थ है।
इश्वर के सिवा ऐसा कोई भी नहीं जो गलतियाँ न करता करता हो । नित्य प्रतिदिन कुछ न कुछ गलतियाँ मैं भी करती हूँ , सुधार जारी है , जो मृत्यु पर्यंत जारी रहेगा। और यही संघर्ष मुझे मनुष्य बनाए रखता है।
आभार ।
39 comments:
प्रतिदिन और हर पल हम हज़ारों अनुभवों से दो-चार होते हैं । यदि हम में उन अनुभवों और अपनी गलतियों से सीखने की प्रवित्ति ही नहीं होगी तो जीवन व्यर्थ है।
भलाई और परोपकार के लिए मोह से ऊपर उठना ज़रूरी है
pyarimaan.blogspot.com
Mistakes are reformer of our life- philosophy. They rectify ourself,if we want . Thanks .
Dearest ZEAL:
True.
Hope you learn from your mistakes and avoid the tricketers [who are misusing your plight] in future.
My best wishes are always with you and hope you remain safe and sound.
Semper Fidelis
Arth Desai
1008
मनुष्य क्रिया करता है और उस क्रिया को कभी गलती का नाम तो कभी समझदारी का नाम दे दिया जाता है। बस इसी अन्तर को सीखने का नाम अनुभव है। धीरे-धीरे समझ आने लगता है कि कौन सा कार्य कब करना है और कब नहीं।
बदलाव ही नहीं और बहतर करते जाना,हमारी सभ्यता विकास और उन्नति का नियम है। गलतियों में सुधार ही विकास की कडियाँ है।
जो नासमझी में त्रुटि हो जाये वह भूल होती है.
उसके बाद भी वह त्रुटि जारी रहे, तो वह गलती है.
त्रुटि मतलब ऐसा कार्य जो बाद में अखरे.
हाँ एक बात ध्यान देने वाली है कि उस लगातार होने वाली त्रुटि से यदि अपना विकास बाधित हो रहा है तब वह आत्मघात श्रेणी की गलती कहलायेगी. और यदि दूसरे की किसी भी तरह की उन्नति बाधित हो रही है तब वह ह्त्या श्रेणी की गलती कहलायेगी. और यदि दोनों का ही नुकसान हो रहा है तब तो यह सरासर मूर्खता ही मानी जायेगी. मूर्ख ही ऐसा प्राणी है जो दूसरे का नुकसान करता रहता है लेकिन अपना भला भी नहीं कर पाता.
स्कूल टाइम में लिखे कवित्त की दो पंक्तियाँ याद हो आयी... शेष को याद करने की कोशिश कर रहा हूँ लेकिन अभी नहीं आ रहीं....
"भूल है मेरी कि भूल जाऊँ उस भूल को
भूले न भुलायी जा सके ऎसी भूल है...."
आज कितना बदलाव आ गया है जिन बातों पर मैं अपने से छोटों को समझाता घूमता हूँ, कुछ आदतों की मनाही करता हूँ, वे मेरे भुक्तभोगी अनुभव हैं. बहुत से पथ ऐसे थे जिनपर जाने से मैं अपने आचार्य द्वारा रोक दिया गया. मेरे गुरुजनों ने मेरा मार्गदर्शन किया. इसलिये बड़ों के अनुभव (परामर्श), जो प्रायः मुफ्त में मिलते हैं, हमें उनकी बेकदरी नहीं करनी चाहिए. विचार जरूर करना चाहिए.
absolutely correct.
त्रुटि और निरंतर सुधार की प्रक्रिया मनुष्य की जागरूकता का परिचायक है ......और यही सभ्यता के उत्कर्ष की शर्त भी.
इस बदलाव को स्वीकार करते रहना ही जीवन की दिशा है।
भगवद्गीता(अ.१८ स.५) में कहा गया है तीन बातें जीवन में कभी नहीं छोडनी चाहियें.यज्ञ ,तप और दान.
जीवन में 'तप' करते रहना अर्थात सतत सीखते रहना चाहिये.
'यज्ञ' भी निरंतर करते रहना चाहिये,अर्थात जो सीखा है उसे खूबसूरती और आनंद लेते हुए सदा करते रहना चाहिये,वर्ना जो सीखा हुआ है कोई काम न आएगा और भुलावे में पड़ जायेगा.
तप और यज्ञ के द्वारा जो ज्ञान व अनुभव जीवन में प्राप्त हुआ उसको सुपात्र को 'दान' करना चाहिये.
यही आदर्श 'जीवन चक्र' है ,जिससे संसार आगे बढ़ता है.
निरंतर परिवर्तन, और सतत सुधार ही जीवन को मूल्य प्रदान करते है
ग़लती तो ईश्वर से भी एक हो ही गई कि इन्सान बना बैठा :)
बदलाव सुखद संयोग भी लाता है . गलतियों से सीख लेना हमेशा जीवन को सरल बनाता है
सच कहा तुमने दिव्या!..जीवन की यही सच्चाई है, जो जीवन को नर्क बनने से रोक लेती है!
सच कहा है आपने ... ।
अगर हम गलती नही करेगे तो समझेगे केसे, हम हर गलती से एक सबक लेते हे, लेकिन बार बार गलती करने वाले को क्या कहेगे?जैसे बच्चा पहली बार किसी गर्म चीज को हाथ लगा कर समझ जाता हे कि यह गर्म चीज हाथ जला देती हे दोबारा बच्चा वो गलती नही करता,अगर बार बार उसी गलती को दोहराये तो....
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सही है !
bilkul sahi..........
Very good post, Dr. Divya.
बिलकुल सही कहा..
और इसमें अफ़सोस जताने जैसी कोई बात भी नहीं....तरस उनपे खाना चाहिए जो गलती करके भी नहीं सीखते..गलतियों का अंतहीन सिलसिला जारी रखते हैं.
बदलाव प्रकृति का नियम है agreed but conservative approach is needed to counter rapid change. Gradual transformation(in all facets of life) will always be welcomed and accepted.
Anyway, Ronie is ready with another foolishness !
Jai Shri Krishna
सत्य वचन ...............दिव्या जी
सत्य कहा...
यही जीवन दिशा होनी चाहिए...
ये बात श्री कृष्ण ५००० साल पहले गीता हीान में भी कह गये हैं ... यही मंत्र जीवन की प्रेरणा देता है ...
हम तो आज है, पता नहीं कल रहेंगे भी :)
चूंकि हम सारी गलतियां खुद नहीं कर सकते इसलिये दूसरों की गलतियों से ही सीख ले लेना चाहिये... कहीं ऐसा पढ़ा था..
सत्य वचन ,बिलकुल सही कहा...
Absolutely right.
Agreed.
I remember the old quotation "The only thing constant in life is Change"
Regards
GV
भारतीय नागरिक जी सही कह रहे है।
हमें गलतीयों से सबक लेना चाहिए, किन्तु यह जरूरी नहीं है सबक के लिये सारी गलतियां करनी ही चाहिए, यदि उपलब्ध हो तो अन्य की गलतियों से हमें सबक लेना चाहिए। और उससे भी आगे किसी बुजर्ग के कहे अनुसार भी, भले गलतीयां समझ न आए, उनके अनुभव पर विश्वास करते हुए सबक ग्रहण कर लेना चाहिए।
bilkul sahi kaha aapne
hum galtiyo se sikh lekar bhi galti kar hi dete hein
aapka aabhar
murphy's law states "if any thing can go wrong, it will" and law of entropy states that entropy always increases, (entropy is measurement of degree of disorderliness).इसलिये फ़िकर मत करिये,जो जी मे आए करिये,बस किसी का दिल ना दुखे । गलत , सही सब relative term है, absolute कुछ नही ।
जितनी आसानी से हम अपनी गलतियाँ माफ़ कर देते हैं...काश कि हम दूसरों कि गलतियाँ भी माफ़ कर पाएं...
तभी तो कहा जाता है की हम इतना लम्बा जीवन नहीं जी सकते की हर बात अपनी गलतियों से ही सीखें , बहुत कुछ दूसरों के जीवन और उनकी गलतियों से भी सिखा जा सकता है !
truelly --nothing is more permanant than change.Very well written.
आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ ! भूल करना मनुष्य का स्वभाव है ! लेकिन ये भूलें दोहराई ना जायें यही समझदारी का प्रमाण है ! भूलों से मिले सबक मनुष्य को उत्तरोत्तर अनुभवी बनाते जाते हैं ! सार्थक विचार !
गलतियाँ वही करता है जो कुछ करता है ...गलतियों से सीख लें ..बार बार एक ही गलती को न दोहराएँ ..वैसे तो मानव गलतियों का पुतला है ...
सच कहा है
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