सखी दिव्या तो खुब्बये बडबडात है,
चुप्पी डायन खाय जात है।
राहुल तो कुर्सी आजमात है ,
घोटालों की भईल बरसात है,
रोटी छोड़ सब डालर चबात हैं
चुप्पी डायन खाय जात है।
कलमाड़ी भी रंगवा दिखात है
सिब्बल बतावे आपण जात है
राजा की कउन औकात है
माया कै माया , इफरात है
सोनिया की चुप्पी सतात है
चुप्पी डायन खाय जात है।
साधू औ भक्तन मारा जात हैं
मीडिया कै चुप्पी खतरनाक हैं
शांति राखैं , तै फरमात हैं
वाह रे मोहनवा का बात है !
भ्रष्टाचार से जिया घबडात है
चुप्पी डायन खाय जात है।
सखी दिव्या तो खुब्बय बडबडात है।
चुप्पी डायन खाय जात है।
Zeal
चुप्पी डायन खाय जात है।
राहुल तो कुर्सी आजमात है ,
घोटालों की भईल बरसात है,
रोटी छोड़ सब डालर चबात हैं
चुप्पी डायन खाय जात है।
कलमाड़ी भी रंगवा दिखात है
सिब्बल बतावे आपण जात है
राजा की कउन औकात है
माया कै माया , इफरात है
सोनिया की चुप्पी सतात है
चुप्पी डायन खाय जात है।
साधू औ भक्तन मारा जात हैं
मीडिया कै चुप्पी खतरनाक हैं
शांति राखैं , तै फरमात हैं
वाह रे मोहनवा का बात है !
भ्रष्टाचार से जिया घबडात है
चुप्पी डायन खाय जात है।
सखी दिव्या तो खुब्बय बडबडात है।
चुप्पी डायन खाय जात है।
Zeal
77 comments:
इन विशिष्टजनों का नाम मत लो, नहीं तो संसद में बुला लिया जाएगा। विशेषाधिकार है इनके पास।
चुप्पी साधे में भलाई जनात है।
बाप रे बाप!
ये दिव्या का बडबडाना तो गजब ढहा रहा है,दिव्या जी
चुप्पा बोला जोर, सुनो ऐ मोहन बाबू
दसवें-दिन आँखें खुलीं, पका मोतियाबिन्द |
भ्रष्टाचारी सदा ही, रहा शासक-ए-हिंद ||
रहा शासक-ए-हिंद, उखाड़ेगा क्या घन्टा ?
लोकपाल के लिए, करे क्यों अन्ना टंटा ?
चुप्पा बोला जोर, सुनो ऐ मोहन बाबू |
हो जाने दो पास, करेंगे कस के काबू ||
चुप्पा बोला जोर, सुनो ऐ मोहन बाबू
दसवें-दिन आँखें खुलीं, पका मोतियाबिन्द |
भ्रष्टाचारी सदा ही, रहा शासक-ए-हिंद ||
रहा शासक-ए-हिंद, उखाड़ेगा क्या घन्टा ?
लोकपाल के लिए, करे क्यों अन्ना टंटा ?
चुप्पा बोला जोर, सुनो ऐ मोहन बाबू |
हो जाने दो पास, करेंगे कस के काबू ||
चुप्पी के युवराज की, पार्टी बोले जै |
दूजे दल का मामला, करते झटपट कै |
करते झटपट कै, करें खुब तीखे हमले |
हो माया की बात, सुनाते प्यारे जुमले |
पर अनशन अफ़सोस, द्वेष की कडुवी झप्पी |
नव-गाँधी नव-दिन, लगा के बैठा चुप्पी ||
चुप्पी साधने में भलाई है |इन के बारे में कुछ नहीं कहना क्योंकि यह कुछ कहने के लायक ही नहीं हैं :)
jitnaa kam bolo
utnaa hee aaraa paat hein
इनलोगों के दिन पुरे होने वाले हैं शायद इन्हें भी अहसास हो रहा है ....
read aaraam in please of aaraa
Love it Divya ji.....
भ्रष्टाचार से जियरा घबडात है
चुप्पी डायन खाय जात है........So true and apt....:))
wah khoob likha...!
:):) बडबडाना ऐसा हो जो सुनाई नहीं दे ... विशेष लोगों की विशिष्ट बातें ..चुप्पी लगाने में भलाई ... भले ही वो अन्दर ही अंदर खाती जाए ..
नादबिन्दू विष्णु चुप्पी साधे थे और,,,
अचानक सम्पूर्ण सृष्टि की ब्रह्मनाद से उन्होंने रचना करदी!
'भारत द्वार' पर ब्रह्मनाद नहीं सुना दिव्या जी?
वो उसी की मानव जीवन में झलक थी शायद
ब्रह्मा की रात आने से पहले?
जब फिर नया दिन आने पर जनता का राज होगा सतयुग में!!
'चुप्पी' को डायन रूप में पेश करके आपने उन लोगों पर उलाहना दिया जिसे हर हाल में जीना स्वीकार है... चाहे कोई बेवजह डंडा मारे या कोई नंगा ही कर दे...
जग जाहिर हो चुके हैं वो चेहरे जिन्होंने 'रहमदिल' 'समाजसेवी' 'समाजउदधारक' 'लोकनायक' 'हृदय सम्राट' आदि के नकाब लगा रखे थे... यही नहीं आज जिनकी नकाबें उतरी हैं उन्होंने अपने पूर्वजों पर भी सवालिया निशान लगा दिया है लेकिन आज कोई आसानी से सत्य (अभिव्यक्ति) पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता... मीडिया बिक सकती है... किन्तु समाज के हितसाधकों की जुबान बडबडाती ही रहेगी. उस बडबडात के सभी शब्द अनपढ़ और बहरे व्यक्ति तक को समझ आते हैं... जब घर का मुखिया ही चोर और लुटेरा हो तो घर के दूध पीते बच्चे भी समझ जाते हैं कि किसके कारण उनकी खुराक में कटौती होती रही..
दिव्या जी, शानदार गीत के लिये बधाई.. आम जनता के दर्द और आक्रोश को स्वर दिया इस गीत ने..
हमें दर्द को गाने में आनंद क्यों मिलता है? .......... कहते हैं इस तरह हम मुश्किल जीवन को सहज कर पाते हैं.
चुप्पी के युवराज की, पार्टी बोले जै |
दूजे दल का मामला, करते झटपट कै |
करते झटपट कै, करें खुब तीखे हमले |
हो माया की बात, सुनाते प्यारे जुमले |
पर अनशन अफ़सोस, द्वेष की कडुवी झप्पी |
नव-गाँधी नव-दिन, लगा के बैठा चुप्पी ||
@ रविकर जी ... शानदार दोहे रचे हैं... इन तीनों से पहले वाले भी पसंद आये.
अरे ये तो कुंडली है... RAVIKAR JI,.. CHUPPI SE SHURU AUR CHUPPI PAR KHATM.
bahut achchi prastuti.bahut shaandar likha hai.us mahaanubhaav ne bhi yah post laga di.abhi dekhi.
Divya vah apne ashleel aalekhon me hum bloggesrs ka naam bhi use kar raha hai.kya kuch kar sakte hain??
.........
.........
PRANAM.
दिव्या जी, मेरे नाम में 'जेसी' ने मुझे न्यू टेस्टामेंट पढवाया... उस में से मुझे सैंट मैथ्यू का अध्याय पांच इस मौके के लिए सही लगा (अन्ना की जगह क्राइस्ट को देखें)...
"And seeing the multitudes, he went up into a mountain: and when he was set, his disciples came unto him:
2 And he opened his mouth, and taught them saying.
3 Blessed are the poor in spirit; for theirs is the kingdom of heaven.
4 Blessed are they that mourn: for they shall be comforted.
5. Blessed are the meek: for they shall inherit the earth.
6 Blessed are they which do hunger and thirst after righteousness: for they shall be filled.
And, so on...
aadarniya Divya ji kafi dino se asvth rahi tatha barsat ke karan net bhi sahi nahi chal paya ,aap sabhi se dur rahi.......mafi chahti hun kafi post padhne se vanchit rahi.... aapki ye rachna .सखी दिव्या तो खुब्बये बडबडात है,
चुप्पी डायन खाय जात है। .kamal rahi ...........
yaha bhi aayiye aur apne vichar se avgat karaiye hame....
http://rajninayyarmalhotra.blogspot.com/2011/09/blog-post.html#links
क्या बात है , आप तो दोहे भी खूब रचती हैं!
prabhavshali abhivyakti.
bhavatmak .gambheer.
फांसी और वैधानिक स्थिति
जय हो दिव्या जी !
गज़ब की व्यंग्यात्मक , यथार्थपरक प्रस्तुति
Maza aa gaya padhke!
इस बड़बड़ाहट में हम भी तोहार साथ हैं , दिव्या जी !
कुछ बातन का हमका भी अफसोस है !
हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है, दुनिया चाहे कुछ भी बोले, पर हम कुछ नहीं बोलेगा। .....बहुत सुंदर।
Excellent....
बडबड़ाने से भी क्या होने वाला है :).
बढ़िया व्यंगात्मक प्रस्तुति.
वाह ...यह तो खूब कहा आपने ।
वाह क्या गहरा कटाक्ष है और सच है तो क्यो चुप रहें भला।
क्या बात है.......
बढ़िया है.
एक चुप सौ ( करोड़) को हरावे !
शायद यही मानत जात है ।
तोहार बड़बड़ माँ चुप्पियौ चौंकि जात है,
कुछू पाकि रहा है ओही रहि-रहि के खदबदात है !
जी -
चुप्पी , मौन , गूंगा , अबोला
अन्यमनस्क सा मैं सह पाता
मूर्खों की अनवरत वाचालता
कई दिनों तक रहता सालता
खुद को कोसता मैं
उनकी संगत में क्यों जाता
बहुत बढ़िया!
एक चुप सौ को हराए!
भ्रष्टाचार से जियरा घबडात है
चुप्पी डायन खाय जात है।"
आज कुछ नया ही नजारा हें दिव्या जी ..पर भला लगा आपका बडबडाना
हल्के फुल्के मूड में लिखी गई एक गंभीर कविता। इसकी मारक क्षमता जबर्दस्त है। अगर इसे बड़बड़ाना कहते हैं तो सभी को ऐसे ही बड़बड़ाना चाहिए...तब शायद चुप्पी टूटेगी।
यह अंदाज अच्छा लगा, दिव्या जी !
आपेन गीत को मौजू बना डाला। अच्छा लगा।
यहाँ तक आते आते हमेशा देर हो जाती है और मै कुछ लिखने में फिसड्डी रह जाता हूँ. ...... बस इतना लिखूंगा कि अच्छा छंद बन पड़ा है. आभार!
मन कहाँ शान्त बैठता है।
साधू औ भक्तन मारा जात हैं
मीडिया कै चुप्पी खतरनाक हैं
शांति राखैं , तै फरमात हैं
वाह रे मोहनवा का बात
वर्तमान दशा पर सटीक प्रहार करती अभिव्यक्ति
सादर !!!
दिव्या ,एक नए अन्दाज़ में ...:-):-)
मौन ही तो दुख देता है..
नई विधा , नया अंदाज , वाह !!!
noooooo dont say that :)
Bikram's
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभव, निर्विघ्नं कुरूमे देवः सर्व कार्येषु सर्वदा
पिछले एक हफ्ते से मुंबई में . हम झेल रहे है इन्द्र देव की मुसलाधार आपदा
दिव्या तो ऐसे ही हमेशा बड बड़ात है , केतनो का इस बडबड से सर पिरात है
हमका तो खूब मज़ा आईल इस बडबड में,वैसे सरकार अन्ना के देख खौरियात है .
चुप्पी का सार्थक मंथन!!
सखी दिव्या तो खुब्बय बडबडात है।
चुप्पी डायन खाय जात है।
very funny......
चुप्पी का सार्थक मंथन!!बहुत सुन्दर.....
कलमाड़ी भी रंगवा दिखात है
सिब्बल बतावे आपण जात है
राजा की कउन औकात है
माया कै माया , इफरात है
सोनिया की चुप्पी सतात है
चुप्पी डायन खाय जात है।
वाह, ये लगाया मारा सिक्सर॥। लाजवाब, बेमिसाल.
रामराम.
वाह दिव्या दीदी, क्या कहने आपके...
गज़ब ढा गयीं...
चुप्पी डायन ससुरी सच में ही खाय जात है|
one of the best post of zeal blog...
आज की राजनीति पर गहरी कटार:)
दिव्या जी, अब समझ आया!
हिन्दू मान्यता है कि जब ब्रह्मा जी को नींद आने लगी तो वो उस अर्धसुप्त अवस्था में तब तक मौन देवताओं तक सीमित वेद आदि बडबडाने लगे... इसका लाभ उठा घोड़े समान गर्दन वाला राक्षश 'हयाग्रीव' उनकी कॉपी करने लगा (अपने ब्लॉग में :)...
वाह जी बहुत सुन्दर लिखा है आपने.........तर्ज़ पर शानदार बैठता है|
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बहुत अच्छा बडबडाया
बहुत खूब
Really a good sarcasm....it should be read LOUD and CLEAR in parliament ....why don't u send it to TEAM ANNA....maza aa gaya Divya Ji
Gopal Mishra
And I missed to share with you that I have shifted my blog from Blogspot to Wordpress.
now can be accessed at www.achhikhabar.com
You may also want to do the same because it has many advantages in the long run.
Thanks once again for the DAYAN.
वाह दिव्या जी क्या कमाल लिखा है ...
दिव्या जी - यह भी बहुत सुरीला पर निराला रहा ! डर है की उन्हें डस न दें~ जनता तो घबरायी हुयी है ! wish you a happy Ganesha chaturdashi .
जोरदार...
कहीं विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव न आ जाए...
बढ़िया प्रस्तुति...
सादर...
सखी दिव्या तो खुब्बय बडबडात है।
वाह वाह वाह !!!!
आज की कविता बहुत धारदार लगी.
चुप्पी का सच उजागर करती...हमारे नेताओं के मुखौटों को बताती सुंदर कुंडलियां ....
यह भी खूब रही. ये मन को एहसास नहीं होत है.
शानदार ,सामयिक यथार्थ
बहरे कानों को ऊँची आवाज़ की आदत है...और अच्छे लोगों की निर्विकार चुप्पी...वाकई डराने वाली है...
divya ji..is rachna me wo nafasat hai..najakat hai...lekin wo har baat hai...jinse kursi per baithe khudaon ko adawat hai...shandar prastuti ke liye badhayee
सबसे भली चुप.
वाह दिव्या जी
क्या बढ़िया सौगात है
हरजाई....... हमें मारे जात है
रात-भर बेयीमनवा बडबडात है
ये चुपा -चुपी मारे जात है ........
लो हम भी हाथ साफ़ कर लिए ..
बहन, आपके आक्रामक तेवर देख के मुझे कभी नहीं लगा की आप बढबढाती हो. मुझे तो हमेशा से ये एक सिंहनी की गर्जना लगी. हाँ, ये जरुर है, की सिंहनी की गर्जना सुन के जंबुक बढ बदाये
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मुस्कुराना तेरा
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अन्ना जी के तीन....
बिल्कुल सही लिखा है आपने! सटीक पंक्तियाँ! बेहतरीन रचना..
वाह !!!!!! रविकर जी तथा प्रतुल वशिष्ठ जी ने तो अपनी रोचक सम्मति से तो चार चाँद लगा ही दिया ...
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
very witty !!!
loved it
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली(७) के मंच पर प्रस्तुत की गई है/आपका मंच पर स्वागत है ,आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें ,यही कामना है / आप हिंदी ब्लोगर्स मीट वीकलीके मंच पर सादर आमंत्रित हैं /आभार/
vaah vaah maja aa gaya padh kar anokhe andaaj me likhi kavita...pyaare pyaare logon ke naam.
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