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BLESSINGS
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| show details 9:27 PM (12 hours ago) |
Rani Beti Divya ,
Can't express our pleasure on going through your blog (first thing this morning)
containing your letter to Rachna ji which capsuled your very thoughtful decision
not to desert the Blog family breaking the hearts of the hundreds of your readers.
Rani Beti , we were very distressed at your earlier decision and we did make several
futile attempts to speak to you.specially to apprise you of some noteworthy matters.
An American had commented on my blogs when I had just commenced blogging in 2010
and thereafter he had fully ignored me . However perhaps on going through your blog
commending the "आलीशान व्यक्तित्व " of your this Dads "खंडहर हो रही इमारत " ,this person
was reminded of me . Through a mail he immediately contacted me and later spoke to me
stating that he was frequenting this part of the country and would be happy to meet me .
On being informed of my physical handicaps he insisted to visit me here at my home , which
I could never agree to without getting your green signal specially . because that person is
ANURAG SHARMA the so called self styled Smart Indian (U know how I dislike Egoistic beings).
Rani Beti while I donot know the details of the dispute I know one thing for granted that this
person has hurt the feelings of my very loving child and that we can never excuse him for this
sinful act .Beta I had planned to send another open letter to the H. B..Family to day ,with the
singular aim to convince YOU to continue to enrichen the Hindi Blog treasure with your blogs.
Shall await your response anxiously ,
Your proud & very loving DAD & MOM-
BHOLA & KRISHNA ।
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प्रिय माँ-पिताजी ,
सादर नमस्ते,
आपका पत्र पढ़कर दो बात ही कहनी है--
१- यदि मैं आपकी जगह होती तो बेटी का अपमान करने वाले को कभी माफ़ न करती। इन्हें माफ़ कर दिया जाता है इसीलिए समाज में स्त्रियों की दुर्दशा है।
२- दूसरी बात यह की आप मुझसे बड़े हैं। आपने बहुत दुनिया देख ली है । आप जो भी निर्णय लेंगे उचित ही लेंगे। एक बार मुझसे तो गलती हो सकती है लेकिन आप दोनों गलती नहीं करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है। अनुराग शर्मा मुझसे द्वेष रखता है , आप लोगों से नहीं । अतः आप निश्चिन्त होकर इनसे मिलिए। मुझे यकीन है इनसे मिलकर आपको अच्छा ही लगेगा।
आप दोनों के अच्छे स्वास्थ की कामना के साथ,
आपकी बिटिया।
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अनुराग जी ,
आप मेरे अपनों को मुझसे तोड़कर मुझे कमज़ोर करना चाहते हो । सभी को अपने साथ मिला लेना चाहते हो। सबको मेल लिख-लिख कर और फोन करके तथा उनके घर जाकर उन्हें अपना बनाना चाहते हो? कोई बात नहीं। ईश्वर आपको इतनी शक्ति दे की आप सभी से प्रेम कर सको। दिव्या से नफरत निभाने के फेर में आपने कुछ लोगों के साथ मित्रता करने की सोची, यही ब्लॉगिंग की सबसे बड़ी उपलब्धि समझूंगी।
मुझे तो अकेले ही चलने की आदत है। बस कुछ के साथ आत्माओं का मिलन हो चुका है , वहां फोन आदि की ज़रुरत नहीं पड़ती है। मेरे दुःख में वे रो पड़ते हैं और मुझे खुश देखकर भी उनकी आँखें छलछला पड़तीं हैं।
किसी को फोन कर सकूँ इतना पैसा ही नहीं है मेरे पास। नौकरी नहीं करती हूँ न इसीलिए सरकारी फोन जो मुफ्त में मिलता है बड़े ओहदे वालों को , वह भी सुविधा नहीं है मेरे पास। और फिर सबसे बड़ी मुश्किल तो यह है की मैं 'स्त्री' हूँ । किसी को फोन करुँगी तो वह एक अलग ही समस्या खड़ी कर देगा। लेकिन मेरे पास स्पष्टवादिता और पारदर्शिता है। वही मेरी ताकत है, और वही मेरा गहना।
आपने मुझे 'schizophrenic' और 'paranoid' कहा , फिर भी जाइए आपको माफ़ किया !
Zeal