पाठकों से निवेदन है की संतोष के असंतोष को मिटाने के लिए कृपया निम्न बदबूदार आलेख पर टिप्पणी अवश्य करें।
टंकी-आरोहण नहीं नौटंकी है यह !hona
जो लोग लोकप्रिय होना चाहते हैं , उनको सबसे सस्ता उपाय बता रही हूँ। दिव्या पर एक बदबूदार आलेख लिखिए और कमाइए टिप्पणी। बुलाइए दिव्या से ईर्ष्या-द्वेष रखने वालों को और पाइए बदबूदार प्रतिक्रियाएं और करिए अपने frustation को शांत। इस बदबूदार आलेख पर अरविन्द मिश्र और अमरेन्द्र गिरोह के लोग शिरकत करके अपनी भड़ास निकाल चुके है। बेचारे सूंघते ही रहते हैं की कब मौका मिले दिव्या के खिलाफ जहर उगलने का , और पहुँच जाते हैं, बदबू उठते ही।
संतोष की भड़ास का जब मैंने जवाब भी नहीं दिया तो बेचारा बौखला गया और वही गलती कर बैठा जो पहले भी कुछ नादान ब्लॉगर कर चुके हैं। इस गिरोह के लोग मेरे खिलाफ आलेख लिखकर ही अपने ब्लॉग को पवित्र करते हैं। दुःख होता है मानसिकता वालों को देखकर। कुछ लोग इतने ज्यादा attention seeker होते हैं की इन्हें attention न दो तो घटियागीरी पर उतर आते हैं।
कुछ लोग जो मेरे खिलाफ भड़ास नहीं निकाल पाते उन्हें श्रीमान संतोष कुमार ने एक बेहतरीन मंच उपलब्ध कराया है की आओ और दिव्या को गाली देकर मुझे मलहम लगाओ। इसी बहाने मुझे भी पहचान हो गयी कुछ लोगों की जो भीड़ में छुपे रहते थे।
Zeal
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जबभी कुछ सकारात्मक लिखना चाहती हूँ द्वेष रखने वाले विघ्न उत्पन्न करते ही रहते हैं। शायद ब्लौगजगत में फैली बदबू दूर करनी ही होगी pehle ।
टिप्पणी का ऑप्शन बंद है। ऐसे आलेखों पर मैं अपने सम्मानित पाठकों का बहुमूल्य समय नष्ट नहीं करना चाहती। मेरे लिए अपने शुभचिंतकों का स्नेह एवं आशीर्वाद स्वतः ही पहुँचता रहता है।
आभार।