Sunday, September 18, 2011

नरेंद्र दामोदर भाई मोदी , हमें आपकी ज़रुरत है

१७ साल की आयु में अपने परिवार को त्यागकर समस्त देशवासियों को अपना परिवार मान लिया और आज की तारीख तक अपने देशवासियों की सेवा में लगे हुए हैं। गुजरात प्रदेश जो दंगों के लिए ही जाना जाता था वहां उनके शासन काल में पूर्ण शान्ति है। कभी कर्फ्यू तक नहीं लगा। उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से गोधरा काण्ड का उन्हें जिम्मेदार बताया गया। लेकिन दुष्टों के मंसूबे सफल नहीं हुए और एक कामयाब मुख्यमंत्री के पाक-साफ़ दामन पर कीचड उछालने वालों ने अपने मुंह की खायी।

आज गुजरात एक सबसे सफल , सबसे धनी , सबसे उन्नत और सबसे शांतिपूर्ण राज्य है। पूरे राज्य को एक पिता का साया मिला हुआ है। यहाँ हिन्दू-मुस्लिम के मध्य भेदभाव पैदा करने वालों की भी दाल नहीं गली। इस राज्य में हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही अपने मुख्य मंत्री में समान आस्था रखते हैं।

जो अपने निस्वार्थ व्यक्तित्व, अपने ओजस्वी कर्मों , अपने निश्छल प्रेम द्वारा करोड़ों का दिल जीतकर ऊँचाइयों को छूने लगता है , उससे अनायास ही ईर्ष्या रखने वाले पैदा हो जाते हैं और उनके खिलाफ एकजुट होकर गन्दगी फैलाते हैं। लेकिन इतने ओजस्वी व्यक्तियों के साथ परमपिता कदम दर कदम उसे अपनी शक्ति से नवाजता है, और हर मुश्किल से लड़ने की ताक़त देता है।

हमारे देश का दुर्भाग्य यही है की यहाँ जो कर्मठ लोग होते हैं उनके योगदानों , उनकी समाज-हित की भावना को और उसके आध्यात्मिक मोह, जो समस्त जनता के लिए है , उसे नकार दिया जाता है। इसीलिए तरक्की की गति बहुत धीमी है हमारे देश में।

यदि लोग दूसरों में कमियां तलाशने के बजाये , उनके योगदानों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें तभी उन्हें इस ओजस्वी हस्ती की प्रभुता समझ आएगी अन्यथा हम ऐसे कर्मठ व्यक्तियों को पहचानने में बहुत देर कर देंगे और देश को घोटालेबाज ले डूबेंगे।

नरेंद्र भाई मोदी जी आपकी ज़रुरत केवल गुजरात की जनता को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत को है। हम आपको अपने देश के प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहते हैं। हम आप जैसे पिता का साया अपने सर पर अनंतकाल तक चाहते हैं। ईश्वर आपको हर क्षेत्र में विजय दिलाये। दुश्मन आपका बाल भी बांका सकें। आपकी जीत हो, आपकी जीत में हम देशवासियों की जीत हैं।

नरेंद्र दामोदर भाई मोदी की जय हो।

भारत माता की जय हो

Zeal

57 comments:

प्रतुल वशिष्ठ said...

करोड़ों देशवासियों के मन के दबे भाव को आपने अपना स्वर दिया ... न केवल स्वर दिया उसे बुलंद भी किया... आपसे अपेक्षा भी थी कि अब आपकी कोई पोस्ट देश के भावी प्रधानमंत्री पर आनी ही चाहिए...
हम भी प्रतीक्षा में हैं.... कब घोटालेबाजों की अशुभ दशा समाप्त हो... पहले तो 'चोरों की रानी' का अंत होना चाहिये...

अमिताभ की 'अमर सिंह' दर्शन यात्रा से मेरे मन में कुछ प्रश्न पैदा हुए हैं..
— कोई देशद्रोही 'प्रायश्चित' करने का नाट्य करे अथवा अपना स्वास्थ्य खराब करके रोटी हुई दुखी पत्नी के माध्यम अपने प्रति सहानुभूति की अपेक्षा करे ... तो क्या यह कितना उचित है?... क्या उसे क्षमा कर देना चाहिए?
— सैकड़ों निरपराधों का दोषी यदि अपने प्रति सहानुभूति क्षमा भाव की अपेक्षा रखे और मानवाधिकार समिति वाले उसके प्रति नरम रुख अपनाने की वकालत करें तो क्या उचित है?
— छल-कपट द्वारा बची हुई सरकार का नैतिक कर्तव्य नहीं कि उसके कार्यकाल को तुरंत समाप्त कर दिया जाये और उसपर दो वर्षों में अपने मंत्रिमंडल पर खर्च किये धन को मयब्याज लौटाने का दंड लगाया जाये?
..... आपकी इस पोस्ट को पढ़कर जो मन में विषयांतर बातें भी आयीं ... वह भी कह दीं... बस इसलिये कि.... हम अपने भावी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में राष्ट्रीय परिपेक्ष में सबकुछ कहने छूट चाहेंगे.

Aruna Kapoor said...

आप के विचारों से बिलकुल सहमत हूँ दिव्या!...नरेन्द्र मोदी जी ने गुजरात की प्रगति द्वारा साबित कर दिखाया है कि राष्ट्र का नाम विश्व में ऊँचा करने के लिए भी वे बहुत कुछ कर सकते है!...वाकई वे प्रधान मंत्री पद के लिए एक मात्र लायक व्यक्ति है!

एक अति उत्तम लेख के लिए...धन्यवाद!

DR. ANWER JAMAL said...

मोदी भाई साहब की जरूरत आज गुजरात और भारत को ही नहीं बल्कि अमेरिका को भी है ।

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत सही कहा आपने हमें एक छद्म शासक की जरूरत नहीं है बल्कि ईमानदार और स्पष्ट बोलने वाले शासक की आवश्यकता है |

Arun sathi said...

विचारनीय

प्रवीण पाण्डेय said...

देश सर्वोपरि है।

Prem Prakash said...

विद्या... यकीन नहीं हो रहा कि ये पोस्ट आपने लिखा है...विकास आैर तरक्की के साबुन से अगर खून के धब्बे धुल जाते तो मोदी की राजनीतिक सीमा गुजरात की सीमारेखा कब की पार कर गई होती। मल्लिका साराभाई ने आज ही विस्तार से बताया है कि दंगे से जुड़ी एक पीआईएल को रोकने के लिए सरकारी कोष से रिश्वत दिए...एेसे मामले भरे पड़े हैं...!

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

कई वर्षों से मन में यह प्रबल आकांक्षा थी कि मोदी जी को देश का प्रधान मंत्री होना चाहिए. भारत के वर्त्तमान राजनीतिक परिदृश्य में तो वे ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो इस पद के कर्तव्यों के साथ न्याय कर सकने में सक्षम हैं. पर अभी कुछ दिनों से मैंने अपना इरादा बदल दिया है. अब मैं मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाए जाने के पक्ष में बिलकुल नहीं हूँ. इस देश की जनता के लायक केवल अजमल कसाब ही एक मात्र व्यक्ति ऐसा है जो भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है. और आदरणीय कसाब जी के सहयोग के लिए परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय अफजल गुरू को भारत का राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए. मैं पूरी गंभीरता के साथ इसमें एक बात और जोड़ना चाहता हूँ कि भारत में रहने वाले सभी सनातनधर्मियों को समुद्र के किसी टापू में निर्वासित कर दिया जाना चाहिए. वही उनके लिए योग्य स्थान है. भारत की संसद के सभी माननीय सांसदों से मेरा विनम्र आग्रह है कि वे इस प्रस्ताव को संसद के पटल पर रखने की कृपा करें.

महेन्‍द्र वर्मा said...

भारत को अब एक साहसपूर्ण और सुदृढ़ नेतृत्व की आवश्यकता है जो देश को मौजूदा स्थिति से उबार सके। वर्तमान बड़े नेताओं को परखा जाए तो नरेंद्र मोदी बाकी से कुछ अलग दिखाई देते हैं। इनकी भावनाओं से लगता है कि ये देश का नेतृत्व कुशलतापूर्वक कर सकेंगे।

Nirantar said...

I support your views,follow him on twitter

Suresh kumar said...

इसमे कोई शक नहीं की आज गुजरात सचमुच तरक्की कर रहा है | हम भी और भी काफी लोग चाहते हैं की मोदी जी इस देश का नेत्रत्व करें | ये देश के लिए बहुत ही अच्छा होगा |

रविकर said...

उपवास का सुवास हो, और अधिक पास हो,
आस भरा विश्वास हो, दंगा वह भूलिए |

भागलपुर भागते, देहली दहलात के ??
घात पे प्रतिघात के, पाप पूरे धो लिए ??

अंगुलिमाल-वाल्मीकि, भूलो मत यह सीख
गांधीजी की क्षमा नीति, घोलकर पी लिये |

प्रयास का उपहास, कांगरेस है निराश
गिरेबान देख झांक, चौरासी भी खोलिए ||

दिवस said...

दिव्या दीदी,
नरेंद्र भाई मोदी पर लिखी गयी आपकी यह प्रस्तुति बेहतरीन की श्रेणी में आती है| अपने प्रिय नेता पर लिखा यह आलेख पढ़कर दिल बहुत खुश है|
सत्रह वर्ष की आयू में परिवार को छोड़ हिमालय जा बसे नरेंद्र भाई मोदी चार वर्षों तक हिमालय की गुफाओं में ऋषि मुनियों के साथ रहे| तपस्या ध्यान जप आदि करते रहे| वहाँ साधुओं ने उन्हें यह कह पुन: समाज में भेज दिया कि "तेरी जरुरत समाज को है|"
आज हम इसका परिणाम देख ही रहे हैं|
नरेंद्र भाई मोदी से जब भी पूछा जाता है तो वे सत्रह वर्ष की आयु में लिए गए इस निर्णय को अपने जीवन का सबसे अच्छा काम बताते हैं|
साहसी तो वे बचपन से ही हैं| छोटी सी आयु में ही एक बार अपने गाँव के तालाब में कूदकर एक मगरमच्छ का बच्चा पकड़ लाए|
गांधी जी का प्रदेश गुजरात जो आज़ादी के पहले से ही साम्प्रदायिक दंगों की आग में जल रहा था, आज विकास की सीमाओं को पार कर चूका है| मोदी जी के राज में केवल एक बार वहाँ साम्प्रदायिक हिंसा हुई| जिसके लिए उन्हें आज भी बदनाम किया जा रहा है| मोदी जी पर ऊँगली उठाने वाले यह क्यों भूल जाते हैं कि उनसे पहले (जब गुजरात कांग्रेस का गढ़ था) गुजरात में प्रत्येक वर्ष साम्प्रादायिक हिंसा का इतिहास रहा है(जहां हमेशा हिन्दुओं पर ही अत्याचार हुए हैं), जबकि पिछले नौ वर्षों से अधिक समय से वहां किसी प्रकार की हिंसा नहीं हुई| हिन्दू मुस्लिम सद्भावना की जो मिसाल गुजरात में है, वह भारत के किसी प्रदेश में नहीं|
मोदी पर ऊँगली उठाने वालों में सबसे आगे रहे कांग्रेस व वामपंथी दल हमेशा भूल जाते हैं कि इनके अपने गढ़ महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बंगाल, आसाम, केरल, नागालैंड आदि आज भी साम्प्रदायिक हिंसा से घायल हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ के शोध के अनुसार गुजरात विश्व का दूसरा सबसे विकसित प्रदेश है|

दिवस said...

आज गुजरात के किसी भी हिस्से में कोई भी महिला आधी रात में भी अकेली सडकों पर अकेली घूम सकती है| सुरक्षा की दृष्टि से उसे कोई खतरा नहीं है|
नरेंद्र भाई मोदी ने अटल जी नदियों के एकीकरण की योजना को गुजरात में लागू किया, जबकि कांग्रेस ने केंद्र में आते ही इस योजना को ठन्डे बस्ते में दाल दिया था| जिसका परिणाम यह है कि आज पूरे भारत में कहीं भाद आ रही है तो कहीं सूखा पडा हुआ है जबकि गुजरात में भिज जैसे क्षेत्र में भी पानी बह रहा है| कितने ही वर्षों से सूखी पडी साबरमती नदी में आज नर्मदा का पानी बह रहा है|
भौगोलिक परिस्थियों में गुजरात का दक्षिणी भाग, महाराष्ट्र का विदर्भ व आंध्र प्रदेश का कुछ क्षेत्र एक जैसे हैं| इन तीनों ही क्षेत्रों में कपास की खेती होती है| क्या कारण है कि aandhra का किसान कपास उगाता है और आत्म हत्या करता है, महाराष्ट्र का किसान कपास उगाता है और आत्म हत्या करता है, जबकि गुजरात का किसान कपास उगाता है और चीन के बाज़ारों में पांच गुना दाम पर बेच कर आता है|
महाराष्ट्र सरकार के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने की बात है जब विदर्भ क्षेत्र के बुल्धाना जिले की चिखली तहसील के एक गाँव बेरागढ़ के सरपंच एवं गाँव वालों ने मोदी जी से गुहार लगाईं कि हमे गोद ले लें, व हमारे गाँव को महाराष्ट्र राज्य से हटाकर गुजरात में शामिल करें, ताकि हमारे किसानों की हालत सुधर सके|

दिवस said...

गुजरात का रिवर फ्रंट का प्रोजेक्ट अपने आप में एक नया चमत्कार है| एशिया में आज तक ऐसा प्रोजेक्ट कहीं नहीं बनाया गया|
पूरा भारत जो आज शराब में डूबा है, अकेला गुजरात ऐसा प्रदेश है जहां शराब बंदी करवाई गयी व वहाँ दूध की नदियाँ बह रही हैं|
शर्म का एक तमाचा तो अभी कुछ दिन पहले अमरीकी कांग्रेस ने कांग्रेस व अन्य सेक्युलरों के मूंह पर मारा जब उसने मोदी को सम्पूर्ण भारत का सर्वश्रेष्ठ नेता घोषित किया| मोदी जी के साथ यहाँ बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार का भी नाम लिया गया|
लेकिन इन सेक्युलरों को मोदी जी में सारे खोट नज़र आते हैं| आज भी सिविल सोसायटी के भूषन ने मोदी जी पर आरोप मढ़ डाला व उन्हें गुजरात के मुसलामानों से माफ़ी मागने की सलाह दे डाली| मेरा एक मुस्लिम मित्र जो कि अहमदाबाद में ही रहता है, मोदी जी से मिल चूका है| पूरा दिन मोदी पुराण गाता रहता है| मोदी जी का ऐसा दीवाना मैंने नहीं देखा|

नरेंद्र भाई मोदी की उपलब्धियां लिखने बैठें तो यह ब्लॉग जगत छोटा पड़ जाए|
अब वह दिन दूर नहीं जब मोदी जी गुजरात से निकल कर पूरे भारत को गोद लेंगे| आज प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी जी सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं|
दिव्या दीदी, नरेंद्र भाई मोदी पर आपकी प्रस्तुति सच में बेहद सराहनीय है|

नरेंद्र भाई मोदी जिंदाबाद...
भारत माता कि जय...

Dr Varsha Singh said...

सार्थक लेख ......

दिवस said...

@प्रेम प्रकास
महोदय पहले तो लेखिका का नाम सही कीजिये व बाद में अपने आंकड़े|
जहां तक मल्लिका साराभाई का सवाल है, तो उसे इस चाटुकारी का पुरस्कार मिल चूका है| मल्लिका साराभाई के विषय में शायद आपको अधिक नहीं पता| वह मल्लिका साराभाई है, कोई खुदा नहीं कि जो कह दे उसे सच मान लिया जाए|

दिवस said...

02261550770 पर मिस कॉल करें व मोदी के इस सद्भावना मिशन से जुड़ें, साथ ही औरों को भी जोड़ें|

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

कुछ तो लोग कहेंगे... लोगॊं का काम है कहना :)

Rakesh Kumar said...

सुन्दर सार्थक लेख.राजनीति में सही चेहरा दिखलाई पड़ना बहुत मुश्किल
होता है.मोदी जी ने अपनी जगह खुद बनाई है.
आपकी भावना का सम्मान करता हूँ मैं.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अरे भैया प्रेमप्रकाश, नाम के अनुरूप थोड़ा सा प्रेम का प्रकाश बहा दो.
गुजरात की उपलब्धियों को मानने में क्यों संकोच कर रहे हैं.
सबके सामने उपलब्धियां हैं, हिन्दू मुसलमान या फिर कोई और, फायदा तो सभी को हुआ है.
और हिन्दू दंगे में मारा जाये, नुकसान उठा ले तो धर्मनिरपेक्षता तथा अपवाद के रूप में अन्य को नुकसान पहुंच जाये तो साम्प्रदायिकता, इस नजरिये को सुधारिये.
वैसे प्रेमप्रकाश जी, अभी जो साम्प्रदायिक दंगा विरोधी अधिनियम आने वाला है, उसके बारे में आपके क्या विचार हैं. जरा सामने रखियेगा.
मोदी को एक बार पूरे देश की कमान मिलनी चाहिये.

Patali-The-Village said...

आप के विचारों से बिलकुल सहमत हूँ|सार्थक लेख,धन्यवाद|

Prem Prakash said...

भाई दिवस दिनेश....आपने नाम आैर जानकारियों की गलती की तरफ मेरा ध्यान दिलाया है...आभार आपका। वैसे आपने कोई मेरा नाम भी सही लिखा हो, ऐसा नहीं है। खैर...नाम प्रसंग को रहने दें..ये कोई बड़ा मामला नहीं। रही बात तथ्यों आैर जानकारी की तो हो सकता हों आप सही हों। बस आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि 1993 से मीडिया की दुनिया से जुड़ा हूं आैर रोज खबरों आैर सूचनाओं से ही पाला पड़ता है। रही बात मल्लिका साराभाई की तो उनकी खबर आज ही पीटीआई से आई थी इसलिए हवाला दिया। मोदी के वाईब्रोंट गुजरात की चमक को कई दफा इसे नजदीक से देखने का मौका मिला है।...अगर किसी को हिंसा आैर क्रूरता का दंश इतना ही मामूली लगता है तो उन्हें एहसान जाफरी, हरेन पांड¬ा आैर गुलबर्ग के तमाम उन परिवारों से मिलना चाहिए, न्याय की उम्मीद में उनकी आंख के आंसू आज भी सूखे नहीं हैं। अन्याय रेल डिब्बे में जलाए गए उन लोगों के साथ भी कम नहीं हुआ जिनकी जान मजहबी पागलपन में गई। भाई विकसित रावण की लंका भी कम नहीं थी...पर कोई रावणराज की कामना नहीं करता...क्योंकि अगर सचुमच ऐसा होता तो मोदी को गुजरात की मांद से बाहर निकलने में इतने साल नहीं लग जाते...बस फिलहाल इतना ही...आगे सबको सन्मति दे भगवान! -प्रेम प्रकाश

ashish said...

मोदी एक कर्मठ राजनेता है . देश को ऐसा राजनेता ही चाहिए.

Suresh kumar said...

मेरे ब्लॉग का अनुशरण करने के लिए आपका बहुत -बहुत धन्यवाद् |

ताऊ रामपुरिया said...

सुखद और सशक्त भविष्य की उम्मीद दिखाई देती है.

रामराम

Bharat Swabhiman Dal said...

श्री प्रेम प्रकाश जी आपने लेखिका का नाम लेते हुए जिस बेरूखी का प्रदर्शन किया वह निन्दा के योग्य है । किसी की लेख पर पक्ष या विपक्ष में अपने विचार रखते हुए विनम्रता का व्यवहार अपेक्षित है ।
आदरणीया दिव्या दीदी जी मैं आपकी , श्री कौशलेन्द्र जी एवं भाई दिवस दिनेश गौड़ जी बात से पूर्णतः सहमत हूँ । राष्ट्रगौरव , विकास पुरूष श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के नेतृत्व की आज की परिस्थितियों में पूरे राष्ट्र को विशेष आवश्यकता है ।
जय नरेन्द्र भाई मोदी
वन्दे मातरम्

अजित गुप्ता का कोना said...

जो लोग संघ को साम्‍प्रदायिक कहकर देश में जहर फैला रहे हैं, उन्‍हें समझ आना चाहिए कि गुजरात में संघ का एक प्रचारक अमन-शान्ति बनाए हुए है। संघ साम्‍प्रदायिक नहीं है अपितु राष्‍ट्रवादी है और संघ चाहता है कि देश का प्रत्‍येक नागरिक अपना प्रथम धर्म देश प्रेम को माने।

Arunesh c dave said...

सियारों के राज मे सिंह की कमी महसूस होने लगी है

JC said...

जब 'भारत' का बंटवारा हुआ तो कितने लोगों की बलि चढ़ी थी - चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम?

और तब किसका राज था?

और जब एक भारी पेड़ गिरा था तो क्या धरा नहीं काँप उठी थी, और तब कितने 'सिखों' की बलि चढ़ी?

जो लोग ऐसी अनेक घटनाओं से पीड़ित हुए, वो क्या कभी उन्हें भुला सकते हैं? काल भले ही भुला दे...

जो तथ्य हमारे सामने है, कि उसके बाद गुजरात में और ऐसी घटनाएं नहीं हुई हैं, तो उसके लिए नरेद्र मोदी और उनकी टीम को ही उत्तरदायी माना जा सकता है...

वैसे महाभारत की लड़ाई में भी श्री कृष्ण, द्वारिकाधीश, ही पांडवों के साथ खड़े थे और 'इन्द्रप्रस्थ / हस्तिनापुर' के स्वार्थी राजा दुर्योधन की सेना की ही हार हुई थी...

"जय श्री कृष्ण" !

दिनेशराय द्विवेदी said...

संघसम्राज् नरेन्द्रदामोरम् नृपतेः प्रशस्तिपरं विरुदकाव्यम् इति सम्प्रदीयः/ थाईलेंडवासिनी दिव्या-विरचिता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वन्दे मातरम्!

रूप said...

good one , after a long time !

Prem Prakash said...

भाई दिवस दिनेश....आपने नाम आैर जानकारियों की गलती की तरफ मेरा ध्यान दिलाया है...आभार आपका। वैसे आपने कोई मेरा नाम भी सही लिखा हो, ऐसा नहीं है। खैर...नाम प्रसंग को रहने दें..ये कोई बड़ा मामला नहीं। रही बात तथ्यों आैर जानकारी की तो हो सकता हों आप सही हों। बस आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि 1993 से मीडिया की दुनिया से जुड़ा हूं आैर रोज खबरों आैर सूचनाओं से ही पाला पड़ता है। रही बात मल्लिका साराभाई की तो उनकी खबर आज ही पीटीआई से आई थी इसलिए हवाला दिया। मोदी के वाईब्रोंट गुजरात की चमक को कई दफा इसे नजदीक से देखने का मौका मिला है।...अगर किसी को हिंसा आैर क्रूरता का दंश इतना ही मामूली लगता है तो उन्हें एहसान जाफरी, हरेन पांड¬ा आैर गुलबर्ग के तमाम उन परिवारों से मिलना चाहिए, न्याय की उम्मीद में उनकी आंख के आंसू आज भी सूखे नहीं हैं। अन्याय रेल डिब्बे में जलाए गए उन लोगों के साथ भी कम नहीं हुआ जिनकी जान मजहबी पागलपन में गई। भाई विकसित रावण की लंका भी कम नहीं थी...पर कोई रावणराज की कामना नहीं करता...क्योंकि अगर सचुमच ऐसा होता तो मोदी को गुजरात की मांद से बाहर निकलने में इतने साल नहीं लग जाते...बस फिलहाल इतना ही...आगे सबको सन्मति दे भगवान! -प्रेम प्रकाश

दर्शन कौर धनोय said...

ग्रेट हैं --नरेंदर मोदी साहेब ..मेरे सबसे चाहते नेता ! एकदम फर्स्ट क्लास ..

Rajesh Kumari said...

desh sarvopari hai jo nij swaarth chodkar desh ka hit karega vahi PM banne laayak hai.vichaarniye post.

एस एम् मासूम said...

लालकृष्ण अडवानी से सहमत

दिवस said...

@प्रेम प्रकाश जी
महोदय क्षमा चाहूँगा, पिछली टिप्पणी में आपके नाम के आगे एक अक्षर रह गया, फिर भी नाम पढने में आ रहा है|
खैर जैसा कि आपने कहा "नाम प्रसंग को रहने दें...ये कोई बड़ा मामला नहीं..."

भारतीय नागरिक ने काफी सही कह दिया है| आपको गुजरात की उन्नती देखने में संकोच क्यों है?
जहां तक सवाल है मल्लिका साराभाई का, तो आप तो मीडिया के आदमी हैं, आपने "साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा विधेयक" के बारे में कुछ तो जाना ही होगा| साथ ही मल्लिका साराभाई द्वारा इस काले क़ानून में दिए गए योगदान के बारे में भी जानकारी रखी होगी| नहीं हो तो बता दें, वह भी उपलब्ध करवा देंगे|
गुजरात के "जन संघर्ष मंच" नामक सेक्युलर संगठन का नाम भी आपने सुना ही होगा| वही जिसके सदस्य देश के टॉप क्लास सेक्युलर हैं| तीस्ता जावेद सीतलवाड़ (नाम तो सुना ही होगा), जाकिया जाफरी और मुकुल सिन्हा के साथ इनकी कमांडर मल्लिका साराभाई ही है| अन्ना की गुजरात यात्रा के दौरान भी कैसे इन्ही सेक्युलरों ने दूध के लिए लगी कतार को शराब की कतार कह भोले भाले अन्ना को भड़काया था| रिवर फ्रंट जैसे प्रोजेक्ट को दलित विरोधी करार दिया था|
बताइये जाति व धर्म की राजनीति कौन करता है, मोदी या ये सेक्युलर?

दिवस said...

२००२ में हुए दंगे तो आज तक याद हैं आपको, किन्तु उसके पहले कांग्रेस शासन में प्रतिवर्ष होने वाले दंगों पर याददाश्त क्यों कमज़ोर हो जाती है? इन्हें लेकर कांग्रेस के लिए कटघरा कब सजा रहे हैं?
देश की सेक्युलर ज़मात को दरअसल एक ही परेशानी है कि गुजरात का मुसलमान भी आज मोदी गान गा रहा है|
बताइये जब उन्हें ही कोई शिकायत नहीं है तो क्यों टेंशन लेते हैं?


मोदी एक जन नेता हैं| देश का कोई भी नागरिक मोदी जी से सीधे संपर्क कर सकता है|

दरअसल मोदी एक मिर्ची है, जो सेक्युलरों को समय समय पर यहाँ वहाँ जलाती रही है| अब ऐसे में मूंह से कुछ तो आवाज़ निकलेगी ही|

कांग्रेस हित में सोचना है तो बेशक मोदी जी की आलोचना करना आपका धर्म बनता है| किन्तु देश हित में विचार करना है तो गुजरात की उन्नति को अनदेखा मत कीजिये|

आपको दी गयी पिछली टिप्पणी से पहले दी गयी मेरी तीन टिप्पणियां भी पढ़ लीजिये|

दिवस said...

आदरणीय अजीत गुप्ता जी, संघ के विषय में आपके विचार जानकर बहुत ख़ुशी हुई|

दिवस said...

प्रेम प्रकाश जी
वैसे आप दिल्ली में १९८४ में घटे सिख हत्याकांड, भोपाल गैस काण्ड व उसके बाद एंडरसन को भगाना, भागलपुर के दंगों, अलीगढ व हैदराबाद में समय समय पर होने वाले दंगों व कश्मीर से हिन्दुओं के सफाए पर क्या राय रखते हैं?

दिवस said...

मोदी जी पर ऊँगली उठाने वाले लोग पहले अपनी खाली जेबें जांच लें| कांग्रेस सरकार ने महंगाई से आपकी जेबें खाली करवा दी हैं| पैट्रोल के दाम फिर बढे|
आज ही एक मित्र ने बहुत अच्छी सलाह दी है|
सोच रहा हूँ, कल ही अपनी गाडी के लिए15 रुपये का पैट्रोल ले आऊं|
अरे नहीं नहीं, पैट्रोल टंकी में नहीं डालूँगा| गाडी चलाने के लिए 15 रुपये के पैट्रोल से क्या होगा? किन्तु गाडी के ऊपर डालकर आग लगाने के लिए तो काफी है|
अब गाडी चलाने की औकात तो रही नहीं, तो जला ही दें| सोच रहा हूँ एक घोड़ा ले आऊं| पैट्रोल से तो सस्ता ही पड़ेगा और वफादार भी, सरकार की तरह गद्दार तो नहीं|

अब भी संभल जाइए| मोदी जैसा कर्तव्यनिष्ठ दूसरा कोई नहीं मिलेगा|

मनोज कुमार said...

बढि़या आलेख। राज्नीति के विषय पर इससे ज़्यादा न कह पाऊंगा।

upendra shukla said...

raajneeti par sahi post

JC said...

हमारा देश विचित्र है!

कालिदास प्रसिद्द हुए एक ख्याति प्राप्त साहित्यकार के रूप में...
किन्तु यह भी सभी जानते हैं कि वो पहले कभी बज्र मूर्ख थे, पागल माने जाते थे,,,
उनके लिए प्रसिद्द है कि वो जिस डाल पर बैठे थे उसी को काट रहे थे :)
तभी 'संयोगवश' एक आम आदमी ने उससे कहा कि वो गिर जाएगा, और जब वास्तव में धरा पर आन गिरा तो उसके मन की बत्ती जल गयी (जैसे मोहन दास को ट्रेन से उतार देने पर उनकी आँख खुल गयी थी :)
तुलसी दास जी की पत्नी के शब्दों ने भी उनके मन की बत्ती जला दी थी,,,
और वो उनके द्वारा रचित रामायण के लिए प्रसिद्द हो गए!

आशा करनी होगी कि कभी न कभी, एक दिन शीघ्र, जनता के मन की बत्ती भी खुल ही जायेगी...

जय भारत माता की!
इसकी मिटटी की विशेषता रही है कि कुछ 'विदेशी' भी यहाँ आ संत बन गए, और प्रकृति में व्याप्त 'द्वैतवाद' के कारण किन्तु अधिकतर इस सोने कि चिड़िया के पंख तोड़ सोना ही लूटना अपना धर्म मानते आये हैं... यही शायद कृष्णलीला है...

Prem Prakash said...

किसी के पाप गिना देने से अपने पाप कम नही हो जाते... !

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

narendra modi ji ke prati jo shraddha aaur pavitra bhav hamare jehan me shanti ki chadar odhkar baithe the unhe aapne ek swar diya hai..aapke lekhon ki ek samajik upadeyata hai..aapko dher sari badhayee aaur sadar pranam ke sath

P.N. Subramanian said...

मोदी जी की प्रशस्ति में लिखा यह आलेख और की गयी टिप्पणियां अपने आप में यथेष्ट हैं. मोदी जी का मुख्य मंत्रित्व गुजरात का स्वर्ण युग ही कहा जाएगा.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बहुत सुन्दर लेख दिव्या जी ....
आपके विचारों से सहमत हूँ |

DUSK-DRIZZLE said...

BEHATARIN POST

सदा said...

बिल्‍कुल सही कहा है ...सार्थक व सटीक प्रस्‍तुति ।

डॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ said...

dango का सच खोजने वालो को समस्त दंगो का सच खोजना चाहिए .केवल २००२ का ही नहीं .अगर ये सही भी हो की मोदी ने दंगो में कुछ गलत किया तो भी उसे सदैव वाही लोग यद् करते है जो ये मानते है की आदमी कभी सुधर नहीं सकता ,गलतियों से क्या आप सीख नहीं लेते?.मोदी के रूप में हम एक अच्छा prashaasak dekhte है एक संत नहीं!!!!!!

Man said...

didi or nrendr bhayee modi ji ko prnaam

vande matrm

Manoranjan Manu Shrivastav said...

मैं आपके इस ब्लॉग में सिर्फ अंतिम पाराग्राफ से सहमत नहीं हूँ.
मैं इसके लिए राहुल गाँधी का चयन करूँगा.
वो आपके राजनीतिक विचार हैं, ये मेरे राजनीतिक विचार हैं . अन्य कुछ नहीं


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मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है
ड्रैकुला को खून चाहिए, कृपया डोनेट करिये! पार्ट-1
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Vivek Jain said...

माफ़ कीजियेगा, ये विचार आपके अपने हैं, पर मेरे विचार से बिल्कुल गलत है, मोदी से पहले भी गुजरात की विकास दर 10% के आसपास ही थी, 1992 में मनमोहन ना होते तो शायद कोई विकास की बात ही ना करता,any way, everybody has right to express himself in democracy, But I hate anytype of hate... whether it is from BJP side or from Hijbul side.....
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Unknown said...

vivek jain kya aap bata sakte hai desh ka vikash dar 1947 me kya tha ,kyu ki aap jaise congressi log keval kichr uchhalana jante hai .rahul gandhi ek bar drugs case me america me pakra gaya tha wo farzi degree dhark hai .congressiyo ko nikal phekna chahiye is desh se...

Unknown said...

vivek jain kya aap batala sakte hai desh jab aazad hua tha to vikash dar kya tha aur aaj kya hai.mahangai pahle kya thi aur aaj kya hai. congressiyo ko is desh se nikal phekna chahiye. rahul gandhi ek bar america me drugs le jate hue pakada ja chuka hai.farzi degree dhari hai .india ke sath sath itly ki nagrikta rakhta hai .suknya devi ke balatkar ka aaropi hai .dukh hota hai ki aise logo ko bhi log pradhanmantri ke roop me dekhte hai....