गो-ह्त्या के विरोध में लिखी गयी मेरी इस पोस्ट पर ब्लॉग जगत के गुंडे अनवर जमाल को बहुत मिर्ची लगी। उसने मेरे खिलाफ एक आलेख लिखकर अपनी भड़ास निकाली, जिस पर किसी भी शरीफ हिन्दू ने शिरकत नहीं की , लेकिन ईर्ष्या और द्वेष के चलते 'कुमार राधारमण' नामक ब्लॉगर ने निम्नलिखित टिप्पणी की --
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दिव्याजी ने हिंदी ब्लॉगिंग में महत्वपूर्ण योगदान किया है। किंतु,पिछले कुछ समय की उनकी दो-चार पोस्टें निश्चय ही निंदनीय हैं। इन्हें देखकर यह यक़ीन करना मुश्किल होता है कि हम उन्हीं दिव्याजी को पढ़ रहे हैं जिनकी पोस्टें कभी गहन बौद्धिक विचार-विमर्श का केंद्र हुआ करती थीं।
श्रीमान राधारमण जी ,
आप जैसे हिन्दुओं के कारण ही--
- हिन्दू धर्म का विनाश हो रहा है।
- गो ह्त्या बढती जा रही है।
- अनवर जमाल जैसे गुंडों का मनोबल बढ़ रहा है
- मुस्लिम तुष्टिकरण , देश को डुबो रहा है।
कब परिपक्वता आएगी आप जैसों में ? हिन्दू धर्म पर कलंक मत बनिए।
आतंकवादियों के साथ भाईचारा निभायिये लेकिन दुसरे ब्लॉगर्स को "सर्टिफिकेट" देने की कुचेष्ठा मत कीजिये।
आपका कमेन्ट अत्यंत निंदनीय है और आपकी ईर्ष्या को परिलक्षित कर रहा है। आज आप भी उसी जमात में शामिल हो गए जिसमें मुझसे द्वेष रखने वालों की लम्बी कतार पहले से ही थी। अत्यंत खेद जनक है आपकी टिप्पणी।
जय हिंद !
जय हिन्दू।
वन्देमातरम !