ब्लॉगजगत का सबसे दुखद पहलू ये है की लोग टिप्पणियों की लालच में, अपनी दूकान चलाने के लिए, अच्छे ब्लॉगर्स के खिलाफ लेख लिखते हैं। वहां बहुत से भडासी जमा होकर प्रवचन बांटते हैं। कोई रामलीला छोड़कर आ जाता है, कोई कृष्ण-लीला , तो कोई "सीता-चर्चा" छोड़कर वहीँ अपनी चौपाल जमा लेता है। और फिर चलते हैं दौर प्रवचन के। सब एक से बढ़कर एक संस्कारी वहीँ जुट जाते हैं और संतों की तरह प्रवचन करके दूसरों को छोटा बनाने का अथक प्रयास करते हैं ।
अनवर जमाल और अयाज़ अहमद की श्रृंखला में अब एक नया नाम जुड़ गया है महिला ब्लॉगर "शिल्पा-मेहता" का जिनमें देश-भक्ति कूट-कूट कर भरी हुयी है। संकृति और सभ्यता की रखवाली करती हैं। इनके अनुसार दिव्या श्रीवास्तव एक देश-द्रोही है , इसीलिए ये हर तिमासे दिव्या ( Zeal) के खिलाफ "आई ऑब्जेक्ट" का झंडा लिए खड़ी रहती हैं।
काश कोई इन्हें समझाता की दिव्या के साथ-साथ कुछ अन्य देशद्रोही भी हैं , जिनपर इन्हें अपनी पवित्र पावन लेखनी चलानी चाहिए। कुछ नाम इस प्रकार से हैं--
विदेशी महिला, UPA सरकार में बैठ देश-द्रोह कर रही है और देश का पैसा , स्विस बैंक में जमा कर काला धन एकत्र कर रही है । हमारे देश को लूट रही है, लेकिन शिल्पा मेहता को ये सब कहाँ दीखता है। उन्हें तो दिव्या से बड़ी देश-द्रोही कोई लगती ही नहीं। शर्म आनी चाहिए शिल्पा मेहता को।
इन्हें ये भी बुरा लगता है की दिव्या के भाई "दिवस" को अपनी बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं और वो हर जगह दिव्या के लड़ता है। उसके लिए दिवस पर इमोशनल अत्या चार भी कर रही है । इनका कहना है --" दिवस, मेरे पास तो दिव्या के जैसा कोई भाई भी नहीं है जो मेरे लिए लड़े। "------इनका दूसरा वाक्य है -- "दिवस, मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ, अतः बहन से पहले माँ की इज्ज़त करो " । शर्म आनी चाहिए इन्हें इस तरह से किसी का Emotional blackmail करते हुए।
इनके आलेख पर इनके बहुत से भाइयों ने आकर, इनका समर्थन किया , इनकी प्रशंसा की और दिवस तथा दिव्या को अपमानित किया। मेरे विचार से शिल्पा मेहता की आत्मा को बहुत शान्ति मिल गयी होगी, हम दोनों को अपमानित करके और अपने शुभ-चिंतकों से अपमानित कराके।
शिल्पा मेहता और अनवर जमाल जैसे ब्लॉगर्स के , इस प्रकार के अपमानित करने वाले ब्लॉग , मन को बहुत क्लेश पहुंचाते हैं। उनसे उम्मीद करती हूँ , आगे से वे विषय पर लिखेंगे , किसी को अपमानित नहीं करेंगे।
अपनी अल्प बुद्धि से समाज में जागरूकता लाने के लिए लिखती हूँ, लेकिन शिल्पा और अनवर जैसे लोग टिप्पणियों की लालच में , अच्छे कार्यों में व्यवधान उपस्थित करते रहते हैं।
दिवस गौर जी से मेरा विनम्र निवेदन है की वे कृपया मेरे लिए अब कहीं भी कुछ न लिखें , क्योंकि मेरे कारण उनका भी अनायास ही अपमान करते हैं लोग। जैसे आप मेरा अपमान नहीं सहन कर सकते , वैसे ही कोई भी आपका अपमान करता है तो मुझे बेहद दुःख होता है। यदि आपको अपनी बहन पर विश्वास है तो यकीन जानिये , किसी में इतना दम नहीं कि वो मेरी निंदा करके मुझे मेरे मार्ग से विमुख कर सके। अतः आप निश्चिन्त रहे।
अपने भाई दिवस के लिए एक कविता जो मैंने उनके जन्म-दिन पर उन्हें समर्पित की थी , उसे पुनः लिख रही हूँ आज यहाँ पर अपने भाई दिवस कि शान में जो Blog जगत का "कोहिनूर" हीरा है और भारत माता का अनमोल रतन।
मैं भाई तुम्हारा गर्वीला , तुम बहन हो मेरी लाखों में
उर में रहो औ मन में रहो, तुम सदा रहोगी आँखों में।
भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही जाती, आती रहना।
Zeal
अनवर जमाल और अयाज़ अहमद की श्रृंखला में अब एक नया नाम जुड़ गया है महिला ब्लॉगर "शिल्पा-मेहता" का जिनमें देश-भक्ति कूट-कूट कर भरी हुयी है। संकृति और सभ्यता की रखवाली करती हैं। इनके अनुसार दिव्या श्रीवास्तव एक देश-द्रोही है , इसीलिए ये हर तिमासे दिव्या ( Zeal) के खिलाफ "आई ऑब्जेक्ट" का झंडा लिए खड़ी रहती हैं।
काश कोई इन्हें समझाता की दिव्या के साथ-साथ कुछ अन्य देशद्रोही भी हैं , जिनपर इन्हें अपनी पवित्र पावन लेखनी चलानी चाहिए। कुछ नाम इस प्रकार से हैं--
- अजमल कसाब
- अरूंधती राय
- गिलानी
- शाही इमाम बुखारी
- कपिल सिब्बल
- दिग्विजय
- सोनिया
- मायावती
- पकिस्तान और चाइना तो भारत पर गिद्ध दृष्टि रखे है।
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विदेशी महिला, UPA सरकार में बैठ देश-द्रोह कर रही है और देश का पैसा , स्विस बैंक में जमा कर काला धन एकत्र कर रही है । हमारे देश को लूट रही है, लेकिन शिल्पा मेहता को ये सब कहाँ दीखता है। उन्हें तो दिव्या से बड़ी देश-द्रोही कोई लगती ही नहीं। शर्म आनी चाहिए शिल्पा मेहता को।
इन्हें ये भी बुरा लगता है की दिव्या के भाई "दिवस" को अपनी बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं और वो हर जगह दिव्या के लड़ता है। उसके लिए दिवस पर इमोशनल अत्या चार भी कर रही है । इनका कहना है --" दिवस, मेरे पास तो दिव्या के जैसा कोई भाई भी नहीं है जो मेरे लिए लड़े। "------इनका दूसरा वाक्य है -- "दिवस, मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ, अतः बहन से पहले माँ की इज्ज़त करो " । शर्म आनी चाहिए इन्हें इस तरह से किसी का Emotional blackmail करते हुए।
इनके आलेख पर इनके बहुत से भाइयों ने आकर, इनका समर्थन किया , इनकी प्रशंसा की और दिवस तथा दिव्या को अपमानित किया। मेरे विचार से शिल्पा मेहता की आत्मा को बहुत शान्ति मिल गयी होगी, हम दोनों को अपमानित करके और अपने शुभ-चिंतकों से अपमानित कराके।
शिल्पा मेहता और अनवर जमाल जैसे ब्लॉगर्स के , इस प्रकार के अपमानित करने वाले ब्लॉग , मन को बहुत क्लेश पहुंचाते हैं। उनसे उम्मीद करती हूँ , आगे से वे विषय पर लिखेंगे , किसी को अपमानित नहीं करेंगे।
अपनी अल्प बुद्धि से समाज में जागरूकता लाने के लिए लिखती हूँ, लेकिन शिल्पा और अनवर जैसे लोग टिप्पणियों की लालच में , अच्छे कार्यों में व्यवधान उपस्थित करते रहते हैं।
दिवस गौर जी से मेरा विनम्र निवेदन है की वे कृपया मेरे लिए अब कहीं भी कुछ न लिखें , क्योंकि मेरे कारण उनका भी अनायास ही अपमान करते हैं लोग। जैसे आप मेरा अपमान नहीं सहन कर सकते , वैसे ही कोई भी आपका अपमान करता है तो मुझे बेहद दुःख होता है। यदि आपको अपनी बहन पर विश्वास है तो यकीन जानिये , किसी में इतना दम नहीं कि वो मेरी निंदा करके मुझे मेरे मार्ग से विमुख कर सके। अतः आप निश्चिन्त रहे।
अपने भाई दिवस के लिए एक कविता जो मैंने उनके जन्म-दिन पर उन्हें समर्पित की थी , उसे पुनः लिख रही हूँ आज यहाँ पर अपने भाई दिवस कि शान में जो Blog जगत का "कोहिनूर" हीरा है और भारत माता का अनमोल रतन।
इस काल्पनिक संवाद में भाई अपनी उदास बहन को हिम्मत दिला रहा है , कुछ इस प्रकार से..
इन चंचल नयनों में नीर भरे वो कौन है निष्ठुर पापी 'शय'
अवनत पलकों में छलक रहे , क्यूँ काँप रहे हैं आँसू द्वय।
क्यूँ गला तुम्हारा रूंध रहा , स्वर कम्पन में है किसका भय
हर दुःख को तेरे हर लूँगा, हर क्षण पर तेरी होगी जय।
इन चंचल नयनों में नीर भरे वो कौन है निष्ठुर पापी 'शय'
अवनत पलकों में छलक रहे , क्यूँ काँप रहे हैं आँसू द्वय।
क्यूँ गला तुम्हारा रूंध रहा , स्वर कम्पन में है किसका भय
हर दुःख को तेरे हर लूँगा, हर क्षण पर तेरी होगी जय।
बहन मेरी उदास न हो , यश सदा तुम्हारा अमर रहे
हर मुश्किल में तुम बढ़ी चलो, चाहे कितनी भी समर रहे
मैं जान लड़ा दूंगा अपनी, यूँ अटल तुम्हारी आस रहे।
हर बहना का अपने भैया में, मधुर बना विश्वास रहे।
हर मुश्किल में तुम बढ़ी चलो, चाहे कितनी भी समर रहे
मैं जान लड़ा दूंगा अपनी, यूँ अटल तुम्हारी आस रहे।
हर बहना का अपने भैया में, मधुर बना विश्वास रहे।
जिस भवन में तुम हम पले-बढे,हैं वहां बहुत से फूल खिले
उस उपवन के रंगीं फूलों को , उर में रखकर हैं द्वार सिले।
है सदा तुम्हारा स्थान अलग, जिसमें न किसी को जगह मिले।
अधरों पे तेरे मुस्कान सजे, हर 'लोक' में तुझको मान मिले
उस उपवन के रंगीं फूलों को , उर में रखकर हैं द्वार सिले।
है सदा तुम्हारा स्थान अलग, जिसमें न किसी को जगह मिले।
अधरों पे तेरे मुस्कान सजे, हर 'लोक' में तुझको मान मिले
मैं भाई तुम्हारा गर्वीला , तुम बहन हो मेरी लाखों में
उर में रहो औ मन में रहो, तुम सदा रहोगी आँखों में।
भैया भैया कह-कह कर ही यूं , तुम मुझे सदा सताती रहना
बहना मेरी मैं पुलकित हूँ , तुम यूँ ही जाती, आती रहना।
Zeal