देश-विदेश, हर जगह और हर धर्म में भाई-बहन ( first or second cousins) में विवाह होने की बात कही है। जो चिकित्सा की दृष्टि से अति घातक है। विवाह में लड़का-लड़की जितने दूरस्थ होंगे , उतना ही बेहतर होगा उनकी आने वाली संतति के लिए।
अंतर-जातीय विवाह, हमेशा बेहतर विकल्प होते हैं। इससे अनेक अनुवांशिक रोगों के होने का ख़तरा समाप्त हो जाता है। तथा सामाजिक कलंक से भी बचा जा सकता है।
इस्लाम में ऐसे विवाह ज्यादा प्रचलन में हैं , जो अनेक प्रकार के गंभीर परिणाम दे रहे हैं । हिन्दू एवं अन्य धर्मों की कुछ जातियों में तथा दक्षिण भारत में इस प्रथा को प्रचलन में देखा है ।
भाई-बहन ( first cousins) के मध्य विवाह के दुष्परिणाम-
अंतर-जातीय विवाह, हमेशा बेहतर विकल्प होते हैं। इससे अनेक अनुवांशिक रोगों के होने का ख़तरा समाप्त हो जाता है। तथा सामाजिक कलंक से भी बचा जा सकता है।
इस्लाम में ऐसे विवाह ज्यादा प्रचलन में हैं , जो अनेक प्रकार के गंभीर परिणाम दे रहे हैं । हिन्दू एवं अन्य धर्मों की कुछ जातियों में तथा दक्षिण भारत में इस प्रथा को प्रचलन में देखा है ।
भाई-बहन ( first cousins) के मध्य विवाह के दुष्परिणाम-
- अनुवांशिक रोगों को बढ़ावा मिलता है। जो गुणसूत्र रेसेसिव हैं , वे भी रोगकारक हो जाते है इस प्रकार के विवाह में।
- ह्रदय सम्बन्धी अनेक रोग हो जाते हैं।
- संतानोत्पत्ति में अनेक बाधाएं आती हैं।
- जन्म होते ही शिशु की मृत्यु
- संतानहीनता।
- गर्भ न ठहरना
- बार-बार गर्भपात हो जाना
- संतान का अनेक शारीरिक एवं मानसिक विकृतियों से ग्रस्त होना आदि।
चिकित्सा की दृष्टि से इस प्रकार के विवाह का निषेध होना चाहिए। बहुत से देशों में यह लीगल नहीं हैं। हिन्दू धर्म में भी समान गोत्र में विवाह निषिद्ध है। इसे sexual crime (incest) की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा विवाह, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करता है और अनेक अनुवांशिक रोगों को जन्म देता है।
संतानोत्पत्ति के लिए यह विवाह उतना ही घातक है , जितना की चालीस वर्ष से अधिक उम्र की स्त्रियों का माँ बनना। अतः ऐसा करने से पूर्व अनेक बार विचार कर लें।
Zeal
12 comments:
समाजोपयोगी बहुत अच्छी जानकारी।
चिकित्साशास्त्र की दृष्टि से भाई-बहन का विवाह अनुचित तो है ही, नैतिकता की दृष्टि से भी त्याज्य है, निंदनीय है ।
ऐसे विवाह से उत्पन्न संतति में इंसानियत कम होती है।
अरे वाह!
अब तो कमेंट का विकल्प भी मौजूद है!
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आपकी बात सही है!
दिव्या जी आप सही कह रही हैं मेरी आधी लाइफ साउथ में बीती है बहुत अजीब और बुरा लगता था जब वहां के विवाह परम्पराओं की बात होती थी मुझे याद है मेरी ही वहां की एक दोस्त ने अंतरजातीय विवाह किया था तो उसकी कितनी सामाजिक अवहेल्नाएं हुई थी वहां मैंने इस बात को कितनी महिलाओं को समझाया |अब वहां भी पढ़े लिखे लोगों में धीरे धीरे जागरूकता आ रही है आज के युवा इस और अपना कदम बढ़ा रहे हैं परन्तु ग्रामीणों में अनपढ़ जमात में बहुत वक़्त लगेगा और मुस्लिम समाज में कुछ बदलाव आ रहा है या नहीं कह नहीं सकती क्यूंकि इन पर इनके समाज का बहुत दबाव और प्रभाव रहता है |
कमेन्ट बॉक्स को खोलने के लिए धन्यवाद!
हमारे बड़े-बुजुर्ग भी यही कहते आये है कि शादी के लिए जितना हो सके दूर से ही रिश्ता लेना चाहिए....
बहुत जगह तो माँ,दादी तक का गोत्र तक तो अलग कर रख कर शादी करते है!
कुँवर जी,
acchi jankari.....
http://jadibutishop.blogspot.com
very scientific and value based post,mind blowing .
विवाह के लिए अलग गोत्र ही,हमेशा बेहतर विकल्प होते हैं।
कमेंट्स बॉक्स खोलने के लिए,...आभार
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
antarjatiya vivah ko samarthan milna chahiye...samajik ekta ki dirshti se bhi ye upyogi hai...sarthak post
This system shall also help to expand relationship/brotherhood in farther/larger area,rather than confining the relationship within lower range.
बिलकुल उचित जानकारी दी है आपने। पहले के समय तो एक गाँव में भी शादियाँ नहीं होती थीं। विवाह संबंधों के लिए लड़का-लड़की का दूर-डोर तक कोई नाता न हो तो यह सर्वोत्तम विकल्प है।
डॉ. कलाम सच में सबसे उचित व्यक्ति हैं इस पद के लिए। देश के सर्वोच्च पद पर बैठने का अधिकारी कोई पढ़ा लिखा बुद्धिजीवी देशभक्त होना परम आवश्यक है। डॉ. कलाम ने ही संविधान के हिसाब से सोनिया को प्रधानमन्त्री नहीं बनने दिया जिसका दंड उन्हें फिर से नामांकित न करके दिया गया और प्रतिभा पाटिल नामक दूसरी कठपुतली को बिठा दिया गया। यह सही है कि मुस्लिम चेहरे के नाम पर उन्हें मुखौटा नहीं बनाना चाहिए। किन्तु जो भी हो रहा है, ठीक ही है। इस बहाने एक कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार राष्ट्रपति तो मिलेगा।
जानकारी देने का बहुत २ शुक्रिया |
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