Sunday, January 30, 2011

एक मुलाक़ात - बुढापे के साथ

उम्र बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों में बहुत से शारीरिक , मानसिक और क्रियात्मक बदलाव होने लगते हैं तथा शारीरिक क्रियाएं धीमी पड़ने लगती हैंकोशिकाओं का क्षय होने लगता है तथा रोगग्रस्त कोशिकाएं बनने लगती हैंसंरचनात्मक बदलाव होने के कारण कुछ अंग सिकुड़ने लगते हैं तो कहीं prostate जैसे अंग बढ़ने लगते हैंआर्थिक रूप से अशक्त तथा अनियमित भोजन की आदत वालों में भी बुढ़ापे का असर शीघ्र दिखने लगता है

बुढापे की अवस्था में -
  • पेट से स्रावित होने वाले जूसों का स्राव कम हो जाता है तथा आंत्र की गति धीमी हो जाती है
  • वृक्कों ( किडनी ) की क्रियाशीलता धीमी हो जाती है
  • होरमोंस द्वारा संचालित होने वाली क्रियाएं कम हो जाती हैं
  • आँखों की रौशनी कम होने लगती है तथा Cataract (मोतियाबिंद) और Glaucoma जैसी बीमारियाँ होने की संभावना ज्यादा होती हैं
  • व्यक्ति की श्रवण क्षमता कम होने लगती तथा जबान का स्वाद बदल जाता है
  • त्वचा रूखी हो जाती है तथा उस पर झाईं या धब्बे आने लगते हैं
  • चेहरे पर हलके रोयें आने लगते हैं
  • स्वस्थ कोशिकाओं के निरंतर क्षय होने के कारण arthritis , pneumonia , कैंसर , मोटापा आदि रोग हो जाते हैं तथा शारीर में पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है

  • उच्च रक्तचाप - बढती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप ( high BP ) होना एक बड़ी समस्या हैयदि ६० वर्ष केऊपर के व्यक्ति में रक्तचाप १६०/९० से ऊपर हो तो उसे 'hypertension' का मरीज समझियेइसके लक्षण हैं - सरदर्द, जी मितलाना , चक्कर आना , सांस फूलना , पैरों में सूजन , छाती में दर्द होना आदि
    -
  • मोटापा- दुबला होना कोई समस्या नहीं है , लेकिन मोटापा बहुत से रोगों कों निमंत्रण देता हैजैसे - arthritis , उच्च रक्त चाप , मधुमेह ( Diabetes mellitus ) , high cholestrol, पथरी , fungal infectionआदिस्त्रियों की तुलना में , पुरुषों में मोटापा ज्यादा खतरनाक होता है
  • मधुमेह ( Diabetes mellitus )- काम-काज करना , मोटापा, मानसिक तनाव तथा steroids आदि दवाओं के सेवन से मधुमेह होने का ख़तरा रहता हैजिसके कारण कभी कभी अन्धता, किडनी बेकार हो जाना , heart attack , पक्षाघात आदि होने का ख़तरा रहता है
  • Heart attack - यदि ह्रदय कों रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है या फिर रुधिर वाहिकाओं में रक्त के थक्कों के कारण अवरोध होने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती हैइसके लक्षण हैं - छाती में तीव्र वेदना होना जो बायीं भुजा तथा कन्धों की तरफ बढती है , बहुत पसीना होना तथा वमन होना
  • पक्षाघात ( paralysis)- कभी कभी रुधिर वाहिनियों से रक्त बहने , थक्का होने अथवा किसी प्रकार का अवरोध होने की स्थिति में मस्तिष्क कों रक्त कम पहुंचता हैऐसी स्थिति में पक्षाघात होता है तथा शरीर का एक हिस्सा कार्य करना बंद कर देता है
  • पेप्टिक अल्सर - वृद्धावस्था में आँतों का mucosal resistance कम हो जाने के कारण तथा एसिडिटी बढ़ने के कारण , पेप्टिक अल्सर होने का खतरा होता है , जिसके कारण तीव्र पेट दर्द तथा रक्त-वमन होने की शिकायत हो जाती है
  • कब्ज़ ( constipation )- व्यायाम करने से , भोजन में फाइबर की कमी से तरल पदार्थों के कम सेवन से कब्ज़ हो जाता है जो आगे चलकर piles नामक रोग पैदा करता है
  • इस उम्र में arthritis, हर्निया , piles , gall bladder stones , प्रोस्टेट का बढ़ जाना ( पुरुषों में ), गर्भाशय में ट्यूमर , osteoporosis , fracture , मूत्र सम्बन्धी विकार आदि , आम समस्याएं हैं
सामान्य चिकित्सा -
  • तरल पदार्थों का खूब सेवन करें
  • भोजन में फाइबर वाले तत्वों कों शामिल करें
  • दिन में कम से कम एक फल और एक गिलास दूध लें
  • नियमित व्यायाम करें ( इससे cholestrol नहीं होगा, रक्त चाप सही रहेगा, शुगर नहीं बढ़ेगी , कब्ज़ नहीं होगा तथा अच्छी नींद आएगी ,
  • सुबह शाम ४० से ६० मिनट तक यथा शक्ति तेज़ चाल से चलें
  • कैल्शियम का उचित सेवन करें
  • नियमित आँख और ENT जांच काराएं ताकि Cataract , Glaucoma तथा impaired hearing से बचा जा सके
  • वर्ष में एक बार पूरी जांच अवश्य करायेंइससे early diagnosis बनती है तथा रोगों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है
कुछ ध्यान देने योग्य बातें -
  • बुजुर्गों के रोग एवं चिकित्सा कों एक अलग शाखा geriatrics में डील करते हैं क्यूंकि इनके रोग , निदान , चिकित्सा तथा सामाजिक समस्याएं थोड़ी भिन्न होती हैं
  • बुजुर्गों का psychological attitude अक्सर चिकित्सक कों सही निदान करने में अवरोध डालता है
  • वे अपनी परेशानियों कों छुपाने का प्रयास करते हैं , जिसके कारण वे स्वयं कों और भी ज्यादा कष्ट देते हैंतथा early diagnosis बनने में देर हो जाती है
  • कभी कभी ऊंचा सुनने की स्थिति में या अवसाद की स्थिति में बुज़ुर्ग ठीक से संवाद नहीं कर पातेऐसी स्थिति में चिकित्सक का व्यवहारिक अनुभव काम आता है
  • बुजुर्गों में दवाओं का side effect ज्यादा होता है , इसलिए बुज़ुर्ग लोग कृपया चिकित्सक की सलाह पर ही दवाएं लें , क्यूंकि side effect , मर्ज से भी ज्यादा घातक हो सकते हैं
  • उचित पौष्टिक भोजन अच्छे स्वास्थ के लिए सबसे जरूरी है

Thursday, January 27, 2011

' उत्सव ' नामक युवक -- एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

'उत्सव' एक बेहद ज़हीन और गोल्ड-मेडलिस्ट युवक हैपिता BHU में mechanical engineering के अध्यापक हैं तथा माता ' मनोविज्ञान' विषय की अध्यापिका हैं

इस युवक ने रुचिका काण्ड के अपराधी - " राठोड " तथा अरुशी काण्ड के अपराधी ' डॉ तलवार ' पर कातिलाना हमला कर स्वयं ही सजा दे दीदोनों आरोपियों कों न्याय प्रक्रिया की मंथर गति के चलते सजा नहीं हुई और मासूम बच्चियों कों न्याय नहीं मिला

प्रश्न यह है की एक सभ्रांत परिवार के युवक उत्सव ने ऐसा कदम क्यूँ उठाया ?

  • उत्सव एक भावुक और संवेदनशील ह्रदय वाला युवक हैजिसने उन अनजान बच्चियों का दुःख महसूस किया जो असमय ही हिंसक पुरुषों की लालच और हिंसा का शिकार हुईं
  • उत्सव ने victims के परिवार वालों की असहायता कों महसूस कियाजिन्होंने इतने वर्ष दुःख और तिरस्कार झेले , उनका दर्द समझा
  • अपराधी समाज में निरंकुश घूम रहे हैं और कानून व्यवस्था लाचार है , इस लाचारगी कों महसूस किया
  • दोषियों कों सजा मिलनी ही चाहिए , ये सभी कहते हैं , लेकिन उसने उन्हें सजा दी ।
  • उत्सव कों अपने किये का कोई पछतावा नहीं है , क्यूंकि वो जानता है की उसने सज़ा गुनाहगारों कों दी है और ये गुनाहगार कानून से बड़ी सफाई से बच निकलेंगे
  • उसे अपना अंजाम का कोई खौफ नहीं है , क्यूँ इस घृणित समाज में रहने की उसकी इच्छा समाप्त हो चुकी है
  • मई सन २००८ में , IBM बैंक के २६ वर्षीय एक युवक ने आत्महत्या कर ली थीअपने suicide note मेंउसने लिखा था - " मैंने ये दुनिया पूरी देख ली हैनया कुछ बचा नहीं है , इसलिए मरने के बाद आगे की दुनिया देखना चाहता हूँ " । आज नयी पीढ़ी , मानसिक रूप से बहुत सक्षम है , बहुत आगे तक सोच लेती है विज्ञान ने प्रकृति कों और रहस्यों कों काफी हद तक खोल दिया हैये रहस्योद्घाटन जीने की इच्छा कों भी समाप्त कर रहे हैंप्राकृतिक संतुलन ख़तम हो रहा है
  • उत्सव जैसे ज़हीन युवकों की आँखों में 'सपने' नहीं बल्कि सीने में आग है
  • आज उसे भी मानसिक रोगी कहकर , न्याय प्रक्रिया की शिथिलता द्वारा बचा लिया जाएगा
भारत में कोई नहीं सजा पाताचाहे वो आतंकवादी कसाब हो , राठोड हो , डॉ तलवार हो अथवा उत्सव होसब बच जायेंगे


युवकों से अपील -
  • अपने सपनों कों मरने मत दीजियेआपके सपने ही आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं और आपकी हिफाज़त करते हैं
  • अपनी जिंदगी में संतुलन बनाए रखिये । अपने अन्दर की आग से खुद कों बचा कर रखिये । इस आग का सकारात्मक उपयोग कीजिये।
  • आस - पास हो रही घटनाओं से विचलित होकर ऐसे भयानक कदम मत उठाइये , जो आपके सुन्दर जीवन कों बर्बाद कर देये जीवन अनमोल है , इसकी कद्र कीजिये
  • समाज की कार्य प्रणाली से असंतोष है और मन में आक्रोश है तो सकारात्मक तरीके से अपना योगदान कीजियेसमाज में सुधार लाने के बहुत से विकल्प हैंहिंसा का मार्ग उचित नहीं है
  • आपका जीवन अनमोल है , इसलिए कोई भी ऐसा कदम मत उठाइये जिससे आपको नुक्सान पहुंचे ।
  • हर निर्णय लेने के पूर्व बहुत बार सोचिये
अभिभावकों से अपील -
  • अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारिये
  • आपका जितना ज्यादा प्यार आपके बच्चों कों मिलेगा , वे उतना ही मज़बूत बनेंगे और आस पास घटित विसंगतियों कों झेलने की ताक़त पायेंगे
  • उनके साथ हर उम्र में भरपूर interact कीजियेउनके भावुक , बाल-मन में आने वाले हर प्रश्न कों जानिये और यथा शक्ति उनकी जिज्ञासाओं और उलझनों कों शांत कीजिये
  • ध्यान रहे - " जो बीज बोयेंगे आज , वही काटेंगे कल "
  • अपनी संतान कों अवसाद ग्रस्त होने से बचाएं ।

Tuesday, January 25, 2011

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा ..



महाकवि कालिदास के शब्दों में , " स्वर्ग से भी सुन्दर यदि कोई जगह है तो वो कश्मीर है " सुन्दर झीलों , झरनों और वादियों की अनुपम भूमि काश्मीर , सुख , शान्ति एवं आनंद को देने वाली है पृथ्वी पर सबसे खूबसूरत स्थल आज दो देशों के मध्य विवाद की हड्डी बना , सिसक रहा है
भारत और पाकिस्तान के मध्य राजनीति का खिलौना बन गया है कश्मीर भारत धर्म निरपेक्षता का पालन करते हुए काश्मीर की हिफाज़त कर रहा है , वहीँ पाकिस्तान धर्म के नाम पर कश्मीर पर अधिकार चाहता है । मुस्लिम-बहुल राज्य काश्मीर में , खून की होली खेलते आतंकवादियों के उत्पीडन से बचने के लिए , तकरीबन तीन लाख हिन्दू वहां से पलायन कर गए तथा एक लाख शांतिप्रिय , बुद्धिजीवी तथा उद्दार व्यक्तित्व वाले मुसलमान भी काश्मीर छोड़कर भारत के अन्य राज्यों में बस गए ।
१९४७ की आज़ादी के बाद से ही यह २२२, २४६ वर्ग किलोमीटर भूमि विवादित हैदक्षिण पूर्वी हिस्सा भारत का जम्मू-काश्मीर राज्य है जबकि उतर पश्चिमी भाग पकिस्तान के अधिकार में है

काश्मीर का नाम कैसे पडा -

प्राचीन ग्रंथों में मिले उल्लेख के अनुसार ऋषि कश्यप के नाम पर इसका नाम 'कश्यपामार' था जो बाद में 'कश्मीर' हो गया। सातवीं शताब्दी में Hiun-Tsang जब भारत आया तो उसने इसे 'काशिमिलो ' कहा।

कश्मीर की इस स्वर्गरुपी साझा ऋषि भूमि पर हिन्दू , मुस्लिम सदियों से साथ-साथ मिलकर रहते थे । कश्मीरी हिन्दुओं की ऋषि परंपरा तथा मुस्लिमों की सूफी-इस्लामिक परम्परा एक दुसरे की पूरक हुआ करती थी। दोनों ही समुदाय एक दुसरे के धर्म को पूरा सम्मान देते थे , तथा एक दुसरे के मंदिर और मस्जिदों में पूरी आस्था और विश्वास के जाया करते थे।

प्रसिद्द इतिहासकार कलहन के अनुसार , तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने काश्मीर में 'बौद्ध' धर्म का प्रचार प्रासार किया तथा नवीं शताब्दी होने तक काश्मीर में पूरी तरह से हिन्दू धर्म का वर्चस्व था।

चौदहवीं शताब्दी तक हिन्दू राजाओं का राज्य था यहाँ । फिर मुगलों के आगमन होने कारण १५ वीं शताब्दी मेंअनेक हिन्दू-तीर्थ नष्ट कर दिए गए और इस्लाम का प्रचार प्रसार होने लगा। १७ वीं शदाब्दी में अफगान शासकों ने काश्मीर की दुर्दशा कर दी। मुग़ल शासन काल का अंत हुआ ५०० वर्षों बाद जब सिक्खों द्वारा १८१९ में काश्मीरका राज्य हरण हुआ ।

१८४६ में प्रथम सिक्ख युद्ध के बाद यहाँ हिन्दू डोगरा शासकों का अधिपत्य हो गया। जिसमे महाराजा गुलाब सिंहका शासन काल १८४६ से १८५७, महाराजा रणबीर सिंह का १८५७ से १८८५ , महाराजा प्रताप सिंह १८८५ से १९२५तक तथा महाराजा हरी सिंह का शासन काल १९२५ से १९५० तक था। डोगरा शासकों ने ही काश्मीर को उसका आधुनिक स्वरुप प्रदान किया।

१९४७ में अंग्रेजी शासन समात होते ही काश्मीर विवादित हो गया। विभाजन के बाद भारत ने धर्म निरपेक्ष होनेके कारण हिन्दू और मुसलामानों दोनों को शरण दी , जबकि पाकिस्तान ने धर्म के नाम प़र पूरे काश्मीर कों हथियाना चाहा । अक्टूबर १९४७ में वहां के शासक महाराजा हरी सिंह ने ये फैसला किया की काश्मीर की जनता स्वेच्छा से भारत अथवा पाकिस्तान , जहाँ जाना चाहे वहां जा सकती है। लेकिन ये फैसला पाकिस्तान को मंजूर नहीं हुआ और उसने काश्मीर पर आक्रमण कर दिया दिया क्यूंकि पाकिस्तान को लगता है की भारत के मुस्लिम -बहुल क्षेत्र उसके अधिकार में होने चाहिए। इस स्थिति में महाराजा हरि सिंह को भी भारत में ही शरण लेनी पड़ी।

यह युद्ध १९४८ तक जारी रहा , फिर प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी तथा संयुक्तराष्ट्र से हस्तक्षेप की गुहार की । संयुक्त राष्ट्र ने अपने फैसले तथा सुझाव में कहा की - " काश्मीर का परिग्रहण भारत या पकिस्तान में होने के लिए निष्पक्ष जनमत-संग्रह होना चाहिए। " अर्थात काश्मीर वासियों की स्वेच्छा को प्रमुखता मिलनी चाहिए। लेकिन पाकिस्तान को भला कहाँ मजूर था ये निर्णय। उसे तो पूरा काश्मीर चाहिए। १९४९ में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों के मध्य एक नियंत्रण रेखा खींच दी गयी।

लेकिन पाकिस्तान शांत बैठने वालों में से नहीं है । वो समय-समय पर अपनी आतंकवादी गतिविधियों से काश्मीरकी शान्ति को भंग करता है , स्वर्ग के सामान सुन्दर धरती को मासूम इंसानों के खून से रक्तरंजित करता है तथा नयी पढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

ये तो था काश्मीर का इतिहास , लेकिन आज जब बासठवां गणतंत्र मनाने जा रहे हैं तो बस यही ख़याल आ रहा है की कसाब जैसा आतंकवादी ज़िंदा क्यूँ है । हमारे काश्मीर के भाई-बहन कब सुकून की जिंदगी बसर कर पायेंगे ।अलगाववादी नेता क्यूँ इस सुन्दर धरती को अपनी गन्दी राजनीति का हिस्सा बना रहे हैं। इस्लामिक मुल्क क्यूँ हमारे शांतिप्रिय मुस्लिम समुदाय को भड़का रहे हैं ।

आज अपने ही देश में , काश्मीर राज्य में हमारा राष्ट्रिय ध्वज जलाया जा रहा है। अलगाववादी नेता देश को बेचने की पुरजोर कोशिश में हैं। लेकिन सरकार को इन सब बातों से कोई सरोकार नहीं है। क्या काश्मीर वासी गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करने की तमन्ना नहीं रखते ? क्या उग्रवादी , इस सुन्दर वादी के शांतिप्रिय भारत वासियों को गणतंत्र दिवस पर अपने राष्ट्रीय ध्वज को फ़हराने का अवसर नहीं देंगे ?

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ये तिरंगा , उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा
जो भी टकराएगा हमसे , ख़ाक में मिल जाएगा

खून की लाली जवानों की बड़ा रंग लाई है
दुश्मनों ने चोट दिल में , मातमो की खाई है
आग बनके उनपे बरसी , है हमारी गोलियां
जो किया उसकी सजा , उन दुश्मनों ने पाई है
हिंद की धरती पे दुश्मन , लौट कर ना आएगा
ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा

दुश्मन बिखर गए तिनके बनके , आँधियों के सामने
धज्जियाँ ऐसी उड़ीं , आया ना कोई थामने
उनकी लाशों को भी हमने, दफ़न इज्ज़त से किया
हमने एक मिसाल रखी , है जहाँ के सामने
अब वो दुश्मन , दुनिया से , आँखें मिला ना पायेगा
ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा

जो वतन पर मर मिटे , हर दिल में उनका दर्द है
उनके घरवालों की रक्षा करना ,अपना फ़र्ज़ है
उनकी कुर्बानी भुला सकता नहीं ,अपना वतन ,
देश के हर नागरिक के सर पर ,उनका क़र्ज़ है
देश अपना उम्र भर ये क़र्ज़ भर ना पायेगा ,
ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा

हम बनायेंगे शहीदों के समारक , हर जगह
हमने उनसे पायी है जीने की अपनी ये वजह
वक़्त के माथे पे लिख देंगे हम उनके नाम को
याद रखेगा ये भारत , उन शहीदों को सदा
कश्मीर का ज़र्रा ज़र्रा , उनके नगमे गायेगा
जो भी टकराएगा हमसे ख़ाक में मिल जाएगा

ये तिरंगा उम्र भर कश्मीर पर लहराएगा.....

वन्देमातरम ! वन्देमातरम ! वन्देमातरम !

Sunday, January 23, 2011

महिलाओं का कोटा -- फलों का

हर घर का संचालन गृहलक्ष्मी करती हैघर के हर सदस्य की ज़रुरत का पूरा-पूरा ख़याल रखती हैखरीददारी करते समय पति और बच्चों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाता हैमहिलाओं के दिमाग में पूरा चार्ट होता है हर आइटम कासब्जी और फल खरीदते समय , क्या घर पर नहीं है , क्या लाना है , क्या परिवर्तन करना है , पति को क्या पसंद है आदि का पूरा ध्यान रखा जाता हैलेकिन फलों के कोटे में स्त्रियाँ अपने नाम कुछ नहीं करतीं

सुबह पति और बच्चों का लंच पैक करते समय एक कर्तव्यनिष्ठ पत्नी और माँ फल रखना नहीं भूलती

लेकिन अफ़सोस की बात तो यह है की ज्यादातर स्त्रियों के फलों के कोटे में उनके नाम का एक भी सेव नहीं होताआखिर क्यूँ ? क्या महिलाओं को लगता है की वो सुपर महिला है और उन्हें पौष्टिक तत्वों की जरूरत नहीं है ? या फिर स्त्रियाँ अपने को परिवार में सबसे हीन समझती हैं जो नियम से फलों का सेवन नहीं करतीं ? फलों की खरीददारी और उसका आबंटन और नियंत्रण गृहलक्ष्मी के हाथों में होते हुए भी ये स्त्रियाँ फल खाने से इतना परहेज़ क्यूँ करती हैंकभी आप भी अपनी पसंद का फल अपने लिए खरीदा कीजिये

महिलाओं को भी फलों की उतनी ही आवश्यकता है , जितना पुरुषों और बच्चों कीइश्वर के दिए हुए शरीर को मंदिर समझकर उसकी हिफाज़त कीजियेजब आप स्वस्थ्य रहेंगी तभी आप अपने परिवार का ख़याल रख सकेंगीपति और बच्चों को फल सर्व करते समय अपने स्वास्थ्य की अहमियत को भी समझिये और उनके साथ आप भी फल खाइए

घर के पुरुषों का ये नैतिक दायित्व होना चाहिए कि मुंह में पहला निवाला डालने के पहले और फल की पहली फांक खाने के पहले एक बार अपनी पत्नी और बूढी माँ से पूँछे कि क्या उन्होंने भी फल खाया या नहींआप व्यस्त हैं ये ठीक है , लेकिन इतनी भी क्या व्यस्ततता कि आपको , अपनों कि चिंता ही ना रहे

An apple a day , keeps a doctor away !

Health is wealth !

Friday, January 21, 2011

प्यार आपका -- आभार हमारा

किसी भी इमारत के बनने में बहुत सी ईंटें लगी होती हैंजिसमें से कुछ नीव में लगी होती हैं , जो कहीं से दिखती ही नहीं और उनको पहचान नहीं मिलतीब्लॉग जगत में मेरे इस छोटे से सफ़र में बहुत से लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है , जिसके लिए वक़्त रहते उनका आभार प्रकट करना चाहती हूँ

आनंद - इन्हें मैं जानती नहीं , लेकिन इनके निमंत्रण पर सर्व-प्रथम मैंने ' श्रीश ' जी का ब्लॉग ज्वाइन किया , जहाँ से मुझे हिंदी में बहुत कुछ पढने को मिला

अमरेन्द्र त्रिपाठी - मुझे हिंदी ब्लॉगजगत में लाने का पूरा श्रेय अमरेन्द्र को जाता हैइससे पहले मुझे हिंदी के इतने व्यापक स्वरुप का परिचय नहीं था

डॉ अरविन्द मिश्र - इनके ब्लॉग से मैंने टिप्पणियां लिखने की शुरुवात की , तथा धीरे-धीरे अन्य ब्लोग्स का सफ़र तय किया

अर्थ देसाई - इनकी विशेष आभारी हूँ , क्यूंकि इनका कहना है -- " Hindi blogging is total trash " । इन्होने जितना ज्यादा निरुत्साहित किया , मेरा मनोबल उतना ही बढ़ता गया, हिंदी में लिखने के लिए

डॉ अमर- इन्होने अपनी खट्टी-मीठी टिप्पणियों से मेरे लेखों पर रोचकता बनाए रखी सदा

राजेश उत्साही - इनकी ऊर्जा से भरपूर टिप्पणियों ने सदा डटे रहने की प्रेरणा दी

सतीश सक्सेना- इनका स्नेह एवं शुभकामनायें अनेकों बार मिलींसतीश जी की एक यादगार टिपण्णी जो मुझे हमेशा भावुक कर देती है यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ --

सतीश सक्सेना said...

इस विषय पर अपने अपने अपने रंग में बोलने वाले यहाँ बहुत हैं ...
यह एक बेटी ही है जो यह किस्मत लेकर आती है कि उसे अपने नाज़ुक मन को लेकर, दो घर, उसी प्यार के साथ सँभालने पड़ते हैं ! डॉ दिव्या श्रीवास्तव का यह रूप कम से कम मेरे लिए अभिनंदनीय है ! निस्संदेह तुम एक आदर्श प्रस्तुत कर रही हो ! तुम्हारे माता पिता धन्य है ...

जहाँ रहोगी वहीं खुशियाँ बिखेरोगी !
"सारा जीवन किया समर्पित
परमार्थ में नारी ही ने ,
विधि ने ऐसा धीरज लिखा
केवल भाग्य तुम्हारे में ही
उठो चुनौती लेकर बेटी , शक्तिमयी सी तुम्ही दिखोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी

द्रढ़ता हो सावित्री जैसी,
सहनशीलता हो सीता सी,
सरस्वती सी महिमा मंडित
कार्यसाधिनी अपने पति की
अन्नपूर्णा बनो, सदा ही घर की शोभा तुम्ही रहोगी !
पहल करोगी अगर नंदिनी घर की रानी तुम्ही रहोगी "



शोभना चौरे जी - शोभना जी एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी टिप्पणियों के बगैर मेरे सभी लेख अधूरे ही रहते हैंशोभना जी अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद सामाजिक , सार्थक विषयों पर लिखती हैं तथा मेरे लेखों के जटिल विषयों पर अपनी टिपण्णी द्वारा अपना अमूल्य योगदान देती हैंशोभना जी का मुझ पर कर्ज हैनहीं जानती कैसे उतारूंगी , लेकिन दुनिया की हर ख़ुशी शोभना जी को मिले यही मेरी हसरत है

निर्मला कपिला जी - निर्मला जी , चाहे जितनी भी व्यस्त हो जाएँ , समय निकालकर प्रोत्साहन और आशीर्वाद देना नहीं भूलतींउनका नेट से दूर रहना मुझे खलता है

प्रिया जी - प्रिया जी के बहुत सार्थक और analytical comments मिले हैं , जिसके लिए उनकी आभारी हूँ " आत्मा की उत्पत्ति " लेख पर इनकी महत्वपूर्ण टिपण्णी है ।

रश्मि प्रभा जी - रश्मि जी हमेशा नवोदित लेखक एवं लेखिकाओं को प्रोत्साहित करती हैंउन्होंने हमेशा आशीर्वाद स्वरुप अपने कमेंट्स दिए , जिनके लिए ह्रदय से उनकी आभारी हूँ

सदा जी - सदा जी के लिए दो शब्द--
" मेरा आपसे है पहले का नाता कोई , यूँ ही नहीं दिल लुभाता कोई। "

राज भाटिया जी - राज जी ने हमेशा अपनी सार्थक टिप्पणियों एवं सुझावों से मेरा मार्ग दर्शन कियाउन्होंने ब्लॉग-परिवार में मेरा ब्लॉग शामिल करके मुझे अपने परिवार का सदस्य मानाउनकी निष्पक्षता के लिए राज जी का आभार

हरीश प्रकाश गुप्त जी - समय समय पर अपनी ऊर्जावान , निष्पक्ष एवं सार्थक टिप्पणियों से अनुग्रहीत किया

गोपालकृष्ण विश्वानाथ जी - श्री विश्वानाथ जी , ब्लोगर नहीं हैं , फिर भी अपने व्यस्त समय में से अमूल्य समय निकालकर हमेशा मेरा मार्गदर्शन कियाब्लॉग पर हो रही अभद्रता को देखते हुए उन्होंने मुझे ' मोडरेशन' लगाने की सलाह दीGV Sir को मेरा आभार

महेंद्र वर्मा जी - बेहद वैज्ञानिक और तार्किक टिप्पणियों से मेरे लेखों की सार्थकता बढाई

बी एस पाबला जी - हमेशा तकनिकी जानकारी सम्बन्धी मदद की , लेकिन अभी भी पेंडिंग है कुछ ---मुझे लिंक वाली टिपण्णी देना सीखना है

चर्चाकारों का आभार - कुछ साथी ब्लोगर जिन्होंने मेरे लेखों को सराहा और समय समय पर चर्चा मंच पर मुझे स्थान दिया , उनका बहुत-बहुत आभार

शिवम् मिश्रा जी
मनोज जी
वंदना गुप्ता जी
संगीता स्वरुप जी
डॉ नूतन नीति
श्री रूपचन्द्र शास्त्री जी
राजकुमार ग्वालानी जी

ब्लॉग एग्रीगेटर्स का आभार-

इन्डली
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हिंदी चिट्ठे एवं पॉडकास्ट

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ब्लॉग परिवार



फौलोवर्स का आभार - मेरे ब्लॉग का फोलोवर बनकर जिन लोगों ने मेरा उत्साह वर्धन किया उन सभी का ह्रदय से आभार

मेरे दो भाई - ब्लॉग जगत का सबसे अनमोल तोहफा हैं मेरे दो भाईमेरी भूलों और गलतियों को नज़र अंदाज़ करके मुझपर हमेशा एक बड़े भाई जैसा स्नेह लुटाया, मेरी मुश्किलों में मेरा साथ दिया और हमेशा मेरा मार्ग दर्शन किया

भाई रुपेश [ डॉ रुपेश श्रीवास्तव ]
भाई प्रतुल [ प्रतुल वशिष्ठ]

मेरे दोनों भाइयों के लिए आभार शब्द बहुत छोटा है

मेरे सभी पाठकों एवं टिप्पणीकारों का आभार -

अजय कुमार झा जी , रविन्द्र प्रभात जी , डॉ अरुणा कपूर , पी भाकुनी जी , रोहित जी ( बिंदास) , भूषण जी , कुंवर कुसुमेश जी, ज्ञानचन्द्र मर्मज्ञजी , राजीव नचिकेता जी , अरविन्द जांगिड जी , पी एन सुब्रमण्यम जी , चैतन्य जी , सलिल जी , संजय भास्कर जी , अजित गुप्ता जी , वंदना महतो जी , दीपायन जी , केवल राम जी , दर्शन लाल जी , फिरदौस जी , मुनव्वर आपा जी , दीपक सैनी जी , सरिता जी , आशीष जी , शिखा वार्ष्णेय जी , निशांत मिश्र जी , प्रकाश गोविन्द जी , राधारमण जी , राजीव कुलश्रेष्ठ जी, डॉ महेश , डॉ दराल , अभिषेक जी , सुरेश चिपलूनकर जी , अविनाश वाचस्पति जी , रचना जी , अंशुमाला जी , अंतर सोहिल जी , अभियान भारतीय जी , गौरव जी , सुज्ञ जी , अमित शर्मा जी , भारतीय नागरिक जी, गोदियाल जी , मनोज कुमार जी , मनोज भारती जी , मनोज K , रश्मि रविजा जी , वाणी गीत जी , अली जी, गिरिजेश जी , राजन जी , समीर लाल जी , अनूप शुक्ल जी , गिरीश बिल्लोरे जी , कविता रावत जी , रचना रविन्द्र जी , संगीता पुरी जी , डॉ अनवर जमाल , किलर झपाटा जी , एस मासूम जी , स्मार्ट इन्डियन जी , इरफ़ाननुद्दीन जी , शाह नवाज़ जी , इस्लाम विनय जी , मंसूर अली जी , काफिर जी , निर्झर नीर जी , कैलाश शर्मा जी , सुनील बकलियाल जी , शेखर सुमन जी , मृत्युंजय त्रिपाठी जी , विजय माथुर जी , यशवंत माथुर जी , वीणा जी , गिरधारी खंकियाल जी , जयकृष्ण राय तुषार जी , उपेन्द्र जी , जितेन्द्र जौहर जी , मयंक जी , शिक्षामित्र जी , AS ( अमर जी ), sagebob जी , पं पि के वत्स जी , मृदुला प्रधान जी , प्रतिभा सक्सेना जी , आशा जी , साधना वैद्य जी , पूनम ( झरोखा जी ), आशा जी , आकांशा जी , अंजना जी , राहुल सिंह जी , पहलामाइल स्टोन जी , गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी , वीरेंद्र सिंह चौहान जी , सुरेन्द्र सिंह झंझट जी , प्रवीण पाण्डेय जी , प्रवीणशाह जी , प्रवीण त्रिवेदी जी , संजीत त्रिवेदी जी , सोमेश सक्सेना जी , डॉ श्याम गुप्ता जी , ज्योति प्रकाश जी , दिगंबर नाशवा जी , महेंद्र मिश्र जी , अभिषेक- जी , अजय डूबे जी , कौशलेन्द्र जी , विचार शून्य जी , दीप्ति जी , डॉ मोनिका , राजी जी , नीलम जी , STRANGER जी , Jagdish bali जी, अदिति चौहान जी , सुलभ एवं सतरंगी जी , मीनाक्षी पन्त जी , दिनेशचन्द्र द्विवेदी जी , संजय झा जी , रंजन जी , माधव जी , कोरल जी , इन्द्रनील जी , प्रिय पाखी, आशीष एवं आशीष मिश्रा जी , सतीश पंचम जी , मुक्ति जी , अरविन्द (क्रांतिदूत) जी , अरविन्द कुमार पाण्डेय जी ,उन्मुक्त जी , अंकुर जैन जी , PD जी, चंद्रमौलेश्वर जी , हिमांशु जी एवं हिमांशु मोहन जी , पद्मभूषण जी , मुकेश कुमार सिन्हा जी , पुरविया जी , उदय जी , श्याम जी , डॉ पवन मिश्र , दिलबाग विर्क जी , Creative manch ,साधना जी , अजय कुमार ( गठरी ) जी , दिनेश शर्मा , रचना दीक्षित जी , रविन्द्र रवि जी, अरुण चन्द्र राय ( सरोकार ) जी , patali-the-village , डॉ संजय दानी जी , Harman , अमृता तन्मय , रेखा श्रीवास्तव जी , खुशदीप सहगल जी , Man जी , दिवस दिनेश गौर जी , वंदना अवस्थी दुबे जी , शिवा जी , दानिश जी , संध्या गुप्ता जी , काजल कुमार जी , अशोक बजाज जी , अशोक मिश्र जी , अमित-निवेदिता जी , अनामिका जी , गोपाल मिश्रा जी , डॉ वर्षा सिंह , डॉ शरद, शशि जी , मोहम्मद हमजा जी , रचना बजाज जी , दीप जी , अमर जीत जी , शिखा कौशिक जी , इमरान अंसारी जी , गिरीश पंकज जी , सुमन जी , सुधीर जी , राजेन्द्र स्वर्णकार जी , राकेश कौशिक जी , विवेक रस्तोगी जी , दीर्घतमा, प्रमोद्पाल सिंह मेघवाल जी , विचार शून्य जी, महक जी , lies destroyer ji , ललित शर्मा जी , honesty project democracy, प्रेम सरोवर जी , जाकिर अली रजनीश जी , बबली जी , नीलेश माथुर जी , सतीश चन्द्र सत्यार्थी , डॉ हरदीप संधू , ehsaas ji , संजीव जी , रंजना जी , देवेन्द्र पाण्डेय जी , ....

यह लिस्ट बहुत लम्बी है और अभी जारी है बहुत से छूटे हुए नामों को जोड़ना है इसमें मेरे हिंदी और अंग्रेजी दोनों ब्लोग्स के पाठकों के नाम शामिल है

उपरोक्त नामों में से कुछ साथ छोड़ कर चले गए , कुछ साथ हैंफिर भी मैं यही कहूँगी -

कठिन है राह बहुत , थोड़ी दूर साथ चलो ....

आभार सहित ,
दिव्या