उम्र बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों में बहुत से शारीरिक , मानसिक और क्रियात्मक बदलाव होने लगते हैं तथा शारीरिक क्रियाएं धीमी पड़ने लगती हैं। कोशिकाओं का क्षय होने लगता है तथा रोगग्रस्त कोशिकाएं बनने लगती हैं। संरचनात्मक बदलाव होने के कारण कुछ अंग सिकुड़ने लगते हैं तो कहीं prostate जैसे अंग बढ़ने लगते हैं। आर्थिक रूप से अशक्त तथा अनियमित भोजन की आदत वालों में भी बुढ़ापे का असर शीघ्र दिखने लगता है।
बुढापे की अवस्था में -
बुढापे की अवस्था में -
- पेट से स्रावित होने वाले जूसों का स्राव कम हो जाता है तथा आंत्र की गति धीमी हो जाती है।
- वृक्कों ( किडनी ) की क्रियाशीलता धीमी हो जाती है।
- होरमोंस द्वारा संचालित होने वाली क्रियाएं कम हो जाती हैं
- आँखों की रौशनी कम होने लगती है तथा Cataract (मोतियाबिंद) और Glaucoma जैसी बीमारियाँ होने की संभावना ज्यादा होती हैं।
- व्यक्ति की श्रवण क्षमता कम होने लगती तथा जबान का स्वाद बदल जाता है।
- त्वचा रूखी हो जाती है तथा उस पर झाईं या धब्बे आने लगते हैं।
- चेहरे पर हलके रोयें आने लगते हैं।
- स्वस्थ कोशिकाओं के निरंतर क्षय होने के कारण arthritis , pneumonia , कैंसर , मोटापा आदि रोग हो जाते हैं तथा शारीर में पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है।
- उच्च रक्तचाप - बढती उम्र के साथ उच्च रक्तचाप ( high BP ) होना एक बड़ी समस्या है । यदि ६० वर्ष केऊपर के व्यक्ति में रक्तचाप १६०/९० से ऊपर हो तो उसे 'hypertension' का मरीज समझिये। इसके लक्षण हैं - सरदर्द, जी मितलाना , चक्कर आना , सांस फूलना , पैरों में सूजन , छाती में दर्द होना आदि।
- - मोटापा- दुबला होना कोई समस्या नहीं है , लेकिन मोटापा बहुत से रोगों कों निमंत्रण देता है । जैसे - arthritis , उच्च रक्त चाप , मधुमेह ( Diabetes mellitus ) , high cholestrol, पथरी , fungal infectionआदि । स्त्रियों की तुलना में , पुरुषों में मोटापा ज्यादा खतरनाक होता है।
- मधुमेह ( Diabetes mellitus )- काम-काज न करना , मोटापा, मानसिक तनाव तथा steroids आदि दवाओं के सेवन से मधुमेह होने का ख़तरा रहता है। जिसके कारण कभी कभी अन्धता, किडनी बेकार हो जाना , heart attack , पक्षाघात आदि होने का ख़तरा रहता है।
- Heart attack - यदि ह्रदय कों रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है या फिर रुधिर वाहिकाओं में रक्त के थक्कों के कारण अवरोध होने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसके लक्षण हैं - छाती में तीव्र वेदना होना जो बायीं भुजा तथा कन्धों की तरफ बढती है , बहुत पसीना होना तथा वमन होना।
- पक्षाघात ( paralysis)- कभी कभी रुधिर वाहिनियों से रक्त बहने , थक्का होने अथवा किसी प्रकार का अवरोध होने की स्थिति में मस्तिष्क कों रक्त कम पहुंचता है। ऐसी स्थिति में पक्षाघात होता है तथा शरीर का एक हिस्सा कार्य करना बंद कर देता है।
- पेप्टिक अल्सर - वृद्धावस्था में आँतों का mucosal resistance कम हो जाने के कारण तथा एसिडिटी बढ़ने के कारण , पेप्टिक अल्सर होने का खतरा होता है , जिसके कारण तीव्र पेट दर्द तथा रक्त-वमन होने की शिकायत हो जाती है।
- कब्ज़ ( constipation )- व्यायाम न करने से , भोजन में फाइबर की कमी से तरल पदार्थों के कम सेवन से कब्ज़ हो जाता है जो आगे चलकर piles नामक रोग पैदा करता है।
- इस उम्र में arthritis, हर्निया , piles , gall bladder stones , प्रोस्टेट का बढ़ जाना ( पुरुषों में ), गर्भाशय में ट्यूमर , osteoporosis , fracture , मूत्र सम्बन्धी विकार आदि , आम समस्याएं हैं ।
सामान्य चिकित्सा -
- तरल पदार्थों का खूब सेवन करें
- भोजन में फाइबर वाले तत्वों कों शामिल करें
- दिन में कम से कम एक फल और एक गिलास दूध लें।
- नियमित व्यायाम करें ( इससे cholestrol नहीं होगा, रक्त चाप सही रहेगा, शुगर नहीं बढ़ेगी , कब्ज़ नहीं होगा तथा अच्छी नींद आएगी ,
- सुबह शाम ४० से ६० मिनट तक यथा शक्ति तेज़ चाल से चलें।
- कैल्शियम का उचित सेवन करें।
- नियमित आँख और ENT जांच काराएं ताकि Cataract , Glaucoma तथा impaired hearing से बचा जा सके।
- वर्ष में एक बार पूरी जांच अवश्य करायें। इससे early diagnosis बनती है तथा रोगों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है।
कुछ ध्यान देने योग्य बातें -
- बुजुर्गों के रोग एवं चिकित्सा कों एक अलग शाखा geriatrics में डील करते हैं क्यूंकि इनके रोग , निदान , चिकित्सा तथा सामाजिक समस्याएं थोड़ी भिन्न होती हैं।
- बुजुर्गों का psychological attitude अक्सर चिकित्सक कों सही निदान करने में अवरोध डालता है ।
- वे अपनी परेशानियों कों छुपाने का प्रयास करते हैं , जिसके कारण वे स्वयं कों और भी ज्यादा कष्ट देते हैं। तथा early diagnosis बनने में देर हो जाती है।
- कभी कभी ऊंचा सुनने की स्थिति में या अवसाद की स्थिति में बुज़ुर्ग ठीक से संवाद नहीं कर पाते । ऐसी स्थिति में चिकित्सक का व्यवहारिक अनुभव काम आता है ।
- बुजुर्गों में दवाओं का side effect ज्यादा होता है , इसलिए बुज़ुर्ग लोग कृपया चिकित्सक की सलाह पर ही दवाएं लें , क्यूंकि side effect , मर्ज से भी ज्यादा घातक हो सकते हैं।
- उचित पौष्टिक भोजन अच्छे स्वास्थ के लिए सबसे जरूरी है।