ज़रा सी पब्लिसिटी मिलते ही व्यक्ति अपनी इमेज बनाने के फेर में पड़ जाता है। मुझे ख़ुशी है की अरविन्द केजरीवाल ने खरा-खरा बोलने की हिम्मत तो जुटाई। कांग्रेसियों को आईना दिखाने वालों की सख्त ज़रुरत है। अब दिग्गी प्रवचन झाड रहे हैं। कपिल और दिग्गी 'बयानबाजियों' को अपनी बपौती समझते हैं। अब पढ़े-लिखों की 'Tweets' का सामना करना पड़ेगा इन्हें। अकाट्य तर्क है केजरीवाल का। हैट्स ऑफ सर !