हमारी भावी पीढियां एक पूर्णतया बदली हुयी संस्कृति में पैदा होंगी। किसी भी संस्कृति को बरकरार रखने में "जन्म-दर' का सबसे बड़ा योगदान है। आज अमेरिका, फ़्रांस, कनाडा, जर्मनी , स्वीडन , बेल्जियम , नीदरलैंड आदि में यूरोपियन्स की औसत जन्म दर १.३ है जबकि मुस्लिम की जन्म-दर ८.१ है। इतनी तीव्रता से बढती मुस्लिम आबादी वहां की मौलिक सभ्यता को तेज़ी से समाप्त कर रही है ।
इस तरह तीव्रता से बढती आबादी द्वारा --
५० वर्षों में जर्मनी पूरी तरह मुस्लिम स्टेट हो जायेगा।
३९ वर्षों में फ्रांस में मुस्लिम गणतंत्र होगा।
१७ वर्षों में बेल्जियम की एक-तिहाई आबादी मुस्लिम होगी।
२०२५ तक अधिकाँश देशों की आधी सेना मुस्लिम होगी।
सन १९७० में अमेरिका में १००० मुस्लिम थे , जबकि २०१२ में ९,०००००० हो गए हैं ।
यूरोप में इस समय मुस्लिम आबादी ५२ मिलियन है , जो एक दशक में बढ़कर दोगुनी हो जायेगी।
इन आकड़ों को देखते हुए अनुमानतः २०५० तक अन्य सभी सभ्यताएं समाप्त हो जायेंगी और सिर्फ इस्लाम बचेगा।
और फिर स्वीडन वाला हाल होगा जहाँ मुस्लिम सभ्यता का प्रसार हो जाने के कारण क्राईम , बलात्कार, अनाचार और हिंसा का बोलबाला है। लोगों के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।
ये तो था पश्चिमी देशों का आंकड़ा और खतरा। भारतवासियों को समय रहते चेतना होगा। अपनी सभ्यता को बचाना होगा। देश में हो रहे मंदिरों के विनाश को रोकना होगा। अपने धर्म में आस्था रखनी होगी और निज में गर्व महसूस करने की ज़रुरत है।
आज हैदराबाद में "महालक्ष्मी मंदिर" में घंटे बजाये जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है , कल को हमारी सांस लेने पर भी प्रतिबन्ध लगवा देंगे ये लोग। क्या हम भयभीत हैं ? या फिर कायर? या फिर नपुंसक ? जो अपने मदिरों में आरती और घंटे भी नहीं बजा सकते ? हमारे घंटे इन्हें तकलीफ देते हैं और ..इनकी अजान ?
कबीरदास जी के शब्दों में --
काकर-पाथर जोरी के , मस्जिद दियो बनाए,
ता चढ़ी मुल्ला बांग दे, का बहरा हुआ खुदाय ?
हमें न ही ,
आतंकवादियों से खतरा है ,
न ही आत्मघाती बोम्बर्स से ,
ना ही गोलियों से और ना ही तोप से,
केवल ये बढती मुस्लिम आबादी , बिना कुछ किये ही हमें पूरी तरह से समाप्त कर देने के लिए काफी है। और इसे बढ़ावा दे रहे हैं धर्म-भीरु, प्रवचनकारी-पाखंडी और छद्म-सेकुलर जमात।
जय हिन्दू,
जय भारत,
वन्दे मातरम् !
जय श्री राम !
जय महाकाल !
Zeal !
इस तरह तीव्रता से बढती आबादी द्वारा --
५० वर्षों में जर्मनी पूरी तरह मुस्लिम स्टेट हो जायेगा।
३९ वर्षों में फ्रांस में मुस्लिम गणतंत्र होगा।
१७ वर्षों में बेल्जियम की एक-तिहाई आबादी मुस्लिम होगी।
२०२५ तक अधिकाँश देशों की आधी सेना मुस्लिम होगी।
सन १९७० में अमेरिका में १००० मुस्लिम थे , जबकि २०१२ में ९,०००००० हो गए हैं ।
यूरोप में इस समय मुस्लिम आबादी ५२ मिलियन है , जो एक दशक में बढ़कर दोगुनी हो जायेगी।
इन आकड़ों को देखते हुए अनुमानतः २०५० तक अन्य सभी सभ्यताएं समाप्त हो जायेंगी और सिर्फ इस्लाम बचेगा।
और फिर स्वीडन वाला हाल होगा जहाँ मुस्लिम सभ्यता का प्रसार हो जाने के कारण क्राईम , बलात्कार, अनाचार और हिंसा का बोलबाला है। लोगों के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।
ये तो था पश्चिमी देशों का आंकड़ा और खतरा। भारतवासियों को समय रहते चेतना होगा। अपनी सभ्यता को बचाना होगा। देश में हो रहे मंदिरों के विनाश को रोकना होगा। अपने धर्म में आस्था रखनी होगी और निज में गर्व महसूस करने की ज़रुरत है।
आज हैदराबाद में "महालक्ष्मी मंदिर" में घंटे बजाये जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है , कल को हमारी सांस लेने पर भी प्रतिबन्ध लगवा देंगे ये लोग। क्या हम भयभीत हैं ? या फिर कायर? या फिर नपुंसक ? जो अपने मदिरों में आरती और घंटे भी नहीं बजा सकते ? हमारे घंटे इन्हें तकलीफ देते हैं और ..इनकी अजान ?
कबीरदास जी के शब्दों में --
काकर-पाथर जोरी के , मस्जिद दियो बनाए,
ता चढ़ी मुल्ला बांग दे, का बहरा हुआ खुदाय ?
हमें न ही ,
आतंकवादियों से खतरा है ,
न ही आत्मघाती बोम्बर्स से ,
ना ही गोलियों से और ना ही तोप से,
केवल ये बढती मुस्लिम आबादी , बिना कुछ किये ही हमें पूरी तरह से समाप्त कर देने के लिए काफी है। और इसे बढ़ावा दे रहे हैं धर्म-भीरु, प्रवचनकारी-पाखंडी और छद्म-सेकुलर जमात।
जय हिन्दू,
जय भारत,
वन्दे मातरम् !
जय श्री राम !
जय महाकाल !
Zeal !
27 comments:
संवेदनशील विचारणीय प्रस्तुति, बहुत अच्छी लगी.,
welcome to my post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
kukurmutton ki tarah badh rahi hai inki aabadi kuch educated log f,planning follow kar rahe hain ve kyun nahi apni kaum me yeh prachaar karte samajhdari to isi me hai ki vo khud bhi sambhle doosron ko bhi sudhaaren sabse badi kamjor humari sarkar jiska fayda uthaya ja raha hai varna doosre mulkon me karke dikhayen itne bachche .
sanjay gandhi ne inko sudharna chaha jor jabardasti karni padi uska hashra kya hua sabko pata hai darpok sarkaar chup baith gai.
kaun sa dharm kahta hai ki bahut saare bachche paida karo aur unko bhikhari banao.
mere vichar se to agar hindu bhi ya kisi bhi dharm ka vyakti ek ya do se jyada bachche paida kare use sabhi adhikaron se vanchit kar do.sakhti karni padegi sarkaar ko.
और हिन्दू - एक दो पे अटक जाते है...
आपके उत्कृष्ठ लेखन का आभार ।
कोई दो राय नहीं, अक्षरत सहमत, और मैं भी एक लम्बे समय तक इस विरादरी का इसी लिए दुश्मन बना रहता हूँ कि मैं यह सच्चाई बार-बार बोलता हूँ ! कुछ स्वार्थी और कायर किस्म के तथाकथित सेक्युलर सोचते हैं कि हम कम्युनल भावनाए भड़का रहे है और यदि कल सारा विश्व ही मुस्लिम हो जाएगा तो अमन चैन आयेगा, मगर ये मूर्ख पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईराक,इरान इत्यादि नहीं देख रहे सोमालिया नहीं देख रहे जहा सिर्फ मुसलामानों का ही वर्चस्व है और किस तरह एक दुसरे को गाजर मूली की तरह काट रहे है, भले ही इसके लिए दोष अमेरिका को दे मगर सच्चाई यही है कि अमन नाम का शब्द इनकी कुंजी में है ही नहीं !
हो सकता है कि इस्लामिक आतंकवादी इसे पढ़कर बहुत खुश हों लेकिन आम मुसलमान को समझना होगा कि सब जगह मुसलिम अबादी हो जाने के बाद भी ये मुसलमान जानवरों से भी बदतर जिन्दगी जीने को बजबूर हों अगर विस्वास नहीं होता तो वंगलादेश पाकिस्तान,सीरिया,अफगानीस्तान, जैसे सदर्जनों मुसलिम बहुल देसों में मुसलमानों द्वारा मुसलमानों के बहाए जा रहे खून...
Didn't Allah have a Basic Education?
It just doesn't add up: Sura 4:11-12 and 4:176 state the Qur'anic inheritance law. When a man dies, and is leaving behind three daughters, his two parents and his wife, they will receive the respective shares of 2/3 for the 3 daughters together, 1/3 for the parents together [both according to verse 4:11] and 1/8 for the wife [4:12] which adds up to more than the available estate. A second example: A man leaves only his mother, his wife and two sisters, then they receive 1/3 [mother, 4:11], 1/4 [wife, 4:12] and 2/3 [the two sisters, 4:176], which again adds up to 15/12 of the available property.
http://www.youtube.com/watch?v=ZhoAwQoddFM
http://www.youtube.com/watch?v=xSCaF6qDIl8&feature=related
http://www.islamlies.com/
कटु सत्य... यह समस्या दुनिया के लिए समस्या बनता जा रहा है... हाल ही मे पाकिस्तान मे बनी फिल्म "बोल" देखी है जिसमे इसी समस्या को बहुत प्रभावी ढंग से दिखाया गया है... इस्लाम के भीतर से ही इसके खिलाफ आवाज़ उठेगी और वो आवाज़ होगी मुस्लिम महिलाओं की। तभी इस समस्या को समस्या माना जाएगा
यह एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। इस्लाम की स्थापना ही नफरत की बुनियाद पर हुई थी। अमन, प्रेम, सद्भाव, मैत्री आदि शब्द इस्लामी डिक्शनरी में होते ही नहीं। जैसे-जैसे विश्व में इनकी आबादी बढ़ती जाएगी, वैसे-वैसे अराजकता भी बढ़ती जाएगी।
आपने एक बहुत ही गंभीर विषय पर गज़ब और सटीक लेखनी चलाई है।
इस कौम के लिए इंसान हो या जानवर, इनका जीवन कोई मायने नहीं रखता। जब बात इनके दीन पर आ जाए तो खून बहाने पर उतर आते हैं।
अभी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इन्होने पहले सलमान रुश्दी के आने पर प्रतिबन्ध लगाया फिर वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के समय भी अच्छा ख़ासा बवाला किया। घटना कुछ ऐसी थी कि फेस्टिवल के आखिरी दिन बिना पास के करीब ५००-६०० मुस्लिम ऊंची सलवार व करते व अपनी कटोरेनुमा टोपली पहन कर फेस्टिवल में घुस गए थे। सलमान रुश्दी की वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के समय इन्होने वहां जम कर हल्ला मचा दिया। हर और नारा-ए-तदबीर के नारे लगाने शुरू कर दिए। तोड़-फोड़ भी की। कहीं किसी सबसे तेज चैनल पर इसे नहीं दिखाया गया। इतनी सिक्योरिटी होने के बावजूद ये साले वहां घुस कैसे गए, इसे लेकर राजस्थान प्रदेश सरकार (कांग्रेस) की मिलीभगत लगती है।
कहने का अर्थ यह है कि अब भी यदि हम लोग सचेत नहीं हुए तो पूरी दुनिया में ये सूअर की औलादें खून की नदियाँ बहाने पर उतर आएंगी।
इसके लिए जापान व ऑस्ट्रेलिया की सरकारों से कुछ सीखना चाहिए। जिन्होंने अपने देशों में मुल्लों को दबा कर रखा हुआ है। सर उठाते ही उसपर कड़ी कार्यवाही की जाती है। तुष्टिकरण की निति को नकारते हुए ऑस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री ने तो खुले आम इस्लाम का विरोध किया था। जापान में भी मुल्लो के मदरसों पर रोक लगी हुई है। मुल्लों के लिए वहां रहने के लिए कड़ी शर्तें लागू हैं, जिनके तहत वे न तो मदरसे खोल सकते हैं, न ही कोई मस्जिद या दरगाह। यहाँ तक कि कुरआन भी पढनी हो तो उर्दू अथवा अरबी में नहीं बल्कि जापानी भाषा में ही मिलेगी।
क़ानून का उलंघन करने वाले मुल्लों के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान है।
जिस दिन ऐसे प्रयास सभी देश, खासकर भारत करने लगे, तभी इन सूअर के पिल्लों को अपने wash में रखा जा सकता है। अन्यथा कथित प्रेम व सद्भावना व सर्वधर्म समभाव का राग अलापने वाले भी कल इस जमात का शिकार होंगे। क्योंकि इनके लिए धर्म निरपेक्ष व्यक्ति भी काफिर ही है।
बेहतरीन पोस्ट।
स्थिति सचमुच चिंताजनक हे।
दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों को इस विश्वव्यापी समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ को इसके लिए पहल करनी चाहिए।
लेकिन यह भी सच है कि प्रकृति किसी चीज की अति को सहन नहीं करती। जिस चीज की अधिकता हो जाती है उसके विनाश के लिए प्रकृति अपने विशेष तरीकों का प्रयोग करती है। अकाल, गरीबी और भुखमरी ऐसे ही तरीके हैं।
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Watch the truth--
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http://www.youtube.com/watch?v=Cj-ceoxHc4U&feature=player_detailpage.
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जनसँख्या का आधार हमारी प्रगति को बाधित करता है
किन्तु सार्थक कर्मठ हाथ देश की दशा और दिशा बदल देते हैं .आपके लेखन पर
कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाठी हाथ
जो घर फुके आपना चले हमारे साथ
चिंतनीय
डेमोग्राफिक बदलाव निस्संदेह सत्ता परिवर्तन का कारण बनते हैं और संविधान में भी. गिरीश जी के ब्लॉग में मिश्र के चुनाव के बारे में जो विश्लेषण दे रखा है वह इस की पुष्टि करता है. देखिये कब जागते हैं.
विचारणीय विषय।
chintajanak
behtareen post
zeal ji namskar apka lekh vakai hame sochne par majboor karta hai . aapki lekhni me kmal kaa jadoo hai . vande matarm
जगाने का काम कई सालों से चल रहा है पर कोई जागेगा नहीं ... आलसी और भोगवादी हो गए हैं हम ... और जो कौम (अमेरिका और यूरोप भी इससे अलग नहीं हैं) भोगवादी हो जाती है वो इसके ही लायक होती है ...
क्या कहें?
बहुत बढ़िया।
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.in/2012/02/777.html
चर्चा मंच-777-:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
vicharneey lekh
यदि जनसंख्या ऐसे ही बढ़ती रही और पेड़ कम होते रहे तो ईंधन के रूप में जलाने के लिए मनुष्य ही उपलब्ध होंगे. बुरा आईडिया, लेकिन परिस्थितियाँ क्या कर सकेंगी? जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है.
कोई डर नहीं... सितारों से आगे जहां और भी हैं:)
यह तो मानवता के शत्रु है लेकिन घबड़ाने की कोई बात नहीं है ,कुत्तो की भी जनसँख्या बहुत बढती है वे कब कहा कैसे मरते है पता नहीं चलता है बिचार किया तो सरे के सरे सकद दुर्घटना में मारे जाते है.
COMPILATION VERY INFORMATIVE, INDEED. WHAT IS THE SOLUTION THEN ?
PLEASE DON’T BLAME ONLY MUSLIMS EVEN HINDUS DON'T LAG BEHIND ON THIS ASPECT- WE ARE 123 CRORE PLUS, STILL MARCHING TOWARDS WORST.
POLITICIANS AND INDUSTRIALISTS WILL BE THE BENEFICIARIES OF LARGE POPULATION - PPL DON'T UNDERSTAND THIS, KEEP WRITING NOTHING WILL HAPPEN
आँकड़े वास्तव में चिंताजनक हैं।
लेख बहुत अच्छा लिखा गया है लेकिन कमेंटस...केवल मन की भडास निकालने के लिये नहीं होते।
कुछ करो - जो कुछ भी आप के हाथ में है वही करो।
हिन्दू संगठनो के साथ जुडो। केवल चन्दा ही नहीं देना उन्हैं समय और सलाह भी दो।
आर ऐस ऐस के साथ सम्पर्क रखो।
भारतीय मुस्लिम लीग (काँग्रेस) को चुनाव में हराओ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिये हिन्दू विचार धारा की पार्टी बी जे पी को मत दो।
अपने धर्म को केवल अपनी ना समझी दिखाने के लिय मत नकारो । कम से कम यह बात तो मुल्लों से ही सीख लो।
और हताश या लाचार मत बन जाओ। अभी भी वक्त है।
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