कांग्रेस जैसी सर्वगुण संपन्न सरकार चिराग लेकर ढूँढने पर भी नहीं मिलेगी। एक से एक नव-रत्न हैं इनके दरबार में। देश , काल, परिस्थिति देखकर कांग्रेसी कभी कमीनगी करते हैं (सिब्बल), कभी कुत्तापना, कभी सुवरपना (दिग्गी), कभी गदहपना , कभी लंगूर की तरह उचकते हैं (खुर्शीद, बेनी प्रसाद)। जरूरत पड़ने पर आरक्षण देकर "गधों" को बाप बना लेते हैं, सत्ता हथियाने के लिए घरवालों को भी मरवा देने से पीछे नहीं हटते। विदेशियों के आगे सब "लीक" कर देते हैं , पाकिस्तानियों की तरह मिलिट्री राज करने की धमकी देकर तानाशाही करते हैं। भारतीयों को गरीब और फटीचर समझते हैं । इश्क फरमाते हैं विदेशी स्त्रियों से जो सिगरेट पीने वाली होती है (पहले प्रधानमन्त्री का इतिहास देखें) अथवा किसी होटल में पिज्जा बेचने वाली होती है। धन्य है कांग्रेस। आज की चिट्ठी में बस इतना ही। बुद्धिमानों के लिए इशारा काफी है। थोड़े लिखे को ज्यादा समझिएगा। --जय भारत--वन्देमातरम!