Monday, February 6, 2012

बरसाती मेंढक

उत्तर प्रदेश वाले बेवकूफ नहीं हैं जो बरसाती मेढकों [प्रियंका] की टर्र--टर्र में जायेंगे चुनाव प्रचार 'शकल' दिखाकर नहीं , देश के प्रति समर्पित होकर निष्ठां से किया जाता है चौकलेटी चेहरों से गंवारों को मूर्ख बनाया जा सकता है , बुद्धिजीवियों को नहीं

4 comments:

Arun sathi said...

अफसोस तो यही है कि लोग बुद्धू बन ही जाते है..?

sanjay said...

कितने बुद्धिजीवी हैं इस देश और उत्तर प्रदेश में? अन्ना हजारे की कलाबाजियों के बाद भी जिन जगहों पर कांग्रेस जीत गयी उन प्रदेशों के लोग तो १००% बेवकूफ ही हैं |

Bharat Bhushan said...

सही कहा है. केवल मुस्कराते और भले दिखने वाले चेहरों से लोग प्रभावित होते तो सत्ता पर केवल चेहरों का शासन होता. अब ऐसे चेहरों का समय समाप्त हो चुका है.

दिवस said...

अब उत्तर प्रदेश के लोगों को स्वयं को साबित करना होगा कि वे क्या चाहते हैं, ज़मीन पर उतर कर लड़ने वाला असली हीरो या फ़िल्मी परदे पर नकली कलाबाजियां दिखाता नकली हीरो?
खैर बारिश में ये बरसाती गांधी मेंढक टर्रा रहे हैं, एक बार चुनावी मौसम निकल जाने दीजिये अगले पांच वर्षों तक शक्ल नहीं दिखाएंगे। घर बैठ कर देश लूटेंगे और विरोध करने वालों को पुलिस नुमा गुंडे भेज कर पिटवाएँगे।