किसी को शौक होता है कुत्ते पालने का, किसी को खरगोश पालने का, तो कोई तोता पालता है। लेकिन कांग्रेस को शौक है आतंकवादियों को पालने का। देश में चाहे जितने आतंकी हमले हो जाएँ , इन्हें कोई फरक नहीं पड़ता। कभी संसद पर तो कभी दूतावासों पर आतंकी हमले होते हैं यहाँ। जब तक कसाब जैसे आतंकवादियों को शाही दामाद बना कर रखा जाएगा तब तक यही होगा। अपना घर ही चाक-चौबंद रखना जो नहीं जानता वो देश का प्राधानमंत्री बनने के सपने देख रहा है। शर्मनाक !
7 comments:
उसने तो साफ़-साफ़ कह दिया, कि आतंकी हमले तो होंगे ही, इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता।
जब उसने खुद स्वीकार ही कर लिया कि वह निकम्मा है, किसी काम का नहीं तो फिर प्रधानमंत्री के सपने क्यों देखता है?
वैसे कांग्रेसी शौक अजीब हैं। कोई कुत्ता पालता है तो कोई खरगोश, लेकिन कांग्रेसियों ने आतंकी पाले। इसके अलावा एक अजीब सा जानवर और भी पाला जो अपने इन आतंकी भाइयों के बचाव में लगा रहता है। नाम है दिग्गी सिंह लादेन।
इस पर शोध चल रहा है। कोई इसे डौगी समझता है तो कोई पिग्गी, किन्तु अभी तक सही जानकारी हाथ नहीं लगी है।
जाने कब छुटकारा मिलेगा इन आतंकियों से.
ये उम्दा पोस्ट पढ़कर बहुत सुखद लगा!
प्रेम दिवस की बधाई हो!
बहुत तीखे तेवर अपना रहीं हैं आप तो आजकल मगर इन मक्कारों पर कोई असर होने वाला नहीं हैं।
आदरणीय कवि योगेन्द्र मौदगिल जी की कविता की ये चार पंक्तिया मेरे जहाँ में अन्दर तक घुसी है और जब ऐसे आलेख पढता हूँ तो स्वत: वे लाइने बाहर आ जाती है ;
लंगड़ों को मैराथन भेजा, गूंगे भेजे यूएनऒ,
सूरदास को तीर थमाया, कुछ उल्लू के पट्ठों ने.
सड़कें, चारा, जंगल, पार्क, आवास-योजना, पुल, नहरें,
खुल्लमखुल्ला देश चबाया, कुछ उल्लू के पट्ठों ने.
hahahahah sahi kaha aapane
:( :( :(
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो
कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम
इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें
अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे
इसमें राग बागेश्री भी
झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने
दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में
चिड़ियों कि चहचाहट
से मिलती है...
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