बलात्कार का शिकार होती मासूम बच्चियों के लिए दिल नहीं पसीजता, भूख से पीड़ित हो आत्महत्या करते किसानों के लिए दुःख नहीं होता, ठण्ड से मरने वालों का दर्द नहीं है, कारगिल के शहीदों के लिए आँखें नम नहीं हुयी जिसकी , वही आँखें रो पड़ीं आतंकवादियों की मौत पर। धन्य हैं सोनिया-माता के घडियाली आँसू ...
7 comments:
दरिंदों के हृदय जो नहीं होता!
dhan dhan soniya mata.
ये तो हजम नहीं हुई....
वोट की बात है ........
बिलकुल सटीक
आज भाजपा उपाध्यक्ष विनय कटियार ने भी तीखे शब्दों में ऐसा ही बयान दिया था।
सोनिया का दिल भारत के लिए धडकता ही नहीं, तो पसीजेगा कहाँ से? खैर अभी बहने वाले आंसू भी घडियाली ही थे। वख्त पढने पर गधे को भी बाप बनाने वाली ज़मात कुछ भी कर सकती है। फिर मुल्ले तो फिर भी इंसानी शरीर में बैठे जानवर हैं। दिखने में तो इंसान ही हैं न।
नाटकबाज़ी इसे कहते हैं !
नेताओं के ऐसे नाटक पर पहले जनता को गुस्सा आता था. अब वह गुस्सा घृणा में परिवर्तित हो गया है. मेरा विचार है ये नेता इसे देख नहीं पा रहे हैं.
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