कल रात 'बापू' मेरे सपने में आये, कहने लगे - "मुझे अपनी भूल पर भारी पछतावा है , पटेल की जगह नेहरु को प्रधानमन्त्री बनाकर बहुत बड़ी भूल की थी मैंने। यदि 'सदार पटेल' को प्रधानमन्त्री बनाया होता तो आज भारत को ये दुर्दिन नहीं देखना पड़ता। मेरे बच्चों मेरी भूल को दोहराना मत, उखाड़ फेंको विदेशियों को। दिव्या, मेरी लाडली , कुछ करो , ख़तम कर दो इस परिवारवाद को । किसी सच्चे और इमानदार को ही बैठाना अब गद्दी पर, जो देश और देशवासियों के बारे में सोचे, स्विस खातों में काला धन न भरे"। -----मैंने कहा-- " बापू, चिंता-फिकर नॉट , हम हैं न ! इस बार कोई माई का लाल ही बैठेगा गद्दी पर , न कोई इटालियन , न ही कोई ब्रितानी। डैड , आपकी गलती का प्रायश्चित हम करेंगे और भारतमाता को असली आज़ादी दिलायेंगे और अखंड भारत बनायेंगे। ये भारत भूमि अभी 'पटेलों' और 'देश के लालों' से खाली नहीं हुयी है।
हम लाये हैं तूफ़ान से , कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के।
जय हिंद
जय भारत,
वन्दे मातरम्
Zeal
14 comments:
श्याम निर्धन-जनों की छाती में, पाला हाथी श्वेत !
अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत !!
kash...ke apke sapne sach hote????
pranam.
sahi kaha humare desh me patel,bhagat singh jaise honhaaron ki kami nahi hai fir lakeer ke fakeer kyun banen kaash humare deshvasiyon ko yah baat samajh me aa jaaye.....har cheej badlaav mangti hai ....badlaav...badlaav..
मेरे सपने में भी आय थे मशीनगन ले कर.
सच है परिवारवाद समाप्त तो होना ही चाहिए..सटीक आलेख...
जो बचा है उसी को बचाए रखे यही बहुत है,...
बहुत बढ़िया ,सुंदर प्रस्तुति..
NEW POST..फुहार..कितने हसीन है आप...
bhn aap bda kam kr rhi hain sadhuvad swikar kren
दिव्याजी ,आपके स्वप्न भी दिव्य ही होते हैं.
आपके देश भक्ति के जज्बे को नमन.
गांधी जी से तो आपको और भी बहुत सी बातें
कर लेनी चाहिये थीं.
बापू की गलती की सज़ा आज देश भुगत रहा है।
सच पूछा जाए तो शायद एक बार गांधी जी को सच में इसका एहसास हुआ था, जो उन्होंने आपको सपने में सुनाया। 15 अगस्त 1947 के दिन गांधी जी दिल्ली में आज़ादी का जश्न नहीं अपितु नोआखली में हिन्दुस्तान की बर्बादी का मातम मना रहे थे।
उन्होंने वहीँ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी, जिसमे उन्होंने लिखा था कि यह वो आज़ादी नहीं है जिसे हमने चाहा था, जिसे हर एक स्वतंत्रता सेनानी ने चाहा था, जिसे हर एक शहीद ने चाहा था। आज़ादी के नाम पर काल सत्ता का हस्तांतरण हुआ है। मेरी गलतियों की सज़ा अब देश को भुगतनी होगी।
लेकिन अब हम उन गलतियों को नहीं दोहराएंगे। माँ भारती की रक्षा के लिए अब कोई समझौते वाले आज़ादी नहीं अपितु अपनी शर्तों वाली आज़ादी की लड़ाई लड़ी जाएगी।
आपके प्रवास में हमे भी अपने साथ रखिये, आपकी कृपा होगी। आपका आभारी रहूँगा।
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