Thursday, March 15, 2012

महिषासुरमर्दिनी 'दुर्गा देवी' - हमारी नेता !

राष्ट्र को बचाने के लिए धर्म की रक्षा बहुत ज़रूरी है। आज भी घर घर में धर्म को जीवित रखने में स्त्रियों का महती योगदान है। कीर्तन, भजन , कथा, व्रत-उपवास में माता एवं बहनों का विशेष योगदान रहता है। आज आपकी मुलाक़ात हम श्रीमती दुर्गा देवी जी से करवायेंगे। इन्होने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़ रही है। राजनैतिक पार्टियों में व्याप्त दोगलापन इन्हें फूटी आँखों नहीं सुहाता। श्रीमती दुर्गा देवी एक 'हिन्दू राष्ट्र" की कल्पना करती हैं , जहाँ हिन्दुओं के अधिकार सुरक्षित रहे।

उनके पार्टी संविधान में --

--सर्वप्रथम "हिन्दू धर्म " के अस्तित्व की रक्षा को प्रथम धर्म माना जाएगा, ताकि धर्म के द्वारा देश की रक्षा की जा सके।
--उनके राज में हर धर्म और वर्ग को सुकून से जीने का अधिकार दिया जाएगा लेकिन देश को बांटने वाले किसी भी प्रकार के "आरक्षण" को समाप्त कर दिया जाएगा।
--हर उस कार्य को प्राथमिकता दी जायेगी जो राष्ट्र हित में होगा।
--जनता की खुशहाली ही "दुर्गा-दल" का प्रथम लक्ष्य होगा।
--देश के विकास के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य का विस्तार किया जाएगा।
--हिंदी भाषा को विश्व-स्तरीय बनाया जाएगा।
--पार्टी में किसी भी बलात्कारी, आतंकवादी , चोर और घोटाले बाजों को स्थान नहीं दिया जाएगा।
--पार्टी में स्त्री और पुरुष सभी सदस्यों को स्नात्तकोत्तर होना आवश्यक होगा।
--गाँवों और ग्रामीण इलाकों में जीवन स्तर ऊंचा किया जाएगा।
--न्याय प्रक्रिया तीव्र की जायेगी।

शीघ्र ही श्रीमती दुर्गा देवी हमारे बीच होंगीं, जिनके साथ हम हिंदुस्तान में रामराज पुनः देखेंगे। और एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत में आजादी के साथ सांस ले सकेंगे।

जय हिंद !
जय भारत!

वन्देमातरम !