मायावती जी ने लखनऊ शहर को पत्थरों के शहर में तब्दील करके हरियाली ही छीन ली थी। अब अखिलेश बाबू उनसे भी दो कदम आगे निकले। शहर के dividers पर लगे हरे , घने, सायादार वृक्षों को बेरहमी से कटवा कर शहर का सुन्दरीकरण कर रहे हैं। पढाई लिखाई सब व्यर्थ है यदि वृक्षों का महत्त्व ही न समझें तो। उत्तर भारत की चटकती धूप में जहाँ रिक्शेवाले, खीरे-ककड़ी वाले, आम पथिक और विद्याथी उन वृक्षों की सघन छाया से थोडा राहत पा जाते थे , वह भी अब नसीब नहीं होगा। अलीगंज में वर्षों में उगे हुए इन सघन वृक्षों की बेदर्दी से कटाई अत्यंत दुखद एवं खेदजनक है।