Friday, March 30, 2012

सुखी एवं खुश रहने का मूल मन्त्र

बस एक ही मन्त्र है कभी किसी से कोई अपेक्षा मत रखिये। अपेक्षाएं कभी पूरी नहीं होतीं। पूरी ना हो पाने की अवस्था में मन को दुखी एवं अवसादित करती हैं। अच्छे- भले रिश्ते भी इन अपेक्षाओं की भेंट चढ़कर ख़ाक हो जाते हैं। दूरियां बढती हैं और दरारें आती हैं रिश्तों में। खुद को इतना सक्षम बनाईये की आप अपने सपनों को साकार कर सकें। सपने भी उतने ही देखिये जिन्हें पूरा कर पाने का सामर्थ्य हो आपमें। किसी दुसरे से अपेक्षाएं पालकर अपना और दुसरे का जीवन दूभर मत कीजिये।

Greater the expectations , greater the disappointments

Zeal