Sunday, March 18, 2012

काजल कुमार और खुशदीप सहगल की रसीली बातें

ब्लौगरीय निराशा दूर करने के लिए कुछ रसीली बातें अति उपयोगी हैं...

काजल कुमार Kajal Kumar
Mar 17, 2012 04:41 AM
भगवतीचरण वर्मा जी की पंक्तियां हैं न...
हम दीवानों की क्या हस्ती,
आज यहाँ कल वहाँ चले
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले...

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नेकी कर...कुएं में डाल...​
​पोस्ट लिख...ब्लाग पर डाल...​
​​
​ये फंडा अपनाओगे तो रहोगे हमेशा ब्लागर खुशहाल...​

घन्यवाद इन उपयोगी फंडों का...Smiles...

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अविनाश जी पूछते हैं , मठाधीश हैं तो मठरानियाँ क्यों नहीं ? -- गजब का प्रश्न है , आनंद आ गया।

महिलाएं भला कब पीछे रही हैं किसी क्षेत्र में । एक से एक माफिया भी हैं और मठरानियाँ भी।

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वैसे यदि अपेक्षाओं को ख़त्म करके कोई व्यक्ति अपने तन मन धन से किसी कार्य में डूब जाए तो शेष सब कुछ गौड़ हो जाता है। कुछ भी नहीं इस पृथ्वी पर जो मन को विचलित कर सके। अपने मन के वैराग्य को बढ़ाते जाना और लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना ही सबसे सुन्दर विकल्प है।

जय श्री राम
जय महिषासुर मर्दिनी

जय हिंद
जय भारत
वन्दे मातरम्

Zeal