उत्तर प्रदेश वासियों ने निराश नहीं किया। कम से कम 'कांग्रेस' रुपी भेड़िया का बहिष्कार तो किया। राहुल का फ्रस्ट्रेशन ले डूबा कांग्रेस को। बेचारा बच्चा , इतना जिद्दी और गुस्सैल है की राम ही जाने , अब पचास सीटों मिलने पर क्या करेगा। खुर्शीद और सिद्धिकी की चुनावी नौटंकियाँ उलटी पड़ गयीं। मीडिया खरीदने का भी कोई लाभ नहीं मिला कांग्रेस को। समाजवादी पार्टी का 'लैपटॉप' बांटने का फंडा कारगर रहा। साईकिल सवार ही आगे रहे। भाजपा से उम्मीदें ज्यादा थीं। भगवा ही चाहिए। Let's hope for the best।