देश में भगत सिंह से बड़ा कोई बलिदानी नहीं हुआ ! देश को आजाद कराने के लिए फांसी के फंदे पर झूलकर, अपने प्राणों की आहुति देकर पूरे देश में क्रान्ति के शोले भड़का दिए ! यदि वो ज्वाला ठंडी पड़ जाती तो शायद आजादी कुछ दशक आगे खिसक जाती ! जैसे हवन में घी की आहुति देकर अग्नि को प्रज्वल्लित रखते हैं वैसे ही भगत सिंह के प्राणों की आहुति थी क्रांति की ज्वाला में !
Wednesday, March 25, 2015
Monday, March 23, 2015
मूल स्वरुप
बदलते तो हम खुद हैं,
और दोष बताते हैं उसका
और तालमेल बैठाने की जद्दोजहद में वो
इतना बदल चुका होता है कि,
अपने अस्तित्व को ही खो देता है,
फिर हम तलाशते हैं उसको
जिसे प्यार करते थे
मिल भी जाता है वो
लेकिन ये क्या ....
अब तो वो खुद को भी नहीं पहचानता !!
और दोष बताते हैं उसका
और तालमेल बैठाने की जद्दोजहद में वो
इतना बदल चुका होता है कि,
अपने अस्तित्व को ही खो देता है,
फिर हम तलाशते हैं उसको
जिसे प्यार करते थे
मिल भी जाता है वो
लेकिन ये क्या ....
अब तो वो खुद को भी नहीं पहचानता !!
.
मॉरल ऑफ द स्टोरी :
------------------------
जो जैसा है उसे वैसा ही प्यार करो, स्वार्थ में अंधे होकर उसे अपने साँचे में ढालने कि कोशिश मत करो ! व्यक्ति कि खूबसूरती उसके मूल-स्वरुप में ही होती है !
Thursday, March 19, 2015
शायराना दिव्या
ना है तुमने ठगा हमको
ना है हमने ठगा तुमको
ये तो एक रस्म रिश्तों की
जो है करना पड़ा हमको
और अब सहना पड़ा तुमको
अरे बस दो कदम चलकर
तो लोग डगमगाते हैं ..
कदम आगे बढ़ाते हैं
तो फिर से लड़खड़ाते हैं
तुम्हें क्यों दोष दूँ बंधू
तुम्हीं तो साथ आये हो
करूँ क्यों याद अब उसको
जो पीछे छोड़ आये हो ..
चलो बढ़ जाओ तुम आगे
न अब तुमको मैं रोकूंगी
सफर लंबा, बहुत बाक़ी
ना पीछे तुम कहीं मुड़ना
ना बढ़ के , राह रोकूंगी
ना अब आवाज़ मैं दूँगी ..
जो लम्हे साथ थे गुज़रे
उन्हें अब भूल जाना तुम
न मुझको याद करना तुम
न मुझको याद आना तुम ...
Divya [Zeal]
ना है हमने ठगा तुमको
ये तो एक रस्म रिश्तों की
जो है करना पड़ा हमको
और अब सहना पड़ा तुमको
अरे बस दो कदम चलकर
तो लोग डगमगाते हैं ..
कदम आगे बढ़ाते हैं
तो फिर से लड़खड़ाते हैं
तुम्हें क्यों दोष दूँ बंधू
तुम्हीं तो साथ आये हो
करूँ क्यों याद अब उसको
जो पीछे छोड़ आये हो ..
चलो बढ़ जाओ तुम आगे
न अब तुमको मैं रोकूंगी
सफर लंबा, बहुत बाक़ी
ना पीछे तुम कहीं मुड़ना
ना बढ़ के , राह रोकूंगी
ना अब आवाज़ मैं दूँगी ..
जो लम्हे साथ थे गुज़रे
उन्हें अब भूल जाना तुम
न मुझको याद करना तुम
न मुझको याद आना तुम ...
Divya [Zeal]
Wednesday, March 11, 2015
बवासीर
कैसा भी बवासीर हो--
* 15 ग्राम काले तिल पिसकर, 10-15 ग्राम मख्खन
के साथ मिलाकर सुबह सुबह खा लो ।
कैसा भी बवासीर हो मिट जाता है ।
* जिनको बवासीर है, शौच वाली जगह से
जिनको खून आता है, वे २ नींबू का रस निकालकर,
छान लें और एनिमा के साधन से शौच वाली जगह
से एनिमा द्वारा नींबू का रस लें और १० मिनट
सिकोड़ कर सोये रहें । इतने में वो नींबू गर्मी खींच
लेगा और शौच होगा । हफ्ते में ३-४ बार
करें.......कैसा भी बवासीर हो.........
नीम के पके हुए फल को छाया में सुखाकर इसके फल
का चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण सुबह जल के साथ
खाने से बवासीर रोग ठीक होता है।
लगभग 50 मिलीलीटर नीम का तेल,
कच्ची फिटकरी 3 ग्राम, चौकिया सुहागा 3
ग्राम को बारीक पीस लें। शौच के बाद इस लेप
को उंगली से गुदा के भीतर तक लगाने से कुछ
ही दिनों में बवासीर के मस्से मिट जाते हैं।
नीम के बीज, बकायन की सूखी गिरी,
छोटी हरड़, शुद्ध रसौत 50-50 ग्राम, घी में
भूनी हींग 30 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण
बनाकर उसमें 50 ग्राम बीज निकली हुई
मुनक्का को घोंटकर छोटी-
छोटी गोलियां बना लें, 1 से 4 गोली को दिन में
2 बार बकरी के दूध के साथ या ताजे लेने से
बवासीर में लाभ मिलता हैं, और खूनी बवासीर में
खून का गिरना बन्द हो जाता है।
नीम की गिरी का तेल 2-5 बूंद तक शक्कर (चीनी)
के साथ खाने से या कैप्सूल में भर कर निगलने से लाभ
मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और भात
का प्रयोग करें।
नीम के बीज की गिरी, एलुआ और रसौत
को बराबर भाग में कूटकर
झड़बेरी जैसी गोंलियां बनाकर रोजाना सुबह
1-1 गोली नीम के रस के साथ बवासीर में लेने से
आराम मिलता है।
नीम के बीजों की गिरी 100 ग्राम और नीम के
पेड़ की छाल 200 ग्राम को पीसकर 1-1 ग्राम
की गोलियां बनाकर 4-4 गोली दिन में 4 बार 7
दिन तक खिलाने से तथा नीम के काढ़े से
मस्सों को धोने से या नीम के
पत्तों की लुगदी को मस्सों पर बांधने से लाभ
मिलता है।
100 ग्राम सूखी नीम की निबौली 50
मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर पीस लें,
बाकी बचे तेल में 6 ग्राम मोम, 1 ग्राम फूला हुआ
नीला थोथा मिलाकर मलहम या लेप बनाकर
दिन में 2 से 3 बार मस्सों पर लगाने से मस्सें दूर
हो जातें हैं।
फिटकरी का फूला 2 ग्राम और सोना गेरू 3
ग्राम, नीम के बीज की गिरी 20 ग्राम में
घी या मक्खन मिलाकर या गिरी का तेल
मिलाकर घोट लें, इसे मस्सों पर लगाने से दर्द तुरन्त
दूर होता हैं और खून का बहना बन्द होता है।
50 ग्राम कपूर, नीम के बीज की गिरी 50 ग्राम
को दोनों का तेल निकालकर थोड़ी-
सी मात्रा में मस्सों पर लगाने से मस्सें सूखने लगते
हैं।
नीम की गिरी, रसौत, कपूर व सोना गेरू
को पानी पीसकर लेप करें या इस लेप को एरण्ड के
तेल में घोंटकर मलहम (लेप) करने से मस्से सूख जाते हैं।
नीम के पेड़ की 21 पत्तियों को भिगोई हुई मूंग
की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डालें,
घी में पकाकर 21 दिन तक खाने से और खाने में छाछ
और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में
लाभ हो जाता है। ध्यान रहे कि नमक का सेवन
बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
नीम के बीजों को तेल में तलकर, उसी में खूब
बारीक पीस लें। इसके बाद फुलाया हुआ
तूतिया डालकर मस्सों पर लेप करना चाहिए।
पकी नीम की निबौंली के रस में 6 ग्राम गुड़
को मिलाकर रोजाना सुबह सात दिन तक खाने
से बवासीर नष्ट हो जाता है।
Rajiv Dixit
Sunday, March 8, 2015
Monday, March 2, 2015
"अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम "
जब एक व्यक्ति गुलाम मानसिकता का शिकार हो जाता है तब वो सत्य और षड्यंत्र का भेद नहीं कर पाता! हमारे देश की गुलाम मानसिकता ने ही ईसाईयों के षड्यंत्र का शिकार होकर मदर टेरेसा को 'संत' का दर्जा दे दिया जबकि सच्चे अर्थों में कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाली संस्था "अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम " का कोई प्रचार नहीं करती हमारा मीडिया ! जनता अनभिज्ञ रहती है और भ्रमित होकर षड्यंत्रों का शिकार होती है और ये ईसाई मिशनरियां हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने में सफल हो जाती हैं ! आईये जानें वाराणसी के पास अवधूत कुष्ठ सेवा संस्थान के बारे में ! इस संस्था ने निस्वार्थ भाव से लाखों कुष्ठ रोगियों की सेवा और चिकित्सा करके उन्हें पूर्ण रूप से स्वस्थ किया है ! उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों पर इनके आश्रम हैं ! सर्वाधिक और लाखों की संख्या में इस संस्था से स्वास्थ्य लाभ करने के कारण इस संस्था का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में भी दर्ज है ! ये संस्था केवल निस्वार्थ भाव से सेवा करती है , किसी के धर्म परिवर्तन की शर्त नहीं रखती ! ऐसे सच्चे सेवक केवल हिन्दू ही होते हैं और केवल भारत की मिटटी में ही जन्म लेते हैं !
.
.
.
.
.
..
.
Subscribe to:
Posts (Atom)